कीटों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें तितलियां, मक्खियां, चींटियां, कॉकरोच वगैरह शामिल हैं। एक टिड्डेनुमा कीट है मैन्टिस। इनकी विशेषता यह है कि इन्हें देखकर ऐसा लगता है मानो ये प्रार्थना कर रहे हैं। इसलिए इनका नाम प्रेयिंग मैन्टिस (प्रार्थनारत मैन्टिस) पड़ा है।
हाल ही में इंसेक्ट सिस्टेमैटिक्स एंड इवॉल्यूशन नामक शोध पत्रिका में मैन्टिस की एक नई प्रजाति का विवरण प्रस्तुत हुआ है - जीव वैज्ञानिक नाम है इलोमैन्टिस गिंसबर्गे (Ilomantis ginsburgae)। यह मैडागास्कर में पाया जाता है और पत्तियों पर रहता है। महत्वपूर्ण बात यह नहीं है कि मैन्टिस की एक नई प्रजाति खोजी गई है। महत्वपूर्ण बात है कि इसे किस आधार पर एक अलग प्रजाति के रूप में पहचाना गया है।
पारंपरिक तौर पर कीट प्रजातियों के वर्गीकरण में नर जनन-अंगों की रचना को आधार बनाया जाता है। जैसे हुक आकार के शिश्न वाले कीटों को एक प्रजाति में रखा जाएगा, जबकि थोड़े ज़्यादा मुड़े हुए जननांग वाले कीट एक अलग प्रजाति माने जाएंगे। नर जननांग को आधार बनाने का कारण यह रहा है कि उनका अवलोकन ज़्यादा आसान है और उनमें बहुत विविधता पाई जाती है।

मगर इलोमैन्टिस गिंसबर्गे की एक अलग प्रजाति के रूप में पहचान मादा जननांग के आकार के आधार पर की गई है। शोध पत्र में बताया गया है कि इस मैन्टिस के नाम में गिंसबर्गे शब्द दरअसल यूएस सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश रुथ बेडर गिंसबर्ग के नाम से लिया गया है। गिंसबर्ग जेंडर समानता की सशक्त समर्थक थीं और हमेशा अपनी पोशाक में ऐसी कॉलर पहनती थीं जो किसी कीट की गर्दन की प्लेट जैसी दिखती थी।
शोधकर्ताओं का विचार है कि वर्गीकरण में मात्र नर जननांग से आगे बढ़कर मादा जननांग व अन्य लक्षणों का उपयोग करने से प्रजातियों के बीच भेद करने में आसानी होगी और वर्गीकरण के काम में मदद मिलेगी। (स्रोत फीचर्स)