जॉन विंडहम

पर्दा हटाकर बहार अँधेरे में देखने की कोशिश करने लगी। "मुझे कुछ नहीं दिख रहा," उसने कहा।

पूरा घर हिल गया था। अलमारी में रखी एक तस्वीर नीचे गिर पड़ी थी और उसका काँच चकनाचूर हो गया था। घर के बाहर एक धमाका हुआ था और बड़ी ज़बरदस्त आवाज़ आई थी।
सैली फोंटेन खिड़की पर गई और पर्दा हटाकर बाहर अँधेरे में देखने की कोशिश करने लगी। “मुझे कुछ नहीं दिख रहा,” उसने कहा।

“इस तरह की आवाज़ों से मुझे युद्ध की याद आ जाती है,” ग्राहम ने कहा जो सैली का मंगेतर था। “तुम्हें क्या लगता है, क्या कोई नया युद्ध शुरू कर रहा है?”
वह ऐसा बोल ही रहा था कि कमरे का दरवाज़ा खुला और सैली के पिता ने भीतर झाँकते हुए कहा, “तुमने वह आवाज़ सुनी? मेरे खयाल से वह कोई छोटा उल्कापिण्ड था। बगीचे के पार जो खेत है, वहाँ मैंने एक धुँधली-सी चमक देखी थी। चलो चलकर देखते हैं।”

उन्होंने अपने कोट पहने, और टॉर्चें हाथ में लेकर बाहर अँधेरे में निकल पड़े।

वह वस्तु खेत के बीचोबीच गिरी थी। उसने वहाँ लगभग दो मीटर चौड़ा गड्ढा कर दिया था। उन्होंने उस गड्ढे को देखा पर वहाँ अभी-अभी खिसकी मिट्टी के अलावा कुछ और दिखाई नहीं दिया। सैली की पालतू कुतिया मिटी उस जगह में खासी दिलचस्पी ले रही थी और वह अपनी नाक गड्ढे में घुसाकर उसे सूँघने लगी।
“मुझे यकीन है, यह कोई छोटा-सा उल्कापिण्ड ही है और वह ज़मीन में धँस गया है,” सैली के पिता ने कहा। “कल हम कुछ आदमियों से खुदाई करवाकर उसे निकाल लेंगे।”

अपने सफर से जुड़ी इन बातों को शुरू करने का सबसे अच्छा तरीका है महान नेता कॉटैफ्ट के हमको दिए गए भाषण का ज़िक्र करना। जिस दिन हम फोर्टा छोड़ने वाले थे, उसके एक दिन पहले उन्होंने हम सबको बुलाया और बोले:

“कल ग्लोब अपनी मंज़िलों की तरफ निकल पड़ेंगे। कल फोर्टा का विज्ञान और कौशल प्रकृति पर विजय हासिल कर लेंगे। फोर्टा में हमसे पहले अन्य प्रजातियाँ भी रही हैं लेकिन वे प्रकृति को नियंत्रित नहीं कर पाईं और इसलिए जब प्राकृतिक स्थितियाँ बदलीं तो वे जीवित नहीं रह सकीं। हम पहले से ताकतवर हुए हैं और हमने एक के बाद एक कई समस्याओं को हल किया है। और अब हमें अभी तक की सबसे मुश्किल समस्या को भी हल करना है। हमारी दुनिया, फोर्टा, बूढ़ी हो चुकी है और मरने को है। अन्त निकट है और हमें समय रहते, जब तक कि हम स्वस्थ और समर्थ हैं, यहाँ से निकल जाना है। हमें एक नया आशियाना ढूँढ़ना ही होगा ताकि हमारी प्रजाति जीवित रह सके।

“कल ग्लोब नए आसमानों की तलाश के लिए सभी दिशाओं में निकल पड़ेंगे। तुममें से हर एक के पास फोर्टा का पूरा इतिहास, कला, विज्ञान और कौशल है। इस ज्ञान का इस्तेमाल करके दूसरों की मदद करो। हो सके तो दूसरों से सीखो और फोर्टा के ज्ञान को और समृद्ध बनाओ। अगर तुम अपने ज्ञान का उपयोग नहीं करोगे और उसमें वृद्धि नहीं करोगे तो हमारी प्रजाति का कोई भविष्य नहीं होगा।

“और अगर हम इस पूरे ब्रह्माण्ड में एकमात्र बुद्धिमान जीव हैं तो फिर हम न सिर्फ अपनी प्रजाति के लिए ज़िम्मेदार हैं बल्कि उन सभी बुद्धिमान जीवों के लिए भी ज़िम्मेदार हैं जो कभी इस ब्रह्माण्ड में आकार ले सकते हैं।
“तो जाओ ब्रह्माण्ड के सफर पर। जाओ और बुद्धिमानी दिखाओ, सबके प्रति दयालु रहो और सच्चाई पर चलो। शान्त चित्त होकर जाओ। हमारी दुआएँ तुम्हारे साथ हैं।”

इस मुलाकात के बाद मैंने फिर से टेलिस्कोप से उस ग्रह को देखा जहाँ हमारे ग्लोब को भेजा जा रहा था। यह ग्रह न तो बिलकुल युवा है और न ही बहुत बूढ़ा। यह नीले मोती जैसा चमकता है क्योंकि इसका बहुत-सा हिस्सा पानी से भरा हुआ है। मुझे बहुत खुशी है कि हम इस नीले ग्रह पर जा रहे हैं। अन्य ग्लोब ऐसे संसारों में भेजे जा रहे हैं जो बहुत लुभाते नहीं हैं।

