एच. जी. वेल्स

इस कहानी की पहली किश्त में आपने पढ़ा कि चमत्कारों पर एक गहमा-गहमी भरी बहस के दौरान कैसे फरनैन्डिस को अचानक अपनी चमत्कारिक इच्छा शक्ति का अहसास हुआ। इस अद्भुत खोज से प्रयोग करते हुए अचानक, उनकी भिड़न्त पुलिस कॉन्स्टेबल विंच से हो गई। इस बौखलाहट में कि कहीं उसकी शक्ति के बारे में सबको पता न चल जाए फरनैन्डिस ने विंच को चमत्कारिक शक्ति का प्रयोग करके जहन्नुम भेज दिया परन्तु फिर दया उमड़ आने पर सैन फ्रन्सिस्को रवाना कर दिया। विंच के बारे में सोचते हुए ऊहापोह में फंसा फरनैन्डिस चर्च में मिस्टर मेडिग के पास जा पहुंचा और उसे अपना किस्सा बयान कर दिया। अब आगे पढ़िए।

फरनैन्डिस पहले विंच का मामला हल करना चाहता था, लेकिन मेडिग उसे छोड़ ही नहीं रहा था। लगभग एक दर्जन छोटे-छोटे घरेलू से प्रयोग करने के बाद उन दोनों में और जोश जागने लगा। उनकी कल्पना ने उड़ान भरनी शुरू की और उनकी महत्वाकांक्षा और बढ़ने लगी। उनका पहला साहसिक कार्य भूख, और मेडिंग की सेविका मिस मैरी की उपेक्षा एवं लापरवाही से प्रेरित हुआ। उन दोनों के लिए जो भोजन परोसा गया था वह एकदम नीरस लग रहा था, जिसे देख कर खाने की इच्छा ही नहीं हो रही थी। मेडिग को भोजन से ज्यादा तो अफसोस हो रहा था अपनी सेविका की नालायकी पर। तभी फरनैन्डिस को लगा कि उसके सामने एक अवसर है। "अगर आप बुरा न मानें तो, बताइए आप क्या खाना पसंद करेंगे?'' उसने हाथ नचा कर जोश से पूछा। मेडिग ने अपनी पसन्द की उम्दा-से उम्दा चीजें बता दीं, जो तुरंत हाज़िर हो गई। वे दोनों देर तक खाना खाते रहे और बातें करते रहे। फरनैन्डिस का चेहरा तो अब आगे आने वाले करिश्मों के बारे में सोच कर जगमगाने लगा था। वह बोला, "अब तो शायद मैं आपकी घरेलू तौर पर भी मदद कर सकता हूं।''

"मैं ठीक से समझा नहीं, मेडिग मदिरा का गिलास उठाते हुए बोला। फरनैन्डिस ने कहा, "मैं सोच रहा था कि शायद मेरा चमत्कार मिस मैरी के साथ भी काम करे - मेरा मतलब है उसे एक अच्छी सेविका बनाने के लिए।''

मेडिग ने गिलास नीचे रख दिया। वे थोड़ा शंक़ित लग रहे थे, “उसे दखलअंदाज़ी बिल्कुल पसंद नहीं है, और इस वक्त रात के ग्यारह बज रहे हैं। वो सो रही होगी, आप हर पहलू से सोचिए।''

फरनैन्डिस ने इन आपत्तियों पर विचार किया, फिर कहा, "मैं नहीं सोचता कि ऐसा उसके सोते हुए। नहीं हो सकता।''

मेडिग ने उसके विचार का कुछ विरोध तो किया, लेकिन अंततः राजी हो गए। फरनैन्डिस ने आज्ञा जारी कर दी, और फिर थोड़ी देर बेचैनी के साथ वे दोनों खाना खाते रहे। मेडिग अगले दिन अपनी सेविका में दिखने वाले बदलावों के बारे में इतनी लम्बी चौड़ी अपेक्षाएं कर रहे थे कि फरनैन्डिस को भी ये ज्यादती और जल्दबाज़ी भरी लगीं। तभी ऊपर की मंज़िल से कुछ अजीब-सी आवाजें आने लगीं। उन दोनों ने आंखों ही आंखों में एक दूसरे से कुछ पूछा, और फिर मेडिग शीघ्रता से ऊपर भागे। फरनैन्डिस ने उन्हें मिस मैरी को पुकारते और उनके कदमों को उसकी ओर जाते सुना।

एक ही मिनट में मेडिग जब लौटे तो लगा मानों वे उड़ रहे हों। उनका चेहरा चमक रहा था। “गजब!'' उन्होंने कहा, "मैं तो हिल गया हूँ!"

