शहर की भीड़ भरी ज़िन्दगी बहुत ही तनाव पूर्ण होती है जिसके कारण हार्मोन स्तरों में बदलाव हो रहा है साथ ही प्रतिरक्षा प्रणाली पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। अब एक पक्षी ग्रेट टिट (Parus major) पर हुए नए शोध से पता लगा है कि यह परिवेश बुढ़ाने की प्रक्रिया को भी तेज़ कर सकता है।
शहरी परिवेश बुढ़ाने की प्रक्रिया को कैसे प्रभावित करता है इसे जांचने के लिए शोधकर्ताओं ने चिड़िया के चूज़ों पर शोध किया। ये चूज़े शहरों या गांवों में रहने वाले पक्षियों के चूज़े थे। इन्हें शहरी और ग्रामीण माता-पिता के साथ रखा गया। 15 दिनों तक अवलोकन करने के बाद शोधकर्ताओं ने प्रत्येक चूज़े के रक्त का नमूना लिया और कोशिकाओं में टीलोमेयर की लंबाई नापी। टीलोमेयर का सम्बंध उम्र से होता है। प्रत्येक गुणसूत्र के सिरों पर उपस्थित टीलोमेयर गुणसूत्र को नुकसान से बचाता है। प्रत्येक कोशिका विभाजन के बाद टीलोमेयर की लंबाई कम होती जाती है।

बायोलॉजी लेटर्स शोध पत्रिका में अपने शोध पत्र में उन्होंने बताया है कि शहरी क्षेत्रों में पले चूज़ों के टीलोमेयर का आकार औसतन अपेक्षाकृत छोटा था। चाहे उनका जन्म स्थल कोई भी हो मगर शहरी वातावरण में पले चूज़ों के टीलोमेयर गांवों में पले चूज़ों की अपेक्षा 11 प्रतिशत छोटे थे।
कोशिकीय स्तर पर टीलोमेयर की लंबाई को उम्र का द्योतक माना जाता है। यह भी देखा गया है कि टीलोमेयर में क्रमिक गिरावट की वजह से उम्र सम्बंधी परेशानियां पैदा होती हैं। जैसे यकृत रोग या हृदय व रक्त संचार से सम्बंधित बीमारियां।
शोध के परिणाम बताते हैं कि शहरी प्रदूषण तनाव बढ़ने का कारण है जिसकी वजह से डीएनए को नुकसान पहुंचता है। हो सकता है कि ग्रेट टिट के चूज़ों में कोशिकीय उम्र में गिरावट का कारण भी यही है। वैसे अभी यह साफ नहीं है कि यह स्थिति कितनी व्यापक है मगर संभव है कि मनुष्य समेत समस्त शहरी जीवों में छोटा टीलोमेयर कमतर औसत आयु का सबब हो। (स्रोत फीचर्स)