मैं पूरी तरह से आशावन हूँ। अब मुझे कोई डर नहीं सताता। मैं कल ग्लोब में जाऊँगा और गैस मुझे सुला देगी। और मेरी आँखें हमारी नई जगमगाती दुनिया में खुलेंगी। अगर मैं नहीं उठा तो इसका मतलब कि कुछ गलत हो चुका होगा पर मुझे तो उसका कभी पता नहीं चलेगा।

यह बहुत सीधी-सरल बात है -- अगर हमें ईश्वर में भरोसा है तो। शाम को मैंने नीचे जाकर सभी ग्लोब को उनमें बैठने से पहले एक आखिरी बार देखा। ये वाकई अद्भुत हैं! हमारे वैज्ञानिकों ने असम्भव को सम्भव कर दिखाया है। इनके जितनी बड़ी वस्तुएँ आज तक नहीं बनीं। ये इतनी भारी हैं कि इन्हें देखकर लगता है कि ये अन्तरिक्ष में उड़ने की बजाय फोर्टा की सतह में ही न धँस जाएँ। भरोसा नहीं होता कि हमने धातु के ये तीस पहाड़ बना लिए हैं। पर यह हकीकत है और वे सब कल के लिए तैयार हैं।

इनमें से कुछ अपनी मंज़िल तक नहीं पहुँच पाएँगे। हे प्रभु, अगर हमारा ग्लोब बच जाता है तो मुझे उम्मीद है कि हम सामने आने वाली चुनौतियों को पूरा कर पाएँगे और उस भरोसे पर खरे उतरेंगे जो हममें दिखाया गया है।
हो सकता है कि ये मेरे लिखे आखिरी शब्द साबित हों, और अगर मैंने फिर से लिखा तो वह एक नए संसार में, एक अजनबी आसमान तले होगा।

“वह आउटहाउस में है,” सैली ने उल्कापिण्ड को देखने आए पुलिस इंस्पेक्टर से कहा। “वह ज़मीन में बहुत गहरा नहीं गया था, इसलिए हमारे आदमियों ने उसे बहुत जल्दी-से खोदकर बाहर निकाल लिया। और वह उतना गर्म भी नहीं था जैसा कि हम सोच रहे थे इसलिए वे लोग उसे आसानी-से उठाकर आउटहाउस तक ले गए।”

सैली इंस्पेक्टर को बगीचे से होते हुए ले गई। पीछे-पीछे उसके पिता और ग्राहम भी थे। वे सब आउटहाउस के भीतर गए जो ईंट से बना था और उसका फर्श लकड़ी के तख्तों का बना था। उल्कापिण्ड फर्श के बीचोबीच रखा हुआ था। उसका व्यास एक मीटर से भी कम था और वह धातु की किसी साधारण गेंद जैसा दिखाई दे रहा था।

“मैंने युद्ध कार्यालय को इत्तला दे दी है,” इंस्पेक्टर ने कहा। “आप लोगों को इसे हाथ नहीं लगाना चाहिए था, और अब जब तक युद्ध कार्यालय इसकी जाँच न कर ले तब तक इसे बिलकुल हाथ नहीं लगाना। आप कह रहे हो कि यह उल्कापिण्ड है लेकिन यह कोई रहस्यमयी हथियार भी हो सकता है।”

इंस्पेक्टर अपनी बात कहकर पलटा और वे सभी बगीचे की ओर जाने लगे। पर दरवाज़े से बाहर निकलते-निकलते इंस्पेक्टर रुक गया।
“यह फुफकारने की आवाज़ कैसी?” उसने पूछा।
“फुफकारने की?” सैली ने पूछा।
“हाँ, फुफकारने जैसी आवाज़ है। ध्यान से सुनो!”

वे सब बिलकुल चुपचाप खड़े हो गए। अब उन्हें फुफकारने की बहुत धीमी-सी आवाज़ सुनाई दी जिसका इंस्पेक्टर ज़िक्र कर रहा था। यह जानना मुश्किल था कि वह आवाज़ आखिर आ कहाँ से रही थी, पर फिर वे सब मुड़कर उल्कापिण्ड की तरफ देखने लगे।
ग्राहम उस धातु की गेंद तक गया और झुककर अपना दायाँ कान उस पर लगाया।

“हाँ,” वह बोला। “आवाज़ उल्कापिण्ड से ही आ रही है।”
फिर अचानक उसकी आँखें बन्द हो गईं और वह फर्श पर गिर पड़ा। बाकी सभी उसकी तरफ दौड़े और उसे खींचकर आउटहाउस से बाहर ले आए। ताज़ी हवा मिलते ही उसकी आँखें लगभग तुरन्त ही खुल गईं।
“क्या हुआ?” उसने पूछा।
“तुम्हें यकीन है कि आवाज़ उस चीज़ में से ही आ रही थी?” इंस्पेक्टर ने पूछा।
“हाँ, बिलकुल। कोई शक नहीं।” सैली के सहारे से उठते हुए ग्राहम बोला।
“क्या तुम्हें कुछ अजीब-सी गन्ध भी आई थी?” इंस्पेक्टर ने पूछा।
“आपका मतलब गैस से है क्या? नहीं मुझे नहीं लगता,” ग्राहम ने कहा।
“हुम्म,” इंस्पेक्टर बोला। “क्या उल्कापिण्डों में से आम तौर पर फुफकारने की आवाज़ आती है मि. फोंटेन?”
“मुझे नहीं लगता।” सैली के पिता बोले।
“मुझे भी नहीं,” इंस्पेक्टर ने कहा। “पर मुझे यह ज़रूर लग रहा है कि विशेषज्ञों के यहाँ आने तक हम किसी सुरक्षित जगह पर चले जाएँ।”

