चारुदत्त नवरे

भाग-6  पुस्तक अंश

चलो, थोड़ा पहले के समय में चलते हैं। लगभग 2.3 अरब साल पहले, पृथ्वी ने अपने इतिहास की महानतम सामूहिक विनाशकारी एवं विलुप्तकारी घटनाओं में से एक को देखा।

साइनोबैक्टीरिया नामक बैक्टीरिया की एक जाति उससे कुछ ही पहले नज़र में आई थी - लगभग 20 करोड़ साल पहले।

साइनोबैक्टीरिया प्रकाश संश्लेषण द्वारा ऊर्जा प्राप्त कर एक बायप्रोडक्ट के रूप में गैसीय ऑक्सीजन बनाते थे।

उस समय मौजूद जीवों के एक बड़े हिस्से के लिए ऑक्सीजन विषाक्त थी, और इन ज़हरीली साँस छोड़ने वाले बैक्टीरिया के कारण ही एक बड़े पैमाने पर जीव-विलुप्तता हुई।

ऑक्सीजन अभी भी पृथ्वी पर मौजूद जीवन के लिए विषाक्त ही है। वायुजीवी (aerobic) जीव जो इसे सहन कर सकते हैं या फिर जिन्हें ऑक्सीजन की ज़रूरत होती है, के पास ऑक्सीजन के हानिकारक प्रभावों को सम्भालने एवं सहने के लिए विशिष्ट तरीके एवं तंत्र होते हैं। अवायुवीय (anaerobic) जीव कम ऑक्सीजन वाली जगहों में सीमित हो गए जैसे गहरे पानी की तलछट, जानवरों के पाचन तंत्र के कुछ विशेष हिस्से, आदि।

इस ऑक्सीजन-जनित तबाही के लगभग डेढ़ अरब साल बाद, एक साइनो-बैक्टीरियल कोशिका को प्रारम्भिक यूकेरियोटिक कोशिका ने निगल लिया और बाहरी तत्व होने के बावजूद किसी तरह यह साइनोबैक्टीरिया विनाश से बच गया।

वह यूकेरियोटिक कोशिका में ही रहने लगा, जिसे एंडोसिम्बायोटिक या एंडो-सहजीविता घटना कहा जाता है। सहजीवन एक ऐसा सम्बन्ध है जिसमें दोनों साझेदारों को लाभ मिलता है, और एंडो शब्द का मतलब है एक कोशिका के अन्दर रहने वाली दूसरी कोशिका।

साइनोबैक्टीरियल कोशिका ने अपनी मेज़बान कोशिका को प्रकाश संश्लेषण करने की क्षमता प्रदान की और मेज़बान कोशिका ने इसे आश्रय प्रदान किया।

इस प्रयोग से दोनों कोशिकाओं को फायदा हुआ और इस तरह से यह जैवउद्विकास में अविश्वसनीय रूप से सफल हुआ। यूकेरियोटिक कोशिका ने अन्य किस्मों के साथ-साथ भूमि पर पाए जाने वाले पौधों और लाल शैवाल को जन्म दिया।

पृथ्वी पर एंडो-सहजीविता कई बार पनपने की वजह से लगता है कि विकास का झुकाव एक ही समाधान की ओर स्वतंत्र रूप से कई बार गया है।
इसी को विकासपरक जीवविज्ञानी एक सार्वभौमिक विशेषता कहते हैं।

कई अन्य, विशिष्ट फीचर भी हैं; जो प्रकृति में थोड़े सांयोगिक हैं। क्या क्लोरोफिल वर्णक को हरा ही होना था? सूरज की रोशनी कई अलग-अलग रंगों से मिलकर बनती है - लाल से लेकर, हरे, नीले तक।

पौधे, जन्तु, कवक, सभी की कोशिकाओं में
माइटोकॉण्ड्रिया पाया जाता है।

पृथ्वी पर एंडो-सहजीविता कई बार पनपने की वजह से लगता है कि विकास का झुकाव एक ही समाधान की ओर स्वतंत्र रूप से कई बार गया है।
इसी को विकासपरक जीवविज्ञानी एक सार्वभौमिक विशेषता कहते हैं।

कई अन्य, विशिष्ट फीचर भी हैं; जो प्रकृति में थोड़े सांयोगिक हैं। क्या क्लोरोफिल वर्णक को हरा ही होना था? सूरज की रोशनी कई अलग-अलग रंगों से मिलकर बनती है - लाल से लेकर, हरे, नीले तक।

सूरज अपनी अधिकांश ऊर्जा प्रकाश के सबसे प्रत्यक्ष वर्णक्रम के बीच में डालता है - हरा।

तो एक सौर-संचालित पत्ती को अधिकतम फायदे हेतु काम के लिए अधिक-से-अधिक हरा प्रकाश अवशोषित करना चाहिए। जब आप हरे प्रकाश को अवशोषित करते हैं तो आप लाल और नीले प्रकाश को परावर्तित करते हैं, जो मिलकर बैंगनी बनाते हैं।

यह समझ में आता है कि प्रकाश संश्लेषण करने वाले जीव लाल प्रकाश परावर्तित करेंगे एवं अन्य तरंगदैर्ध्य अवशोषित करेंगे।

एक अन्य तथ्य - विद्युत चुम्बकीय विकिरण की ऊर्जा, तरंगदैर्ध्य के व्युत्क्रमानुपाती होती है। लाल प्रकाश जिसकी तरंगदैर्ध्य सबसे लम्बी होती है, की ऊर्जा सबसे कम होती है।

यदि आप किसी को एक साफ ड्रॉइंग बोर्ड देते हैं और उनसे एक प्रकाश संश्लेषण करने वाले जीव को बनानेे के लिए कहते हैं तो वे इसे बैंगनी या लाल बनाएँगे। लेकिन जैवउद्विकास एक साफ ड्रॉइंग बोर्ड या एक प्लान के साथ शुरू नहीं होता है। उद्विकास में जो जीव उस समय हैं, बस उनमें से कुछ ‘चुने’ जाते हैं।


चारुदत्त नवरे: होमी भाभा सेंटर फॉर साइंस एजुकेशन (एच.बी.सी.एस.ई.), मुम्बई में शोध छात्र हैं। आइकेन चिकित्सा स्कूल, न्यू यॉर्क और एन.सी.एल, पुणे से शोध का अनुभव। उनके द्वारा तैयार की गई यह पुस्तक एकलव्य से शीघ्र प्रकाशित होने वाली है।

सभी चित्र: रेशमा बर्वे: अभिनव कला महाविद्यालय, पुणे से वाणिज्यिक कला में पढ़ाई। कई पुस्तकों का चित्रांकन किया है।

अँग्रेज़ी से अनुवाद: कोकिल चौधरी: संदर्भ पत्रिका से सम्बद्ध हैं।