अंक 12 में हमने आपसे ज़मीन पर रखे पंखे द्वारा फेंकी जा रही हवा के तापमान के बारे में एक सवाल पूछा था।

तस्‍वीर में दिखाए मुताबिक थर्मामीटर को चल रहे पंखे के सामने रखा और उसका तापमान नोट किया। फिर उसी थर्मामीटर को उस चलते हुए पंखे के पीछे रखा और उसका तापमान नोट किया।

आपको यह बताना था कि कौन-सी स्थिति में तापमान कम या ज्‍़यादा होगा या दोनों अवलोकन बराबर होंगे।

हमारे ऑफिस के सामने रहने वाले दो बच्‍चे एक दिन ऑफिस आए। उनमें से एक बच्‍चा कहने लगा, ‘’भैयाजी हमारे घर का पंखा गरम हवा फेंकता है लेकिन इसके घर का (साथी की ओर इशारा करके) पंखा अच्‍छी ठंडी हवा देता है। हमारे घर के पंखे को क्‍या हो गया है?’’

मैं यह तमाम बात बड़े ध्‍यान से सुन रहा था। इतने में दूसरा लड़का बोल पड़ा, ‘’हमारा पंखा नया है बड़ा फास्‍ट चलता है, सलिए ठंडी हवा देता है। इनका पंखा पुराना है इसलिए गरम हवा देता है।‘’

मुझे यह सब सुनकर थोड़ा भी आश्‍चर्य नहीं हुआ क्‍योंकि हम में से ज्‍़यादातर लोग यही मानते हैं कि पंखे से आ रही हवा ठंउी होती है। लेकिन यह बात सही है या गलत इस बात का पता बहुत कम लोग लगाते हैं। आइए कुछ प्रयोग करके यह पता करने की कोशिश करते हैं कि पंखे की हवा ठंडी होती है या नहीं।

दो थर्मामीटर वाला प्रयोग
किसी टेबिल पंखे के सामने और पीछे एक-एक साधारण थर्मामीटर लटकाइए। अब पंखे को शुरू कीजिए और थोड़ी-थोड़ी देर बाद थर्मामीटर का तापमान देखते रहिए। आप देखेंगे कि काफी देर बाद भी पंखे के सामने रखे थर्मामीटर का तापामन उतना ही रहता है जितना पंखे के पीछे रखे थर्मामीटर का तापमान है। आप ज़रूर इसे खुद करके देखिएगा।

अगर बहुत ही संवेदनशील थर्मामीटर इसतेमाल किया जाए तो शायद पंखे के सामने रखने पर तापमान थोड़ा-सा ज्‍़यादा ही होगा- तेज़ बहती हवा के घर्षण की वजह से।

तो फिर हवा ठंडी क्‍यों लगती है?
अब तक तो आप भी यह सोचने लगे होंगे कि प्रयोग के परिणाम तो आपकी राय के विपरीत जा रहे हैं पंखे के सामने और पीछे हवा का तापमान एक जैसा ही है। तो क्‍या पंखे की हवा ठंडी नहीं होती?

चलिए इस बात को समझने की कोशिश करते हैं। आमतौर पर हम गरमी के दिनों में पसीने से तरबतर हालत में पंखे के सामने आते हैं। पंखे से आ रही तेज़ हवा हमारे पसीने से टकराकर पसीने का वाष्‍पन तेज़ी से करती है।

वाष्‍पन की इस क्रिया के दौरान पसीना हमारे शरीर की कुछ उष्‍मा को सोखकर वाष्पित होता है फलस्‍वयप त्‍वचा का बाहरी हिस्‍सा ठंडक महसूस करता है। चूंकि गरमी के दिनों में हमारे आसपास के वातावरण की हवा शुष्‍क होती है इसलिए इस सूखी हवा मे पसीने का वाष्‍पीकरण तेजी से हो जाता है1 लेकिन बरसात के दिनों में जबकि आसपास के वातावरण में आर्द्र हवा होती है पसीने का वाष्‍पीकरण काफी धीमे-धीमे होता है, इसलिए हमें पंखे की हवा उती ठंउी नहीं लगती।

एक और बात पर गौर करना ज़रूरी है कि चाहे बरसात का मौसम हो या दिसम्‍बर की ठिठुरती ठंड, हमारी चमड़ी की ग्रंथियां लगातार पसीना स्रावित करती ही रहती हैं- गर्मी के मौसम की अपेक्षा काफी कम, परन्‍तु निरन्‍तुर, लगातार। इलिए पंखे के सामने बैठने पर हमें हवाठंडी लगती ही है, मौसम काई भी हो।

हो सकता है आप अभी भी हमारी दलील को स्‍वीकार नहीं कर पा रहे हों। तो आइए एक और प्रयो करके देख लेते हैं कि हमारी दलील में कितनी दम हैं।

एक नया प्रयोग
पहले प्रयोग की तरह दो साधारण साधारण थर्मामीटर लेते हैं एक को पंखे के सामने ओर दूसरे को पंखे के पीछे लटकाते हैं। पंखे के सामने वाले थर्मामीटर पर एक छोटा सा गीला कपड़ा लपेटते हैं और पंखे के पीछे वाला थर्मामीटर ज्‍यों का त्‍यों रहने देते हैं कि अब पंखा चलाने पर हम देखते हैं कि पीछेवाले थर्मामीटर का तापमान तो स्थिर है लेकिन पंखे के सामने वाला थमा्रमीटर तापमान में गिरावट दिखा रहा है। याहं भी तो गीले कपड़े का पानी थर्मामीटर से उष्‍मा लेकर वाष्‍पन कर रहा है। क्‍या यह हमारे पसीने से भीगे बदन जैसी घटना नहीं है?

एक छोटा-सा सवाल:
और आखिर में एक छोटा-सा सवाल। मैंने एक प्रयोग के दौरान पानी का तापमान जांचने के लिए तापमापी को पानी में डुबोया। कुछ देर बाद पानी में रखे-रखे तापमान नोट किया। फिर तापमापी को पानी से बाहर निकाला तो देखते ही देखते तापमान एकदम से गिरने लगा- थोड़ी ही देर में तापमान फिर से बढ़ना शुरू हो गया।

अगर आपने यह प्रयोग किया या करवाया हो तो आपके भी ऐसे ही अवलोकन हाए होंगे- बता सकते हैं क्‍यों? अपने जवाब हमें ज़यर लिख भेजिए। इस पते पर संदर्भ, द्वारा एकलव्‍य, कोठी बाजार होशंगाबाद, 461001.