उमेश चन्द्र चौहान                                                                                                                 [Hindi PDF, 76 kB]

वेज्ञानिक प्रगति के लिए आवश्यक है कि विज्ञान शिक्षण में भी बुनियादी परिवर्तन लाया जाए। यह परिवर्तन तभी संभव है जब विज्ञान को प्रयोग करके, अवलोकनों पर विचार-विमर्श कर सीखें। हमारी सरकार पाठ्यक्रम में तो लगातार परिवर्तन करते जा रही है किन्तु प्राथमिक विद्यालयों में आज भी विज्ञान की पढ़ाई गतिविधि रहित हो रही है। मैंने अनेक प्राथमिक विद्यालयों के छात्रों से बातचीत की है किन्तु वे विज्ञान को बिना गतिविधि के चित्रकथा या इतिहास की तरह ही पढ़ रहे हैं। माध्यमिक विद्यालयों में आधा-अधूरा विज्ञान किट है तो सही किन्तु विज्ञान किट पर धूल की परत चढ़ रही है। स्कूली शिक्षा के आखिरी मुकाम पर आकर 10वीं या 12वीं में विज्ञान के छात्र प्रायोगिक परीक्षा में ही स्वयं प्रयोग करते हैं वरना प्रयोग के नाम से उनके हाथ-पैर कांपने लगते हैं।

मेरे गृहनगर टिमरनी में जब भी विद्यालयों में विज्ञान प्रदर्शनी लगाई जाती है तो 10-15 दिन पूर्व से छात्र मॉडल बनवाने के लिए मार्गदर्शन लेने के लिए लालयित रहते हैं। टिमरनी बहुत छोटा कस्बा है अत: विज्ञान किट सामग्री किसी स्कूल में मिल गई तो एकाध मॉडल बन जाता है वरना वैकल्पिक व्यवस्थाएं, कबाड़-से-जुगाड़, जैसी युक्तियां लगानी ही पड़ती हैं।
एक बार एक छात्र मुझ से कम फोकस दूरी का लेंस मांगने आया। बहुत कोशिश के बाद भी प्रयोगशाला में ऐसा लेंस नहीं मिला।

मैंने किताबों में पढ़ा था कि फ्यूज़ विद्युत बल्ब का फिलामेंट निकालकर यदि उसमें पानी भर दें तो लेंस बन जाता है। इसमें से यदि वस्तुएं देखें तो वे लगभग दो-ढाई गुना बड़ी दिखाई देती हैं। यदि सामान्य बल्ब से छोटा बल्ब लेकर उसमें पानी भरकर देखें तो वस्तुएं चार गुना तक बड़ी दिखती हैं।

मैं इससे भी अधिक क्षमता वाला बल्ब लेंस बनाना चाहता था अत: मैंने टॉर्च एवं लाइट डेकोरेशन में उपयोग किए जाने वाले सीरीज़ के फ्यूज़ बल्ब संग्रहित किए। उनका फिलामेंट निकाला और पानी भरकर मोम से छेद बन्द कर दिया। मैंने देखा यह वॉटर बल्ब लेंस वस्तुएं 8 से 10 गुना बड़ी करके दिखाने की क्षमता रखता है।

आइए आप भी इस बल्ब लेंस को बनाना सीखें। विधि इस प्रकार है -
1. पहले टॉर्च बल्ब या सीरीज़ का फ्यूज़ बल्ब लें। इस बल्ब का धातु वाला भाग चिमटी या डिवाइडर से दबाकर अलग कर दें।
2. अब आपके पास कांच का बल्ब बचेगा जिसमें पूंछ जैसी रचना दिख रही होगी। इस बल्ब के अन्दर का फिलामेंट तथा चीनी का मोती बाहर निकालना है अत: किसी कटर (दांतेदार आरी) से बल्ब के पूंछ जुड़े हिस्से के चारों ओर हल्का-हल्का काट दें। ध्यान रहे बल्ब को कागज़ के टुकड़े से पकड़े रहें अन्यथा अगर धोखे से बल्ब टूट गया तो कांच चुभ सकता है।
3. काटने के बाद पूंछ तथा बल्ब को कटान वाली जगह से अलग कर दें, वैसे ही जैसे टुकड़े करने के लिए वस्तुएं दबाकर बीच से तोड़ते हैं। ऐसा करते हुए एक दो बल्ब तोड़कर रख लें।
4. यदि पूंछ जैसी रचना काटने पर भी मोती बाहर न निकले तो छेद वाले भाग को किसी पत्थर पर पानी डालकर घिसने से छेद बड़ा हो जाएगा, और मोती बाहर आ जाएगा।
5. अब बल्ब को सीधा रखें। एक बार साफ पानी से धो लें। पुन: बल्ब के भीतर पानी पूरा भरें।
6. मोमबत्ती जलाकर बल्ब का छेद बंद कर दें।
बस, तैयार हो गया आपका वॉटर बल्ब लेंस। इस बल्ब लेंस की फोकस दूरी मात्र 2-4 मिलीमीटर होती है। इस बल्ब में से मिलीमीटर ग्राफ पेपर, हाथ की धारियां, कपड़े के धागे आदि देखें।

