किशोर पंवार

किशोर पंवारधों में फूलों के बाद हमारे मतलब का महत्वपूर्ण हिस्सा फल ही है। वैसे देखा जाए तो पौधों के लिए भी यह उतना ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी में बीज बनते हैं जो उनके जीवन को, वंश को चलायमान रखते हैं।
ऐसे तो पौधों के अन्य अंग भी कम आर्थिक महत्व के नहीं हैं। इस बात का अन्दाज़ा हमारे आस-पास बिखरे फूल मण्डी, सब्ज़ी मण्डी, अनाज मण्डी और घास मण्डी जैसे नामों से लगाया जा सकता है। यह बात अलग है कि सब्ज़ी मण्डी में अधिकतर फल ही बिकते हैं जैसे भिण्डी, टमाटर, बैंगन, लौकी, ककड़ी, कद्दू आदि।

अत: नाम के भ्रम में न पड़ते हुए काम की बात करते हैं। दरअसल, मुझसे सवाल किया गया है कि कटहल और अनानास कैसे फल हैं? ये सामान्य फल जैसे तो दिखते नहीं। और पेड़ पर लगते भी बड़े विचित्र तरीके से हैं, तनों पर झुण्ड में लटके हुए। एक बहुत मोटा डण्ठल और एक विशाल कँटीला फल। और फूल कभी दिखते नहीं, सीधे फल ही नज़र आते हैं। एक बात और बता दें कि कटहल के इस विचित्र फल को दुनिया का सबसे बड़ा वृक्ष-फल होने का खिताब हासिल है।

हम अपने परिवेश में तरह-तरह के फल देखते हैं और खाते हैं, जैसे फलों का राजा आम; जीभ को जामुनी कर देने वाले जामुन; हाथ और मुँह को काला करने वाले सिंघाड़े; रसीले तरबूज़-खरबूज़ और विटामिन-सी से भरपूर सन्तरा, मौसम्बी, नींबू; लम्बी हरी-जामुनी इल्लियों जैसे लटकते शहतूत; अंजीर, कँटीले अनानास और मोटी खुरदरी चमड़ी वाले कटहल। इनमें से कुछ शुरुआती नामों में तो कोई दिक्कत नहीं आती, परन्तु आखिरी उदाहरणों को फल मानने में ज़रा परेशानी आती है। फलों की इस बड़ी जमात को अध्ययन में सुविधा की दृष्टि से तीन श्रेणियों में बाँटा गया है - सरल फल, संयुक्त (compound) फल और संग्रथित (composite) फल। आइए देखें इन तीनों की क्या विशेषताएँ हैं। सरल फल एक फूल के, एक ही अण्डाशय से बनते हैं जैसे आम, टमाटर, पपीता, केला आदि।
एक फूल, अनेक अण्डाशय - एक संयुक्त फल

पुंजफल या संयुक्त फल ऐसे फूलों से बनते हैं जिनमें फूल के पुष्पासन पर एक से अधिक स्त्रीकेसर स्वतंत्र रूप से लगे होते हैं। इन फूलों के प्रत्येक अण्डाशय से छोटे-छोटे फल बनते हैं जो एक ही डण्ठल पर लगे होते हैं जैसे कमल, अकाव, शरीफा आदि। कमल गट्टे में प्रत्येक फल अलग-अलग होता है लेकिन शरीफा यानी सीताफल में फूल की अवस्था में तो पुष्प दण्ड पर अण्डाशय अलग-अलग होते हैं परन्तु फल बनते-बनते और पकते-पकते ये आपस में जुड़ जाते हैं और बाहर से देखने पर एक ही फल नज़र आता है। परन्तु यह एक संयुक्त फल है, इसका पता फल पर स्थित आँखों से (फल की सतह पर उभरी हुई रचनाएँ) लगाया जा सकता है। दरअसल, बोलचाल में हम जिसे आँख कहते हैं वे इस फल के अण्डाशय हैं। अत: प्रत्येक आँख एक फल है जिसमें एक काले रंग का बीज होता है। अत: जब हम सीताफल खाते हैं तो हमारे हाथ में एक संयुक्त फल होता है जिसमें से हम एक-एक, छोटा-छोटा फल निकाल कर खाते हैं।

सीताफल में तो ये अण्डाशय (उभार) साफ दिखते हैं परन्तु इसी फल की एक अन्य जाति रामफल में ये इतने जुड़ जाते हैं कि फलभित्ती लगभग चिकनी हो जाती है और अण्डाशयों की संख्या की जानकारी फलभित्ती पर दिखाई देने वाली धारियों से ही मिलती है। यानी रामफल के अण्डाशय सीताफल के अण्डाशयों की तुलना में जुड़ाव की अगली पायदान प्रदर्शित करते हैं।