ऑन की डायरी से
मेरी नींद अभी खुली है। क्या हम उड़ चले हैं, या फिर उड़ना शुरू ही नहीं कर पाए हैं? मुझे नहीं पता। क्या घण्टे भर पहले की बात है जब हम ग्लोब में दाखिल हुए थे? या फिर एक दिन पहले की, एक साल पहले की या एक सदी पहले की? एक घण्टे पहले की बात तो नहीं हो सकती, इसका तो मुझे विश्वास है क्योंकि मैं थकान से भरा हूँ और मेरा बदन टूट रहा है। लेकिन थोड़े ही पहले की बात लगती है जब हम ग्लोब में चढ़ने का लम्बा रास्ता तय करके अपनी-अपनी जगह पर आ गए थे। हममें से हर एक अपना-अपना कम्पार्टमेंट तलाशकर उसमें जा घुसा था। मैंने तो खुद को अपने कम्पार्टमेंट से जकड़ लिया था। इसकी प्लास्टिक की दीवारें हवा से भर गई थीं और मुझसे सट गई थीं ताकि मुझे किसी भी दिशा से कोई झटका न लगे। मैं लेट गया और इन्तज़ार करने लगा। एक पल मैं वहाँ तरोताज़ा और ऊर्जा से भरपूर अवस्था में लेटा था, अगले ही पल ऐसा लगा कि मैं थककर चूर हो गया था और मेरा बदन टूट रहा था।

हमारा सफर ज़रूर समाप्त हो गया होगा। मशीनों ने नींद लाने वाली गैस की जगह ताज़ी हवा भर दी है। मेरे कम्पार्टमेंट में किसी भी तरफ हवा का नामोनिशान नहीं है। ज़रूर हम उस खूबसूरत और जगमगाते नीले ग्रह पर पहुँच गए होंगे, और हमारे नए आसमानों में फोर्टा बस एक छोटी-सी रोशनी भर रह गया है। मैं आशा से भरा हूँ। अभी तक मेरी ज़िन्दगी एक मरते हुए ग्रह पर बीती थी। पर यहाँ तो एक नया संसार बनाने के, नया भविष्य गढ़ने के दरवाज़े खुले हुए हैं।

मैं हमारी मशीनों को काम करते हुए सुन रहा हूँ। वे उस लम्बे रास्ते को खोल रही हैं जिसे इस सफर के लिए भर दिया गया था। पता नहीं यहाँ हमें क्या मिलेगा। यह दुनिया जैसी भी हो, हमें अपने भरोसे को नहीं तोड़ना है। हममें से हर एक के पास दस लाख सालों का इतिहास और ज्ञान है। उसे सुरक्षित रखना ज़रूरी है।

यह ग्रह तो काफी युवा है और अगर यहाँ हमें बुद्धि से भरे जीव मिले तो वे अपनी प्रारम्भिक अवस्था में ही होंगे। हमें उन्हें ढूँढ़कर उनसे मित्रता करनी होगी। हो सकता है वे हमसे बहुत अलग हों लेकिन हमें यह याद रखना होगा कि ‘उनके’ ग्रह पर नुकसान पहुँचाना दुष्टता होगी। अगर हमें ऐसे कोई जीव मिलते हैं तो हमारा कर्तव्य है कि हमें जो पता है उन्हें सिखाएँ, उन्हें जो पता है उनसे सीखें और उनके साथ मिलकर काम करें। शायद एक दिन हम फोर्टा की दुनिया से भी ज़्यादा सभ्य दुनिया बना पाएँगे।

“और यह क्या है, सार्जेंट ब्राउन?” इंस्पेक्टर ने पूछा।
“यह बिल्ली है, सर,” सार्जेंट ब्राउन ने जवाब दिया।
“यह तो मैं भी देख सकता हूँ कि यह बिल्ली है,” इंस्पेक्टर ने कहा। “मैं यह जानना चाह रहा हूँ कि तुम इसके साथ क्या कर रहे हो।”
“मुझे लगा कि हो सकता है युद्ध कार्यालय के लोग इसकी जाँच करना चाहें सर,” सार्जेंट ने कहा।
“तुम्हें सही में लगता है कि युद्ध कार्यालय के लोग मरी हुई बिल्लियों में दिलचस्पी रखते होंगे?” इंस्पेक्टर ने पूछा।
तब सार्जेंट ने अपनी बात समझाई।

“मैं उल्कापिण्ड की जाँच करने आउटहाउस में गया था,” उसने कहा। “मैंने अपनी कमर में एक रस्सी बाँध ली थी ताकि अन्दर कोई गैस होने की स्थिति में मेरे लोग मुझे दरवाज़े से बाहर खींच लें। मैं रेंगता हुआ उस गेंद तक पहुँचा लेकिन तब तक वहाँ कोई गैस नहीं बची थी। मैंने अपना कान उल्कापिण्ड के पास लगाया लेकिन तब तक फुफकारने की आवाज़ बन्द हो चुकी थी। लेकिन फुफकारने की बजाय एक दूसरी आवाज़ आ रही थी -- धीमी-सी भिनभिनाने की आवाज़।”
“भिनभिनाने की आवाज़?” इंस्पेक्टर ने सवालिया लहज़े में कहा। “तुम्हें पक्का यकीन है न? तुम फुफकारने के बारे में ही तो नहीं कह रहे हो?”

