पिछले अंक में पूछा गया सवाल: मान लीजिए कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर जिस कक्षा में घूमती है वह एकदम गोलाकार है, और उसकी त्रिज्या एक करोड़ बावन लाख करोड़ किलोमीटर है। अगर हम इस कक्षा की त्रिज्या एक मीटर बढ़ा दें तो उसकी परिधि में कितनी वृद्धि होगी?

इस सवाल को हल करने की एक शर्त थी। कि पहले आपको अंदाज़ लगाकर दस सेकेंड में इसका जवाब देने की कोशिश करनी थी। इसके बाद ही कागज पेंसिल उठाना था।

लोगों ने ऐसा ही किया... लेकिन चूक कहां की बताना मुश्किल है। और जो जवाब मिले उसमें से सही सिर्फ दो थे। इन्हें भेजा था - धरमचंद साहू इकलेहरा, परासिया और बालकिशन, अध्यापक, भिवानी, हरियाणा ने।

इस सवाल का हल सिर्फ इतना थाः
वृत की परिधि (यदि त्रिज्या r हो तो) = 2πr
यदि त्रिज्या में एक मीटर की वृद्धि हो जाए तो नई त्रिज्या होगी = r+1
तो ऐसे वृत की परिधि होगी = 2π(r+1)
= 2πr + 2π

मतलब कि ऐसे वृत की परिधि r त्रिज्या वाले वृत की तुलना में केवल 2π बढ़ेगी। और यह बात सिर्फ इस वृत के लिए ही सही नहीं है बल्कि किसी भी त्रिज्या वाले वृत के लिए सही है। अगर आप उसकी त्रिज्या में एक मीटर की बढ़ोतरी करेंगे तो उसकी परिधि सिर्फ 2π मीटर ही बढ़ेगी। अगर सूर्य से सबसे दूर स्थित प्लूटो ग्रह के कक्ष की त्रिज्या एक मीटर बढ़ा दी जाए तो उसके कक्ष की परिधि में भी केवल 6.28 मीटर की बढ़ोतरी होगी। (यहां हम ये ज़रूर मानकर चल रहे हैं कि ये सब कक्ष वृताकार हैं।)