वे कालीन पर तेजी से इधर उधर चलने लगे। “दरवाज़े की दरार से मैंने पश्चाताप का दृश्य देखा - बहुत ही हृदयस्पर्शी पश्चाताप। बेचारी औरत! कैसा अद्भुत बदलाव! वह जाग गई थी। शायद अपने ट्रंक में छिपा कर रखी शराब की बोतल तोड़ने के लिए बिस्तर से उठ गई थी। खुदा से माफी मांग रही थी। लेकिन इस घटना ने हमारे समक्ष बहुत ही आश्चर्यजनक संभावनाओं का भंडार खोल दिया है। अगर हम इस औरत में चमत्कारिक बदलाव कर सकते हैं। तो"

"लगता तो ऐसा ही है," फरनैन्डिस ने कहा, "लेकिन विंच...?"

“पूरी तरह अपार और असीम।” और फिर विंच की समस्या को दरकिनार करते हुए मेडिग ने बहुत से शानदार प्रस्तावों की पूरी श्रृंखला ही खोलनी शुरू कर दी। हर क्षण उनके दिमाग में और भी हैरतअंगेज़ प्रस्ताव आ रहे थे। ये सब प्रस्ताव परोपकार की भावना से प्रेरित थे, उस तरह का परोपकार जो पेट भरा होने पर सूझता है। बेचारे विंच की समस्या बिना हल हुए ही रह गई। आश्चर्यजनक परिवर्तन होने शुरू हुए। पौ फटने से पूर्व के अंधेरे में आकाश में चमकता शांत चन्द्रमा उन दोनों को कड़कड़ाती ठंड में शहर की गलियों की परिक्रमा करते देख रहा था। हर्षोन्माद में मेडिग अपने हाथों-पैरों पर भी काबू नहीं रख पा रहे थे, और फरनैन्डिस में से जोश फूटा पड़ रहा था, और अब तो वह खुलकर अपनी शक्ति का इजहार कर रहा था। उन्होंने शहर के सभी शराबियों को सुधार कर सारी शराब को पानी में बदल दिया था, रेल यातायात को सुधरा हुआ रूप दे दिया था, पादरी के मस्से को ठीक कर दिया था, कस्बे के एक ओर के पुराने बड़े दलदल को सुखा दिया था, पहाड़ी की मिट्टी को सुधार दिया था। अब वो देखने जा रहे थे कि साऊथ ब्रिज के टूटे हुए घाट को कैसे ठीक किया जा सकता है। मेडिग ने हर्ष से कहा, “इस जगह की तो कल शक्ल ही बदली हुई होगी। सभी लोग कितने हैरान, और कितने अहसानमन्द होंगे!" उसी वक्त चर्च की घड़ी में तीन का घंटा बजा।

फरनैन्डिस ने कहा, “तीन बज रहे हैं, मुझे वापस जाना चाहिए, सुबह आठ बजे काम पर जाना है।"

"हमने तो अभी शुरुआत ही की है," मेडिग ने बहुत ही मीठे स्वर में कहा, "हम जो भलाई कर रहे हैं। उसके बारे में सोचो - कल जब लोग जागेंगे ...."

"लेकिन..." फरनैन्डिस ने कहा। मेडिग ने अचानक उसकी बांह पकड़ ली। उनकी आंखें चमक रही थीं। और उनमें एक जुनून-सा नज़र आ रहा था। उन्होंने आकाश में चांद की ओर इशारा करते हुए कहा, "ऐसा करो, इसे रोक दो।” फरनैन्डिस ने चांद की ओर देखा, और थोड़ा ठहर कर बोला, “ये तो कुछ ज्यादा

ही होगा।''

"क्यों नहीं," मेडिग बोले, "बेशक, यह तो नहीं रुकता। तुम पृथ्वी का घूमना रोक दो। समय रुक जाएगा। ऐसा तो नहीं है कि हम कोई नुकसान कर रहे हों।"

