पुरुषोत्तम खांडेकर

अम्ल और क्षार पहचानने के लिए लिटमस कागज़, फिनोफ्थलीन, मिथाइल ऑरेंज जैसे सूचक ही आवश्यक हैं क्या? हमारे आसपास जो इतने सारे सूचक बिखरे रहते हैं उनमें से कुछ इस्तेमाल करते हुए भी अम्ल-क्षार पहचानने की कोशिश की जा सकती है

इस प्रयोग के लिए जरूरी चीजें

सफेद कागज़, लाल जासौन का फूल, पानी, इमली, कपड़े धोने का सोडा, खाने का सोडा, नमक, शक्कर, नींबू, चूना, आंवला और डिटर्जेंट पाउडर।

विधि : सफेद कागज़ के टुकड़े पर लाल जासौन की पंखुड़ी घिसिए ताकि कागज़ रंगीन बन जाए। ध्यान रहे कि कागज़ का हर हिस्सा समान रूप से रंगा जाए। इस कागज़ को धूप में सुखाकर उसके दो बराबर टुकड़े कीजिए। एक टुकड़े पर नींबू का रस मलिए। टुकड़े का रंग बदलता है। इस टुकड़े को भी सुखाइए। दूसरे को वैसे ही रहने दीजिए - जासौन के रंग में रंगा। अब आपके पास दो रंगों के टुकड़े हो गए। इनकी सात-आठ पट्टियां काट लीजिए।

अब साबुन, सोडा आदि वस्तुओं के अलग-अलग घोल पानी में बनाइए - इमली, आंवला जैसी वस्तुओं के घोल बनाने के लिए इनके टुकड़े कर पानी में कुछ समय भिगो कर रखना होगा। हर घोल के लिए साफ पानी अलग से लीजिए। इन घोलों को दोनों रंगों की पट्टियों पर लगाना है, और पट्टियों के रंग पर इनका क्या प्रभाव पड़ता है यह देखना है। अपने इस निरीक्षण को इस तरह की तालिका में दर्ज़ कीजिए।

इस प्रयोग से क्या पता चला?

इसे जासौन के फूल के अलावा हल्दी से भी किया जा सकता है। जब हल्दी इस्तेमाल करें तो पहले जैसे ही प्रक्रिया करनी होगी - हल्दी के घोल से कागज़ रंगकर उसे सुखाकर दो टुकड़ों में काट ले। एक टुकड़े को साबुन(न कि डिटर्जेन्ट) के घोल से गीला कर लें। बाकी का काम बिल्कुल ऊपर जैसे ही करना है। इसी तरह से आप विद्यार्थियों के साथ मिलकर ढूंढने की कोशिश कर सकते हैं कि और कौन-कौन-सी ऐसी चीजें हैं अपने आस -पास जिन्हें इस तरह सूचक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।


हो. पुरुषोत्तम अडिकर, नागपुर