“नहीं सर,” सार्जेंट ने जवाब दिया। “वह आवाज़ ऐसी थी जैसे बहुत दूर किसी इलेक्ट्रिक कटिंग मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा हो। खैर, इस आवाज़ से मुझे यह लगा कि वह गेंद अभी भी जीवित और सक्रिय थी। मैंने अपने आदमियों को सुरक्षा के लिए, बगीचे में मिट्टी का जो ढेर है, उसके पीछे छिपने के लिए कहा। फिर लंच का समय हो गया तो हम लोगों ने अपने सैंडविच खाए। तभी हमने आउटहाउस के पास बिल्ली को देखा। वह किसी तरह से अन्दर आ गई होगी। सैंडविच खाने के बाद मैं उल्कापिण्ड की पड़ताल करने फिर से आउटहाउस में गया। उसी समय मुझे बिल्ली उल्कापिण्ड के पास पड़ी हुई दिखाई दी।”
“क्या वह गैस की वजह से मरी?” इंस्पेक्टर ने पूछा।
सार्जेंट ने ‘न’ में सिर हिलाया। “नहीं सर। यही बात तो अजीब है। ज़रा यह देखिए।”

सार्जेंट ने बिल्ली को ज़मीन पर रखा और उसका सिर उठाया। छोटे-से गोले के आकार में उसकी ठोढ़ी के नीचे के काले बाल जल गए थे। और जले हुए हिस्से के बीचोबीच एक बहुत छोटा-सा छेद था। फिर सार्जेंट ने धीरे-से उसका सिर वापस झुकाया। उसने इंस्पेक्टर को बिल्ली के सिर पर भी बिलकुल वैसा ही गोला और वैसा ही छेद दिखाया। फिर उसने अपनी जेब से एक पतला, बिलकुल सीधा तार निकाला और उसे बिल्ली के ठोढ़ी के नीचे वाले छेद में डाल दिया। तार उस छेद में से जाकर सिर पर बने छेद में से बाहर निकल आया।
“क्या आप इसका मतलब समझा सकते हैं सर?” सार्जेंट ने पूछा।

इंस्पेक्टर की त्योरियाँ चढ़ गईं। बिल्ली के बालों के बिलकुल पास से चली किसी बहुत ही छोटी बन्दूक से निकली छोटी गोलियों ने एक घाव किया होगा। लेकिन शरीर से बाहर निकलते हुए गोली बिलकुल एक-सा छेद या बालों के जलने का निशान नहीं बनाती। इसलिए ये दोनों छोटे छेद एक ही गोली के अन्दर जाने और बाहर निकलने के स्थान नहीं हो सकते। क्या ऐसा हो सकता है कि ऐसी दो छोटी-छोटी गोलियाँ एक ही दिशा में ऊपर से और नीचे से चलाई गई हों? नहीं, क्या बकवास है!

“नहीं सार्जेंट, मुझे बिलकुल समझ में नहीं आ रहा कि ये निशान किस तरह बने होंगे,” इंस्पेक्टर ने ईमानदारी से बता दिया। “क्या तुम्हारे दिमाग में कुछ आ रहा है?”
“बिलकुल नहीं सर।” सार्जेंट ने जवाब दिया।
“और अब उस चीज़ में क्या हो रहा है? क्या वह अभी भी भिनभिना रही है?” इंस्पेक्टर ने पूछा।
“नहीं सर। जब मुझे बिल्ली वहाँ मिली, उस समय उस चीज़ में से कोई आवाज़ नहीं आ रही थी।”
“हुम्म,” इंस्पेक्टर के मुँह से चिन्ता भरा स्वर निकला। “मैं उम्मीद कर रहा हूँ कि युद्ध कार्यालय का विशेषज्ञ जल्दी आ जाए।”

ऑन की डायरी से
यह तो भयावह जगह है! क्या यह वही खूबसूरत नीला ग्रह है जिससे हमें इतनी उम्मीदें थीं? आज तक पूरे ब्रह्माण्ड में हमसे ज़्यादा विकसित कोई प्रजाति नहीं हुई है लेकिन हम भी अपने इर्दगिर्द मौजूद भयानक दैत्यों से भयभीत हो गए हैं।
हम एक अँधेरी गुफा में छिपे हुए हैं। हम अब नौ सौ चौंसठ रह गए हैं। पहले हज़ार थे। हमने बाकियों को इस तरह खोया।

ग्लोब से बाहर निकलने के रास्ते को साफ कर रही मशीनें बन्द हो गईं थीं। हम सभी अपने-अपने कम्पार्टमेंट से रेंगते हुए निकले और ग्लोब के सेंटरहॉल में इकट्ठे हुए। हमारे नेता सुन्स ने एक छोटा-सा भाषण दिया। उन्होंने हमें याद दिलाया कि अज्ञात दुनिया में कदम रखते हुए हमें बहादुरी से काम लेना होगा। हम भविष्य के बीज हैं और हम पर फोर्टा को भविष्य में ले जाने की ज़िम्मेदारी है।
हम उस लम्बे रास्ते से गुज़रकर ग्लोब से बाहर निकल गए।