"अम..हं...," फरनैन्डिस बुदबुदाया, “कोशिश करता हूं।''

उसने अपने कोट के बटन बंद किए और अपनी शक्ति में जितना विश्वास बटोर सकता था उतने विश्वास के साथ पृथ्वी को संबोधित करते हुए कहा, “घूमना बंद कर दो''

और वह पूरा का पूरा असंयत हो कर एक मिनट में दर्जनों मील की रफ्तार से हवा में उड़ रहा था। प्रति सेकन्ड वह अनगिनत चक्कर खा रहा था, लेकिन इसके बावजूद भी उसने सोचा ‘विचार भी क्या गज़ब है, कभी इतना धीरे चलता है जैसे बहता हुआ कोलतार, और कभी प्रकाश की तीव्रता से।' उसने पल भर में सोचा और इच्छा की, "मैं सुरक्षित नीचे आ जाऊं। और चाहे जो कुछ भी हो लेकिन मैं । ठीक-ठाक सुरक्षित नीचे आ जाऊं।"

उसने यह इच्छा भी सही वक्त पर कर ली थी, क्योंकि उसके कपड़े इतनी तेजी से उड़ने की गर्मी से झुलसने लगे थे। वह प्रबल शक्ति से नीचे आ कर गिरा - नरम, मानों ताज़ी खोदी हुई मिट्टी पर, और उसे जरा भी चोट नहीं आई। धातु और इमारती मलबे का एक विशाल रेला, जो कि बहुत कुछ बाज़ार के बीच खड़े घण्टाघर-सा लग रहा था, उसके करीब धराशाई हुआ। फिर वापस हवा में उछला और ठीक उसी के ऊपर ईंटें, पत्थर, रोड़ी हवा में इस तरह उड़े जैसे कि बम फटा हो। तेज़ी से लुढ़कती हुई एक गाय एक बड़े से पत्थर के टुकड़े से टकराई और अण्डे की तरह फूट गई। तभी इतनी जोर का धमाका हुआ कि उसकी ज़िन्दगी के अब तक के बड़े-से-बड़े धमाके उसके सामने रेत के गिरने की आवाज़ के समान थे। उसके बाद धमाकों की झड़ी-सी लग गई लेकिन उनकी तीव्रता कम होती गई। एक विशाल हवा पृथ्वी और आकाश के बीच इतनी भीषण रफ्तार से गरजती हुई चल रही थी कि ऊपर देखने के लिए वह मुश्किल से अपना सिर उठा पा रहा था। कुछ समय तक तो उसे ऐसा महसूस होता रहा जैसे उसकी सांस ही रुक गई हो और उसके लिए यह देख या समझ पाना भी संभव नहीं हो पा रहा था कि वह कहां है और ये सब क्या हो गया है। सबसे पहले तो उसने अपने सिर को छुआ और तसल्ली की कि उसके सिर पर बाल अभी भी बरकरार हैं।

"हे भगवान, हवा की तेज़ी के कारण उसकी आवाज़ ही नहीं। निकल पा रही थी, "मैं तो बाल बाल बच गया। क्या गलती हो गई?

आंधी, तूफान और बवंडर! और एक क्षण पहले इतनी सुहानी रात थी। मेडिग ने मुझसे यह क्या करवाया? क्या भयंकर हुवा है। अगर मैं यों ही बेवकूफियां करता चला गया तो ज़रूर ही कोई बड़ी दुर्घटना हो जाएगी।''

"मेडिग कहां है? सब कुछ किस तरह अस्त-व्यस्त हुआ है।'' उसने अपने बेतहाशा उड़ते हुए कोट को सम्भालते हुए इधर-उधर देखने की कोशिश की। सभी कुछ वास्तव में बड़ा अजीबोगरीब लग रहा था। "आकाश अब ठीक है, कम-से कम,' फरनैन्डिस ने कहा। “सिर्फ यही है जो कुछ ठीक लग रहा है। लेकिन लगता है कि एक बड़ा तूफान आने वाला है। मगर सिर के ऊपर चांद भी निकला है। बिल्कुल वैसा ही, जैसा कि कुछ देर पहले था। इतना चमकदार मानों दोपहर होलेकिन बाकी सब कुछ - कस्बा कहां है? और भी सब कुछ... कहां है? और यह जोरों की हवा क्यों चलने लगी? मैंने तो इसे आज्ञा नहीं दी थी।''

