बाल विज्ान पत्रिका फरिरी 2018 RNI क्र. 50309/85 डाक पंजीयन क्र. म.प्र./भोपाल/261/2018-20/प्रकाशन तिथि 27 जनवरी 2018 मूल्य ₹ 50 िसंत घास के इस फ ू ल से ह ै ... 1 हमने उनके हमने उनके घर के घर के हमने उनके बीते ददन उड़ते चले गए पक्षियों के खाली करते आकाश खख ं ची रह गईं बस पंखों की रेखाएँ भगवत रावत चचत्र : कनक शक्श 2 चन्दा (एकलव्य क े नदाम से बने) मनीऑर्डर/चेक से भेज सकते हैं। एकलव्य भोपदाल क े खदाते में ऑनलदाइन जमदा करने क े ललए लििरण- बैंक कदा नदाम ि पतदा - स्े् बैंक ऑफ इंलर्यदा, महदािीर नगर, भोपदाल खदातदा नमबर - 10107770248 IFSC कोर - SBIN0003867 कृप्यदा खदाते में रदालि रदालने क े बदा् इसकी पूरी जदानकदारी [email protected] पर ज़रूर ्ें। समपदा्न सुश्दाील श्दाुकल श्दालि सबलोक सहदा्यक समपदा्क सी एन सुब्रण्यम् कलितदा लतिदारी सलजतदा नदा्यर भिदानी श्दांकर रुद्दा श्दाीष चक्रितती लितरण झनक रदाम सदाहू सह्योग कमलेश्दा ्यदा्ि ब्रजेश्दा लसंह ई-10, श्दांकर नगर, बीरीए कॉलोनी, लश्दािदाजी नगर, भोपदाल, म.प्र. 462 016, फोन: (0755) 4252927, 2550976, 2671017 फ ै कस: (0755) 2551108 email - [email protected], email - [email protected], www.chakmak.eklavya.in, www.eklavya.in लिश्ोष सह्योग - इकतदारदा बदाल सदालहत्य क े नद् लरज़दाइन कनक श्दालि लिज्दान सलदाहकदार सुश्दाील जो श्दाी अंक 377 फरिरी 2018 एक प्रलत : 50.00 िदालष्डक : 500.00 तीन सदाल : 1350.00 आजीिन : 6000.00 सभी रदाक खच्ड हम ्ेंगे एकलव्य इस बार हमने उनके ि बीते ददन - भगित राित 2 सूरज और चाँद 3 राखीगढ़ी - भारती जगन्ाथन 4 गुफ्तगू - उमा सुधीर 7 खूबसूरती और सच - अज़ीज़ नेससन 10 नीली सचदिया - हररिंशराय बच्चन 15 नेकलेस - सशिानी 16 मैं तस् ी र ह ँ - तस् ी र 17 पारधी इततहास - मुस्ान संस्ा, भोपाल 20 मेरा पन् ा 22 नाचघर - वरियम्वद 23 मेंढक और ट ू थपेस्ट - फ़ ां त्स होलर, ननकोलाउस हाइडलबाख़ 28 क ू ना के ु मार शुक्ल 30 लहराती अकॉदड डियन वकताबें - दीपाली शुक्ला 36 मेरा पन्ा 38 माथा पच्ची 42 सचरि पह े ली 43 िसंत घास के ू ल से ह ै ... 44 एक ददन नसरुद्ीन एक सराय में घुसे और गंभीरता के“सूरज से चाँद की उपयोचगता बहुत अचिक है।” यह सुनकर सभी अचरज में पड़ गए। ककसी ने पूछा, “लेककन क्ों?” नसरुद्ीन ने कहा, “चाँद रात में रोशनी देता है, ददन में रोशनी की ज़रूरत ही क्ा है?” चचत्र : शुभम लखेरा आिरण लचत्र - ट्दाइरैकस प्रोक्युमबैनस ्यदा धमन घाँस क े नदाम से जदानदा जदाने िदालदा ्यह पौधदा असल में घाँस नहीं है। खेतों और खदाली ज़मीनों में लमलने िदाले इस पौधे कदा उप्योग ्ेसी इलदाज में घदािों से खून क े बहदाि को रोकने क े ललए लक्यदा जदातदा है। सूरज और चाँद 3 राखीगढ़ी भारती जगन्ाथन फोटो : कवनायक ्यह कौन सदा जदानिर थदा? क्यदा ्यह एक लखलौनदा थदा? झुनझुनदा मनक े “चलो उस ्ीले पर चढ़ते हैं,” ्ीपक लचललदा्यदा। सब चे तरफ और सदाथ “हाँ चलो।” “नहीं, नहीं। िो बहुत ऊँचदा है। रहने ्ो।” संध्यदा आं्ी ने घोषणदा की| प्रेम अंकल को भी चढ़नदा अच्दा नहीं लगतदा थदा, िह बोले, “हाँ पूरे ्ीले पर लसफ ्ड कँ्ीली झदालर्याँ हैं। खरोंच लगेगी।” गोलू बोलदा, “लेलकन बहुत मज़दा आएगदा।” संध्यदा आं्ी बोलीं “अरे िहाँ ऊपर कु् नहीं है। कु् भी नहीं!” “पलीज़ आं्ी पलीज़। हमें जदाने ्ो,” गोलू ने गुज़दालरि की। पर बदाकी सब रुक े नहीं। ्ौड़ लगदाने लगे लक कौन पहले ऊपर पहुँचतदा है। िैसे ्ीलदा उतनदा ऊँचदा भी नहीं थदा। लफर भी ऊपर पहुँचते-पहुँचते सब की साँसे तो फूल गई थीं। अब ्ौड़ लगदाओगे तो साँस तो फूलेगी ही। समीरदा भी एक बदार लफसलकर लगरी थी, लेलकन चो् नहीं आ्यी। “्ेखो मुझे क्यदा लमलदा!” उसक े हदाथ में एक लमट्ी से बनी लकसी जदानिर की ्ो्ी सी मूलत्ड थी। “्यह कोई पुरदाने ज़मदाने कदा लखलौनदा लगतदा है,” समीरदा बोली। ्ीपक ने बोलदा, “िदा्य् सूअर है।” “नहीं कुत्दा है।” “न-न ्ये बैल है।” उनक े बीच बहस चलती रही। इतने में ्ीपक 4 झुनझुनदा को लमट्ी की एक ्ो्ी सी मूलत्ड लमली- एक मलहलदा की मूलत्ड पर उसक े बदाल अजीब तरीक े से बंधे थे। “अरे ऐसी ही मूलत्ड कदा लचत्र हमदारे इलतहदास की पुसतक में भी है - हड़पपदा सभ्यतदा की मूलत्ड तो नहीं है ्यह!” ्ीले क े ऊपर पहुँचने से पहले उनहें कई सदारे लमट्ी क े बत्डनों क े ्ुकड़े और कु् मनक े भी लमले। ऊपर पहुँचे तो ्ेखदा लक ्ूसरी तरफ खड़ी ढदाल थी। लमट्ी की ्ीिदार-सी थी, लजस पर जगह-जगह ्े् थे। उन ्े्ों तोते रहे कबूतर अन्य ी लगदातदार ड़ थे ्यदान रेिमी को ्े खींचते हुए बोली। िह तोतों को ्ेखने क े ललए लकनदारे की तरफ झाँक रहदा थदा। नीचे की ओर सड़क एक लंबी सले्ी लरबन की तरह ल्ख रही थी। आगे गेहूँ ि सरसों क े हरे और पीले खेत थे। ्ूसरी तरफ गाँि में स्े-स्े घर थे, लजनक े बीच अजीबो गरीब गलल्याँ ऊपर-नीचे जदा रही थीं। जब चदारों नीचे लौ्े तो संध्यदा आं्ी बोलीं, “खुि! मैं तो कह रही थी, िहाँ कु् भी नहीं है। कु् भी!” एक लखलौनदा बैल लजसकी मुंरी लहलती है चक मक रदाखीगढ़ी ्ीलदा 5 राखीगढ़ी के अकसर हमदारे गाँिों क े पदास लमट्ी क े ऊँचे-ऊँचे ्ीले ल्खते हैं और हम ्ीलों पर खेलते और गदा्य चरदाते हैं। कभी-कभी उन पर हमें कु् पुरदानी चीज़ें भी लमल जदाती हैं। ऐसे ही ्ीले रदाखीगढ़ी गाँि में भी हैं। उनमें जो चीज़ें लमलीं, उनक े कदारण हमें अपने इलतहदास की लकतदाबों को ही ब्लनदा पड़दा। रदाखीगढ़ी ल्लली लगभग लकलोमी्र ्ूर हलर्यदाणदा रदाज्य कदा एक गाँि है। इसमें कई ऊँचे ्ीले हैं, लजनमें पुरदानी लसत्यों े ििेष जैसे ईं्, घर, लमट्ी क े बत्डन क े ्ुकड़े, तांबे की चीज़ें, तरह-तरह क े मनक े आल्। खोजबीन से पतदा चलदा है लक ्ये अििेष आज से चदार-पाँच हज़दार सदाल पुरदाने हैं और लसंधुघदा्ी सभ्यतदा (लजसे हड़पपदा संसकृलत भी कहते हैं) से जुड़े हैं। लगतदा है लक रदाखीगढ़ी उस सभ्यतदा की सबसे बड़ी बलसत्यों में से थी। िहाँ आस-पदास खेती तो होती ही थी, सदाथ ही, उन ल्नों िहाँ कदारीगरी और व्यदापदार बहुत लिकलसत दा। ्ूर-्रदाज़ कचचदा मदाल थर, दा, ी िंख ल्) दाकर िहाँ सुन्र े , की ज़ें क ं गन दाए दाते थे। लमट्ी क े बत्डन और लखलौनों की तो पू्ो ही मत। ्ीले पर खु्दाई... बरतन क े ्ुकड़े ज़मीन पर ले्कर बदारीकी से खु्दाई करते पुरदातति लिभदाग क े लोग चक मक 6 कु् ल्न मैं प्र्ि्डनी गई िहाँ एक स्दाल पर गोबर से बनी कु् खूबसूरत नुमदाईि की चीज़ें बेची जदा रहीं थीं। उस प्र्ि्डनी में सदाथ ्ोसत बे्ी थी। ्यह लबलकुल नहीं भदा्यदा और लघनौनदा लगदा। उसकी प्रलतलक्र्यदा अन्य ‘सभ्य’ लोगों जैसी ही थी, लजनक े ललए मल (लिष्दा) क े बदारे में लकसी प्रकदार की बदात करनदा िलज्डत है। उसकदा रदामबदाण तक ्ड थदा, “अगर कल को आपकी ्ट्ी से कोई ऐसी चीज़ बनदाकर रख ्े तो आपको क ै से लगेगदा?” तो ्यहाँ िज्डनदा तोड़कर ्ट्ी े बदारे बदात करने जदा रही हूँ! सदाथ में कई तरह क े भोजन कदा उललेख भी करूँगी, लजसे हम और अन्य जदानिर खदाते हैं और लजससे कई तरह की ्लट््यां बनती हैं। मैं ्यह सदाफ कर ्ूँ - प्र्ि्डनी में रखी गु फ्त गू उमा सुिीर गई िसतुओं को बनदाने में उप्योग लकए गए को दाकदा्य्दा दाफ लक्यदा ग्यदा थदा तदालक उस पर कोई लमट्ी ्यदा घदास लचपकी न रह जदाए। उसे अच्ी तरह दाकर लक्यदा ्यदा दा और तरह ्यदार लक्यदा ्यदा दा लक िह दानी लपललप लदा बने। तक लक कोई ्यह नहीं बत दातदा लक इन सजदाि् की चीज़ों को गोबर से बनदा्यदा ग्यदा है तब तक आप को ज़रदा-सदा भी िक नहीं होतदा लक ्ये सुन्र तोरण, पेन स्ैणर, लरबबे िगैरह क े स्ोत लनलषद्ध मल हैं। 