मैं इस भयावह दुनिया का वर्णन कैसे करूँ? यह बहुत ही उदासी भरी और अँधेरी जगह है, हालाँकि अभी रात का वक्त नहीं है। जो थोड़ी-बहुत रोशनी आ रही है वह आकाश में लटकते एक विशाल वर्ग में से आ रही थी। वह वर्ग दो काली पट्टियों द्वारा चार छोटे वर्गों में विभाजित है।

हम एक बहुत चौड़े सपाट मैदान में खड़े थे। पर ऐसा मैदान मैंने पहले कभी नहीं देखा था। हमें किसी भी तरफ से इसका दूसरा सिरा दिखाई ही नहीं दे रहा था। यह सीधी, अन्तहीन, समानान्तर सड़कों की कतारों से मिलकर बना था जो सब-की-सब एक ही दिशा में जा रही थीं। (मैं इन्हें सड़कें इसलिए कहता हूँ क्योंकि वे सड़कों जैसी दिख रही थीं लेकिन हर एक सड़क इतनी चौड़ी थी कि उतनी चौड़ी सड़क मैंने पहले कभी नहीं देखी थी।) मेरी ऊँचाई जितने चौड़े एक गहरे, लम्बे कटाव के द्वारा हर एक सड़क दूसरी सड़क से अलग होती थी। मेरी बगल में खड़ा आदमी मुझसे बोला कि हम लोग एक वर्गाकार सूरज से रोशन सीधी रेखाओं वाली दुनिया में आ गए हैं। मैंने उससे कहा कि वह बकवास कर रहा है। लेकिन मैं जो कुछ भी देख रहा था, वह मेरी समझ के बाहर था।

अचानक हमें एक आवाज़ सुनाई दी और हमने उस तरफ देखा जहाँ से आवाज़ आई थी। हमने देखा कि एक बहुत बड़ा चेहरा ग्लोब के पीछे से हमारी तरफ देख रहा था। वह हमसे बहुत ऊँचा था और काला था। उसके दो नुकीले कान थे जिनका आकार मीनारों जितना था, और दो बहुत बड़ी आँखें थीं।

जब वह दैत्य ग्लोब के उस दूसरे छोर से हमारी तरफ आया तो हमने उसके पैर देखे जो बहुत बड़े खम्भों जैसे थे। उसे देख हम इतने भयभीत हो गए कि वहाँ से भागने के लिए पलटे। फिर वह दैत्य बिजली की तेज़ी-से आगे बढ़ा। लम्बे, नुकीले नाखूनों वाले एक विशाल काले पंजे ने हम पर वार किया। जब वह पंजा उठा तो उसके नीचे हमारे 20 आदमी और औरत दब चुके थे और ज़मीन पर बने निशानों से ज़्यादा कुछ नहीं रह गए थे। पंजा दोबारा नीचे आया। इस बार हमारे ग्यारह और साथी मारे गए।

हमारे नेता सुन्स भागकर आगे आए और उस दैत्य के आगे के दोनों पंजों के बीच खड़े हो गए। उनकी फायर ट्यूब उनके हाथों में थी। उन्होंने निशाना लगाते हुए गोली चलाई। मुझे लगा कि इतने बड़े जीव पर तो इस हथियार का कोई असर नहीं होगा, लेकिन सुन्स का ज्ञान और समझ मुझसे ज़्यादा थी। अचानक उस दैत्य का सिर ऊपर को उठा और फिर उसने धम्म-से गिरकर दम तोड़ दिया।
और सुन्स उसके नीचे ही थे! वो बहुत बहादुर आदमी थे।

हमने इस्स को अपना अगला नेता चुना। उन्होंने निर्णय लिया कि हमें जल्दी-से-जल्दी कोई सुरक्षित जगह तलाशनी होगी। जब हमें ऐसी जगह मिल जाएगी तो हम ग्लोब में से अपने दस्तावेज़, यंत्र और उपकरण हटा लेंगे। वे हमें उन चौड़ी सड़कों में से एक पर आगे ले जाने लगे।

बहुत दूर चलने के बाद हम एक खड़ी चट्टान के नीचे पहुँचे। जहाँ हम थे उसके बिलकुल सामने की तरफ वह चट्टान ऊपर की ओर एकदम सीधी चली गई थी। उसकी सतह अजीब तरह के पत्थरों के बिलकुल एक-से टुकड़ों से बनी थी। उस चट्टान के नीचे चलते-चलते हमें एक गुफा मिल गई जो उस चट्टान के भीतर ही भीतर दोनों ही तरफ बहुत गहरी गई हुई थी। गुफा का आकार और ऊँचाई भी बिलकुल एक-सी थी। शायद सीधी रेखाओं वाली दुनिया की बात करने वाला शख्स जितना बेवकूफ दिखता था, उतना था नहीं।

खैर, गुफा में हम लोग सुन्स को मारने वाले दैत्य जैसे किसी भी दैत्य से सुरक्षित हैं। गुफा इतनी सँकरी है कि उतने विशाल पंजे इसके भीतर ही नहीं आ पाएँगे।