फरनैन्डिस अपने पैरों पर खड़ा होने का व्यर्थ प्रयास करने के बाद, अपने चारों हाथों पैरों पर घोड़ा। बने टिका रहा। उसने चांदनी रात में हवा की दिशा में देखने का प्रयत्न दिया, उसका कोट उसके सिर के ऊपर से उड़ रहा था। कुछ गंभीर रूप से गलत हो गया है। भगवान जाने वो क्या है,'' वह मन ही मन सोच रहा था।

दूर-दूर तक रेत के बादल की सफेद चौंध में जो सनसनाती हुई आंधी के आगे आगे दौड़ रहा था, कुछ भी नजर नहीं आ रहा था, सिवाए मिट्टी,रेत और टूटे-फूटे मलबे के ढेरों के। कोई पेड़, कोई मकान, कोई भी जानी पहचानी आकृति नहीं थी, सिर्फ विनाश की लीला थी, जो अंततः अन्धकार में तेजी से उठते हुए तूफान, बिजली और गर्जन के नीचे लुप्त होती जा रही थी। फरनैन्डिस के करीब चौंधियाते प्रकाश में कुछ चीज़ थी जो शायद पहले एक नीम का पेड़ रही होगी, अब जड़ से। शाखाओं तक चूर-चूर हुई माचिस की तीलियों और खपच्चियों का ढेर मात्र थी। उसके सामने लोहे के सरियों का मुड़ा-तुड़ा ढांचा सा था, जो मलबे के ढेर में से ऊपर उठा हुआ था, शायद कभी एक पुल रहा होगा।

ऐसा हुआ कि जब फरनैन्डिस ने अपनी धुरी पर घूमती हुई ठोस पृथ्वी को रोका, तब उसकी सतह पर मौजूद मामूली चलती फिरती, हिल सकने वाली चीजों के बारे में कुछ नहीं कहा। पृथ्वी अपनी धुरी पर इतनी तेज़ी से घूमती है कि भूमध्य-रेखा पर उसकी रफ्तार एक घन्टे में हजार मील से भी ज्यादा होती है, तथा उस अक्षांश पर, जिस पर ये कस्बा बसा था, रफ्तार लगभग इसकी आधी होती है। जब पृथ्वी रुकी तब फरनैन्डिस को, सभी लोगों, सभी चीजों यानी कि उस पूरे कस्बे को, नौ मील प्रति मिनट की गति से आगे की ओर भारी धक्का लगा। अगर उन सबको तोप में से दागा गया होता तब जो धक्का लगता वो भी इसके सामने मामूली होता। और हर इंसान, हर जीवित प्राणी, हर घर, हर पेड़, तमाम दुनिया जिसके हम आदी हैं - इस चोट को खाने से टूट-टूट कर, चूर-चूर हो कर नष्ट हो गई। बस यही हुआ।

खैर इन चीजों को तो फरनैन्डिस पूरी तरह समझ नहीं पाया था। लेकिन उसने जान लिया था कि उसका चमत्कार असफल हो गया है, और चमत्कारों के लिए उसके मन में गहरी वितृष्णा हो गई थी। अब वह अन्धकार में था क्योंकि बादलों ने इकट्ठा हो कर चांद को ढक लिया था, और हवा में वर्षा की धाराएं और ओले आपस में प्रेतों के समान खतरनाक संघर्ष कर रहे थे। हवा और पानी की गर्जन ने पृथ्वी और आकाश को दहला दिया था। अपने हाथ की आड़ में से झांकते। हुए बिजली की चमक में, धूल और ओलों के बीच से उसने देखा पानी की एक विशाल दीवार उसकी ओर चली आ रही है।

मेडिग!'' इस प्रलयकारी तूफान में फरनैन्डिस अपनी दुर्बल आवाज़ में चीखा, “मेडिग, कहां हो!"

“ठहरो," वह उस बढ़ते हुए पानी पर चिल्लाया, "भगवान के लिए रुक जाओ!"

