लुढ़कता गोला:
1. गोबर से एक गोल टुकड़ा काटता गुबरैला (पहले के तीन रेखाचित्र) 2. गोले को लुढ़का कर ले जाता गुबरैला; तीर का आकार गोले को लुढ़काने की दिशा बताता है। 3. गोले को लुढ़काने के काम में लगे नर और मादा। 4. इस चरण में गोले को गड्ढे के अंदर लुढ़का दिया गया है।

लुढ़काए जाओ.... गोबर का गोला
अरे, अरे.. रे... जनाब नाक मत सिकोड़िए, शीर्षक का क्या वो तो ...। लेकिन जिन महाशय । की हम बात करने वाले हैं वो फिर भी कुछ अनोखे ही हैं; और उनका गोबर से लेना देना तो जगजाहिर है।

एक गुबरैला (Beetle) है - हकीकत में तो कई प्रजातियां हैं - जो गोबर की गेंद बनाता है और उसे लुढ़काता चला जाता है। कभी न कभी जरूर देखा होगा। कभी कभी तो नर और मादा दोनों ही इस काम में लग जाते हैं। आखिर क्या करते हैं वो इस गोबर का?

खुद तो खाते ही हैं वे इसे और अपनी भावी पीढ़ी के लिए बतौर भोजन सुरक्षित भी रखते हैं। मादा इस गोले में अंडे दे देती है और इसे पहले से तैयार किए गए किसी गड्ढे में खिसका देती है। जब अंडे फूटते हैं और लार्वा निकलता है तो वो इस गोले को भोजन के रूप में इस्तेमाल करता है।

कुछ प्रजाति के गुबरैले सिर्फ किसी जानवर विशेष का गोबर या लीद ही खाना पसंद करते हैं। जैसे कि हमारे देश में मिलने वाली एक प्रजाति हेलिओकोपरिस बूसफेलस के गुबरैले - ये सिर्फ हाथी की लीद को अपने भोजन के लिए इस्तेमाल करते हैं। लीद गिरी और जैसे ही उसकी गंध फैली कि आ जाते हैं ये. जितना खाना है उतना तो खाया ही बाकी का गोला बनाओ और लुढ़का कर ले चलो।

लेकिन इससे कहीं ऐसा न लगने लगे कि ये सिर्फ गोबर या लीद ही खाते हैं। इनका मुख्य भोजन तो सड़ी गली पत्तियां, लकड़ी आदि है। गोबर में अंडे देकर गोला बनाने वाले जिन गुबरैलों की हम बात कर रहे हैं उनकी सैकड़ों प्रजातियां हैं। दरअसल ये दुनिया को साफ रखने में प्रकृति की बड़ी मदद करते हैं। साथ ही ज़मीन की पोषकता आदि बरकरार रखने में भी। इसलिए गोबर लुढ़काता कोई गुबरैला अबकी बार दिखे तो उसे नज़र भरके तो देखिएगा ही साथ ही पीछा करने की कोशिश भी, कि कहां ले जा रहा है वो गोले को। क्या पता कि उसके स्वभाव के किसी नए पहलू को आप खोज लें।