बाद में एक बहुत अजीब बात हुई। हमारा ग्लोब ही गायब हो गया है। इस्स हम लोगों के एक समूह को गुफा की पड़ताल करने ले गए थे, लेकिन हम बाकी लोग उसके दरवाज़े पर निगरानी रखने के लिए रुके हुए थे। वहाँ से हमें अपना ग्लोब और उसके पास पड़ा हुआ वह विशाल काला दैत्य दिखाई दे रहे थे। फिर एक अजीब बात हुई। अचानक-से मैदान हल्का हो गया। फिर बादल गरजने जैसी ज़ोरदार आवाज़ हुई और हमारे आसपास की हर चीज़ हिल गई। एक विराट चीज़ मरे पड़े दैत्य के पास आई और उसे हमारी नज़रों से दूर ले गई। रोशनी एक बार फिर धुँधली पड़ गई।

मैं इन सब घटनाओं को समझा नहीं सकता। हममें से कोई भी इन्हें नहीं समझ सकता। मैं बस यह कर सकता हूँ कि घटनाओं का एकदम ठीक-ठीक विवरण प्रस्तुत कर सकता हूँ।

फिर कुछ समय के बाद जो सबसे बुरी बात हो सकती थी, वह हुई। एक बार फिर मैदान अचानक-से हल्का हो गया और ज़मीन हिलने लगी। मैंने गुफा के बाहर देखा और मैंने जो देखा उस पर मुझे अभी भी विश्वास नहीं होता। चार बहुत बड़े प्राणी, जो इतने बड़े थे कि पहले वाला दैत्य उनके आगे कुछ भी नहीं था, हमारे ग्लोब की तरफ बढ़ रहे थे। मुझे पता है कि कोई इस बात पर यकीन नहीं करेगा पर वे लोग हमारे विशालकाय ग्लोब की ऊँचाई से तीन या चार गुना ऊँचे थे! वे उसकी तरफ झुके, अपने आगे के पैर उस पर लगाए और अविश्वसनीय रूप से भारी उस धातु की गेंद को ज़मीन से उठा लिया। फिर ज़मीन और भी ज़बरदस्त तरीके से हिलने लगी, जब वे लोग उस अतिरिक्त वज़न को उठाए वहाँ से जा रहे थे।

हमने अपने ग्लोब को गँवा दिया है जिसमें हमारी बहुत-सी मूल्यवान वस्तुएँ थीं। अब हमारे पास ऐसा कुछ भी नहीं है जिसके साथ हम अपने नए संसार का निर्माण शुरू कर सकें। यह बहुत ही पीड़ादायी है कि इतनी मेहनत करके और इतनी दूर आकर हमें ये सब देखना पड़ा...

पर अभी तो और दुख झेलना बाकी था। इस्स के साथ गए समूह के दो लोगों ने लौटकर एक भयानक कहानी बताई। गुफा के पीछे उन्हें बहुत सारी चौड़ी सुरंगें मिली थीं जिनमें किन्हीं अज्ञात जीवों की गन्दगी और दुर्गन्ध भरी पड़ी थी। जब हमारा समूह उन सुरंगों में से गुज़रा तो उन पर छह टाँगों वाले, और कुछ आठ टाँगों वाले, डरावने दिखने वाले जीवों ने हमला कर दिया। इनमें से कई आकार में बहुत बड़े थे और उनके विशालकाय नाखून व दाँत थे। हालाँकि, भयानक दिखने वाले ये जीव होशियार नहीं थे इसलिए ये हमारी फायर-ट्यूबों द्वारा जल्दी ही मारे गए।

इस्स को सुरंगों के पीछे एक खुला मैदान मिला और उन्होंने तय किया कि वह वापस लौटकर हमें वहाँ ले जाएँगे। तभी अगली खौफनाक घटना घटी। हमारे समूह पर धूसर रंग वाले खूँखार जीवों ने हमला कर दिया जो आकार में पहले वाले दैत्य के आधे थे। ये जीव सम्भवत: इन सुरंगों को बनाने वाले रहे होंगे। हमारे समूह और उनके बीच घमासान लड़ाई हुई जिसमें हमारे तकरीबन सभी आदमी मारे गए। पर अन्त में हमने उन्हें हरा दिया। हमारे सिर्फ दो आदमी बचे और उन्होंने ही आकर हमें ये सारी बुरी खबरें सुनाईं।

अब हमने म्यूइन को हमारा नया नेता चुना है। उन्होंने तय किया है कि हम सुरंगों में से गुज़रकर उनके पीछे स्थित खुले मैदान में जाएँगे। हमारे पीछे स्थित मैदान तो अब खाली हो चुका है, हमारा ग्लोब जा चुका है और अगर हम यहाँ रुके तो भूखों मर जाएँगे।
हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि सुरंगों के पीछे हमें ऐसी दुनिया मिलेगी जो इस दुनिया की तरह पागल और दुष्टता से भरी नहीं होगी।
यह कोई बहुत बड़ी इच्छा है क्या? अपना जीवन जीना, काम करना और शान्ति से रहकर अपनी दुनिया बनाना...?