"एक क्षण के लिए रुक जाओ," उसने बिजली और गर्जन से कहा, "जिससे मैं कुछ सोच सकें।... अब मुझे क्या-क्या करना चाहिए? हे भगवान मैं क्या करूं? काश, मेडिग यहां होता।”

"हां, समझा," फरनैन्डिस बोला, “और ईश्वर के नाम पर इस बार कोई गलती नहीं होनी चाहिए।'

वह हवा के विरुद्ध चारों हाथों पैरों पर झुका रहा, पूरे मनोयोग से सब कुछ ठीक होने की कामना करते हुए। फिर उसने कहा, "मैं जो आज्ञा दें, जब तक मैं ‘समाप्त' न कहूं तब तक पूरी न हो। काश मैंने ऐसा पहले सोचा होता।”

उस बवंडर में अपनी आवाज़ को ऊंची, और ऊंची उठाते हुए, स्वयं को सुन लेने की व्यर्थ चाह के साथ वह चिल्लाया, “अब आगे मैंने जो अभी कहा है, उसका ध्यान रखा जाए। प्रथम तो यह कि मैं जो कहूं, जब वो पूरा हो जाए तब मेरी चमत्कारिक शक्ति खत्म हो जाए। मेरी इच्छा-शक्ति अन्य लोगों की इच्छा की तरह हो जाए, र ये सब खतरनाक चमत्कार रुक जाएं। मुझे ये अच्छे नहीं लगते। अच्छा होता कि मैंने इन्हें न किया होता - यह पहली बात हुई। और दूसरी यह है कि मैं चमत्कार शुरू होने के पहले की स्थिति में पहुंच जाऊं। हरेक चीज़ वैसी ही हो जैसी लैम्प उल्टा होने से पहले थी। यह एक बड़ा काम है, लेकिन अन्तिम है। समझ गए? और कोई चमत्कार नहीं, हर चीज जैसी पहले थी - मैं वापस कैफेटेरिया में, अपने चाय के प्याले के साथ। बस यही!''

आंखे मूंद कर, मुट्ठी भींच कर उसने कहा, “समाप्त।”

सब कुछ एकदम स्थिर हो गयाउसने पाया कि वह सीधा खड़ा है।

"तो आप ऐसा कहते हैं," एक आवाज़ आई।

उसने अपनी आंखें खोलींवह कैफेटेरिया में चमत्कारों के बारे में बीमिश से बहस कर रहा था। उसे महसूस हुआ कि जैसे कोई बहुत बड़ी चीज वो उसी क्षण भूल गया था, लेकिन यह भाव भी क्षण भर में गायब हो गया।

उसकी चमत्कारिक शक्ति को छोड़कर सब कुछ वापस पहले जैसा ही था - उसका दिमाग, उसकी याद्दाश्त भी वैसी ही थी जैसी इस कहानी की शुरुआत के वक्त थी। इसीलिए यहां ऊपर जो कुछ बताया गया है उसके बारे में वह कुछ नहीं जानता, आज तक भी उसे कुछ नहीं पता, और दूसरी चीज़ों के साथ-साथ वह चमत्कारों में भी विश्वास नहीं करता।

उसने कहा, "मैं आपको बताता हूं कि चमत्कार होना असंभव है। आप लोग चाहे कुछ भी सोचें मैं इस बात को अन्त तक सिद्ध करने को तैयार हूं।"

बीमिश ने कहा, “तुम ऐसा सोचते हो, तो अगर सिद्ध कर सकते हो तो करो।"

"बीमिश इधर देखो," फरनैन्डिस बोला, "हम लोगों को स्पष्टतः समझ लेना चाहिए कि चमत्कार क्या है, यह प्रकृति के विपरीत की गई कोई चीज़ है जिसे इच्छा-शक्ति ..."


एच. जी वेल्सः (जन्म 21 सितम्बर 1866 - मृत्यु 13 अगस्त 1946) उपन्यासकार, पत्रकार, समाजशास्त्री और इतिहासका। उन्हें सबसे अधिक प्रसिद्धि विज्ञान गल्प लिखने को लेकर मिली। उनकी कुछ प्रमुख किताबें हैं - 'द टाइम मशीन', 'द इनविजिबल मैन', 'द वार ऑफ द वर्ल्ड', 'द आउटलाइन ऑफ द हिस्ट्री।