7 क े अध्य्यन से हम जंगली जदानिरों क े बदारे में कदाफी कु् पत दा कर सकते हैं। उनकी आबदा्ी, सिदास्थ्य जैसी बदातों को। ्रअसल अनुभिी लोग ्यह बतदा सकते हैं लक आपक े पांि क े नीचे ्बी लपललपली चीज़ क े ललए कौन दा दानिर लज़ममे्दार जंगल लिष्दा म्् से जदानिरों की लगनती भी की जदा सकती है। िैसे हम अपने ही मल से अपने सिदासथ क े बदारे में क्यदा कु् जदान सकते हैं? आप िदा्य् नहीं जदानते हों मगर पुरदाने सम्य में लकसी मरीज़ क े मल की जाँच उसक े ्रूनी की दारी े दारे जदानने कदा एक मदाध्यम थदा। एक सदामदान्य अिलोकन हम खु् कर सकते हैं। अगर हम आधुलनक संरदास कदा उप्योग करते हैं तो हम ्ेख सकते हैं लक मल पदानी में तैरतदा जो हो लिष्य मैं ललख हूँ? क्योंलक हम जदाने लकतनी दातें सकते हैं। उ्दाहरण क े ललए लकसी जदानिर कदा मल (लिष्दा) ब्बू्दार होगदा लक नहीं ्यह इस बदात पर लनभ्डर करतदा है लक िह दाहदारी ्यदा िदाकदाहदारी। कोई जदानिर िेर ्यदा कुत्े जैसदा मांसदाहदारी है तो िह बहुत सदारदा प्रो्ीन खदातदा होगदा (मांस मूलतः प्रो्ीन ही होतदा है)। प्रो्ीन में गंधक ्यदा सलफर की मदात्रदा अलधक होती है। गंधक क े ्यौलगक ्यदा तो खु् बहुत ब्बू्दार होते हैं ्यदा जल्ी ही ब्बू्र चीज़दाें में लिघल्त हो जदाते हैं। प्यदाज़ और लहसुन में भी महक अलधक इसललए होती है लक सलफर े ्यौलगक हैं। दालांलक गंध कदा संबंध क े िल इनहीं चीजों से नहीं है, इसक े और भी कई कदारण हैं| अब आप इस आधदार पर खु् समझ सकते हैं लक लबलली कदा गू.... और लफर मल (लिष्दा) क े लिश्लेषण से हम ्यह बतदा सकते हैं लक िह जदानिर क्यदा खदातदा रहदा होगदा। चदाहे मल सूखदा हो ्यदा जीिदाश्म बन चुकदा हो (मल क े फदालसल ्यदा िदाश्म लिष्दाश्म हैं)। िैज्दालनक त जदानिरों क े भोजन क े बदारे में बहुत कु् उनक े लिष्दाश्म क े अध्य्य न से बतदा सकते हैं। जंगलों में लबखरी लिष् दा रदा्यनदासोर कदा लिष्दाश्म 8 है लक रूबतदा है। सिस्थ्य मल रूबतदा है। अगर िह तैरत दा है लफर इसकदा मतलब ्यह है लक आपने बहुत ज़्यदा्दा खदा्यदा है ्यदा आपक े िरीर भोजन ने में मौजू् सभी िसदा को अंगीकदार नहीं लक्यदा है ्यदा लफर आपक े लीिर में कु् गड़बड़ी लजसक े दारण िसदा नहीं रही इस ्भ्ड कु् लचलकतसकों दा मत लक ्यदा्दा क े दारण मल हलकदा होकर तैरने लगतदा है। अब इसकदा ्यह लबलकुल नहीं लक आपकदा मल रूब जदातदा है तो आप एक्म सिसथ हैं। आपक े अन्य अंगों में कु् समस्यदा हो सकती है। ्यदालन जो रूबदा सो पदार| जो जदानिर कम पदानी से गुज़दारदा करते हैं, उनकी लिष्दा ज़्यदा्दा सूखी होती है। जहाँ गदा्य क े गोबर को क ं रे क े रूप में जलदाने क े ललए सुखदानदा ड़तदा िहीं ् लिष्दा सीधे ही जलदा सकते हैं। क्योंलक िह ज़्यदा्दा सूखदा होतदा है। एक और ल्लचसप बदात है लक जो जदानिर लकसी लबल, मां् ्यदा घोंसले में लो्ते रहते हैं िे उन जगहों को सदाफ रखनदा पसं् करते हैं। िे सुलनलश्चत करते हैं लक िह जगह मैली न और िे दाहर दाकर िौच हैं। मां् दाफ इसललए दा्दा बचचों की लिष्दा को मां् से बदाहर भी ले जदाती है। ्ूसरी ओर बं्र और गोलरलले जैसे जदानिर जो लगदातदार नई जगह जदाते रहते हैं, ज़्यदा्दा परिदाह करते अकसर हें े सोने जगह िौच ्ेखदा ्यदा, आलखर िे िहदाँ कल नहीं सो्येंगे! चक मक 9 ख़ूबसूरती और सच अज़ीज़ नेक्सन मुरदात को घरिदालों से पतदा चलदा थदा लक उसक े नदानदा लितदा लखते लेलकन लितदा ्यदा होती है, ्यह उसे नहीं पतदा थदा। बसंत एक नदाश्ते े दा्, दात नदानदा े दाथ दालकनी बै्दा दा। दानदा अखबदार पढ़ रहे थे। मुरदात पू्दा, दानदा, ्यदा कलितदा ललखते हैं?” उसक े दानदा अखबदार अपनी लनगदाहें उ्दाकर उसकी तरफ़ ्ेखदा। उनहोंने दा, मैं दार लितदा ललखतदा हूँ...” मुरदात लजज्दासु दा। लखर ्यदा थी कलितदा? अममी अबबू कलितदा नहीं लखते पर े दानदा लखते इसकदा सब कलित दा ललखते। सब लितदा नहीं लखते? िदा्य् हें कलितदा लखनदा आतदा! सकूल दानदा िुरू करने और ललखनदा-पढ़नदा सीखने क े बदा्, क्यदा िह कलितदा ललखेगदा? ऐसे कई सिदालों से मुरदात कदा सर भर ग्यदा थदा। िह लजज्दासदा कदाबू कर दा रहदा थदा। उसने पू्दा, “नदानदा, ्ये कलितदा क्यदा है?” संक्षिप्त अनुवाद : सजजता नायर 10 उसक े दानदा लफर अखबदार अपनी लनगदाहें उ्दाकर, चश्मे क े ऊपर से अपने नदाती की ओर ्ेखे और मुसकुरदाए। उनहोंने कहदा, “्यह समझदानदा तो मुलश्कल है..” मुरदात बहुत लिश्िदास े दाथ दा, मुझे बतदाइए, मैं समझ जदाऊँगदा...” नदानदा ने कहदा, “बेिक तुम समझ जदाओगे पर मेरे ललए समझदानदा मुलश्कल है...” हमेिदा की तरह, मुरदात ने लफर एक क े बदा् एक सिदाल पू्ने चदालू कर ल्ए, “क्यों मुलश्कल है?” “क्योंलक कलितदा को लेकर सबकी अपनी-अपनी समझ है| इसीललए...” उसने दा, दा तो क्यदा हैं, िो बतदाइए...।” मुरदात क े सिदालों से बचदा नहीं जदा सकतदा थदा। नदानदा ने उसे अपनी गो् में लब्दा्यदा और कहदा, “मेरे ललए कलितदा कदा मतलब लकसी सचचदाई को ख़ूबसूरत भदािनदाओं क े रूप में कहनदा है।” मुरदात कु् में आ्यदा। ्यह सोचकर बुरदा लगदा लक उसे कु् समझ नहीं आ्यदा और िह आगे अपने नदानदा से लबनदा कोई सिदाल पू्े िांत रहदा। कु् ्य दा् दात े ्य दात दालकनी ्ुबदारदा अपने नदानदा क े सदाथ बै्दा थदा। नदानदा ने कहदा, “अँधेरदा हो रहदा है, रदात हो चुकी है। चलो अं्र चलते हैं...।” कु् ्ेर से मुरदात इस सोच में थदा लक ‘ल्न और रदात क्यदा होती है, ल्न में उजदालदा और रदात में अँधेरदा क्यों होतदा उसने मौक े दा दा्य्दा ्दाकर ्दा, “नदानदा, रदात को अँधेरदा क्यों होतदा है? अँधेरदा आतदा कहाँ से है और ऐसदा क्यों लक ल्न में उजदालदा होतदा है?” नदानदा ने कहदा, “मैं बतदातदा हूँ।” कु् ्ेर सोचने क े बदा् उनहोंने कहदा, “मैं जो बोलूँगदा उसमें से अगर तुमहें कु् समझ में न आए, तो ज़रूर पू् लेनदा...” मुरदात ने कहदा, “्ीक है...।” नदानदा ने बतदानदा िुरू लक्यदा, “आसमदान में एक ख़ूबसूरत लड़कदा और लड़की हैं। लड़की इतनी ख़ूबसूरत है लक ्यकीनन िह ्ुलन्यदा की सबसे सुं्र लड़की है...| उस रूपिदान े आँखें ्यले कदाली और उसक े बदाल चमकते कदाले रंग क े हैं। और तो और उसकदा चेहरदा दाले िम े दाब ढँकदा है। े कपड़े क दाले मखमल क े हैं। पैरों में उसने बे्दाग़ कदाले चमड़े क े जूते पहने और हदाथ में कदाले रंग क े ्सतदाने पहने हैं। नौजिदान पी् एक दा लबदा्दा है, िह लबदा्दा भी कदाले मखमल कदा है। मुरदात ने पू्दा, “्यह ख़ूबसूरत लड़कदा कदाले कपड़े ही क्यों पहनदा हुआ है, नदानदा?” नदानदा ने कहदा, “क्योंलक िो उस सुं्र लड़की से प्यदार करतदा िह िदा े ्े दा दा िह लबनदा ल्खे उस तक पहुंचनदा चदाहतदा है। गहरे कदाले कपड़े पहने हुए िह ल्पकर उसकदा पी्दा कर रहदा है। उसकदा कपड़दा, लबदा्दा और नक़दाब- सबकु् मखमल, रेिम और सदा्न क े हैं... उसक े ्सतदाने कोमल चमड़े क े हैं। उसक े लबदा्े क े लसरे इतने चौड़े हैं लक पृ्थिी कदा आधदा भदाग ढँक हैं। ्यह लड़कदा ्र कदा पी्दा करतदा और िह जहाँ-जहाँ जदातदा, उसकदा लबदा्दा िहाँ फ ै ल जदातदा। रदात भी उसक े सदाथ जदाती। इस तरह से पृ्थिी कदा एक भदाग अँधेरे में रहतदा। “लड़क े क े कपड़े तो कदाले हैं, लेलकन उनमें सोने क े ब्न लगे हैं। उसने ्दाती पर चाँ्ी और सोने क े ज़ेिर पहने उसक े दा्े े लसरे चमक्दार मोती ्क े हुए हैं। उसने कमर में चाँ्ी और सोनदा जड़दा हुआ बेल् पहनदा है। बेल् क े बीच में हीरदा जड़दा हुआ है। उसक े बू् में मोती जड़े हुए हैं। “जो तदारे हम रदात में ्ेखते हैं, तदारदामंरल, आकदािगंगदा- ्ये आभूषण सजदाि् सोनदा, चमकने िदाली िो हर चीज़ जो उसने पहनी है... ्यह नौज िदा न ख़ूबसूरत क े ्े जदातदा, दा उसक े दाथ दा। तरह दात े दाथ-सदाथ हमदारी गोल धरती कदा चककर कदा्ती है| मुरदात ने उतसदाह क े सदाथ पू्दा, “तो लफर सुबह क ै से होती है, नदानदा?” 11 उसक े दानदा सुबह कहदानी ् सुनदाई, “्यह लजसे िदान की लिि रहदा िह ै सी ल्खती िह ख़ूबसूरत इतनी सुं्र है लक उससे ज़्यदा्दा सुं्र लड़की िदा्य् ही ्ुलन्यदा में हो। लजसने उसकी खूबसूरती को ्ेखदा है िह बस ्ेखतदा ही रह ग्यदा। उसक े बदाल सुनहरे रंग क े और रेिम की तरह मुलदा्यम। उसने सफ़ े ् रंग की रेिम की सदाड़ी पहनी हुई है। उसकदा लमबदा लबदा्दा सफ े ् सदा्न कदा दा उसकी ्न कढ़दाई हुई े ् पट्े कदा सकदाफ ्ड है। एक सफ़ े ् महीन जदाली कदा बेल् उसकी कमर पर बंधदा है। उसक े जूते सफ े ् मखमल क े हैं... उसक े हदाथ में चमड़े क े सफ े ् ्सतदाने और सफ े ् रेिम क दा रूमदाल है। िह बे्दाग़ सफ े ् फूलों से ढंकी हुई है। कभी तो िह फूलों कदा ्यह तदाज पहने रहती, कभी उतदार ्ेती। जब िह तदाज लनकदालती तब उसक े सुनहरे बदालों में लगदा ्ो्दा तदाज ल्खदाई ्ेतदा, िदाह क्यदा तदाज है िो। उसक े तदाज में लगे कीमती पतथर इतने चमकीले और तेज़ रोिनी िदाले हैं लक उसकी तरफ कोई नहीं ्ेख सकतदा है। पूरे सफ े ् कपड़ों िदाली इस ख़ूबसूरत लड़की कदा लबदा्दा इतनदा बड़दा है लक पृ्थिी कदा आधदा लहससदा ढँक ्ेतदा है। जब कदाले लड़क े कदा लबदा्दा पृ्थिी कदा एक भदाग ढँकतदा है तो िहाँ अँधेरदा हो जदात दा है और रदात कदा सम्य हो जदातदा है। िहीं लड़की क े सफ े ् कपड़ों से ढँकदा पृ्थिी कदा ्ूसरदा भदाग रोिनी में रहतदा है और िहाँ ल्न कदा सम्य होतदा है। “नौजिदान पी्े भदागतदा और लड़की उससे ्ूर भदागती। रदात पी्े और ल्न आगे। इसी तरह िे एक-्ूसरे कदा 12 पी्दा हुए ्थिी े कर दाते। िे भदागते पृ्थिी में एक तरफ रदात और ्ूसरी तरफ ल्न हो जदातदा है।” मुरदात ने कहदा, “पर नदानदा, रदात हमेिदा तो गहरी कदाली नहीं होती...।” “हाँ! तुम सही कह रहे हो।” नदा नदा ने कहदा, “कु् रदातें नीली होती है। जैसे तुम कपड़े गन्े होने पर उनहें धोने क े लए लनकदालकर ्ूसरदा दा लेते उसी तरह आसमदान में जो ्यह नौजिदान है िह भी अपने कदाले कपड़ों क े गन्े होने पर उनहें धोने क े ललए रदालतदा और उसकी नीले पहन दा। िह ब्ल ्ेतदा तब आसमदान भी नीलदा हो जदातदा है। कभी- कभदार आसमदान और हमदारे आसपदास कदा सब कु् गुलदाबी ्यदा लदाल रंग कदा हो जदातदा है। ऐसदा क्यों होतदा है? ऐसदा इसललए होतदा है क्योंलक जैसे ही ्यह नौजिदान लड़कदा, लड़की क े बहुत करीब आ जदातदा है तब िह लड़की िरमदा जदाती, उसक े गदाल लदाल और गुलदाबी हो जदाते हैं। उसक े गदालों कदा रंग आसमदान में और हमदारे आसपदास झलकतदा है। लफर जब नौजिदान उसक े हदाथों को ्ूतदा है तो िह गहरे लदाल रंग की हो जदाती है और इसललए आसमदान भी गहरे लदाल रंग कदा हो जदातदा है।” “कभी-कभदार ल्न क े सम्य में भी आसमदान लदाल रंग कदा हो जदातदा है। उस सम्य लड़की परेिदान होती है। जब उसकदा चेहरदा लचनतदा से ग्रलसत होतदा है तब आसमदान क े बदा्ल कदाले हो जदाते हैं। “अब समझे ल्न और रदात क्यदा होतदा है?” 