दो दिन बाद ग्राहम फिर से सैली और उसके पिता से मिलने गया।
“मुझे लगा कि मैं आपको आपके उल्कापिण्ड के बारे में बिलकुल ताज़ी खबर सुना दूँ।” उसने कहा।
“युद्ध कार्यालय के विशेषज्ञों के हिसाब से वह क्या चीज़ थी?” मि. फोंटेन ने पूछा।

“उन्हें भी नहीं पता,” ग्राहम बोला। “पर वे इस बात को लेकर निश्चित हैं कि वह उल्कापिण्ड नहीं था। पहले तो उन्हें लगा कि वह बस किसी अज्ञात धातु की एक ठोस गेंद है। फिर उन्हें उसमें एक छेद दिखा जो चिकना और बिलकुल एक-सा था। यह छेद करीब एक सेंटीमीटर चौड़ा था और सीधे गेंद के बीचोबीच जा रहा था। उन्होंने गेंद को बीच में से काटने का निर्णय लिया, यह देखने के लिए कि क्या वह छेद कहीं पहुँच रहा था।”
“और क्या ऐसा था?” सैली ने पूछा।

“हाँ,” ग्राहम ने जवाब दिया। “वह गेंद ठोस नहीं थी। उसकी बाहरी सतह निश्चित ही धातु की बनी थी, जो करीब पन्द्रह सेंटीमीटर मोटी थी। उसके बाद तीन या चार सेंटीमीटर तक मुलायम महीन चूरा था। वह चूरा गेंद के भीतरी भाग को गर्मी से बचाता था। और वह यह काम इतनी बखूबी कर रहा था कि युद्ध कार्यालय के विशेषज्ञ उसे लेकर बहुत उत्सुक हो गए क्योंकि उनके पास इतनी कारगर चीज़ नहीं थी। इसके बाद फिर धातु की एक पतली परत थी। उसके भीतर कोमल, नरम पदार्थ की परत थी, जैसे कि एक-दूसरे से जुड़ी हुई बहुत-सी छोटी-छोटी थैलियाँ। लेकिन उन थैलियों के भीतर कुछ भी नहीं था। फिर करीब पाँच सेंटीमीटर चौड़ी धातु की एक और पट्टी थी जो खानों (कम्पार्टमेंट) में बँटी हुई थी। इन खानों में हर तरह की चीज़ें भरी पड़ी थीं -छोटी-छोटी ट्यूब, बीजों के पैकेट और विभिन्न तरह के पाउडर। जब इस गेंद को काटा गया तो ये सारा सामान बाहर आ गया। अन्त में, गेंद के बिलकुल बीचोबीच दस सेंटीमीटर की एक जगह थी जो धातु की कई सारी बेहद पतली, सपाट चादरों में बँटी हुई थी। इस गेंद की यह केन्द्रीय जगह वैसे बिलकुल खाली थी।”

“तो ऐसा था वह रहस्यमयी हथियार! युद्ध कार्यालय के लोगों को निराशा हुई क्योंकि उसमें विस्फोट नहीं होगा। अब वे एक-दूसरे से यही पूछ रहे हैं कि इस तरह की चीज़ का उपयोग क्या है। अगर आप इस बारे में कुछ समझ पा रहे हों तो मुझे भरोसा है कि वे लोग उसे जानने के लिए बहुत उत्सुक होंगे।”
“बड़ी निराशा की बात है!” मि. फोंटेन बोले। “जब तक उसने फुफकारना शुरू नहीं किया था तब तक तो मुझे यही लग रहा था कि वह उल्कापिण्ड है।”

“एक विशेषज्ञ का खयाल है कि हो सकता है वह कोई कृत्रिम उल्कापिण्ड हो। लेकिन दूसरे विशेषज्ञ इस राय से इत्तेफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि अगर किसी चीज़ को अन्तरिक्ष में भेजा गया होता तो उसका उद्देश्य हमें समझ में आ जाता। लेकिन धातु की इस खाली गेंद के बारे में तो किसी को भी कुछ भी समझ नहीं आ रहा है।”

“किसी रहस्यमयी हथियार की तुलना में हमारे पास सैर करने आए किसी कृत्रिम उल्कापिण्ड की बात ज़्यादा रोमांचक है,” सैली बोली। “इससे हमें यह उम्मीद मिलती है कि एक दिन हम भी अन्तरिक्ष की यात्रा कर सकेंगे... कितनी अद्भुत होगी न ऐसी यात्रा! वे सभी लोग जो युद्ध से, रहस्यमयी हथियारों से, क्रूरता से नफरत करते हैं, किसी साफ-सुथरे नए ग्रह पर जा सकेंगे। हम किसी विशाल अन्तरिक्ष-यान में बैठकर नए ग्रह की उड़ान भरेंगे और वहाँ एक नई ज़िन्दगी शुरू करेंगे। हम उन सारी चीज़ों को यहीं छोड़ जाएँगे जो इस बेचारी दुनिया को बद से बदतर बनाती जा रही हैं। हम तो बस ऐसी जगह चाहेंगे जहाँ लोग जी सकें, काम कर सकें, कुछ निर्माण कर सकें और खुश रह सकें। और अगर हम दोबारा शुरुआत कर सकते तो हो सकता है हम एक बहुत खूबसूरत, शान्तिप्रिय दुनिया...”

वह अचानक रुक गई क्योंकि बाहर से किसी कुत्ते की ज़ोर-ज़ोर-से भौंकने की आवाज़ आई। अचानक वह उठ खड़ी हुई क्योंकि भौंकना अचानक कराहने में बदल गया।
“यह तो मिटी की आवाज़ है!” सैली बोली। “आखिर क्या...?”

