लक्ष्मी नारायण चौधरी

बच्चों का मन बीच-बीच में कक्षा से उचटता रहता है। एक शिक्षक के लिए इतना आसान नहीं होता यह सोचना कि ऐसी स्थिति से वह कैसे निपटे। लगातार कुछ नया सोचते रहना पड़ता है, सजग रहना पड़ता है। ऐसी ही स्थितियों में आ फंसी कक्षा का रोचक दृश्य।

कक्षाः 1, 2 और 3
विषयः भाषा, पर्यावरण, कला और गणित
बच्चों की संख्या: 72
दिनांकः 10 नवंबर 1995

मैंने बच्चों से कहा, "कक्षा 1,2 और 3 के तीन-तीन दोस्त मेरे पास आओ।" फिर मैंने 9-9 बच्चों को आठ टोलियों में बिठाया और कहा, “कक्षा-1 के बच्चे खुशी खुशी* किताब निकालें। सभी बच्चे इस किताब का मुख्य पृष्ठ देखें।” (मैंने अपनी किताब को दिखाते हुए कहा ) इस चित्र में कौन है?"(मैंने ऊंगली रखकर पूछा )।

- "मेंढक है।”
"मेंढक के दोनों हाथों में क्या है?"
-- “एक हाथ में लकड़ी है।”
--"दूसरा हाय वाली है।”
-- "दूसरे हाथ में कुछ नहीं है।”


खुशी-खुशी --- एकलव्य के प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम में तैयार की गई कार्यपुस्तक


"मेंढक क्या कर रहा है?"
-- "चका चला रहा है।”
अब चित्र को देखो और बताओ कौन कौन है?
- "मेंढक और बगुला है।"
"दोनों क्या कर रहे हैं?"
- "बातें कर रहे हैं।''
- "बैठे हैं।"

"मेढक बगुले से क्या बोल रहा होगा?"
- "तुम्हारी टर्र-टर्र मुझे अच्छी लगती
- “तुम मुझे अच्छे लगते हो।”
- "तुम क्या कर रहे हो?"
- "मैं तुमको खाऊंगा।"
"मेंढक क्या बोला होगा?"
- "मुझे अभी मत खाओ।"

- "मैं चका चैला रहा है।"
अब चित्र को देखो, बगुले ने क्या किया?
- "मेंढक को पकड़ा।"
- “चके को पकड़ा।”
"मेंढक ने क्या किया?"
- "मेंढक ने चका पकड़ाया।"
- “बगुले को चका पकड़ाया।”

अब इस चित्र को देखो और बताओ मेंढक ने क्या किया?

- "वह नदी में कूदा।"
- "नदी में कूदकर जान बचाई।" 
"बगुले का मुंह क्यों खुला रहा?"
- "उसने चको पकड़ लिया है।
"इसके बाद क्या हुआ होगा?"
- "मेंढक भाग गया होगा।"

"क्या बगुले का मुंह खुला ही रहा होगा?''
- "बगुले ने सिर को झटककर चका फेंका होगा।"
- "चका निकाल दिया होगा।"

"अच्छा कहानी सुनोगे?" सारे बच्चों ने ज़ोर से कहा, "हां सुनेंगे।"
"ठीक है तो तुम चित्रों को देखना, मैं कहानी सुनाना शुरू करता हूं।" .

"एक मेंढक उछलता-कूदता जा रहा था, जाते-जाते उसे एक चका दिखा। उसने चका उठाया और पास में पड़ी लकड़ी उठाई। अब एक साथ में लकड़ी और दूसरे हाथ से चल चलाया। जब का रुकने लगता, तो लकड़ी से धक्का लगाता जाता। इस तरह चलते-चलते वह नदी के किनारे पहुंचा ही था कि एक बगुले ने उसे देखा और कहा, "मैं तुम्हें खाऊंगा।''

मेंढक बोला, "अभी मैं चका चला रहा हूं। थोड़ी देर बाद खा लेना।"
बगुला बोला, "नहीं, मैं तुम्हें अभी खाता हो और उसने अपना मुंह बोला। किन्तु मेंढक ने झट से बगुले के मुंह में चका पकड़ाया और पानी में कूद गया।

अच्छा, अब आगे क्या हुआ होगा? तुम लोग बताओ।
कुछ बच्चों ने कहा - मेंढक भाग गया और कुछ ने कहा बगुले का मुंह खुला रह गया।

"अच्छा तुम बताओ आगे क्या हुआ होगा?'' मैंने फिर पूछा। इस बीच कक्षा में अजीब शोर मचा हुआ था।
मैंने दोनों हाथ ऊपर करके पंजों को गोल-गोल घुमाते हुए कहा - मेरे जैसा करो? बच्चों ने मुझे देखा और मेरी तरह करने लगे। कुछ देर बाद हाथों को नीचे कर के तीन तालियां बजाई।

सारे बच्चों ने भी ऐसा किया। यह अभिनय एक बार और दोहराया। पूरी कक्षा शांत हो गई।
मैंने अपना सवाल फिर दोहराया। मेंढक नदी में कूद गया और बगुले का मुंह खुला रह गया, उसके बाद क्या हुआ होगा? सब लोग बारी-बारी बताओ?

सभी बच्चों ने बारी-बारी बताया। इस बच्चों ने हा - मेंढक कूदकर भाग गया और बगुले का मुंह खुला रह गया। आठ बच्चों ने कहा- मेंढक नदी में कूदा और बगुले ने गर्दन को झटका देकर चका फेंका/निकाला। बारह बच्चों ने कहा - बगुले ने सिर को झटका दिया तो चका गले में अटक गया/ पहन लिया। इन्हीं बच्चों से मैंने पूछा।

"अच्छा, बगुले ने चका पहनने के बाद क्या किया होगा?" चार बच्चों ने कहा- बगुले ने पैर से चका निकाला होगा? आठ बच्चों ने कहा- चका पहने पहने घूमता रहा होगा। अब बताओ "मेंढक कहां रहता है?"

