पिछली उलझन का हल

पिछले अंक में यह सवाल पूछा गया था:
रूस के किसान गुणा करने के लिए एक विधि अपनाते है, जिसमें केवल 2 से गुणा व भाग और जोड़ की ज़यरती पड़ती है। काफी दिलचस्‍प है तरीका उनका। मान लीजिए दो आंकड़े हैं 23 और 13 ;

उनमें से एक आंकड़े को दो से गुणा करते जाना है और दूसरे को दो से भाग देते रहना है – भाग देने में जब भी विषम संख्‍या हो तो ऊपर के एक को छोड़ देना है। ऐसा करते रहिए जब तक कि भाग देते-देते केवल एक का अंक बच जाए। और तब तक सामने वाले आंकड़े को दुगुना करते जाना है।

अब भाग देने वाले हिस्‍से में जहां-जहां सम संख्‍याएं हें उनके सामने के आंकड़े का जोड़ आपको 23 और 13 गुणा दे देगा। सही उत्‍तर मिला न?

दो अन्‍य आंकड़ों के साथ ऐसा करके देखते हैं- 19 और 20 का गुणा। आप भी ऐसा कुछ प्रयास करके देखिए –बड़े आंकड़ों के साथ भी। मज़ा भी आएगा और शायद कोई पैटर्न भी दिख जाए।

सही जवाब: गुणा की यह विधि द्विअंकीय प्रणाली पर आधारित है। उदाहरण के तौर पर 20 गुणा 19 को ही लें। 20 को द्विअंकीय पद्धति में अभिव्‍यक्‍त करने के लिए क्रमश: दो से भाग करते चलते हैं तथा जहां शून्‍य बचे वहां पर 0 तथा जहां एक बचे वहां 1 लिखते हैं।

अतः 20 को इस प्रणाली में 10100 लिखा जाएगा, जिसका दशमलव में अर्थ है:

24 + 22 या 16 + 4 = 20* 44
अब 19 x 20 = 19 x( 0 x 20 + 0 x 21 + 1 x 22 + 0 x 23 + 1 x 24 )
= 19 x 22 + 19 x 24 = 76 + 304 = 380

( यानी 19 के 4 गुणा और 19 के 16 गुणा का योग, अन्य गुणांकों को 0 से गुणा किया जाता है।)

डॉ. एस. के. त्यागी
शिक्षा संस्थान, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय
इंदौर, म. प्र.

* 1 x 24 + 0 x 23 + 1 x 22 + 0 x 21 + 0 x 20
= 1 x 24 + 1 x 22
= 16 + 4 = 20


16 वे अंक में कागज फाड़ने पर ध्‍वनि निकलने वाल सवाल को लेकर 17 वां छपते-छपते एक और सही जवाब मिला था। इसे भेजा था---

केशव सहाय सक्‍सेना, 113 विश्‍वकर्मा नगर, इंदौर ने।


नई उलझन

. . . यानी फिर एक नया सवाल – साथ में बने चित्र को देखि‍ए, छह दांतों वाला एक छोटा पहिया पंद्रह दांतो वाले बड़े पहिए के चारों ओर पूरा एक चक्‍कर घूमने के लिए अपनी धुरी पर कितनी बार घूमना पड़ेगा?

निबंधात्‍मक समीक्षा

. . .तो अब आपको लोगों को बताना कार्बन का एक तीसरा रूप भी प्रकृति में मौजूद है। ये है (कार्बन-60); इसे फुटबॉल कार्बन भी कहते हैं। इसे खोजने वाले वैज्ञानकिों को 1995 में रसायन शास्‍त्र का नोबल पुरस्‍कार भी मिल चुका है।

इसकी खोज की कहानी बड़ी दिलचस्‍प है। ये वैज्ञानिक किसी और खोज में लगे हुए थे और उन्‍हें मिल गया कुछ और। हाल ही में की खोज पर दो किताबें प्रकाशित हुई हैं। इन्‍हीं किताबों की निबंधात्‍मक समीक्षा .................

समीखित किताबें: 1. द मोस्‍ट ब्‍यूटीफुल मॉलीक्‍यूल, लेखक: हग एल्‍डर्सले-विलियम्‍स, 1994, प्रकाशक: अरूम, लंदन, पृष्‍ठ: 340 2. परफेक्‍ट सिमेट्री, लेखक: जिस बेगॉट, 1994, प्रकाशक: ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, पृष्‍ठ: 315