eklavyabooks की गपशप ...

मार्च - अप्रैल 2018

8 मार्च को दुनियाभर में महिला दिवस मनाया जाता है। महिला दिवस प्रतीक है इस भावना और कोशिश का कि महिलाओं और लड़कियों को जीवन के हर क्षेत्र में बराबरी का स्थान मिले, उन्हें कमज़ोर या कमतर न माना जाए। साहित्य की दुनिया में भी ऐसे प्रयास हो रहे हैं। एकलव्य ने हमेशा कोशिश की है कि न सिर्फ लड़कियों के केन्द्रीय पात्रों वाली, बल्कि समाज के वंचित और हाशियाकृत तबके की लड़कियों के केन्द्रीय पात्रों वाली कहानियाँ पाठकों तक पहुँचाई जाएँ। इस बार एकलव्य बुक्स की गपशप में चर्चा ऐसी ही कुछ किताबों की।

मितवा

यह कहानी उन सभी लड़कियों की कहानी है जिन्हें खुलकर जीने की आज़ादी नहीं दी जाती, और उन्हें लड़कों से कमतर माना जाता है। ऐसी ही एक लड़की है हमारी कहानी की नायिका, मितवा। मितवा हर वो काम करना और सीखना चाहती है जो उसके बड़े भाई करते हैं, पर पिता की रूढ़िवादी सोच इसके आड़े आ जाती है। लेकिन मितवा कुछ ऐसा करती है जिससे उसके पिता अपनी इस सोच को बदलने के लिए मजबूर हो जाते हैं। कहानी की लेखिका हैं विख्यात नारीवादी कार्यकर्ता कमला भसीन और चित्र बनाए हैं शिवांगी ने।

पायल खो गई

भोपाल की बस्तियों में रहने वाले 6 से 8 साल की उम्र के बच्चों की अभिव्यक्तियों से निकली कहानी। बस्ती में रहने वाली पायल सुबह से किसी को दिखाई नहीं दी है। उसके सभी दोस्त हैरान-परेशान हैं, और उसे ढूँढ रहे हैं। कहाँ-कहाँ ढूँढा उन्होंने पायल को? क्या पायल उन्हें मिली? यह कहानी एक ऐसी वास्तविक दुनिया का सफर है जिसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। यह किताब एकलव्य और मुस्कान का संयुक्त प्रकाशन है।

नया स्वेटर

यह कहानी लिखी है भोपाल की एक बस्ती में रहने वाली पपतू धुर्वे ने। कहानी की किरदार पपतू हाशियाकृत समाज की एक लड़की है जो कबाड़ बीनने का काम करती है। सर्दियों का मौसम आने को है और पपतू का पुराना स्वेटर फट चुका है। उसे नया स्वेटर लेने की ज़बरदस्त चाह है, लेकिन उसके लिए यह इतना आसान नहीं। क्या वह अपनी इस ख्वाहिश को पूरा कर पाएगी? यह किताब भी एकलव्य और मुस्कान ने मिलकर विकसित की है। इसके चित्र बनाए हैं सौम्या मेनन ने।

A Daughter Questions

This Eklavya title highlights three topics, each one of crucial importance in the lives of adolescent girls: 1. The start of menstrual cycles, 2. The other physical changes accompanying the onset of puberty, and 3. The numerous social norms and beliefs challenging them during this difficult phase. Written by Anu Gupta, illustrated by Karen Haydock.

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