अब इस बल्ब लेंस से एक साधारण दूरदर्शी बनाने की कोशिश करके देखें।
दूरदर्शी बनाने के लिए आवश्यक सामग्री इस प्रकार है:
कागज़/प्लास्टिक के 2 बेलनाकार/चौकोर पाइप, लगभग 15-15 से.मी. लम्बे। व्यास लगभग 5-6 से.मी.। दोनों पाइप इस तरह के हों कि एक दूसरे के भीतर आसानी से खिसक सकें। यानी एक अधिक व्यास का हो।
इसके साथ कार्ड शीट या पतला गत्ता, फेवीकॉल या सेलोटेप, उत्तल लेंस लगभग 15 सेंटीमीटर फोकस दूरी वाला (इसे पुराने चश्मे से प्राप्त किया जा सकता है), कैंची, मोमबत्ती, माचिस के साथ छोटा वॉटर बल्ब लेंस भी चाहिए होगा।

अब इस सामग्री की मदद से हम टेलिस्कोप बनाएंगे।
1. चित्र में बताए अनुसार उत्तल लेंस के मध्य में लगभग 2 से.मी. वृत्ताकार छोड़कर शेष भाग पर कागज़ चिपका दें। लेंस का मध्य भाग ही खुला रहे। ऐसा करने से प्रतिबिंब साफ दिखता है।
2. बेलनाकार पाइप के दो टुकड़े लें। बड़े पाइप के दाएं सिरे पर लेंस को मध्य में फिक्स करें। फेविकॉल या टेप का उपयोग करें।
3. एक मोटे गत्ते में इतना बड़ा छेद करें कि उस छेद पर बल्ब लेंस फिट हो सके। एक दूसरा कागज़ लें। इस कागज़ में बल्ब से छोटा छेद करके ऐसे चिपकाएं कि बल्ब फिक्स हो जाए। ध्यान रखें बल्ब का मोम वाला सिरा ऊपर की ओर रहे, मध्य में न हो।
4. इस तैयार बल्ब का गत्ता छोटे पाइप के बाएं ओर के सिरे पर बीचों-बीच फिक्स कर दें।
5. छोटे गत्ते को बड़े गत्ते में फंसाएं।
6. बल्ब को आंख के पास रखते हुए सामने की किसी वस्तु, पेड़, या व्यक्ति को देखें। दोनों पाइप एक दूसरे से दूर करें, ऐसा करने से लेंसों की दूरी बढ़ेगी। ऐसा करते हुए वस्तु का उल्टा प्रतिबिंब बनेगा और आप उसे स्पष्ट देख सकेंगे।

दूर की वस्तु के लिए दोनों लैंस आवश्यकतानुसार पास करें। पास की वस्तु के लिए इनके बीच की दूरी बढ़ाकर फोकस करें। बस बन गया आपका वॉटर बल्ब लेंस दूरदर्शी।
इससे आप चन्द्रमा की सतह की विशेषताएं भी देख सकेंगे। बाज़ार में मिलने वाले साधारण दूरदर्शी के मुकाबले यह कहीं बेहतर है।


उमेश चन्द्र चौहान: वर्तमान में टिमरनी तहसील की बिच्छापुर स्थित प्राथमिक शाला में पढ़ाते हैं। काफी लंबे समय तक होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम से बतौर स्रोत शिक्षक जुड़े रहे हैं। इसी वर्ष उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार मिला है।
इस लेख के सभी चित्र उमेश ने स्वयं बनाए हैं।