पिछली बार आपसे यह सवाल पूछा था-- एक कार के सभी खिड़की दरवाज़े और हवा आने के सभी छेद बंद हैं। कार की पिछली सीट पर एक बच्चा हवा से हल्की गैस से भरा गुब्बारा लिए बैठा है। गुब्बारा हवा में तैर रहा है। अचानक कार स्टार्ट होकर आगे की ओर चल पड़ती है। आपको बताना था कि गुब्बारा अपनी जगह बना रहेगा, या पीछे जाएगा, या आगे की ओर जाएगा।
इस सवाल का कोई भी सही जवाब नहीं मिला। तर्क का इस्तेमाल करते हुए भी इस सवाल का जवाब ढूंढा जा सकता है, परन्तु यहां पर गुब्बारे पर लग रहे। बलों का विश्लेषण करते हुए जवाब खोजने का प्रयास किया गया है।

इस किस्म की समस्याओं का हल ढूंढने का कारगर तरीका यही होता है कि सबसे पहले वस्तुओं पर लगने वाले बलों का विस्तृत अध्ययन कर लिया जाए। क्योंकि अगर किसी वस्तु की अवस्था में बदलाव (प्रत्याशित या अप्रत्याशित) होता है तो यकीनन, इसका कारण उस वस्तु पर लगने वाले बलों में असंतुलन होता है।
तो पहले देखते हैं कि जब कार खड़ी हुई है उस समय फुग्गे पर कौन-कौन से बल लग रहे होते हैं। हम यह मान कर चल रहे हैं कि कार के सभी शीशे चढ़े हुए हैं। यानी कार पूरी तरह से बंद है ताकि बाहर की हवा के कारण फुग्गा हिले-डुले नहीं। ऐसी स्थिति में फुग्गे पर हवा का दबाव चारों तरफ से लगता है। (देखें चित्र क)
कार में बंद हवा, पानी की ही तरह एक तरल पदार्थ है। और तरल पदार्थों की यह विशेषता होती है कि उनके द्वारा अन्य वस्तुओं पर लगाया जाने वाला दबाव, गहराई के साथ बढ़ता जाता है। यानी फुग्गे के निचले हिस्से पर (ऊपर की दिशा में) लगने वाला हवा का दबाव, फुग्गे के ऊपरी भाग पर (नीचे की दिशा में) लगने वाले दबाव से अधिक होगा। फुग्गे के साइड में लगने वाले दवाव समान गइराई के कारण बराबर (किंतु विपरीत दिशा में) होंगे। इसलिए फुग्गे पर एक परिणामी दबाव ऊपर की दिशा में लगता है। यही दबाव उत्पलावन बल। (Buoyant Force) को जन्म देता है।

चूंकि फुग्गे में हवा से हल्की गैस भरी है, फुग्गे का भार (w), उत्पलावन बल (FBuoyant) से कम होता है। इसलिए अगर ऐसे फुग्गे को एक धागे से बांधकर न रखा जाए तो वह ऊपर उड़ जाता है।
FBuoyant  > w
FBuoyant - w = T
FBuoyant - w - T = 0
यहां पर 'टी' धागे का तनाव है। जो नीचे की दिशा में लगता है। और जिसके कारण कार जब रुकी हुई होती है तो फुग्गे पर लगने वाले सभी बलों का संतुलन बना रहता है।

आइए अब देखते हैं कि परिस्थिति में क्या बदलाव आता है जब कार स्टार्ट होकर आगे की ओर चल पड़ती है। जैसा कि आम अनुभव है गाड़ी के चलते ही उसमें मौजूद यात्री और वस्तुएं पीछे की ओर ढकेली जाती हैं। मानो कि उन सब पर पीछे की दिशा में, एक बल लग रहा हो। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गाड़ी के चलने से उसकी गति और उसमें बैठे लोगों और चीजों की गति में अंतर आ जाता है। गाड़ी तो चलने लगती है। पर उसमें मौजूद बाकी सब चीजें अपने जड़त्व के कारण कुछ पल के लिए उस दर से गति नहीं पकड़ पाती हैं। फलस्वरूप कार के सापेक्ष अन्य चीजें कुछ देर के लिए पीछे रह जाती हैं।
ऐसे में अगर कार में कोई व्यक्ति अपने आंख-कान बंद करके बैठा है तो उसे यह मालूम नहीं पड़ सकेगा कि गाड़ी चलने लगी है, पर उसे अचानक पीछे की दिशा में एक क्षणिक बल लगता महसूस होगा। यह कोई वास्तविक बल नहीं है। यह तो दरअसल एक छद्म बल (Pseudo Force) है। जिसे परिस्थितियों में बदलाव को समझने के लिए ईजाद करना पड़ेगा बशर्ते, हम यह मान लें कि गाड़ी अभी भी खड़ी है।