13 मुरदात ने कहदा, “हाँ, समझदा...” उसक े नदानदा ने कहदा, “जो मैंने तुमहें अभी सुनदा्यदा िह ल्न और रदात की कहदानी है..” मुरदात को ल्न और रदात की कहदानी बहुत पसं् आई। उस ल्न क े बदा् से उसे जब भी मौकदा लमलतदा, िह अपने नदानदा को ्ुबदारदा से ्यही कहदानी सुनदाने को बोलतदा। उसने अब तक इस कहदानी को इतनी बदार सुन लल्यदा थदा लक उसे कहदानी ्यदा् हो चुकी थी। कभी-कभी तो िह खु् ही अपने नदानदा को ल्न और रदात की कहदानी सुनदातदा। एक ल्न सकूल में ्ीचर ने समझदा्यदा लक ल्न और रदात लकस िजह से होते हैं, क्यों ल्न कदा रंग हलकदा और रदात कदा रंग गहरदा है| पृ्थिी लगदातदार सूरज क े चककर लगदाती है। जैसे ही पृ्थिी घूमती, लजस जगह सूरज की रोिनी पड़ती, िहाँ ल्न हो जदातदा। पृ्थिी कदा िह भदाग जहाँ सूरज की रोिनी नहीं पड़ती, िहाँ अँधेरदा रहतदा इसललए िहाँ रदात हो जदाती। इसी तरह पृ्थिी पर हर जगह बदारी-बदारी से रदात और ल्न होते हैं। ल्न और रदात होने क े इस लसललसले कदा कदारण पृ्थिी कदा घूमनदा है। मुरदात अपनी ्ीचर को आश्च्य्डचलकत होकर सुन रहदा थदा। उसकी ्ीचर ने ल्न और रदात होने कदा जो कदारण बतदा्यदा थदा िो उसक े नदानदा की बतदाई कहदानी से लबलकुल अलग दा। े दानदा जो दानी दाई िह ्ीचर क े बतदाए हुए कदारण से ज़्यदा्दा ख़ूबसूरत थी। ्ीचर ने मुरदात की आँखों में असमंजस ्ेखदा। उनहोंने कक्दा पू्दा, ्यदा सबको आ्यदा?” सबने कहदा, “हाँ...” मुरदात िांत थदा। ्ीचर ने पू्दा, “क्यदा तुमहें समझ नहीं आ्यदा, मुरदात?” मुरदात थोड़दा लहचलकचदा्यदा। उसने कहदा, “मुझे समझ तो आ्यदा पर मेरे नदानदा ने मुझे ल्न और रदात अलग तरह से समझदा्यदा थदा।” ्ीचर ने कहदा, “तुमहदारे नदानदा ने तुमहें क ै से समझदा्यदा? क्यों न तुम ्यहाँ सदामने आकर हम सबको भी बतदाओ...” मुरदात उ्दा और बोर्ड क े पदास ग्यदा। उसने अपने ्ोसतों को िही ल्न और रदात की कहदानी सुनदाई जो उसने अपने नदानदा से सुनी थी। िही कहदानी जो उसने खु् बहुत बदार सुनदाई थी। उसक े कहदानी सुनदाने कदा अं्दाज़ इतनदा अच्दा और सही थदा लक उसक े सभी ्ोसत उसकी कहदानी में खो गए। उस िक़त कक्दा में एक सुई लगरने की आिदाज़ भी सुनदाई ्े सकती थी। ्ीचर ने मुरदात से पू्दा, “तुमहें इन ्ोनों में से कौन सी बदात पर ज़्यदा्दा ्यकीन है?” मुरदात क े ललए ्यह बड़दा ही मुलश्कल सिदाल थदा। उसकी ्ीचर हमेिदा कहती थी, “उसी पर ्यकीन करो जो सच है, तुमहें लगे!” िजह मुरदात कहदा, “्ोनों में से जो भी सच हो...” ्ीचर ने ्ुबदारदा पू्दा, “तुमहदारे लहसदाब से ्ोनों में से कौन-सदा सच है?” कु् ्ेर सोचकर, मुरदात ने कहदा, “आपने जो बतदा्यदा िो मुझे ज़्यदा्दा सच लगदा, लेलकन लफर भी...” और िह रुक ग्यदा। तब ्ीचर ने कहदा, “लेलकन?” मुरदात ने कहदा, “मेरे नदानदा की बतदाई कहदानी ख़ूबसूरत है। कदाि नदानदा की कहदानी सच होती...” तब मुरदात की ्ीचर ने बतदा्यदा लक उसक े नदानदा ने जो ल्न-रदात की कहदानी सुनदाई और जो कक्दा में बतदा्यदा ग्यदा है, उनमें ज़्यदा्दा अंतर नहीं है। बस ्ोनों क े बतदाने क े तरीक े में फ़क ्ड है। मुरदात क े नदानदा ने इस घ्नदा को सुं्र िब्ों बांधकर ख़ूबसूरती एक दा ब्ल ल््यदा। उनहोंने रदात को कदाले कपड़े पहने हुए एक ख़ूबसूरत नौजिदान बनदा ल््यदा और ल्न को सफ े ् कपड़े पहनी हुई एक सुं्र लड़की। िहीं ्ीचर ने प्रकृ लत में जो होतदा है, उसको सीधे िब्ों में ब्यदान कर ल््यदा। सकूल से घर आते से ही मुरदात अपने नदानदा क े कमरे में ग्यदा। उसने अपने नदानदा को, उसकी ्ीचर ने जो उसे असल में ल्न और रदात होने कदा कदारण बतदा्यदा थदा, िह बतदा्यदा। उसने ्यह भी बतदा्यदा लक उसकी ्ीचर ने कहदा लक जो ल्न और रदात की कहदानी उसक े नदानदा उसे दाई जो दारण ्ीचर बतदा्यदा, उनमें फक ्ड नहीं है। 14 चचत्र : मयूख घोष “हाँ,” े दानदा कहदा, हदारी ्ीचर तुमहें तरीक े समझदा्यदा और मैंने अलग| पर जो बदात हम कहनदा चदाहते थे, िह एक ही है।” कु् ्ेर नदानदा आगे दा, “तुमहें ्यदा् है जब तुम ्ो्े थे तब तुमने मुझसे पू्दा थदा लक ‘कलितदा क्यदा होती है?’ और तुमहें दा्यदा दा, लितदा ्यदानी लकसी सचचदाई को ख़ूबसूरत भदािनदाओं क े रूप में कहनदा है।’” हाँ, तीन सदाल हो चुक े थे पर मुरदात को अपने नदानदा क े बतदाए िब् अभी भी ्यदा् थे। िह िो दारे िब् दा दा जो नहीं पदा्यदा। लितदा ्यदानी लकसी सचचदाई को ख़ूबसूरत भदािनदाओं क े रूप में कहनदा है। उसक े नदानदा ने उसकी ्ीचर की बतदाई हुई सचची बदात को उसे ख़ूबसूरत दािनदाओं े दाथ दा े रूप में बतदा्यदा। उसक े नदानदा एक कलि थे। उस ल्न क े बदा् से, मुरदात भी कलितदा ललखने की कोलिि करने लगदा। चक मक 15 सकूल से आए लसफ ्ड ्ो ही, लमन् हुए थे लक घर क े बदाहर से आिदाज़ आई, “लििदानी, ओ लििदानी!” सदामने मेरी ्ोसत सदारदा खड़ी थी। िह बोली, “चल मेरे घर! चलकर, खेलते हैं!” हम उसक े घर जदाने क े ललए तै्यदार हो गए। िह चलते-चलते पू् रही थी, “आज सकूल में क्यदा पढ़दा्यदा ग्यदा?” “कु् नहीं, आज गलणत की ्ीचर आई थी और जमदा-घ्दा क े सिदाल करिदाए।” मैंने उसे बतदा्यदा। हम सदारदा क े घर पर पहुँच गए। हम सीधदा उसकी ्त चल ल््ये। दारदा ्त है। िहाँ खेलनदा बहुत अच्दा लगतदा है। हम िहाँ पर घर-घर खेलने लगे। ्त पर एक पलंग पड़दा थदा। हमने उसे खोलदा और उसे थोड़दा लतर्दा करक े एक घर की तरह बनदा लल्यदा। अब हमें धूप भी नहीं लग रही थी। तभी मेरी नज़र बगल िदाली ्त पर गई। िहाँ पर कु् चमक रहदा थदा। िह एक चमक्दार नेकलेस थदा। इतने में सदारदा की मममी ने आिदाज़ ्ी, “सदारदा, नीचे आकर खदानदा खदा ले!” सदारदा भी “लििदानी चल, चलकर खदानदा खदाते हैं लफर आकर खेलेगें!” “तू जदा, मैं अभी आती हूँ!” मैंने उससे कहदा| िह जैसे ही नीचे गई, मैं पूरी ्त पर अक े ली हो गई। नेकलेस िदाली ्त पर कू् ी और िह नेकलेस उ्दा लल्यदा और चुपक े से अपनी जेब में रख लल्यदा। मैं उस नेकलेस को जेब में रख ही रही थी लक सदारदा ्ौड़ती हुई आई। उसे ्ेख मैं घबरदा गई। मुझे रर थदा लक कहीं उसे मदालूम न हो जदाए लक मेरी जेब में नेकलेस है। मैं जैसे ही नीचे उतरी तो मुझे मलहमदा ्ी्ी ने रोक लल्यदा, “लििदानी आज मेरदा जनमल्न है, िदाम में आ जदाइ्यो!” “अच्दा ्ी्ी, अभी तो मैं जदाती हूँ, िदाम को आ जदाऊँगी!” मैं उनहें ्ेखते हुए बोली। मैं ्ौड़ती हुई घर पहूँची और नेकलेस को जेब से लनकदाल कर गले से लगदाकर ्ेखने लगी। िह चमक रहदा थदा और मुझ पर बहुत सुं्र लग रहदा थदा। मैंने सोच लल्यदा थदा मैं इसे लकसी को नहीं ्ूँगी। लकसी की िदा्ी में जदानदा होगदा तो इसे ही पहन कर जदाऊँगी। उसे ्ेख कर ऐसदा लग रहदा थदा लक लकसी को िह पसं् नहीं आ्यदा होगदा इसीललए फ ें क ल््यदा होगदा। मैं िदाम को सदाढ़े ्ः बजे ट्यूिन क े ललए लनकल गई। िहीं से मलहमदा ्ी्ी क े जनमल्न की पदा्ती में चली गई। िहाँ पर सभी मलहमदा ्ी्ी को लगफ् ्े रहे थे। मेरे पदास में कु् नहीं थदा। मुझे अच्दा नहीं लग रहदा थदा। मैं बहुत ्ेर तक सोचती रही। लफर, मैंने अपनी जेब में हदाथ रदालदा और उस नेकलेस को लनकदालदा। उसे अपनी कॉपी से एक पेज फदाड़कर उसमें पैक लक्यदा और सक े च पैन से “हैपपी बथ्डरे मलहमदा ्ी्ी” ललखदा और लगफ् बनदाकर ्ी्ी को ्े ल््यदा। ्ी्ी बहुत खुि हुई। पदा्ती चलती रही। क े क क्दा, ्ी्ी ने मुझे भी क े क लखलदा्यदा। आज बहुत अच्दा लगदा। नेकलेस क्शवानी लििदानी चौथी कलदास में पढ़ती हैं और एक सदाल से अंकुर ललनिंग कलेलक्ि की लर्यदाज़कतता हैं। चक मक 16 मैं िीर मैं दाल एक पदारधी ती रहतदा बचपन मेरे पलरिदार की मुझे पढ़दाने-ललखदाने की बहुत दा मेरी लकतदाबों ल्लचसपी थी। सकूल में ्दालखलदा लेने से पहले ही लपतदाजी घर पर मुझे गलणत, लहन्ी पढ़दाने लगे थे। मैं लहन्ी में िब् जोड़कर पढ़ भी लल्यदा करतदा थदा। हम 15-16 पदारधी बचचों को सकूल में एक सदाथ ्दालखलदा लमलदा। पहली कक्दा में हम सब सदाथ में पढ़े, पर ्ूसरे सदाल से हमदारी कलदास में ्ूसरे समु्दा्यों क े बचचे भी पढ़ने लगे थे। अब हमदारे सदाथ भे्भदाि होने लगदा। कलदास