टीकों पर काम जनवरी में कोविड-19 के लिए ज़िम्मेदार SARS-CoV-2 के जीनोम के खुलासे के बाद शुरू हुआ था। इंसानों में टीके की सुरक्षा का पहला परीक्षण मार्च मे शुरू हुआ। इस समय दुनिया भर में वैज्ञानिक कोरोनावायरस के खिलाफ 135 से ज़्यादा टीकों पर काम कर रहे हैं। हो सकता है कि इनमें से कुछ मनुष्य के प्रतिरक्षा तंत्र को वायरस के खिलाफ कारगर एंटीबॉडी बनाने को तैयार करे।

टीका विकसित करने की प्रक्रिया आसान नहीं होती। इसके कई चरण होते हैं:

  • प्री-क्लीनिकल चरण: वैज्ञानिक संभावित टीका चूहों या बंदर जैसे किसी जंतु को देकर देखते हैं कि उनमें प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पैदा होती है या नहीं।
  • चरण 1: टीका थोड़े से मनुष्यों को दिया जाता है ताकि उसकी सुरक्षितता, खुराक की जांच के अलावा यह देखा जा सके कि मनुष्य में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उभरती है या नहीं।
  • चरण 2: टीका सैकड़ों लोगों को दिया जाता है, और विभिन्न समूहों (जैसे बच्चों, बुज़ुर्गों) को अलग-अलग दिया जाता है। मकसद चरण 1 के समान ही होता है।
  • चरण 3: टीका हज़ारों लोगों को देकर इंतज़ार किया जाता है कि उनमें से कितनों को संक्रमण हो जाता है। इस चरण में एक समूह ऐसे लोगों का भी होता है जिन्हें टीके की बजाय वैसी ही कोई औषधि दी जाती है। इस चरण में पता चलता है कि क्या वह टीका लोगों को संक्रमण से बचाता है।

फिलहाल विकसित किए जा रहे टीके विभिन्न चरणों में हैं:           

प्री-क्लीनिकल चरण

चरण 1

चरण 2

चरण 3

स्वीकृत

125

8

8

2

0

अभी इंसानी परीक्षण तक नहीं पहुंचे हैं

सुरक्षा और खुराक की जांच

विस्तृत सुरक्षा जांच

असर की व्यापक जांच

स्वीकृत

 

कभी-कभी टीके के विकास को गति देने के लिए एकाधिक चरणों को जोड़कर एक साथ सम्पन्न किया जाता है। इस वायरस के मामले में ऑपरेशन वार्प स्पीड के तहत ऐसा किया जा रहा है। टीके विभिन्न किस्म के हैं।

जेनेटिक टीके

ये ऐसे टीके हैं जिनमें वायरस की अपनी जेनेटिक सामग्री के किसी खंड का उपयोग किया जाता है।

  • मॉडर्ना ने ऑपरेशन वार्प स्पीड के तहत वायरस के एम-आरएनए पर आधारित टीके का परीक्षण मात्र 8 लोगों पर करके चरण 1 व 2 को साथ-साथ पूरा किया, हालांकि वैज्ञानिकों ने इसके परिणामों पर शंका ज़ाहिर की है।
  • ऑपरेशन वार्प स्पीड के तहत ही जर्मन कम्पनी बायोएनटेक, फाइज़र और एक चीनी दवा कम्पनी ने मई में अपने टीके के इंसानी परीक्षण की घोषणा की और उम्मीद है कि जल्दी ही यह बाज़ार में आ जाएगा।
  • इम्पीरियल कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने आरएनए टीका विकसित किया है जो खुद अपनी प्रतिलिपियां बनाता है। उन्होंने 15 जून से चरण 1 व 2 के परीक्षण शुरू किए हैं।
  • अमेरिकी कम्पनी इनोवियो ने मई में प्रकाशित किया कि उसका डीएनए-आधारित टीका चूहों में एंटीबॉडी पैदा करता है। अब चरण 1 का परीक्षण चल रहा है।

वायरस-वाहित टीके

इन टीकों में किसी वायरस की मदद से कोरोनावायरस के जीन्स को कोशिका में पहुंचाकर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उकसाई जाती है।

