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सवाल: क्या बादल का वज़न पता किया जा सकता है?

जवाब: किसी पदार्थ का वज़न करना सामान्यतया एक आसान-सा काम होता है। अगर वस्तु का आकार छोटा हो जिसे हाथों से उठाया जा सके, तब तो उसे वज़न करने वाली मशीन पर रख तौला जा सकता है। आजकल तो छोटी किराने की दुकानों पर भी तौल करने की डिजिटल मशीनें होती हैं। अगर आपको वज़न की शुद्धता की बहुत परवाह न हो तब तो आप हाथ वाले तराज़ू से भी काम चला सकते हैं जिनका इस्तेमाल ज़्यादातर सब्ज़ी बेचने वाले करते हैं। अब अगर किसी बड़ी और अधिक भारी वस्तु जैसे मान लीजिए किसी भरे हुए ट्रक का वज़न पता करना हो तो आपको किसी तुला केन्द्र या धर्म काँटा जाना होगा।

यह तो स्पष्ट है कि अगर वस्तु बहुत ही हल्की हो, एक-आधा ग्राम या फिर ग्राम का कोई छोटा अंश या फिर बहुत ही भारी कई सौ टन की तो दोनों ही स्थितियों में वज़न करना चुनौती पूर्ण काम होगा। आज ऐसी अत्याधुनिक वज़न करने की मशीनें उपलब्ध हैं जो सटीकता के साथ बारीक-से-बारीक वज़न करने में सक्षम हैं, वहीं भारी-भरकम वस्तुओं या यंत्रों का वज़न भी सम्भव हो गया है। हाँ, बस बात इतनी है कि कई बारगी बहुत ही भारी मशीनों का वज़न करने के लिए उसके अलग-अलग हिस्सों का वज़न पता करना पड़ता है।

ढेरों ऐसे कारण हैं जिनके चलते कई बार किन्हीं चीज़ों का सीधा वज़न निकाल पाना आसान नहीं होता। मिसाल के तौर पर अगर किसी जंगल की कुल लकड़ी का वज़न निकालना हो तो हम इसके लिए कई सारी मान्यताओं और अनुमानों का सहारा लेंगे।
आप बादल को किस श्रेणी में रखेंगे - बहुत हल्का या बहुत भारी? गौर करें कि बादल हवा में तैरते रहते हैं और हवा के झोंकों के साथ यहाँ से वहाँ आते-जाते भी रहते हैं। ऐसे में तो बादलों को हल्का होना चाहिए। वहीं अगर हम दूसरे नज़रिए से देखें तो कई बार बादल फट पड़ते हैं जिससे मूसलाधार बारिश होती है। इतना पानी साथ लेकर चलने वाले बादल तो बहुत भारी होंगे!

प्राथमिक तौर पर बादल पानी या बर्फ या फिर दोनों के बहुत छोटे-छोटे कणों से बने होते हैं। पानी की भाप या बूँदें वातावरण में अक्सर दिखाई नहीं देतीं पर जब पानी की वाष्प आपस में संघनित हो जाती है तो बादल के रूप में हमें दिखाई देती है। बादल में समाहित पानी की बूँदों या बर्फ के कणों के आकार में काफी अन्तर होता है। ये बूँदें 1 माइक्रॉन से लेकर सैकड़ों माइक्रॉन तक की हो सकती हैं। माइक्रॉन यानी 106 सेमी या मिलीमीटर का हज़ारवाँ हिस्सा। इनका आकार हमारी दृष्टि सीमा से परे ही होता है यानी हम अपनी नग्न आँखों से इनके बड़े कणों को भी नहीं देख सकते। इस बात का अनुमान पाने के लिए कि ये बूँदें कितनी छोटी होती हैं सामान्य बादल की हज़ारों बूँदों को इकट्ठा करके उन्हें एक-के-बाद-एक करके जमाया जाए तो वे एक मि.मी. में समा जाएँगी।

बादल हवा में क्यों तैरते हैं?

बादल हवा में तैरते हैं। यह थोड़ा भ्रामक-सा है क्योंकि हम जानते हैं कि पानी हवा की अपेक्षा कहीं अधिक सघन होता है (1 घन मीटर तरल पानी का द्रव्यमान 1000 कि.ग्रा. होगा जबकि समान आयतन की वायु का लगभग 1.3 कि.ग्रा. ही होगा)। इसका मतलब है कि बादलों के पानी को हवा में डूब जाना चाहिए, वरन तैरते रहने के। परन्तु बादलों में शामिल होने वाली पानी की बूँदें बारीक होती हैं, इसके बावजूद ये पानी की बूँदें आसपास की हवा से तो भारी ही होती हैं पर इतनी भारी भी नहीं कि वे आसमान से ज़मीन पर गिर पड़ें। हाँ, इतना ज़रूर है कि वे नीचे की ओर गुरुत्वाकर्षण बल का अनुभव करती हैं, परन्तु इसके बावजूद वे नीचे से लग रहे हवा के प्रतिरोध बल के चलते बहुत नीचे तक आती या गिरती नहीं। यह बिलकुल उसी तरह है जैसे अक्सर हमें प्रकाश की किरणों में धूल के कण उड़ते हुए नज़र आते हैं।
बादलों में पानी की छोटी-छोटी बूँदें आपस में मिलकर बड़ी हो जाती हैं। जब ऐसी सैकड़ों-हज़ारों बूँदें आपस में जुड़ जाती हैं तब वे इतनी भारी हो जाती हैं कि हवा का प्रतिरोध उन्हें ऊपर उठाए रखने में खुद को अक्षम पाता है और ये बूँदें बारिश के रूप में गिरने लगती हैं।