में ऊ्प्ाँग हरकतें होने लगीं। ्ीचर ने उन बचचों और हमें अलग-अलग कमरों में बै्दानदा िुरू कर ल््यदा। िे बचचे हमसे ्ोसती नहीं करते थे और हमें ‘कचरदा उ्दाने िदालदा’ बोलते थे। उन बचचों की लिकदा्यत पर सर हमदारी ही लप्दाई करते। गलणत े हम की तरह लप्दाई इससे सकूल जदाने से मुँह फ े रने लगे। गलणत क े सर मुझे रोज़दानदा पी्ते क्योंलक मुझे पहदाड़े ्यदा् नहीं हो पदाते थे, पर मन मदारकर सकूल दातदा दा। सकूल जदाने घर में भी लप्दाई होती। घर में लप्दाई - सकूल में भी लप्दाई! एक ल्न हमदारे एक ्ोसत ने गुससे में आकर एक सकूल ्ीचर को रणरे से मदारदा। पतदा नहीं क्यों उस ल्न मैं बहुत खुि हुआ थदा। ्यह भी लगदा लक कदाि उसने उस गलणत ्ीचर को मदारदा होतदा! * हमदारी पढ़दाई मदार क े सदाथ चलती रही और हम तीसरी कक्दा में पहुँच गए। एक ल्न कलदास में लप्रंलसपल आए और हमें एक कदागज़ ्ेकर बोले, “तुमहें आगे पढ़नदा हो तो अपनदा ्दालखलदा अँग्रेज़ी मीलर्यम में कर दा लो। हम लहन्ी मीलर्यम में पढ़दानदा बन् कर रहे हैं।” इससे हम सभी पदारधी बचचे सकूल से बदाहर हो गए। हम लकतदाबें ्ेखते ही लचड़ जदाते थे। हमें सकूल क े सर से नफरत-सी होने लगी थी। कु् बचचे बसती में बने ‘मुसकदान सें्र’ में जदाते थे। इनमें एक मैं भी थदा। हमने उसी सदाल पाँचिीं कक्दा की तै्यदारी िुरू की थी। मैं पढ़दाई क े सदाथ कचरदा बीनने भी जदा्यदा करतदा थदा। मैं सुबह 5 बजे से 10 बजे तक कबदाड़ बीनतदा लफर मुसकदान सें्र पढ़ने लनकल दा। िदाम घर ्कर दा उ्दाकर ्ोबदारदा से बीनने लनकल पड़तदा। एक ल्न 5 मैं ्ो ्ोसतों े दाथ बसती से ्ो लकलोमी्र ्ूर कचरदा बीन रहदा थदा। अचदानक हमदारे दामने लस गदाड़ी और रोक ल्यदा। पुललसिदालों ने गदाड़ी से उतरते ही हमदारे सदाथ मदार-पी् िुरू कर ्ी। हमें इतनदा मदारदा लक हमसे चलते भी नहीं बन पदा रहदा थदा। िो हमें लजस रणरे से मदार रहे थे उसमें कीलें लनकली हुइ थीं। हमदारे िरीर से खून लनकलने लगदा थदा। हम बदार-बदार बोल रहे थे लक हमने लकसी कदा कोई समदान नहीं चुरदा्यदा है, पर न तो िहाँ जमदा लोगों ने और न पुललसिदालों ने हमदारी बदात सुनी। हमदारे बदाल पकड़कर हमें पुललस िैन में रदालकर थदाने ले गए। थदाने में भी हमें बेल् से मदारदा। तस्ीर मैं तस्ीर हूँ *हम इस रचनदा में लिक्क क े सदाथ हुई मदारपी् कदा समथ्डन नहीं करते। जैसे हम तसिीर क े सदाथ हुए भे्भदािों कदा भी समथ्डन नहीं करते। इस रचनदा को जस कदा तस ्े रहे हैं। तदालक हम तसिीर सरीखे बचचों क े गुससे को समझ सक ें । गुससे की जड़ समझ पदाएँ। सोचो, अगर तसिीर तुमहदारे सदाथ पढ़ रहदा होतदा तो तुम उसक े पक् में क्यदा करते? च क म क 17 पुललस और थदाने क े इस अनुभि को मैं कभी नहीं भूल पदाऊँगदा। रदात को 8 बजे माँ आई और 2000 रुपए पुललस को ्ेकर हमें ्ुड़दा ले गई। पुललस की परेिदानी क े सदाथ-सदाथ घर में खदाने और पैसे की भी परेिदानी थी। घर में एक बदार खदानदा पकतदा थदा। कभी-कभी तो िो भी नहीं पकत दा। इसी क े ललए माँ, मैं और ्ो्दा भदाई ल्न-ल्नभर कबदाड़ चुनते। बचपन से पैसे जमदा करने की होड़-सी लगी रहती, लफर भी ज़रूरत की चीज़ें नहीं खरी् पदाते। घर में आए ल्न मममी-पदापदा कदा पैसे को लेकर झगड़दा होतदा। पर अगले ल्न सब लफर से अपने कदाम में जु् जदाते। घर में रोज़-रोज़ की लड़दाई क े दारण दारदा लरिदार ्ो लहससों बँ् ्यदा। चदार दाई ्ह तक एक-्ूसरे की िकल ्ेखे लबनदा रहे। ्ुख होतदा थदा लक पदापदा हमसे गुससदा होकर चले गए। मैंने ्ोनों को एक करने की बहुत कोलिि की पर उस सम्य कदाम्यदाब नहीं हुआ। उन ल्नों मेरी पाँचिीं कक्दा की तै्यदारी चल रही थी। एक-्ो महीने क े बदा् पदापदा कदा गुससदा ्ंरदा हो ग्यदा और िो लफर से हमदारे सदाथ रहने लगे। एक ल्न हमदारी बसती में अचदानक रदात एक बजे क े करीब लस ्दापदा दारदा। लस ्रिदाज़े ल् मदारने हम दा उस ्य माँ ्ो्े चदाचदा क े सदाथ कबदाड़ बीनने रदाजसथदान गई थी। ्यहाँ पर मैं और लपतदाजी थे। मेरे पदापदा की ्ाँग ्ू्ी हुई थी। पदापदा से चलनदा नहीं बनतदा थदा। पुललसिदाले ने पदापदा को धककदा ्ेकर लगरदा ल््यदा और ्ू्े पैर पर लदात मदारने लगदा। मेरे बदाल घसी्ते हुए गदाड़ी में रदालकर थदाने ले गए। बसती क े 10-11 और लोगों को भी पकड़ लल्यदा थदा। थदाने में चोरी क े झू्े आरोप में 8 ल्नों तक हमदारे सदाथ मदार-पी् की। हम उनसे बदार-बदार बोल रहे की हमने कोई चोरी नहीं 18 की। मेरी माँ, पदापदा की ्ेखभदाल क े ललए मुझे 2000 रुपए ्ेकर गई थी। जो मैंने गद्े में ्ुपदाकर रखे थे। हमदारे पैसे की चोरी कदा इलज़दाम हम पर ही लगदा्यदा ग्यदा। हमें इतनदा मदारदा लक लबलकुल चलते नहीं बन दा दा। लोगों झू्दा े स लगदाकर जेल भेज ल््यदा। लकिोर न्यदा्यल्य क े िेल्र होम में आते ही हमें लफर से जमकर पी्दा ग्यदा। इतनदा तो हमें थदाने में भी नहीं मदारदा थदा। िेल्र होम में जदानिरों- सदा सुलूक होतदा। बचचों की जेल में हमने 17 ल्न गुज़दारे। मैंने इस क े स में एक सदाल पेिी लड़ी। लफर धीरे-धीरे कबदाड़ बीननदा ्ोड़ ल््यदा। पर पदास रोज़गदार थदा। थोड़े ल्न भ्कने े दा् मैंने न्यदा कदाम िुरू लक्यदा। मैं िे्र बनदा। मुझे िे्रगीरी से 80 रुपए लमलते थे। मैंने आ्िीं पदास की लफर ्सिीं भी। ्सिीं क े बदा् पैसों की तंगी क े कदारण पढ़दाई ्ोड़ ्ी। उन ल्नों कदाम की तलदाि में मैं कदाफी घूमदा। भी दाम लमलतदा उसे लेतदा। तगदाड़ी ्दानदा, ्र, िे्र, हो्ल में कदाम। मैंने अपने बहुत से लोगों को घर और पुललस की परेिदालन्यों, जदालत और पंचदा्यत की लश्कलों जूझकर ्ेखदा मलहलदाओं को चौरदाहे पर लप्ते ्ेखदा है। मुझे कभी समझ में नहीं आतदा थदा लक लोग क ै से ् खु्कुिी े लए ्यदार करते हैं, पर अब िैसी घ्नदाएँ मेरे सदाथ घ्ने लगी थीं। कदाम कर घर पर आतदा तो खदानदा नहीं लमलतदा, घर पर झगड़दा होतदा। पदापदा मुझे घर में नहीं घुसने ्ेते। मैं घर क े बदाहर सोतदा। चदाहे ्णर हो ्यदा बदालरि हो। तंग आकर मेरे मन में भी ्ो बदार खु्कुिी करने की इच्दा हुई। एक बदार फाँसी लगदाने की कोलिि की। ्ूसरी बदार हदाथ कदा्कर मरने की ्दानी पर नहीं मरदा। लफर मैं भोपदाल ्ोड़कर बदाहर चलदा ग्यदा। ्ो महीने तक लकसी से भी फोन तक पर बदात नहीं की। लफर भोपदाल लौ्कर अपने लप्ले कदाम में जु् ग्यदा। लफर िे्रलगरी की। लफर बदारहिीं पढ़ने कदा मन बनदा्यदा। और एक ही बदार में 12िीं लनकदाल ली। अभी मैं बीए कर रहदा हूँ। सदाथ में िहरी मज़्ूर संग्न में बसती एकतदा क े ललए कदाम कर रहदा हूँ। सोचतदा हूँ अपने और अपने समु्दा्य क े हक क े ललए लजतनदा हो सक े लड़ँ...और लड़ँ...और जीतूँ... चचत्र : शुभम लखेरा चक मक 19 तसिीर एक ऐसे समदाज से है जो लप्ले ्ो सौ िषषों से िोषण कदा लिकदार है। ऐसदा मदानते हैं लक पहले पदारधी को भगिदान ने जदाल से लिकदार करनदा लसखदा्यदा तदालक उनको गोली चलदाने कदा पदाप नहीं करनदा पड़े। आज तक पदारधी बं्ूकों ्यदा लकसी भी तरह क े हलथ्यदारों कदा उप्योग नहीं करते हैं। पदारलध्यों क े अलग अलग कुनबे हैं जो अलग अलग कदाम क े ललए जदाने जदाते हैं| जैसे कोई पंल््यों को जदाल में फँसदाते हैं, कोई ्ो्े जदानिरों कदा लिकदार करते हैं, कोई मगरमच् कदा लिकदार करते हैं, तो कोई बैलों पर सदामदान लदा्कर व्यदापदार करते हैं। कई रदाजदाओं ज़मीं्दारों लिकदार क े लए पदारलध्यों की म्् ली और अपने रदाज्य में उनहें बसने को कहदा। बदा् में गाँि क े लकसदानों ने भी अपने खेतों की जंगली जदानिरों से रक्दा क े ललए पदारलध्यों को बुलदा्यदा। लेलकन पदारधी लोग एक जगह घर बनदाकर नहीं बसे। िे लगदातदार घुमककड़ जीिन जीते थे। िे बलसत्यों से ्ूर पहदाड़ ्यदा जंगलों क े पदास रेरे बाँधकर रहते थे। म््ड जंगल में जदाल लब्दाकर लिकदार करते थे तो मलहलदाएँ मदालदा और चूलड़्याँ बेचने गाँि में जदाती थीं। अँग्रेज़ सरकदार और घुमककड़ लोग 1760 े दा् दारत अँग्रेज़ों दा दाज िे कड़ जदालत्यों से बहुत खफदा थे। घुमककड़ लोगों से लगदान िसूल करनदा मुलश्कल थदा। िे लोग अँग्रेज़ िदासन कदा लिरोध करते थे और कई बदार लिद्ोह भी लक्यदा। बहुत से घुमककड़ लोग जंगलों पर लनभ्डर थे मगर अँग्रेज़ सरकदार जंगलों पर अपनदा लन्यंत्रण करनदा चदाहती थी पारधी इततहास 20 चचत्र : कनक शक्श तदालक पेड़ कदा्कर व्यदापदार करे और न्ये जंगल लगदाकर उसकदा भी व्यदापदार करे। कु् घुमककड़ लोग जंगलों और पहदाड़ों क े बीच क े रदासतों की रक्दा करते थे और िहां से गुज़रने िदाले व्यदापदालर्यों से ्ैकस लेते थे। अँग्रेज़ उन रदासतों पर अपनदा लन्यंत्रण चदाहते थे और जंगल क े लोगों क े िहदाँ से भगदाने लगे। जंगलों पर अँग्रेजों क े लन्यंत्रण कदा कई जदालत्यों ने लिरोध लक्यदा। इनक े लिरोध को ्ेखते हुए 1872 में एक कदानून दा्यदा, लजसे दालधक दालत दानून लक्रलमनल ट्दाईबस एक्) कहते हैं। इस कदानून क े अनुसदार- से सरकदार – ● कोई भी अफसर लकसी भी जदालत/लोगों क े समूह को अपरदालधक जदालत कदा ्पपदा ्े सकती थी। ● गांि में आने पर मुलख्यदा ्यदा हिल्दार क े पदास अपनदा पंजी्यन करनदा ज़रूरी थदा। नहीं करने पर जुमतानदा और सज़दा हो सकती थी। ● जदालत क े हर इंसदान को अपनी उँगलल्यों क े ्दाप पुललस क े पदास ्ज्ड करनदा होतदा थदा। ● बचचों को उनक े माँ बदाप से ज़बर्सती अलग ह्दाकर लकसी जगह में सुधदारने क े ललए रखदा जदा सकतदा थदा। ● जदालत े लोगों सरकदारी लनगरदानी क ै मपों में रहने क े ललए बदाध्य लक्यदा जदा सकतदा थदा। ● पहले दाध े दा् दा क्ोर जदाती थी। जैसे ्ूसरी चोरी क े लल ए 10 सदाल की क ै ् और तीसरे अपरदाध में उम्र क ै ्। सितंत्रतदा क े बदा् 1952 में भदारत सरकदार ने अपरदालधक जदालत कदानून को खतम लक्यदा। उसक े अनतग्डत आनेिदाली जदालत्यों को लिमुकत जदालत रीनोल्फ दाईर दाईबस) दा ्यदा। लकन दाकी समदाज पुलल स पहले दा व्यिहदार रहे। ्यहदा ँ तक लक एक और कदानून बनदा – आ्तन अपरदाधी कदानून लजसक े उनक े दाथ दाने दानून दा व्यिहदार लक्यदा जदा सकतदा थदा। 