खासतौर पर बरसात के मौसम में जब नमीं खूब होती हे, कोई भी किताब उठाओ या ज़मीन पर कई दिनों से बिछी दरी- एक चमकता मछली जैसा कीड़ा हुआ दिखता हे जो रोशनी पड़ते ही भाग जाता है; और फिर से कोई अंधेरी जगह तलाशकर छुप जाता है। ऐसा लगता है कि कोई बहुत छोटी मछली ज़मीन पर दौड़ लगा रही हो।

यह है ‘सिल्‍वर फिश’। यह एक कीट है। लेनि अन्‍य कीटों के समान न तो इसका शरीर तीन खंडों में बंटा होता है और न ही इसमें कायान्‍तरण होता है। अंडे से निकलने वाले बच्‍चे भी बिल्‍कुल वयस्‍क सिल्‍वर फिश के समान दिखते हैं।

मादा सिल्‍वर फिश 7-12 अंडे देती है। ये इतने छोटे होते हैं कि अगर सामने पड़े हैं कि अगर सामने पड़े हों तो भी खोज पाना काफी मुश्किल होता है। ये अंडे 6 से 60 दिनों में फूटते हैं और वयस्‍क की ही एक छोटी-सी प्रतिकृति निकलती है बाहर। दिन और भी अधिक लग सकते हैं क्‍योंकि इनमें यह मामला मौसम के तापमान से जुड़ा हुआ है। बच्‍चे बिल्‍कुल बड़ों के समान दिखते हैं – बस उनके शरीर पर चमकीले शल्‍क नहीं होते। वयस्‍क के शरीर पर जो चमकीली परत होती है वो रगड़ खाने या खरोंचने पर आसानी से उतर जाती है।

ये कोई भी ऐसा पदार्थ खा लेते हैं जिसमें स्‍टार्च हो। यानी इनकी वजह से आपकी किताब की जिल्‍द को खतरा बना रहता हैं क्‍योंकि वह आमतौर पर लेई से चिपकाई जाती है। आमतौर पर ये रात को निकलते हैं और रोशनी देखते ही भाग खड़े होते हैं।

एक और मज़ेदार बात – वैज्ञानिकों को सिल्‍वर फिश के लगभग 20 करोड़ साल पुराने जीवाश्‍म मिले हैं। यह जीव तब भी लगभग्‍ वैसा ही दिखता था जैसा कि आज, यानी इसके रूप में बदलाव नहीं हुआ है। तो अगली बार जब यह भागने के लिए तैयार मिले तो कोशिश कीजिएगा कि इसे पकड़कर ध्‍यान से देख पाएं। क्‍या पता इस बहाने आप इसके अंडे भी खोज निकालें। क्‍योंकि यह तो घर का ही मामला है।