सवालीराम: पूड़ी क्यों फूलती है?  [Hindi PDF, 96 kB]

जवाब: पूड़ियाँ खाना सभी को अच्छा लगता है। सामूहिक भोज के दौरान तो अक्सर हम इन्तज़ार करते हैं ताकि फूली हुई पूड़ियाँ हमें भी मिल जाएँ। कभी आपने सोचा है कि तेल में तलने पर पूड़ियाँ फूलती क्यों हैं? आइए इस बात की पड़ताल करते हैं।
पूड़ी बनने की प्रक्रिया के कई चरण होते हैं। अत: हम सवाल का जवाब भी उन्हीं चरणों में खोजने की कोशिश करते हैं।

पूड़ी बनाने के लिए सबसे पहले हम आटा तैयार करते हैं। इसके लिए हम आटे (यहाँ हम गेहूँ के आटे की बात कर रहे हैं) को पानी से गूँधते हैं। गेहूँ में ग्लूटेन नाम का प्रोटीन पाया जाता है जो लचीलापन पैदा करता है। जब हम आटे को गूँधते हैं तो आटा लोचदार हो जाता है और यह ग्लूटेन की वजह से ही हो पाता है। आटे का इस तरह लोचदार होना, पूड़ी बेलने, उसे एक तय आकार देने तथा इस आकार को बनाए रखने में मदद करता है।

जब हम पूड़ी को तलने के लिए गर्म तेल में डालते हैं तो वह पहले कड़ाही की तली में चली जाती है। जैसे ही पूड़ी गर्म होती है, फूलना शुरू कर देती है और ऊपर आकर तेल में तैरने लगती है।

गर्म तेल में डूबने पर ऊष्मा पाकर जब आटा पकता है तो आटे में मिले पानी का वाष्पीकरण होता है और पानी भाप में तब्दील होने लगता है। पूड़ी का जो हिस्सा तेल में अधिक समय तक डूबा रहता है वह और किनारे ज़्यादा कठोर और मोटे होते हैं जबकि दूसरी परत अपेक्षाकृत पतली लेकिन अपारगम्य (impermeable) होती है। परतों की अपारगम्यता के चलते पानी के वाष्पीकरण से बन रही भाप बाहर नहीं निकल पाती और इन दो परतों के बीच भरने लगती है, और यही भाप पूड़ी को फुला देती है।


इस जवाब को अम्बरीष सोनी ने तैयार किया है।
अम्बरीष सोनी: ‘संदर्भ’ पत्रिका से सम्बद्ध हैं। 

इस बार के सवाल

सवाल: चन्द्रमा छोटा और बड़ा क्यों होता है?
                       या
सवाल: कौन-सी धातु चाकू से काटी जा सकती है?
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