1972 – िन्यपिु सुरक्दा कदानून: िन्य जीिजनतु क े संरक्ण क े ललए बनदा्ये गए कदानून ने सल््यों से जंगलों में रहनेिदाले समु्दा्यों जंगलों ख्ेड़ ल््यदा। ्यदारण्य (सैंचुरी) ि लक्त को दानिरों े लए सुरलक्त बनदाते रदातोंरदात पर आधदालरत लोगों की रोज़ी रो्ी को खतम कर ल््यदा। लोगों को पुनसथतालपत करने क े प्र्यदास सफल नहीं हुए हैं। अपरदालधक जदालत कदा ्प पदा और आजीलिकदा क े सदाधन नहीं होते हुए कई लिमुकत जदालत्यां अभी भी हदालिए पर रह रही हैं। कु् पदारलध्यों को बंजर ज़मीन आिंल्त हुई मगर लकसी और ्योजनदा की ज़रूरत क े चलते िदापस भी ले ली गई है। समदाज में पदारधी जदालत क े लोगों को अभी भी िंकदा की नज़र से ्ेखदा जदातदा है। लकसी भी चोरी में अभी भी इन जदालत्यों क े लोगों पर पुललस की पहली नज़र होती है। चोरी नहीं की हो, तब भी उसको सिीकदारने क े ललए मदारनदा आम बदात है। पदारधी औरतों क े सदाथ ब्तमीज़ी ्यौलनक लहंसदा घ्नदाएं, चों को मदारनदा और आ्लम्यों क े सदाथ अमदानिी्य रूप से लहंसदा जदारी है। भोपदाल में पदारधी समु्दा्य की औरतें कबदाड़ बीनने कदा कदाम करती हैं। बचचे भी माँ क े सदाथ कचरे से उप्योग में आने िदाले मदाल ्दाँ्ने कदा कदाम करते हैं। पुललस क े रर से आ्मी इस कदाम क े ललए घर से बदाहर नहीं जदाते है| िे घर पर कबदाड़ ्ां्ने में म्् करते हैं। कु ् आ ् मी मेलों में और बदा ज़दा र में म दाल दा-अ ँ गू् ी की ् ुक दान लग दाते हैं। इस लजले में रह रहे 3000 से भी ज़्यदा्दा प दारधी प लरिदारों में ऐसे 10 लोग भी नहीं हैं लजनह ोंने 8 ि ीं कक् दा भी पूरी करी हो। मुस्ान संस्ा भोपाल के जज़न्दगी-पारिी " से साभार चक मक 21 सुबह सबेरे हर रोज़ मेरी खिड़की के गौरैया का आना जाना जाना आना लगा रहता है उसके ननकला वह हर शब्द मेरे दिल को चुरा लेना महज इत्तिफाक सा लगता है पर पता नहीं क्यों मैं बार-बार उसकी इस नािान-सी हरकतयों का शशकार हो जाता ह ू ँ शायि यह सोचकर मैं अक्सर ठहर-सा जाता ह ू ँ क क उसकेरश्े में काफी गहरी वाली समझ है तभी तो जब-जब पकड़ना चाहा तब-तब उड़-उड़ जाती है जब-जब िाने डाले तब-तब पास चली आती है बड़ी अजीब-सी बात है ना उसको भी पता है ि ु ननया के –मुनटुन राज, किलिारी बाल भवन पटना, ब बहार दुननया के तौर-तरीके मेरा पन्ा चचत्र–अश्वनाथ, छटी, डीपीएस कोएम्बटूर, तनमलनाडु 22 नाचघर की तेरहवीं ककस्त मेडलीन की वसीयत करियवद 23 ्यह लन्न की एक िदाम थी। ्यह मेरलीन कदा सौिाँ जनमल्न थदा। एक बड़े चौकोर कमरे में तीन आ्मी बै्े थे। कमरे की ्ीिदारों पर रंगीन लैमप िेडस में बलब लगे थे। इनसे पीली रोिनी लगर रही थी। इस रोिनी में िेर की खदाल थी। लहरन क े सींग थे। कु् पुरदानी नककदािी क े बत्डन थे। लकतदाबों से भरी बड़ी अलमदारी थी। पहली नज़र में ्यह पुरदानदा और धनी घर ल्खतदा थदा। इन आ्लम्यों एक उम्र दा् दाल े आसपदास थी। उसकी मूँ्ें घनी और सलीक े से क्ी हुई थीं। भौहों क े बदाल भी घने थे। चेहरे की खदाल कसी हुई थी। जबड़े मज़बूत थे। उसक े हों्ों में एक मो्दा लसगदार ्बदा थदा। जलते लसगदार क े तमबदाकू की महक कमरे में थी। िह बड़े और भदारी सोफ े क े एक ओर बै्दा थदा। इस सोफ े क े ्ूसरी ओर कम उम्र कदा लड़कदा बै्दा थदा। िह चदालीस सदाल कदा थदा। ्यह पहले िदाले आ्मी की बहन कदा लड़कदा थदा। इसक े बदाल उड़े हुए थे। मदाथदा चौड़दा और सलि्ों से भरदा थदा। चेहरदा लमबदा थदा। खदाल पतली थी। तीसरदा आ्मी सोफ े क े सदामने रखी बड़ी कुसती पर बै्दा थदा। िह पदा्री थदा। िह लजस तरह बै्दा थदा उससे लग रहदा थदा लक िह इन ्ोनों से पहले से पलरलचत नहीं है। तीनों चुपचदाप कभी एक-्ूसरे को ्ेखते कभी लखड़लक्यों से बदाहर लगरती बदालरि को। लखड़लक्याँ बन् थीं इसललए बदाहर की तेज़ और बफतीली हिदा अन्र महसूस नहीं हो रही थी। काँच पर लगरती बदालरि की बूँ्ों कदा िोर थदा। िे तीनों बेचैनी से िकील मदाइक े ल कदाननेगी कदा इंतज़दार कर रहे थे। िकील कदाननेगी बैंक क े लॉकर में रखी मेरलीन की िसी्यत लेने गए थे। िसी्यत लदाकर उनहें ्यहाँ पढ़नदा थदा। इसी िसी्यत से मदालूम होनदा थदा लक मेरलीन नदाचघर लकसको ्े गई है? अब उसकदा मदाललक कौन है? इसी सम्य लन्न क े एक हो्ल में क दालदा बचचदा भी बेचैनी से एक फोन कदा इन तज़दार कर रहदा थदा। नदाचघर कदा मदाललक पतदा होने क े बदा् िह उसकदा पूरदा सौ्दा करक े ही भदारत लौ्नदा चदाहतदा थदा। सोफ े पर बै्े ्ोनों आ्मी मेरलीन क े लरिदार े बड़ी क दा ्मी रलीन दा भतीजदा थदा। कम उम्र कदा लड़कदा इस आ्मी कदा भाँजदा थदा। इस पलरिदार क े ्ये आखरी स्स्य थे जो मेरलीन क े समपक ्ड में उसक े सदाथ रहे थे। ्यह एक बड़दा, भरदा-पूरदा पलरिदार दा लजसकदा दा इलतहदास दा ईस् इलणर्यदा कमपनी क े लन्न ्फतर से लेकर कलकत्दा क े घदा्ों और अिध की गलल्यों और नदाचघर तक फ ै लदा थदा। इस पलरिदार क े बहुत से लोगों की कब्रें लहन्ुसतदान में थीं। तीन पीढ़ी पहले इस पलरिदार को कदाली लमच्ड ने बहुत धन ्ौलत ्ी थी। लसफ ्ड इस पलरिदार को ही नहीं इंगलैणर, फ्ांस, पुत्डगदाल और हॉलैणर क े ्ूसरे पलरिदारों को भी। ्रअसल ्ुलन्यदा कदा पूिती लहससदा मसदालों क े ललए मिहूर थदा। कदाली लमच्ड क े अलदािदा लौंग, जदा्यफल, इलदा्यची और अ्रक भी। ्यूरोप क े बेह् स््ड मौसम में कु् ही महीने तदाज़दा लमल दातदा दा। को बे ्य सुरलक्त रखने क े ललए िे मसदालों कदा इसतेमदाल करते थे। इसक े अलदािदा इन मसदालों क े बगैर माँस में कोई सिदा् भी नहीं आतदा थदा। ्यूरोप क े बदाज़दारों में इन मसदालों की बहुत कीमत थी। इनहें तलदािने और पदाने क े ललए, पुरुष अनजदान ्ेिों की लमबी समुद्ी ्यदात्रदाओं क े ललए तै्यदार थे। ्ये मसदाले ्िदाओं में भी कदाम आते थे। पूिती ्ुलन्यदा, खदासतौर से भदारत, मसदालों क े अलदािदा अपनी धन-्ौलत और िैभि क े ललए भी मिहूर थदा। मुगल बदा्िदाहों की ऐि, इमदारतों, ्रबदारों, रहन-सहन और हीरे-जिदाहरदातों क े लकससे पूरी ्ुलन्यदा में फ ै ले थे। ऐसे सम्य में सन् 1600 की आखरी रदात क े आखरी घण्ों में, रदानी एललज़दाबेथ ने अपनदा नदाम ललखकर और िदाही मुहर मदारकर, लन्न क े कु् बहुत मदामूली लोगों की कमपनी को ्ुलन्यदा क े इस लहससे में व्यदापदार करने की इजदाज़त ्े ्ी थी। एललज़दाबेथ को तब नहीं मदालूम थदा लक मदामूली लोगों की ्यह कमपनी एक ल्न लहन्ुसतदान पर रदाज करेगी। कमपनी दा ्यदापदार लनकलदा। ्यूरोप े ्ेिों अकूत आने दा। पनी नौकरी और समुद्ों पर ्यदात्रदा करने िदाले नौजिदानों की संख्यदा बढ़ने लगी। इन हीं में रॉब््ड कलदाइि क े सदाथ लन्न की सड़कों पर िदारदा िदालदा लड़कदा दाथन थदा। कलदाइि े दाथ िह कमपनी नौकर और लहन्ुसतदान आ ग्यदा। पलदासी की लड़दाई में िह कमपनी क े मदामूली कलक ्ड की तरह लड़दा थदा। बदा् में कलदाइि इंगलैणर लौ् ग्यदा पर जोनदाथन कलकत् दा में रह ग्यदा। िहाँ उसने हुककदा लप्यदा, पगड़ी बाँधी, नदाच ्ेखदा, जदानिरों की लड़दाई ्ेखी बांगलदा दा दा। चदान्डक लजस ्ल्ली पर दा नींि रदाली िह कलकत्दा तब तक ्ुलन्यदा क े सबसे बड़े िहरों में एक हो 24 चुकदा थदा। उसक े ललए न जदाने लकतने कलित् रचे गए। इस कलकत्दा क े गीतों में कदाली मदाई थी, कदालदा जदा्ू थदा, बंगदाली औरतों क े लमबे कदाले बदाल थे। ्यह कलकत्दा उन सैकड़ों लसत्र्यों क े ्ुख भरे गीतों में थदा लजनक े पलत उनहें ्ोड़कर नौकरी की तलदाि में कलकत्दा आए थे और लजनक े लकसी सौतन क े जदाल में फँस जदाने कदा रर थदा। जोनदाथन ने बहुत सदाल ईस् इलणर्यदा कमपनी में कदाम लक्यदा। धन दा्यदा। िह ्ो्े-मो्े ्दार तरह रहने लगदा। उसने इंगलैणर से अपने कई लरश्ते्दारों को भी लहन्ुसतदान बुलदा लल्यदा। सबने ्यहाँ अलग व्यदापदार लक्यदा ज़मीनें ्ीं। दा् इनहीं े लरिदार दा हदारती घोड़ों और बलगघ्यों कदा कदारोबदार करने लगदा। िह लखनऊ आ ग्यदा। ्यहाँ उसने निदाबों की बलगघ्याँ बनदाईं। घोड़ों खरी्ने-बेचने दा ्यदापदार लक्यदा। दा रस् ्ेने दा। गंगदा लकनदारे दा ्यह िहर न्ी से व्यदापदार करने कदा सबसे बड़दा क े नद् थदा। अँग्रेज़ी फौज की सबसे बड़ी ्दािनी थी। हदारती इस िहर में आ ग्यदा और ्यहीं क दाम करतदा रहदा। 