बीजों को बोना और उनका अंकुरित होना हम सबके लिए काफी आम बात है। वैसे अंकुरण के लिए किन्हीं खास परिस्थितियों की जरूरत होती है। जैसे कुछ बीज तभी अंकुरित होते हैं अगर वे पर्याप्त रूप से सूख गए हों, शायद इस वजह से ताकि गुदेदार फल के भीतर ही अंकुरण न हो जाए। इसी तरह कुछ बीजों को अंकुरण के लिए रोशनी जरूरी है, तो कुछ बीजों का मिट्टी की परत के नीचे दबे रहना जरूरी है। कुछ रेगिस्तानी बीज बारिश का इंतजार करते हैं, जब बारिश होती है और बीज अच्छी तरह से पानी से सराबोर हो। जाते हैं तभी अंकुरण होता है उनमें। 

इन सब बातों से तो ऐसा लगता है कि बीज को तो अंकुरित होना ही है - जैसे ही उसे संकेत मिला कि अंकुरित होने के लिए उपयुक्त हालात हैं बस अंकुरण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
थोड़ी देर के लिए मान लीजिए बीज के अंकुरण के लिए उपयुक्त माहौल कई साल न मिले तो क्या होगा? 50-60 साल न मिले तो? तब तक क्या बीज की अंकुरण क्षमता खत्म नहीं हो चुकी होगी? क्या बीज पचास साल बाद भी अंकुरित होगा? आपको यह जानकर अचरज होगा कि कई बीजों में लंबे समय तक सो पाने (Dormancy) की खूबी होती है जिसकी वजह से बीज पचास साल तो क्या कभी-कभी हजारों साल तक जिंदा रहकर अंकुरण के लिए उपयुक्त माहौल का इंतज़ार कर सकते हैं।
सन् 1879 में एक प्रयोग के दौरान मिशिगन बीड (Michigan Weeds) की 20 प्रजातियों को 160 सालों के लिए सुरक्षित रखा गया। कुछ साल के अंतराल पर इन सब प्रजातियों के बीज अंकुरित करने की कोशिश की जाती है, यह देखने के लिए कि बीस में से कितनी तरह के बीज अभी भी अंकुरित हो रहे हैं। कुछ साल पहले जो आखिरी परीक्षण हुआ है उसमें देखा गया कि इनमें से तीन प्रजातियों के बीज अभी भी अंकुरित हो रहे हैं।
 
ल्यूपिनस आर्कटिकल का पौधाः एक खदान से मिले ल्यूपाइन के बीजों की उम्र रेडियो कार्बन विधि से दस हजार साल निकली। उपयुक्त माहौल दिए जाने पर ये बीज 48 घंटे में अंकुरित हो गए। अंकुरित बीज से बढ़कर बने एक पौधे का फोटो।

जापान के एक वनस्पति विज्ञानी को मंचुरिया (चीन) में 'पीट' (कोयला बनने की प्रांरभिक अवस्था) की परतों में कुछ बीज मिले थे जिनकी आयु रेडियो कार्बन विधि से 2000 साल आंकी गई थी। इन बीजों का कवच घिसकर जब उनमें पानी घुसने का मौका दिया गया तो सभी बीज अंकुरित हो गए। यह एक नया रिकॉर्ड था कि 2000 साल पुराने बीज भी अंकुरित हो सकते हैं।
परन्तु सन् 1967 में आर्कटिक टुंड्रा प्रदेश में पाए जाने वाले ल्यूपाइन के बीजों ने इस रिकॉर्ड को बहुत ही पीछे छोड़ दिया। ये बीज बर्फीले इलाके में एक खदान में पाए गए थे। इन बीजों की आयु लगभग दस हजार वर्ष आंकी गई है और उपयुक्त माहौल देने पर ये बीज 48 घंटों में अंकुरित हो गए।

हवाई और भूमिगत फूलः बाई तरफ कनकव्वा के पौधे के हवाई और भूमिगत फूल हैं और दाहिनी ओर खट्टी बूटी के। विस्तृत जानकारी पृष्ठ 15 पर।