सवाल: पानी का कोई रंग क्यों नहीं होता है?

-शासकीय आश्रमशाला बिजुधावड़ी, धारणी, ज़िला अमरावती, महाराष्ट्र

जवाब: आम अवलोकन के हिसाब से तो बात सही है कि पानी का कोई रंग नहीं होता लेकिन बारीकी-से देखा जाए तो पानी का रंग हल्का नीला होता है। खैर, सवाल का एकदम आसान-सा जवाब यह है कि पानी रंगहीन प्रतीत होता है क्योंकि वह सूर्य के प्रकाश में उपस्थित सारे रंगों को अपने में से होकर गुज़र जाने देता है। आइए, बात को थोड़ा विस्तार में समझते हैं।

जब प्रकाश का कोई पुंंज किसी वस्तु पर पड़ता है तो निम्नलिखित में से कुछ भी हो सकता है। प्रकाश पुंंज परावर्तित हो सकता है, प्रकाश पुंंज का अवशोषण हो सकता है या वह प्रकाश पुंज पदार्थ में से आर-पार निकल सकता है। प्राय: जो होता है, वह इन तीनों का अलग-अलग अनुपात में सम्मिश्रण होता है। दूसरे शब्दों में, कुछ प्रकाश परावर्तित होता है, कुछ अवशोषित होता है, जबकि कुछ आर-पार निकल जाता है।

यह तो आपको पता ही होगा कि सामान्य सूर्य के प्रकाश का एक छोटा-सा हिस्सा ही ऐसा होता है जो दृश्य है, प्रकाश का एक बड़ा हिस्सा हमारी दृश्य क्षमता से बाहर होता है। फिलहाल, हम दृश्य प्रकाश की बात कर रहे हैं। यह दृश्य प्रकाश स्वयं भी कई रंगों से मिलकर बना होता है। मोटे तौर पर कहें तो सूर्य के प्रकाश में सात रंग होते हैं जिसे हम वर्णक्रम के नाम से जानते हैं।

किसी भी पदार्थ या वस्तु का रंग इस बात से तय होता है कि वह वर्णक्रम में उपस्थित रंगों में से किसको कितना परावर्तित करती है, अवशोषित करती है या पार निकलने देती है। तो यदि कोई पदार्थ या वस्तु सारे रंगों को सोख ले तो वह काली नज़र आएगी। और यदि वह सारे रंगों को परावर्तित कर दे तो वह सफेद नज़र आएगी। यदि वह सारे रंगों को पार निकलने दे तो वह पारदर्शी-रंगहीन दिखेगी। यदि वह कुछ रंगों को अवशोषित कर ले और कुछ को परावर्तित करे तो वह उस रंग की नज़र आएगी जिसे उसने परावर्तित किया है। यदि वह कुछ रंगों को अवशोषित कर ले और कुछ को पार जाने दे तो वह पारदर्शी और उस रंग की नज़र आएगी जिसे उसने पार जाने दिया है।

कोई पदार्थ किन रंगों को सोख लेगा, यह उसकी रासायनिक रचना पर निर्भर होता है। आम तौर पर पदार्थ प्रकाश को सोखते हैं क्योंकि प्रकाश-ऊर्जा का उपयोग उनमें उपस्थित इलेक्ट्रॉनों को उत्तेजित करने में होता है। हर ऐसा उत्तेजन किसी विशिष्ट ऊर्जामान से जुड़ा होता है। चूँकि, प्रकाश के विभिन्न रंगों की ऊर्जा अलग-अलग होती है, इसलिए अलग-अलग इलेक्ट्रॉन उत्तेजना के लिए अलग-अलग रंग का प्रकाश सोखा जाता है।

पानी के अणु की सारी इलेक्ट्रॉन उत्तेजनाएँ जिस ऊर्जामान पर होती हैं, वे दृश्य प्रकाश के परास यानी रेंज में नहीं हैं। इसलिए पानी प्रकाश सोखता भी है तो उसका दृश्य प्रकाश पर कोई असर नहीं होता।

अलबत्ता, पानी के अणुओं का एक परिवर्तन ज़रूर लाल रंग वाले हिस्से में कुछ प्रकाश अवशोषण करता है। यह जो परिवर्तन होता है, वह इलेक्ट्रॉनों के उत्तेजित होने के कारण नहीं बल्कि पानी में ऑक्सीजन-हाइड्रोजन बन्धनों के कम्पन के कारण होता है (चित्र-2)। वर्णक्रम के लाल वाले हिस्से में कुछ प्रकाश सोखकर ये कम्पन तेज़ हो जाते हैं। अत: जो प्रकाश पानी में से बाहर निकलता है, उसमें लाल रंग थोड़ा कम हो जाता है। इस वजह से पानी की रंगत गैर-अवशोषित बचे हुए रंगों की वजह से होती है। पूरे वर्णक्रम में से लाल रंग को हटा दें तो प्रकाश थोड़ा नीला नज़र आएगा।

सामान्यत: हमें पानी रंगहीन ही लगता है। लेकिन लाल रंग के थोड़े अवशोषण के कारण पानी में नीली रंगत होती है। इसे देखने के लिए आपको थोड़ा जुगाड़ करना पड़ेगा। एक लम्बी सीधी नली (जैसे पीवीसी पाइप) लीजिए। उसमें पानी भरकर दोनों मुँह को पारदर्शी प्लास्टिक से बन्द कर दीजिए। अब एक सिरे पर सफेद प्रकाश डालिए और दूसरे सिरे से देखिए।

समुद्र का नीलापन भी इसी वजह से होता है कि पानी के अणु लाल वाले प्रकाश को सोख लेते हैं और हमें शेष बचा प्रकाश देखने को मिलता है। यह शेष प्रकाश अणुओं से टकराकर इधर-उधर बिखरते हुए सतह पर पहुँचता है।

पानी के रंग को लेकर एक रोचक बात और सुनिए। आपने भारी पानी (गुरूजल) का नाम तो सुना ही होगा। रासायनिक रूप से तो यह पानी ही होता है लेकिन इसमें सामान्य हाइड्रोजन के स्थान पर हाइड्रोजन का भारी समस्थानिक (ड्यूटीरियम) होता है। इस वजह से इसके ऑक्सीजन-हाइड्रोजन (ड्यूटीरियम) बन्धन के कम्पन थोड़ी अलग ऊर्जा को सोखते हैं जो दृश्य प्रकाश में नहीं मिलती। इसलिए भारी पानी सचमुच रंगहीन होता है।

यह सब बातें शुद्ध पानी के बारे में थीं। अशुद्धियाँ या शैवाल या अन्य जीव-जन्तु पानी को अपने रंग में रंग देते हैं - पानी रे पानी, तेरा रंग कैसा, जिसमें मिला दो, लगे उस जैसा।


कोकिल चौधरी: संदर्भ पत्रिका से सम्बद्ध हैं।
अँग्रेज़ी से अनुवाद एवं सम्पादन: सुशील जोशी: एकलव्य द्वारा संचालित स्रोत फीचर सेवा से जुड़े हैं। विज्ञान शिक्षण व लेखन में गहरी रुचि।