1857 क े ग्र में िह िहर से भदाग ग्यदा। एक नदाचने िदाली ने उसे आ् महीने अपने घर ्ुपदाकर रखदा। ग्र खतम होने और अँग्रेज़ों क े िदापस िहर जीत लेने क े बदा् हदारती लौ् आ्यदा। तब उस नदाचने िदाली की ्यदा् और सममदान में हदारती ने इस जगह नदाचघर बनदा्यदा। मेरलीन इसी हदारती की बे्ी थी। हदारती की मृत्यु क े बदा् उसकी सदारी समपलत् मेरलीन को लमली। नदाचघर, लन्न की जदा्य्दा्, घर, बैंक कदा रुप्यदा और अिध की बेगमों क े बहुत-से जिदाहरदात। लहन्ुसतदान से ्ने े दा् रलीन घर रही िे तीनों बै्े थे। िह लमबी उम्र जी। अपनी पहली िसी्यत में िह अपनदा सबकु् भदाई, बहन और उनक े बचचों क े नदाम कर गई, लसिदाए नदाचघर क े । अपनी पहली िसी्यत में ललख गई थी लक उसकी ्ूसरी िसी्यत उसक े सौंिे जनमल्न पर लॉकर से लनकदालकर पढ़ी जदाए। ्यह िही सौिाँ जनमल्न थदा। ्ये तीनों आ्मी मदाइकल कॉननेगी कदा इनतज़दार कर रहे थे। िह बैंक से िसी्यत लेकर लकसी भी क्ण आनेिदाले थे। ्रिदाज़दा खुलदा। मदाइकल कॉननेगी अन्र आए। िह भीग गए थे। ्रिदाज़े पर रखे लकड़ी क े ऊँचे स्ैणर की एक खूँ्ी पर उनहोंने अपनदा है् ्ाँगदा। ्ूसरी खूँ्ी पर गीलदा लमबदा को्। गीले जूते भी उतदारे। पदास में रखे ्ूसरे जूते पहने। उनक े एक हदाथ में ब्रीफ़क े स थदा। ्ूसरे में एक गोल लरबबदा। “कमबखत दालरि,” दाते मदाइक े ल ननेगी आगे आए और सोफ े क े सदामने पड़ी ्ूसरी खदाली कुसती पर बै् गए। “आपको ्ी दा्र,” होंने दा्री कहदा, “पर गिदाह क े रूप में चच्ड क े प्रलतलनलध कदा होनदा ज़रूरी थदा। ्यह पहली िसी्यत में ललखदा थदा।” पदा्री मुसकरदाए। ् नहीं। दाइकल सदामने लमबी मेज़ पर ब्रीफ़क े स रख ल््यदा। लरबबदा भी। लरबबे पर चाँ्ी की परत चढ़ी थी। उसकी कुणरी को कपड़े और दा ख सील लक्यदा ्यदा दा। क े पर लखदा दा, ्ू ओपनर हनड्ेडथ थ्डरे ऑफ मेरलीन।’ थोड़ी साँस लेकर, थोड़दा सं्यत होकर मदाइकल कॉननेगी ने तीनों को ्ेखदा, “तो लरबबदा खोलें?” “हाँ,” ्यदा्दा िदालदा दा। आिदाज़ थरथरदाह् थी। अन्र से िह उत्ेलजत थदा। मेरलीन अपने भदाइ्यों में उसक े लपतदा को सबसे ज़्यदा्दा प्यदार करती थी। ज़्यदा्दातर समपलत् उसी को ्े गई थी जो लपतदा से उसको लमली थी। मदाइकल ने ब्रीफ़क े स से अपनदा चश्मदा लनकदालदा। एक ्ो्ी क ैं ची लनकदाली। क ैं ची से सील कदा धदागदा कदा्दा। लरबबदा खोलदा। अन्र रोल लकए हुए कु् कदागज़ थे। मखमल क े कपड़े में ्ो बड़े हीरे थे। एक चाँ्ी की लरलब्यदा उसने लरलब्यदा उसमें दालों एक ल् थी। उसने लरलब्यदा बन् करक े रख ्ी। अब कदागज़ खोले। खूबसूरत हसतलललप में कदाली स्यदाही से ललखदा थदा। मदाइकल ने एक बदार तीनों को ्ेखदा लफर चश्मदा नदाक पर ल्कदाकर पढ़ने लगदा – 25 “मेरा नाम मेडलीन ह ै । अपनी पहली िसीयत में मैं अपने और पररिार के े में सब सलख चुकी ह ँ । उसी िसीयत में मैं अपनी सारी सम्पसति, जो अपने वपता की अकेान होने के सजसकी मैं अकेरश्ेदारों में बाँट चुकी ह ँ , ससिाय नाचघर के िसीयत में नाचघर वकसी को नहीं ददया। यह जानना ज़रूरी ह ै वक मैंने ऐसा क्ों वकया और अब क्ों, अपने सौंिे जन्मददन पर यह िसीयत सबको पढ़ा रही ह ँ । “सरकारी कागज़ों और समस्त व्यिहाररक रूपों में भी, नाचघर पर ससफ ्फ मेरा अनधकार ह ै । पर मैं ऐसा नहीं मानती। सजस ददन नाचघर में मैं वपयानो िाले से नाच का मुकाबला हारी थी, मैंने उसे दो चीज़ें दी थीं। पहली, एक चाँदी की दडत्बया में रखकर अपने बालों की लट। दूसरी, अपना मृगछौना हृदय। हमने अथाह रिेम वकया। हमार े जीिन में क ु छ नहीं था ससिाय संगीत, नृत्य, और सपनों के दफर एक ददन दुननया की पहली बिी लिाई शुरू हो गई। िह अँग्ेज़ी फौज में था। उसकी ट ु किी को फांस के वकसी गाँि में लिने के सलए भेज ददया गया। िहाँ कोहर े में एक पुल से नगरकर उसकी मृत्यु हो गई। हमारा सारा जीिन, सारी यादें, सार े सपने नाचघर में थे। लट के पास थी। मैं उसकी थी। नाचघर उसका था। मेरा नहीं। “मैंने अपने सौंिे जन्मददन तक इससलए इन्ज़ार वकया वक शायद िह जीवित हो। शायद कभी नाचघर लौट े । अपनी उम्र के दहस्े तक मैंने उसकी रितीक्ा की। नाचघर को बचाकर रखा। पर ऐसा नहीं हुआ। अब जब मैं अस्स् रहने लगी ह ँ और मेर े जीिन का कोई भरोसा नहीं ह ै , मैं यह िसीयत कर रही ह ँ । “मैं मेडलीन ह े विट पुरिी हाडडी ह े विट अपने पूर े होशो हिास और गिाहों केक् यह िसीयत करती ह ँ वक मेर े बाद पूर े नाचघर का मासलक िही होगा सजसके िह चाँदी की दडत्बया और लट होगी जो मैंने वपयानोिाले को दी थी। इस िसीयत केे में िैसे ही एक चाँदी की दडत्बया और लट रखी ह ै । जो यह दािा कर े गा वक उसके िह दडत्बया और लट ह ै , उसे इससे नमलाया जाएगा। इस दडत्बया की तली में हरसस ंगार के ू ल बने ह ैं । िैसे ही उस दडत्बया में होंगे। इस लट में कभी न खत्म होने िाली गन्ध ह ै । ऐसी ही गन्ध उस लट में भी होगी। यह गन्ध कभी खत्म नहीं होती, इससलए वक इसे पुराने रोम में चमि े और गुलाब केक्फ से बनाया जाता था। मैं इस िसीयत के े भी रख रही ह ँ । जब यह िसीयत पढ़ी जाएगी, इनका मूल्य लाखों पौंड होगा। ये हीर े इससलए रखे ह ैं वक नाचघर के िाररस को ढ ू ँढने का काम इन् ें बेचकर नमलने िाले धन से वकया जा सके ें ढ ू ँढने के सलए दहन्दुस्तान के विज्ापन ददए जाए ँ । ये विज्ापन हर एक महीने बाद पूर े मुल्क में साल भर तक ननकलें। यदद उसके कोई सामने नहीं आता तो नाचघर शहर केि े पुराने चच्फ को दे ददया जाए। हीरों से बची धन रासश नाचघर की मरम्मत सफाई और देखभाल में खच्फ हो। “मैं अपने समस्त ररश्ेदारों से अनुरोध करती ह ँ वक इस िसीयत को पढ़ े जाने केन्म इच्ा को पूरा कर ें । मेरी ईश्वर से रिाथ्फना ह ै वक नाचघर को उसका असली िाररस नमल जाए।” - मेडलीन ह े विट 26 चचत्र : रिशान्त सोनी 27 मदाइकल ननेगी एक साँस सबको ्ेखदा लफर कदागज़ रोल करक े िदापस लरबबे में रख ल्ए। “अब?” दाइकल बड़े ्मी ओर ्ेखदा। उसने एक न्यदा लसगदार जलदा लल्यदा थदा। “हमें इस िसी्यत की एक कॉपी पदा्री हेबर को भेज ्ेनी चदालहए। िह इसे पढ़ भी लें और लिज्दापन कदा इनतज़दाम भी करें।” “और िह लबलरर जो आ्यदा है?” लड़क े ने पू्दा। “उसे ्यह सब बतदाने की ज़रूरत नहीं है,” लसगदार दा ि बू्दार ्ोड़ते िह आ्मी बोलदा, “नदाचघर उसी क े पदास जदाएगदा लजसे िसी्यत में हक ल््यदा ग्यदा है।” “्ीक मदाइकल ननेगी ् “मैं िसी्यत की कॉपी करक े लरबबदा िदापस लॉकर में रख ्ेतदा हूँ। जब ्दािे्दार आएगदा हम इसे लफर लनकदाल लेंगे।” “हाँ... ्यही ्ीक है।” िे तीनों भी उ् गए। घर उसी बड़े आ्मी कदा थदा। ्रिदाज़े तक िह सबक े सदाथ आ्यदा। मदाइकल कॉननेगी ने अपनदा जूतदा ब्लदा। ओिरको् और है् लल्यदा। सब ्रिदाज़े से चले गए। ्रिदाज़दा बन् करक े िह आ्मी ्दा। लजस ्ल कदालदा चदा ्हरदा थदा, उसने िहाँ फोन लमल दा्यदा। कमरे कदा नमबर माँगदा। कदालदा बचचदा बेसब्री से उसक े फोन की प्रतीक्दा कर रहदा थदा। “नदाचघर तुमहें नहीं लमल पदाएगदा,” िह आ्मी थरथरदाती आिदाज़ में बोलदा। “क्यों? क्यदा रोक रहदा है?” “एक ल्।” उस आ्मी ने कहदा और फोन रख ल््यदा। जदारी... एक मेंढक था, शजसके िाँत हमेशा गन् े रहते थे। वे शसफ ्फ े ही नहीं थे, पूरे काले थे। वो इसशलए क क वह मक्खियाँ बह ु त िाता था और मक्खियाँ तो काली होती हैं। अब चूँक क वह एक कोयले की िान रहता तो और भी ज़्ािा काली थीं - पहाड़ी कौवयों की तरह काली। इस पर उसे चॉकलेट िाना भी बह ु त पसन् था। सबसे ज़्ािा उसे पसन् था िो चॉकलेटयों को एक के ऊपर एक रिना और बीच में िो-चार मक्खियाँ कर इसे मखिी सैंडनवच कहता था। परन्ु एक दिन मेंढक के िाँत में इतना ज़बर ि स्त िि्फ ह ु आ क क उसे डॉक्टर के पास जाना पड़ा। उसके ि े िकर डॉक्टर ने क क ा काली िाता था? मेंढक ने चुपचाप हाँ में शसर दह लाया। मेंढक और टूथपेस्ट फ़ांत्स होलर, क्नकोलाउस हाइडलबाख़ (जम्मन से अनुवाद- अमृत मेहता) चक मक 28 “और क्ा चॉकलेट िाते हैं?” डॉक्टर ने आगे पूछा। “हर ्फ -हर ्फ ”, मेंढक ने टर-टर क क या और ज़रा सा शममाया भी। डॉक्टर ने उसे लाल धाररययों वाला एक सफ़े ि टूथपेस्ट दिया। “हर िाने ि िाँत करना और मक्खियाँ व चॉकलेट िाना फ़ौरन बन् कर िो,” उन्योंने समझाया। मेंढक िुश था क क डॉक्टर ने िाँत की िुिाई नहीं की, उछलता ह ु आ कोयले की िान के तालाब वाले अपने घर में गया और नए टूथपेस्ट को आज़माने लगा। उसे इतना स्ाि आया