  • ब्रिटिश-स्वीडिश कम्पनी एस्ट्रा-ज़ेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय मिलकर जो टीका विकसित कर रहे हैं उसमें चिम्पैंज़ी एडीनोवायरस ChAdOx1 का उपयोग एक वाहक के रूप में किया गया है। इसके चरण 2 व 3 के परीक्षण इंग्लैंड व ब्राज़ील में जारी हैं और अक्टूबर तक इमर्जेंसी टीका मिलने की उम्मीद है।
  • चीनी कम्पनी कैनसाइनो बॉयोलॉजिक्स और चीन की ही एकेडमी ऑफ मिलिट्री साइन्सेज़ के इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजी मिलकर एक एडीनोवायरस Ad5 पर आधारित टीके के विकास में लगे हैं। मई में पहली बार कोविड-19 के किसी टीके के चरण 1 के परिणाम किसी वैज्ञानिक जर्नल (लैंसेट) में प्रकाशित हुए थे।
  • बोस्टन का बेथ इस्राइल डेकोनेस मेडिकल सेंटर बंदरों के एडीनोवायरस Ad26 पर आधारित टीके का परीक्षण कर रहा है।
  • जॉनसन एंड जॉनसन ऑपरेशन वार्प स्पीड के तहत जुलाई में चरण 1 व 2 के परीक्षण शुरू करने वाला है।
  • स्विस कम्पनी नोवार्टिस जीन उपचार पर आधारित टीके का उत्पादन करेगा जिसके चरण 1 के परीक्षण 2020 के अंत तक शुरू होंगे। इस टीके में एडीनो-एसोसिएटेड वायरस की मदद से कोरानावायरस के जीन के टुकड़े कोशिकाओं में पहुंचाए जाएंगे।
  • मर्क नामक अमरीकी कम्पनी ने घोषणा की है कि वह वेसिकुलर स्टोमेटाइटिस वायरस से टीके का विकास करेगी। वह इसी तरीके से एबोला के खिलाफ एकमात्र स्वीकृत टीका बना चुकी है।

प्रोटीन-आधारित टीके

ये वे टीके हैं जो कोरोनावायरस के प्रोटीन या प्रोटीन-खंड की मदद से हमारे शरीर में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उकसाते हैं।

  • मई में नोवावैक्स ने कोरोनावायरस प्रोटीन्स के अत्यंत सूक्ष्म कणों से बने टीके पर चरण 1 व 2 के परीक्षण शुरू किए।
  • क्लोवर वायोफार्माश्यूटिकल्स ने कोरोनावायरस के एक प्रोटीन के आधार पर टीका विकसित किया है जिसका परीक्षण जंतुओं पर किया जाएगा।
  • बेलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने 2002 की सार्स महामारी के बाद जो टीका विकसित किया था, उसी पर वे टेक्सास बाल चिकित्सालय के साथ मिलकर आगे काम कर रहे हैं क्योंकि सार्स का वायरस और नया वायरस काफी मिलते-जुलते हैं। अभी यह जंतु परीक्षण के चरण में है।
  • पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय ने PittCoVacc नामक टीका विकसित किया है। यह चमड़ी पर एक पट्टी के रूप में लगाया जाता है जिसके ज़रिए वायरस-प्रोटीन शरीर में पहुंच जाता है। अभी यह जंतु परीक्षण के चरण में है।
  • क्वींसलैंड विश्वविद्यालय (ऑस्ट्रेलिया) द्वारा एक परिवर्तित वायरस प्रोटीन से विकसित टीका चरण 1 में है।
  • सैनोफी नामक कम्पनी ने जेनेटिक इंजीनियरिंग के ज़रिए परिवर्तित कोरोनावायरस से प्रोटीन प्राप्त करके टीके के जंतु परीक्षण शुरू किए हैं। यह वायरस कीटों के शरीर में पाला जा सकता है।
  • वेक्सार्ट द्वारा विकसित टीका एक गोली के रूप में है, जिसमे विभिन्न वायरस प्रोटीन्स हैं। इसके चरण 1 के परीक्षण जल्दी ही शुरू होंगे।

संपूर्ण वायरस के टीके

इन टीकों में दुर्बलीकृत या निष्क्रिय कोरोनावायरस का उपयोग करके प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को उकसाया जाता है।

  • चीनी कम्पनी साइनोवैक निष्क्रिय किए गए कोरोनावायरस से बने टीके (CoronaVac) के चरण 1 व 2 के परीक्षण पूरे करके चरण 3 के परीक्षण की तैयारी कर रही है।
  • सरकारी चीनी कम्पनी साइनोफार्म ने निष्क्रिय किए गए वायरस से बने टीके के चरण 1 व 2 का परीक्षण शुरू किया है।
  • चाइनीज़ एकेडमी ऑफ मेडिकल साइन्सेज़ का इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल बायोलॉजी, जिसने पोलियो और हिपेटाइटिस-ए का टीका बनाया था, कोविड-19 के लिए निष्क्रिय वायरस आधारित टीके का चरण 1 का परीक्षण कर रहा है।

पुराने टीकों का नया उपयोग

ऐसे टीकों को उपयोग करना जो अन्य बीमारियों के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं।

  • टीबी के खिलाफ बीसीजी टीके का आविष्कार 1900 के दशक में हुआ था। ऑस्ट्रेलिया के मर्डोक चिल्ड्रंस रिसर्च इंस्टीट्यूट तथा कई अन्य स्थानों पर चरण 3 के परीक्षण चल रहे हैं कि क्या बीसीजी टीका कोरोनावायरस के खिलाफ कुछ सुरक्षा प्रदान करता है।

स्रोत: विश्व स्वास्थ्य संगठन, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिसीज़ेस, नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नॉनॉलॉजी इंफर्मेशन, न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन(स्रोत फीचर्स)