जैसा कि हम जानते हैं कि बादल हवा में तैरते रहते हैं और इसके चलते प्रचलित पैमानों और साधनों के आधार पर बादल का वज़न नहीं मापा जा सकता। ऐसे में हमें बादलों के भार का अनुमान लगाना होगा। एक तरीका जो हम बादल का वज़न मापने में काम ला सकते हैं वह है किसी निश्चित आयतन के बादल में एकत्रित कुल बूँदों और बर्फ के क्रिस्टलों के द्रव्यमान की गणना।

अलग-अलग आकृति और आकार के अनुसार मूलत: बादल चार प्रकार के होते हैं: कपासी (Cumulus), स्तरीय (Stratus), पक्षाभ (Cirrus), और जलद (Nimbus)। ‘कुमुलस’ बादलों का छोटा मेघपुंज केवल कुछ फीट लम्बा हो सकता है, वहीं बड़े बादल कई किलोमीटर के इलाके में फैले हुए व 20 किलोमीटर से भी अधिक ऊँचाई वाले हो सकते हैं। स्तरीय बादलों की परतें सैकड़ों किलोमीटर तक फैली हो सकती हैं। अगर आप मौसम की भविष्यवाणी के समय टीवी पर दिखाई जाने वाली सेटेलाइट इमेज देखें तो कभी-कभी हमें पूरा देश ही बादलों की परतों से ढका जान पड़ता है।

इस पूरी बात को आसानी-से समझने के लिए बतौर उदाहरण आकाश में आम तौर पर दिखने वाले कपासी बादल लेते हैं जिसका आयतन 1 घन किलोमीटर है और जो ज़मीन से लगभग 3 किलोमीटर की ऊँचाई पर उपस्थित है। इस कपासी बादल का आयतन 1 किलोमीटर की लम्बाई-चौड़ाई-ऊँचाई वाले डिब्बे के बराबर होगा। कुछ मौसम विज्ञानियों के अनुसार हम मान सकते हैं कि इस कपासी बादल में पानी की मात्रा 1 ग्राम प्रति घनमीटर होगी। इसका मतलब यह हुआ कि 1 घनमीटर हवा (बादल) में पानी की छोटी बूँदों की कुल मात्रा 1 ग्राम (या 0.001 कि.ग्रा.) होगी। इस प्रकार, 1 घन किलोमीटर (109 घनमीटर) में पानी की छोटी बूँदों की मात्रा होगी:
1 घनमीटर में पानी की बूँदों की कुल मात्रा X घनमीटर में बादल का आयतन
= (0.001 X 100,00,00,000) कि.ग्रा.
= 10,00,000 कि.ग्रा.

यानी कि जो बादल हमने गणना करने के लिए लिया उसका भार 1000 टन है। अगर हम इस भार की तुलना अपने आसपास दिखने वाले किसी भारी जीव से करना चाहें तो हमारे दिमाग में एशियन हाथी आता है जिसका औसत भार तकरीबन 2.7 टन है। इसका अर्थ हुआ कि हमने जो बादल लिया उसका भार 370 हाथियों के भार के बराबर उतरता है।
इस प्रकार छोटे आकार के बादलों का वज़न इससे कम भी हो सकता है और बड़े, गहरे रंग के व घने बादल जिनमें पानी अधिक हो, उनका वज़न अधिक भी हो सकता है। इसके अलावा बादलों में पाई जाने वाली पानी की बूँदों या बर्फ के क्रिस्टलों का आकार भी ताप, दाब या अन्य कारकों के अनुसार बदल सकता है। और इस तरह के बदलाव अन्तत: अलग-अलग बादलों के वज़न में अन्तर ला सकते हैं।
उपरोक्त गणना के बाद हम कह सकते हैं कि बादल काफी वज़नी होते हैं। यहाँ तक कि दूर आसमान में धुएँ के छोटे धब्बों जैसे दिखने वाले बादल का वज़न कई हाथियों जितना हो सकता है।


इस जवाब को विनता विश्वनाथन ने तैयार किया है।
विनता विश्वनाथन: ‘संदर्भ’ पत्रिका से सम्बद्ध हैं।
अँग्रेज़ी से अनुवाद: अम्बरीष सोनी: ‘संदर्भ’ पत्रिका से सम्बद्ध हैं।