क क अब से वह अपना मखिी -सैंडनवच िाने पहले पर की आधी ट्ूब भी चुपड़ने लगा। इससे कोई फ़ायिा नहीं ह ु आ और इस तरह मेंढक के िाँत एक-एक करकेगर गए। “क्ा मतलब?” “मेंढकयों केिाँत ही नहीं होते?” “सही कहा, अब नहीं होते।” (मेरी बड़ी लकतदाब, िदाणी प्रकदािन से सदाभदार) चचत्र: नीलेश गहलोत चक मक 29 कु् कु् ल्न पहले की एक घ्नदा थी। कूनदा और बोलू थे। िे ्ोनों बौने पहदाड़ पर चढ़ रहे थे, जहाँ से चढ़नदा कल्न थदा। इस तरफ की चट्दानें खड़ी थीं। उनहें एक ऐसी खड़ी चट्दान ल्खी लजसे ्ेखकर लग रहदा थदा लक इस चट्दान को खड़ी रखने में उस पर ललप ्ी, बँधी, लतदाओं कदा हदाथ है। अगर लतदाएँ नहीं होतीं तो िह ऊँची चट्दान जो थोड़ी-सी झुकी है, लगर दाती। दाओं उसे रोकदा दा। चट्दान की एक तरफ की लतदाएँ सूख गई थीं और मो्ी रससी की तरह ल्ख रही थीं। आश्च्य्ड ्यह दा लक ऊपर दाओं हलर्यदाली ्यह बे चट्दान, दान े पेड़ की तरह लगती थी। जैसे तनदा पतथर कदा है और जड़ें भी पतथर की होंगी। बोलू कूनदा चट्दान लतदाओं पकड़कर ऊपर चढ़ रहे थे। खड़ी चट्दान पर चढ़ते, थक जदाते तो लतदाओं पर पैर जमदाकर पल् जदाते और चट्दान पर पी् ल्कदाए सुसतदाते। सुसतदाने क े बदा् लफर पल्कर चढ़ने लगे। जैसे पेड़ पर चढ़ रहे हों और ऊपर फल लगे हैं। लजनहें उनहें तोड़नदा है। आलखर बोलू पहले चट्दान क े लिखर पर पहुँचदा। थोड़ी ्ेर कूनदा आ लिखर पतली ्हलन्यों से बनदा एक घोंसलदा थदा। घोंसलदा बहुत बड़दा थदा। लकसी लििदाल ी दा। में रंग क े पाँच गोल-गोल अणरे थे। कूनदा ने एक अणरे को उ्दानदा चदाहदा, पर उ्दा नहीं सकी। ्यदा अणरदा बहुत भदारी थदा ्यदा चट्दान से जुड़दा हुआ थदा। बोलू ने अणरे को उ्दा्यदा तो उसने उसे उ्दा लल्यदा। “लजस अणरे को मैंने उ्दा्यदा िह बहुत भदारी थदा,” कूनदा ने कहदा। “हाँ! भदारी है, ्यह भी भदारी है।” बोलू ने कहदा। “बोलू, िदाले रे भी ्दाओ। िह उ्ेगदा,” कूनदा ने कहदा। कूनदा को लग रहदा थदा लक िह उ्दा नहीं सकी पर बोलू ने उ्दा लल्यदा। उसे अच्दा नहीं दा। ने अणरों उ्दाकर ्ेखदा और सदािधदानी से रख ल््यदा थदा। क ू ना के एक चूज़ा नन्ा बादल कवनोद कु 30 “पतदा नहीं ्ये सचमुच अणरे हैं ्यदा भदारी पतथर?” कूनदा ने कहदा। बोलू भी सोच रहदा थदा लक ्ये सचमुच क े अणरे नहीं हो सकते। घोंसले की लकड़ी, लकड़ी नहीं लग रही थी। पतथर की लकड़ी लगती थी। बोलू ने घोंसले की ्हनी क े कोने को तोड़नदा चदाहदा पर तोड़ नहीं सकदा। िे ्ोनों चदारों तरफ ्ेख रहे थे। जो घर उनहें ल्खते उनहें दानने कोलिि लक लकसकदा है। ्ो्े-्ो्े िे घर ्ूर होने की िजह से और ्यहाँ की बौनी दाई से ्ेखने पर भी ्ो्े लग रहे थे। ्यद्यलप ्यह चट्दान सबसे ऊँची थी। दाबूलदा ल ्ल ल्ख थी बदाबूलदाल हो्ल क े ल्खने और नहीं ल्खने कदा मदामलदा ्यहाँ की ऊँचदाई से नहीं थदा। उसक े सदामने खड़े रहें, हो्ल बन् हो जदाए तो नहीं ल्खती। लफर उसक े ल्खने की जगह भी लनलश्चत नहीं थी। बदाबूलदाल हो्ल अगर बन् हो तो िह कहीं भी नहीं होती और खुली होती तो कहीं भी हो सकती थी। हलकदारे, बदाबूलदाल हो्ल क े नदा म की लचट्ी लदाते थे तो िे उसे खरगोि क े लकसी भी लबल में रदाल ्ेते थे। और महरदाज को लचट्ी पहुँच जदाती थी। महरदाज कहीं भी रहें, हो्ल कहीं रहे पर लबल से िे जुड़े रहते थे। खरगोि क े लबल उनक े संचदार कदा जदाल थदा, जो ज़मीन क े नीचे लब्दा थदा। बदाबूल दाल महरदाज हो्ल क े नहीं ल्खने पर जहाँ भी हों उनहें लचट्ी लमल जदाती थी। कूनदा आकदाि को लनहदार रही थी। आकदाि बदा्लों से सदाफ थदा। एक बहुत ्ो्दा बदा्ल उसे ल्खदा। कूनदा ने ्ेखदा, ्ो्दा-सदा ्यह कपसीलदा बदा्ल अचदानक घनदा हो रहदा दा। दा रहदा दा लक िह से दा हुआ आकदाि में कहीं नहीं जदा रहदा है, बललक घुमड़तदा हुआ इसी तरफ आ रहदा है। उसकदा इसी तरफ आने कदा ल्खनदा िैसे थदा जैसे तीर क े लनिदाने में जो है िह तीर को अपनी तरफ आते हुए ्ेख रहदा है। कूनदा ने बोलू को बतदा्यदा। बोलू ने ्ेखदा, बहुत ऊँचदाई से सफ े ् बदा्ल घुमड़तदा हुआ तरफ रहदा क्यदा और दा लकसी ने बदा्ल कदा लनिदानदा लगदा्यदा है? उनहें इस लनिदाने से अपने को बचदा लेनदा चदालहए। बदा्ल कदा घुमड़नदा, लफर ऐसदा लगने लगदा लक एक पक्ी रैने फड़फड़दातदा आ रहदा है। “चलो चट्दान क े ्ूसरी तरफ जदाते हैं, जल्ी। पक्ी ने हमें घोंसले से अणरे उ्दाते हुए ्ेख लल्यदा थदा,” बोलू ने कहदा। िे ्ोनों चट्दान क े ्ूसरी तरफ हरी लतदाओं को पकड़े हुए ्ुप गए। लफर उनहोंने ्ुपे-्ुपे ्ेखदा लक सफ े ् बदा्ल उनक े पदास आकर लफर उड़ ग्यदा और आकदाि में ओझल हो ग्यदा। “उसने पदास आकर अणरों को सुरलक्त ्ेख लल्यदा और लौ् ग्यदा,” बोलू ने कहदा। “कहीं ऐसदा तो नहीं लक उसने हम ्ोनों को भी पदास ्ुपदा हुआ ्ेख लल्यदा हो और लकसी ्ूसरे पक्ी को बतदाने चलदा ग्यदा हो। मुझे लगतदा है िे सब लफर आएँगे,” कूनदा ने कहदा। क्यदा! ऐसदा हो सकतदा है लक बदा्ल पहले न रहते हों और आसमदान में बदा्ल जैसे धूल क े गुबबदारे घुमड़ते हों, हाँ! हो सकतदा है लक ऐसदा हुआ हो पहले जल समुद् में चुललू भर रहतदा हो। उतनी भदाप न बनती हो लबनदा बदा्ल क े ्ो बूँ् बरसदात होती हो आसमदान हर्म धूल भरदा रहतदा हो क े िल ओस की बूँ्ों से जीिन बचदा रहतदा हो अनतलरक् क े मलबे से तब धरती उगी हो। अबकी बदार बोलू ने एक बहुत कदाले बदा्ल को घुमड़ते ्ेखदा, जो उनकी तरफ आ रहदा थदा। हिदा ज़ोर से चलने 31 लगी थी। पेड़ इतनी ज़ोरों से लहलते थे लक जड़ से न उखड़ जदाएँ। रदालल्याँ ्ू्कर हिदा में ्ूर चली जदातीं। चट्दान कदा पेड़, चट्दान की तरह लसथर थदा। लतदाओं की पलत््याँ ्ू्कर से जदातीं। कूनदा बोलू उड़ दाते। उन ्ोनों लतदाओं े दाल अपने फँसदा लल्यदा थदा। उनकी नज़र कदाले बदा्ल पर थी, जो एक लििदाल पक्ी की तरह झपट्दा मदारने घुमड़तदा रहदा दा। दा लक ्यह नर पक्ी है। सफ े ् बदा्ल मदा्दा पक्ी हो। ज़रूर मदा्दा, नर पक्ी को बुलदाने गई थी। कदालदा दा्ल दान े आकर ् ग्यदा। िहाँ दा ्दा ्यदा। पेड़ ्दा्यदा भी कदाली होती है। सफ े ् कपड़दा पहने आ्मी ्दा्यदा कदाली है। दाले बदा्ल की ्दा्यदा बहुत कदाले गहरे अँधेरे की थी। ्यह अँधेरदा इतनदा घनदा थदा लक ल्न कदा उजदालदा 32 उनहें िहाँ कहीं ल्ख दा दा। की िदा थमी नहीं थी। कदालदा बदा्ल लसथर बै्दा थदा। बस, कदाले रोएँ जैस दा लहलतदा, फरफरदातदा उसकदा कदालदा रोएँ्दार रंग लगतदा। िदा्य् िह अणरों को हिदा, आँधी से बचदा रहदा थदा पर ऐसदा नहीं थदा। िह उड़ ग्यदा। ज़ोर की हिदा अभी भी चल रही थी पर उसक े जदाते ही उजदालदा हो ग्यदा। ्ेर बदा् हिदा िदानत हुई। लफर से उजदालदा होने क े कदारण ऐसदा लगदा लक आज ल्न ्ो बदार लनकलदा। ्ोनों, ज़ोर की हिदा में अपनी आँखें बन् कर लेते थे। हिदा में रेत क े कणों कदा थपेड़दा थदा। लतदा ने उनहें बचदा्यदा थदा। लतदाओं ने चट्दान को इस तरह बाँधकर रखदा थदा लक िह लहली भी नहीं। बोलू लफर गोल पतथरों को ्ेखने चट्दान की फुनगी पर पहुँचदा। उसने ्ेखदा, इतनी आँधी में भी अणरे सुरलक्त थे। कूनदा ने भी ्ेखदा। कूनदा ने कहदा, “्ये बदा्ल क े अणरे हैं।” “बोलू! अणरदा ्यदा अपने ले दा हूँ? रे एक ्ो्दा दा्ल लनकलेगदा पदालूँगी। जब बड़दा हो जदाएगदा तो आकदाि में उड़ जदाएगदा,” कूनदा ने कहदा। बोलू कदा भी मन हुआ। बचचदा-बदा्ल सुबह ्यदा िदाम क े रंग कदा हुआ तो रंगीन होगदा। इनद्धनुष की ्दाप आ गई हो तो लकतनदा सुन्र होगदा! पर बोलू ने मनदा कर ल््यदा। उनकी कहदा-सुनी इस तरह की हुई – “बदा्ल क्यदा खदाएगदा?” “पदानी उबदालकर भदाप लखलदाऊँगी।” “पदानी उबदालोगी चूलहे पर तो धुएँ से बदा्ल कदा ्म घु् जदाएगदा।” “भूख लगेगी उसको तो एक थदाली में मैं पदानी परोस ्ूँगी। आँगन में भरी ्ुपहरी घदाम में भदाप बनती रहेगी बदा्ल चुगतदा रहेगदा।” बोलू े दा क े दा्, ्ते ्य दा लौ्ने से इनकदार कर ल््यदा, कहदा लक मैं ्यहीं इन अणरों क े पदास रहूँगी। बोलू ने समझदा्यदा अणरों को अपने घर घोंसले में रहने ्ो। हम अपने घर चलें। ्यह अदभुत दा दा लक अणरों बदा्ल ्ेंगे। ्ो्े-्ो्े दा्ल े लनकलेंगे। तक बड़े नहीं हो जदाएँगे, उड़ नहीं पदाएँगे। जब पदानी लगरदानेिदाले बदा्ल नहीं बचेंगे, तब क्यदा करनदा होगदा? तब बदा्लों को लकसी तरह घर-घर पदालनदा होगदा। घर े दा्ल में जदाएँ। आँगन ्ूसरों े आँगन भी, बरसदात दारों होती है। अपने घर लबजली चमक े तो कदान बन् कर लें। नहदानी में दा्ल जदाएँ उसकी दात नहदा धोकर लनकलें। कूनदा लबजली की चमकिदालदा फ्ॉक नहदा-धोकर पहनकर लनकले। आकदाि में घुमड़ते-घुमड़ते बदा्ल को ्ेखो तो लगतदा है बदा्ल खेलते हैं। प्रेम करते हैं एक-्ूसरे से। जैसदा कूनदा ने सोचदा थदा – कूनदा क े घर में पदालदा हुआ एक चूज़दा ननहदा बदा्ल इधर-उधर हिदा में लुढ़कतदा कूनदा क े आगे-पी्े बस लचपकदा रहतदा ल्न भर। रदात को उसको कूनदा हथेली पर उ्दा लखड़की पर रख ्ेती, ्यदा् ल्लदाती लक एक ल्न उसको आसमदान जदानदा है। सदािन में कु् बड़दा हुआ तो गो् में लेकर उसको कूनदा झूलदा झुलदाती। कु् और बड़दा हुआ तो झूलते-झूलते कूनदा ने तब पेंगदा लगदाकर पहुँचदा ल््यदा उसे आसमदान तक। 