- “पानी में।”
- "जमीन पर।"
"बगुला कहां रहता है?"
- "पेड़ पर।"
- "ज़मीन पर
- “पानी पर।”

"मेंढक क्या-क्या खाता होगा?"
- "कीड़े-मकोड़े, अनाज, मछली।"
- “कीड़े-मकोड़े।"
- "अनाज"

"मेंढक कैसी आवाज़ करता है?"
- “टर्र-टर्र-टर।"

"मेंढक किन दिनों में अधिक दिखते हैं और टर्र-टर्र करते हैं?"
-“बरसात में।"
-“पानी गिरता है जब।"
"मेंढ़क कितना बड़ा होता होगा?"
-(हाथों को दिखाकर )"इतना बड़ा होता है। कुछ ने बताया।

"तुमने बगुला कहां देखा था?"
- "पेड़ पर।”
- “नदी पर।”
"बगुला किस रंग का होता है?"
- "सफेद होता है।”

"मेंढ़क के कितने पैर होते हैं?"
- “चार पैर होते हैं।"
“मेंढक की कितनी आंख होती हैं?"
- "दो आंख होती हैं।"
"अच्छा, अब सभी लोग मैदान में चलो और लाइन से खड़े हो जाओ?"
सभी बच्चे मैदान पर पहुंचकर लाइन से खड़े हो गए। मैंने कुछ बच्चों को व्यवस्थित किया और कहा, "मेंढक कैसे चलता है?"

सभी बच्चों ने उछलते-कूदते, छलांग मारते हुए चलकर दिखाया।
"अच्छा, अब यह बताओ बगुला ले उड़ता है?"
सभी ने बगुले के उड़ने का अभिनय करने लगे।
इसके बाद मैंने कहा, "अब सभी कमरे में चलो और अपनी जगह पर बैठो?”

सभी बच्चों के व्यवस्थित बैठने के बाद बच्चों से कहा, "यहां फर्श पर शब्द चित्र का मैं से मेंढक और बगुले का शब्द चित्र कार्ड चुनो?" | सभी क्रम से शब्द चित्र कार्ड चुनने आए। कुछ बच्चों को मेंढक और बगुले के चित्र वाला कार्ड नहीं मिला। वे कहने लगे, “सर, इसमें मेंढक और

बगुले का कोई नहीं है।" तब मैंने श्यामपट पर मेंढक और बगुले का चित्र बना दिया। ने पूछा कि इस कार्ड का क्या करें? “मेक और  का चित्र बनायो, अब लियो और दिखाओ। और सुनी हुई कहानी का चित्र भी बनाकर दिखाओ?" मैंने कहा।

इसके बाद सभी ने चित्र बनाने और शब लिखने में जुट गए। कुछ देर बाद बच्चों ने चित्र दिए।(इन्दी में से कुछ चित्र नीचे छपे हैं।)

यह सब क्यों किया मैंने

बच्चों ने निम्न क्षमताओं का अभ्यास कियाः सुनना, समझना, जिज्ञासा, अपनी बात कह सकना, मित्रों के साथ बातचीत करना, शब्द चित्र कार्ड का उपयोग कैसे करें, शब्द पहचान कर चित्र छांटना, दो चित्रों में संबंध, अन्तर, समानता, शद भण्डार में वृद्धि, चित्र बनाना, हाथ एवं उंगलियों के कौशल, कौन, कहां और क्या के प्रश्नों के उत्तर दे सकना, चित्रों की सहायता से गिनना और कितने की अवधारणा आदि।

मुझे क्या भान हुआ: एक तो यह कि बच्चे किस स्तर पर हैं। और दूसरा कि किस बच्चे को कौन-सी क्षमता अर्जित करवाने के लिए और अभ्यास की जरूरत है और अधिकांश बच्चों ने कौन-कौन सी क्षमता अर्जित कर ली है।

निष्कर्षः बच्चों को तरह-तरह की कहानियां सुनाकर कल्पना करने, तर्क करने आदि के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

उदेश्य: इस पूरी गतिविधि के दो उद्देश्य थे - किसी चीज़ (चित्रों आदि ) को देकर उसके बारे में सुनकर समझना व भाषा, पर्यावरण, गणित और कला की समझ विकसित करना।

शिक्षकों के लिए उपयोगी सामग्रीः
- किताबः सचित्र कहानियां, प्रकाशकः प्रगति प्रकाशन, मॉस्को।
- किताबः खुशी-खुशी कक्षा-1 (हरदा और शाहपुर ब्लॉक की शालाओं में चल रही है।)
- भारती, सीखना-सिखाना पैकेज के तहत 16 जिलों में कक्षा-1 के लिए 1996 में नई पुस्तक शुरू हुई है।

कुछ अन्य उपयोगी किताबें
- किताबः बच्चे की भाषा और अध्यापक, प्रकाशकः यूनिसेफ,  लेखकः कृष्ण कुमार
- गिजुभाई द्वारा लिखी किताबें -
- किताबः बाल हृदय की गहराइयां, लेखकः गिजुभाई
- किताबः बच्चे असफल कैसे होते हैं, लेखकः जॉन होल्ट, प्रकाशकः एकलव्य


लक्ष्मी नारायण चौधरीः होशंगाबाद ज़िले की हरदा तहसील की हरदा खुर्द प्राथमिक शाला में शिक्षक।