यानी पूरी समस्या को आप दो फर्क नजरिए से देख सकते हैं। पहले नजरिए में आप यह स्वीकारते हैं कि गाड़ी चलने लगी है। इस नज़रिए में किसी छद्म बल का कोई स्थान नहीं है। दूसरे नज़रिए में आप यह मान लेते हैं कि गाड़ी अभी भी खड़ी है, पर उसमें मौजूद चीजें तो पीछे की ओर ढकेली जाती हैं। इस तथ्य को चूंकि नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता, इसलिए परिस्थितियों को समझने के लिए हम एक बल के अस्तित्व को स्वीकार कर लेते हैं।
इस समस्या को समझने के लिए दूसरा नजरिया ज्यादा सुगम पड़ता है। इसलिए दूसरे नज़रिए के हिसाब से कार में सभी वस्तुओं पर अचानक पीछे की ओर एक बल लगने लगता है। इस छद्म बल को जड़त्व बल (Inertial Force) भी कहा जाता है। लगभग उसी तरह जिस तरह से गुरुत्व बल सभी वस्तुओं पर नीचे की ओर लगता है, यह जड़त्व बल फुग्गे पर भी लगता है और कार में मौजूद हवा के कणों पर भी।
हवा के कण जड़त्व बल के कारण पीछे ढकेले जाते हैं। पर कार के पिछले हिस्से से टकराने पर हवा के कण, कार के पिछले भाग में अगले भाग की तुलना में, कुछ पल के लिए अधिक इकट्ठे हो जाते हैं। यानी फुग्गे के पीछे की हवा का घनत्व आगे की तुलना में कुछ समय के लिए ज्यादा हो जाता है। अब अन्य गैसों की तरह हवा का दबाव भी उसके घनत्व पर निर्भर करता है। घनत्व जितना अधिक होगा, हवा का दबाव भी उतना ही अधिक होगा।*

*पहाड़ों पर हवा समुद्र तल की तुलना में विरल होती है। तभी तो समुद्र तल पर वायुमंडलीय दबाव पहाड़ों की अपेक्षा अधिक होता है।

यानी हवा के दबाव के कारण फुग्गे पर पीछे से लगने वाला बल (Fa), आगे से लगने वाले बल (F) से अधिक होगा। आइए अब फुग्गे पर लगने वाले बलों का लेखा-जोखा कर लेते हैं। फुग्गे पर ऊपर और नीचे की दिशा में लगने वाले बलः
---उत्पलावन बल (FBuoyant)
---फुग्गे का भार (w)
---धागे का तनाव (T)
जैसा कि हम देख चुके हैं, ये सभी बल एक-दूसरे को संतुलित किए हुए हैं।
फुग्गे पर आगे और पीछे की दिशा में लगने वाले बलः
---हवा के दबाव के कारण फुग्गे के पीछे ( आगे की ओर ) लगने वाला बल (Fa)
---हवा के दबाव के कारण फुग्गे के आगे ( पीछे की ओर ) लगने वाला बल (F)
---जड़त्व बल (Finertia)
 
चित्र ( ख ) में गुब्बारे पर लग रहे इन सब बलों को देखा जा सकता है। अब
FB> F,F
FB - FF =   air pressure
यानी हवा के दबाव के कारण फुग्गे पर आगे की दिशा में बल लगता है।
अब, चूंकि फुग्गे में भरी गैस हवा से हल्की है, जाहिर है इस गैस के कणों का जड़त्व, हवा के कणों के जड़त्व से कम होगा। अतः फुग्गे पर लगने वाला जड़त्व बल Fair pressure से कम ही रहता है। यानी Fair pressure > Finertia
फलस्वरूप, फुग्गे पर कुछ पल के लिए एक परिणामी बल आगे की दिशा में लगता है जिसके प्रभाव में फुग्गा अन्य वस्तुओं की तरह पीछे जाने के बजाए, आगे की ओर धकेला जाएगा।