33 अगले सदािन और बड़दा होकर िह आ्यदा और आसमदान से कूनदा क े आँगन भर बरसदा तो कूनदा ने उससे कहदा लक बदा्ल अब की जब सदािन आनदा इतने बड़े हो जदानदा लक सबक े घर बहुत बरसनदा लफर थककर मेरे घर आकर पदानी पीनदा। जैसदा कूनदा ने सोचदा थदा – नहदाने कदा सम्य हो ग्यदा आ्यदा नहीं बदा्ल नहदानी घर गुससदा आ रहदा सबको जो ्ो्दा थदा िह तो ढूँढतदा सदारदा घर उघदारदा हो लक आए उसको ्ेर हो गई ्ुपदा हो कहीं ्यदा कुसती पर बै्े सो ग्यदा कभी झाँकतदा आसमदान लखड़की से अचदानक लबजली कड़की आसमदान में नहीं सीधे नहदानीघर क े अन्र से तो जदान गए सब लक बदा्ल घुसदा हुआ नहदानीघर कब से गुससे में मूसलदाधदार िहाँ बरसने और सब ्ौड़ पड़े नहदाने ऐसी बरसदात में। जो ्ो्दा िह तो उघदारे बदाकी सब कपड़दा पहने। जदारी... चचत्र : हबीब अली चक मक 34 कवज्ापन D82783 24.01.2018 35 दीपाली शुक्ला ‘अकॉलर्ड्यन’ नदाम सुनते ही ज़ेहन में उस िदाद्य्यंत्र की तसिीर उभरती है, जो हिदा क े उतदार-चढ़दाि क े सदाथ सुन्र धिलन लनकदालतदा है। अकॉलर्ड्यन की ्यही खूबी उसे बदाकी िदाद्य्यंत्रों से अलग करती है। इसी तरह लर्ड्यन लकतदाबों दा भी दारंपलरक लकतदाबों से अलग होतदा है। इसक े एक-एक फोलर को जब हम खोलते जदाते हैं तो पूरदा दृश््य उभरतदा है। इतनदा ही नहीं, इन लकतदाबों को खड़दा लक्यदा जदा सकतदा है, खोलकर ्ाँगदा जदा सकतदा है। हर बचचदा अपनी इच्दा से इसे ्ेख ्यदा पढ़ सकतदा है। चीन, जदापदान, थदाईलैंर आल् ्ेिों में सल््यों से अकॉलर्ड्यन लकत दाबें िमी और दागज़ तै्यदार होती रही हैं। हदाल ही में एकलव्य से ऐसी लकतदाबें दालित हैं। से ्ः लप्र्य कलितदाओं आधदालरत और िब् लहत लकतदाब है। लहराती अकॉदड डियन वकताबें बज़ार कलितदा : प्रदालिकदा समूह लचत्र : प्रिांत सोनी धम्मक-धम्मक कलितदा : प्र्यदाग िुकल लचत्र : नीनदा भट् आम के कलितदा : सुिील िुकल, लचत्र : लोक े ि खोड़क े क्ा बात हो गई? कलितदा : प्रभदात लचत्र : हीरदा धुिने) लाल पहाड़ िब् रलहत लचत्र : िदासिी ओज़दा इन लकत दाबों को आप लप्दार दा क दा््ड से मंगिदा सकते हैं| http://www.pitarakart.in 36 लहराती अकॉदड डियन वकताबें आओ बादल कलितदा : श््यदाम सुिील लचत्र : प्रोईती रॉ्य आओ! आओ! पतंग बनाओ आसमान से ले लो थोड़ा कागज़ नीला बाँस वनों से ठड् े और कमानी ले लो आटा थोड़ा माँ दे देगी नददयों से कु बाँस छीलकर मोड़ो उसको लेई लगाकर जोड़ो सबको। दाएँ रखकर सूरज चनदा बाएँ पर तारे चचपकाओ आसमान जब खुला-खुला हो और हवा हो जब मसती में गूँथ-गूँथकर सपनों की इक लमबी डोरी दूर गगन में इसे उड़ाओ चलखकर मन की बातें सारी तारों को पाती चिजवाओ आओ आओ पतंग उड़ाओ। पतंग कलितदा : रदाजेि जोिी लचत्र : सुलिधदा लमसत्री 37 मेरी छु ी का ददन चचत्र–अनमषा, पाँचवीं, रा. प्ा. नवद्ालय गणेशपुर, उतिरािण्ड शननवार केट् ी का प्ान बना शलया था। हम सुबह 5 बजे उठकर नहा-धोकर जल्ी से तैयार होकर माण्डू जाने के शलए ननकल ही रहे थे क क अचानक से पापा के िोस्त का फोन आ गया और हमारा प्ान नबगड़ गया। मुझे इतना गुस्ा आ रहा था क क मैं नबस्तर पर जाकर सो गई। सीधे शाम को उठी। कफ र पापा ने कहा क क चलो अपन सब कहीं पर घूमने चलते हैं। तो मैंने कह दिया क क मैं नहीं जाऊँी -पापा और मेरी बहन ने मुझसे मज़ाक करने का सोचा। उन्योंने मुझसे आखिरी बार पूछा क क मैं उनके साथ चल रही ह ू ँ या नहीं। तो मैंने मना कर दिया। तो कफ र मम्ी ने मज़ाक में ि रवाज़ा लगा दिया। तो मैं रोने लगी। कफ र मम्ी ने पापा को धीरे-से कहा क क अपन चलने का नाटक करते हैं। कफ र सबने ऐसा ही क क या तो कफ र मैं और रोने लगी। तो मम्ी -पापा और ननयनत ने बोला क क हम मज़ाक कर रहे थे। कफ र मैं हँसने लगी। और हम सब बाहर घूमने ननकल गए। –अदिती सोनी, आठवीं, सर िाना इंटरनेशनल स् ू ल 38 बकरी और कौआ एक बकरी थी। वह िेत में घास िा रही थी। िेत के था। बकरी ने कौए से पूछा, “भाई क्ा कर रहे हो?” कौआ बोला, “सिदी आने वाली है इसशलए मैं सोच रहा ह ू ँ क क सिदी में कहाँ रह ू ँगा?” बकरी ने कहा, “तुम मेरे साथ मेरे घर चलो। हम िोनयों वहाँ रहेंगे।” कौआ बह ु त िुश ह ु आ और शाम को बकरी के –हसना कुंा. नवद्ालय टाडावाड़ा, सोलंक क यान राजसमन् , राजस्ान मेरा पन्ा चचत्र –वसुन्धरा, तीसरी, रुम टू रीड फलौिी, जोधपुर 39 मेरा पन्ा चचत्र –नवजय, छटी, केीय नवद्ालय भुज, गुजरात बेिबर बचपन बचपन में था नहीं हमारा कोई काम दिनभर िेलते मौज मनाते चींटी का हम रास्ता काटते बच्यों को हम मार रुलाते घर आकर कफ र डाँट िाते क क सी को रुलाते क क सी का झगड़ा लगाते तब हमें कु शसवा िेल केछ ना भाता काश कफ र बचपन आ जाता – िीपक कुशलया, उ. प्. चचत्र–आय्फन प्धान, तीसरी, तेजू पुस्तकालय, अरुणाचल प्ि ेश 40 मेरा पन्ा भालू, तििली और फू चचत्र–काली कुशसरोही, राजस्ान नेहा एक लड़की है छोटी-सी। भालू एक खिलौना है बड़ा -सा। भालू और नेहा िोस्त हैं। नेहा और भालू साथ-साथ रहते हैं। आज शाम नेहा बगीचे में गई। भालू भी साथ गया। वहाँ एक फूड़ा -सा फूल गुलाबी रंग का था। नेहा ने फू ि े िा। उसे फून् र लगा। ऊपर आसमान था। बड़ा -सा आसमान। आसमान का रंग नीला था। नेहा को आसमान सुन् र लगा। आसमान में नततली थी। छोटी-सी। उसकेियों का रंग लाल था। नेहा को नततली अच् ी लगी। नीचे घास थी। घास का रंग हरा था। भालू और नेहा घास पर बैठे। घास नरम थी। नेहा को घास अच् ी लगी। भालू फूयों से बात करने लगा। लो नेहा तो बैठे –ज्ोनत कुनवद्ालय कुकट हार, नबहार 41 ल्ए हुए बॉकस में 1 से 4 तक क े अंक भरनदा। आसदान लग रहदा न? पर ्ये अंक ऐसे ही नहीं भरने। अंक भरते सम्य हमें ्यह ध्यदान रखनदा है लक 1 से 4 तक क े अंक एक ही पंलकत और सतमभ में ्ोहरदाएं न जदाएं। सदाथ ही सदाथ, इस बड़े रबबे में आपको चदार रबबे ल्ख रहे होंगे। ध्यदान रहे लक उन रबबों में भी 1 से 4 तक क े अंक ्ुबदारदा न आएं। थोड़दा कल्न लग रहदा है? करक े तो ्ेलखए, जिदाब अगले अंक में आपको लमल जदाएगदा। सुडोकू सुडोकू सुडोकू का जवाब 1 4 2 1 2 4 3 3 4 2 1 4 3 1 2 2 1 3 4 1. क्ा 10x10 के को 1x4 के पूरी तरह ढँका जा सकता है? 2. क्ा तुम ऐसे कुलों के ददनों खखलते हों? 3. मायरा कमरे में लगी एक घड़ी की ओर देख रही है जो कक सही समय बता रही है। कफर भी वह नहीं जानती कक सही समय क्ा है। ऐसा क्ों? 4. एक हवाईजहाज़ के क्लए हवा की ददशा उड़ान आसान या हवा की कवपरीत ददशा में? 5. ककसी लकड़ी के ु कड़ े में हथौड़ी से कील ठोंकना होता लेककन से भला क्ों? 6. ऐसी कौन-सी चीज़ है जो पानी पीते ही मर जाती है? 7. वो क्ा है जजसे लोग खाने के क्लए हैं कन खाते नहीं हैं? (प्ास/आग) (थाली) 42 43 कु् फूल ज़मीन क े इतने करीब लखलते हैं लक लगतदा है लमट्ी को ही फूल आ गए हैं। उनकदा तनदा सुई बरदाबर होतदा है। जैसे आकदाि में ्ीक ज़मीन क े पदास कोई फूल ्ाँक रहदा है। हम आमतौर पर अपने क् की ऊँचदाई से ही ्ुलन्यदा ्ेखते हैं। इन फूलों को ्ेखने क े ललए मैं झुकतदा हूँ। इतने बदारीक पौधे इतने स्कर खड़े रहते हैं लक कौन से पौधे पर कौन-सदा फूल लखलदा है ्ये पतदा चल नहीं जदातदा। पतदा करनदा पड़तदा है। झुककर इन फूलों को ्ेखतदा हूँ तो जदाने लकतने जीिों क े क् से भी इन फूलों को ्ेख पदातदा हूँ। मेरे ललए घदास क े ्ये फूल ऊपर से ल्ख रहे फूल हैं। और एक चीं्ी क े ललए, एक ्ो्े से कीड़े क े ललए िे ज़मीन से ल्ख रहे घदास क े फूल हैं। इस ् ुलन्यदा में ईश्िरों की लकतनी ऊँची-ऊँची मूलत्ड्याँ हैं। मैं कभी इन मूलत्ड्यों क े सदामने खु् को ्ो्दा महसूस दा पर एक ्ो्े से घदास क े फूल क े सदामने मैं खु् को ्ो्दा करतदा पृ्थिी अक े ली अनंत आकदाि में घूमती होगी तो उसे कभी-कभी अक े लदापन लगतदा होगदा। तब उसक े सीने से लचपक े एक घदास क े फूल से ही उसे लहममत लमलती होगी। ....्ये घदास क े फूल पृ्थिी की धुरी है। और पृ्थिी अपनी इसी धुरी पर झुकी है। पृ्थिी क े हम सभी रहने िदालों चींल््यों से हदालथ्यों तक, सुनो, जल की म्लल्यो, ज़मीन में रहने िदाले क ें चुओं, मेंढकों...सुनो....सब दाहर जदाओ...्ेखो इस तरफ िसंत आ्यदा है।... RNI क्र. 50309/85 डाक पंजीयन क्र. म.प्र./भोपाल/261/2018-20 िसंत घास के ू ल से ह ै ... रिकाशक एवं मुद्रक अरकवन्द सरदाना द्ारा स्ामी रैक्स डी रोज़ाररयो केक्लए एकलव्य, ई-10, शंकर नगर, 61/2 बस स्टटॉप केरि. से रिकाक्शत एवं आर. केक्सक्ुकरिन्ट रिा. क्ल. प्टॉट नम्बर 15-बी, गोकवन्दपुरा इंडस्ट्रियल एररया, गोकवन्दपुरा, भोपाल - 462021 (फोन: 0755 - 2687589) से मुदद्रत। सम्ादक: सुशील शुक्ल सुशील शुक्ल 44