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Srote - August 2021
- अंतर्राष्ट्रीय महामारी संधि का आह्वान
- संरक्षित ऊतकों से 1918 की महामारी के साक्ष्य
- एंटीबॉडी युक्त नेज़ल स्प्रे बचाएगा कोविड से
- दीर्घ कोविड से जुड़े चार अहम सवाल
- मिले-जुले टीके और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया
- कोविड-19 वायरस का आणविक विश्लेषण
- आजकल फफूंद की चर्चा हर ज़ुबान पर
- भारत में अंधत्व की समस्या
- पुतली का आकार और बुद्धिमत्ता
- वायरस का तोहफा है स्तनधारियों में गर्भधारण
- तालाबंदी की सामाजिक कीमत
- नासा की शुक्र की ओर उड़ान
- क्या वनस्पति विज्ञान का अंत हो चुका है?
- क्या कुछ पौधे रात में भी ऑक्सीजन छोड़ते हैं?
- निएंडरथल की विरासत
- वैज्ञानिक साहित्य में नकली शोध पत्रों की भरमार
- समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण पर बढ़ती चिंता
- नाभिकीय संलयन आधारित बिजली संयंत्र
- गरीबी कम करने से ऊर्जा की मांग में कमी
- एकाकी उदबिलाव बहुत ‘वाचाल’ हैं
- चांद पर पहुंचे टार्डिग्रेड शायद मर चुके होंगे
- एक नई गैंडा प्रजाति के जीवाश्म
Srote - April 2018
- रैकून के शौचालय और पर्यावरण
- समुद्री पक्षी लाखों टन नाइट्रोजन उर्वरक लाते हैं
- तर्क और जीव विज्ञान दोनों से आंखें चुराने की कोशिश - डॉ. अमिताभ जोशी
- प्लास्टिक समस्या निवारण के कुछ प्रयास - डॉ. ओ.पी. जोशी
- चीनी वैज्ञानिकों ने बनाए बंदर के क्लोन - प्रदीप
- सस्ते घरों में विद्युत उपकरण
- बिजली उपकरणों की दक्षता
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का विद्युतीकरण
- क्या कुत्ते कैंसर की गंध को सूंघ सकते हैं?
- पक्षियों में नए की चाहत उन्हें बचाएगी
- व्हेल को तोता बनाने की कोशिश
- बिना पैर वाले कीट की लंबी छलांग
- ‘संस्कृत प्रभाव’ यानी रटने से याददाश्त में मदद - डॉ. डी. बालसुब्रमण्यन
- नशे के विरुद्ध अधिक सजगता ज़रूरी - भारत डोगरा
- प्रतिरोधी बैक्टीरिया से निपटने का नया औज़ार
- डॉल्फिन भी सोच-विचार करते हैं - ज़ुबैर सिद्दिकी
- पोलियो: पाकिस्तान की विडंबना से उठे सवाल
- ब्राहृांडीय जीपीएस
- चोट ठीक हो जाने के बाद भी क्यों होता है दर्द
- गर्भ में शिशु की ताकतवार किक
- रेशम प्रोटीन से कृत्रिम लीवर
- चीता की रफ्तार में कानों का महत्व
- कोशिकाओं के आपसी संवाद में वायरसनुमा प्रोटीन
- चंद्रयान द्वितीय: एक महत्वाकांक्षी मिशन
- नई सुरक्षा स्याही विकसित की गई
- कैंसर के इलाज में प्रतिरक्षा तंत्र
- युवाओं में आदिवासी पारंपरिक ज्ञान का ह्यास - भारत डोगरा
- गर्मी बढ़ने के साथ कीड़े सिकुड़ रहे हैं
- कयामत की घड़ी के कांटे कयामत के नज़दीक पहुंचे
- मैरियन डोनोवैन: डिस्पोज़ेबल डायपर्स