वह दौड़कर घर से बाहर आई। मि. फोंटेन और ग्राहम उसके पीछे भागे। सैली को अपनी छोटी-सी, सफेद रंग की कुतिया आउटहाउस की दीवार से लगी घास पर पड़ी हुई दिखाई दी। वह उसका नाम लेते हुए उसी तरफ भागी, लेकिन उस छोटे-से जीव के शरीर में कोई हलचल नहीं हुई।
“ओह, बेचारी मिटी,” सैली बोली। “मुझे लगता है यह मर गई!”
वह मिटी के शरीर के पास जाकर घुटनों के बल बैठ गई।

“यह मर चुकी है!” वह बोली। “लेकिन समझ में नहीं आ रहा कि आखिर क्या...” वह अचानक खड़ी हुई, अपना हाथ अपने पैर पर रखा और उसे कसकर पकड़ लिया। “मुझे किसी ने काट लिया है। अरे, बड़ा दर्द हो रहा है!” दर्द के मारे उसकी आँखों में आँसू आ गए थे और वह अपने पैर को मलती जा रही थी।
“आखिर यह हो क्या...?” नीचे पड़ी मिटी को देखते हुए सैली के पिता ने कहना शुरू किया। “ये क्या हैं? चींटियाँ?”
ग्राहम ने नीचे झुककर देखा।

“नहीं, चींटियाँ नहीं हैं,” उसने कहा। “मुझे नहीं मालूम ये क्या हैं।”
उसने ध्यान से देखने के लिए उन छोटे-छोटे जीवों में से एक को उठाया।

वह अजीब-सा दिखने वाला जीव था। उसका शरीर बिलकुल किसी गेंद के आधे हिस्से की तरह था जिसमें चपटा भाग नीचे की तरफ था। ऊपरी गोल भाग गुलाबी रंग का और चमकीला था। यह जीव किसी कीड़े की तरह ही था, बस इसकी सिर्फ चार टाँगें थीं जो बहुत छोटी-छोटी थीं। इसका सिर धड़ से अलग नहीं था बल्कि अलग से कोई सिर ही नहीं था और किनारे पर उस जगह दो आँखें थीं जहाँ उसके शरीर का घुमावदार ऊपरी भाग निचले भाग से मिल रहा था।

जब वे लोग उस जीव को देख रहे थे तो वह अपनी दो टाँगों पर खड़ा हो गया। खड़े होने से उसका नीचे का फीका पीला चपटा भाग दिखाई देने लगा। अपनी आगे की दो टाँगों में वह घास का तिनका या फिर पतला-सा तार उठाए हुए दिख रहा था।
ग्राहम को अचानक अपने हाथ में बहुत तीखा दर्द होने लगा।
“अरे रे!” उस जीव को अपने हाथ से झटकारते हुए वह चिल्लाया।
“ये छोटे शैतान बड़ा ज़ोर का काटते हैं। मुझे नहीं मालूम ये क्या हैं लेकिन घर के बगीचे में इनका होना खतरनाक है। क्या आपके पास कोई कीड़े मारने वाली दवाई है?” उसने पूछा।
“हाँ, किचन में एक डिब्बा रखा है।” मि. फोंटेन ने उसे बताया।

ग्राहम भागकर किचन में गया और कीड़े मारने की दवा का डिब्बा लेकर जल्दी-से वापस आ गया। उसने चारों तरफ नज़र घुमाई तो देखा कि सैकड़ों की तादाद में वे छोटे-छोटे गुलाबी जीव आउटहाउस की दीवार की तरफ रेंगते हुए जा रहे थे। उसने डिब्बे को एक बार अच्छे-से हिलाया और ढ़ेर सारी कीड़े मारने की दवाई उनके ऊपर फेंक दी।
वे तीनों लोग उन जीवों को देखते रहे जिनका रेंगना अब धीमा, और धीमा, होता जा रहा था। उनमें से कुछ तो अपनी पीठ के बल पलट गए थे और बड़ी कमज़ोरी-से अपनी टाँगें हवा में लहरा रहे थे। फिर वे एकदम शान्त पड़ गए।
“अब हमें इनकी वजह से और तकलीफ नहीं होगी,” ग्राहम ने कहा। “इतने छोटे, लेकिन कितने भयानक जीव थे! मैंने ऐसे जीव अपने जीवन में कभी नहीं देखे। पता नहीं वे थे क्या।”


जॉन विंडहम: अँग्रेज़ी के मशहूर विज्ञान कथा लेखक। 1925 में लघु कथाएँ लिखना शुरु जॉन विंडहम नाम को अपनाने के बाद उन्होंनेे विज्ञान कथानक का एक रूप लिखना शुरू किया जिसे उन्होंनेे तार्किक कल्पना कहा। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृतियों में द डे ऑफ द ट्रिफ़िड्स और द मिडविच कूकोज़ शामिल हैं।

अँग्रेज़ी से अनुवाद: भरत त्रिपाठी: एकलव्य, भोपाल के प्रकाशन समूह के साथ कार्यरत हैं।

सभी चित्र: सौम्या मैनन: चित्रकार एवं एनिमेशन फिल्मकार। विभिन्न प्रकाशकों के बच्चों की किताबों एवं पत्रिकाओं के लिए चित्र बनाए हैं। बच्चों के साथ काम करना पसन्द करती हैं।