कई फूल, कई अण्डाशय - एक कम्पोज़िट फल
अब हम आते हैं असली मुद्दे पर यानी तीसरी श्रेणी के तथाकथित फलों पर। इन फलों का निर्माण पुष्पक्रम (inflorescence) पर खिलने वाले कई सारे फूलों के अण्डाशय के आपस में जुड़ जाने से होता है। दरअसल, कई बार तो पूरा का पूरा पुष्पक्रम यानी फूलों का गुच्छा ही एक फल में बदल जाता है। पुष्पक्रम यानी वह डण्डी जिस पर क्रमश: फूल खिलते रहते हैं, इन पर स्थित फूलों/फलों का जुड़ाव कहीं कम तो कहीं इतना अधिक होता है कि जो फल बनता है उसके बारे में यह विश्वास करना ही बड़ा मुश्किल हो जाता है कि यह तो पूरा का पूरा संघनित (condensed) पुष्पक्रम है जिसे हम फल के नाम से खाते हैं।

गुच्छा फूलों का भी, फलों का भी
कम्पोज़िट फलों की यह कहानी शहतूत से शुरू होती है और अनानास से होकर कटहल पर समाप्त होती है जो पुष्पक्रम के विभिन्न हिस्सों के आपसी जुड़ाव की इन्तहा का उदाहरण है।
कम्पोज़िट फलों का सबसे उत्तम उदाहरण है रसीला और मीठा शहतूत। शहतूत के पेड़ पर नर व मादा पुष्पक्रम अलग-अलग खिलते हैं। फल मादा पुष्पक्रम से ही बनता है यानी हम जो खाते हैं वह शहतूत का मादा पुष्पक्रम है। शहतूत के पुष्पक्रम का मुख्य अक्ष, फूलों के परिदल पुंज (एक ही रंग-रूप की अंखुड़ियाँ और पंखुड़ियाँ) व अण्डाशय सभी मांसल व रसीले हो जाते हैं। अण्डाशय के अन्दर, एक शुष्क बीजी सूखा फल बनता है। यह पूरा का पूरा पुष्पक्रम तथाकथित फल के रूप में खाया जाता है।

इन फलों का दूसरा उदाहरण है अनानास यानी पाइनएपल। अनानास में पुष्पक्रम मिल-जुलकर एक बड़ा फल बनाता है। पुष्पक्रम के मुख्य अक्ष के चारों ओर डण्ठल रहित मादा फूल बहुत पास-पास लगे रहते हैं। निषेचन के बाद अण्डाशय, पुष्पक्रम का अक्ष, अंखुड़ी, सहपत्र आदि सभी मांसल व रसीले हो जाते हैं। मादा फूलों के बाहरी भाग आपस में चिपककर इस फल का एक बाहरी खुरदरा एवं कँटीला छिलका बनाते हैं। छिलके पर उपस्थित प्रत्येक षटभुजाकार आकृति एक मादा फूल का प्रतिनिधित्व करती है। पूरा-का-पूरा पुष्पक्रम (फल), चीड़ (पाइन) के मादा शंकु के समान दिखता है। हालाँकि यह चीड़ जैसा सूखा न होकर सेब जैसा रसीला एवं मांसल होता है। शायद इसीलिए इसे पाइनएपल नाम दिया गया है।

और अब कटहल। पेड़ों की दुनिया का सबसे बड़ा फल। ये पेड़ द्विलिंगी है अर्थात् नर व मादा पुष्पक्रम एक ही पेड़ पर लगते हैं। कटहल में रेकिस (पुष्पक्रम का मुख्य अक्ष) और फूल के सभी हिस्से यानी परिदल पुंज, सहपत्र एवं अण्डाशय मांसल होते हैं और आपस में इस तरह जुड़ जाते हैं कि उन्हें पहचानना तक मुश्किल हो जाता है। पूरा-का-पूरा कच्चा पुष्पक्रम सब्ज़ी के रूप में और पका, फल के रूप में खाया जाता है। कटहल का छिलका अनानास की तुलना में ज़्यादा एकसार होता है। मोटे-हरे छिलके पर कँटीली रचनाएँ अण्डाशय की वर्तिका का प्रतिनिधित्व करती हैं। छिलका रिण्ड (rind) कहलाता है। अनानास में बीज नहीं होते परन्तु कटहल में बड़े-बड़े बीज होते हैं जो बादाम जैसे स्वादिष्ट लगते हैं।
कटहल ‘मोरेसी’ परिवार का पेड़ है। पीपल और शहतूत भी इसी के रिश्तेदार हैं। कटहल पश्चिमी घाट का मूल निवासी है, अर्थात् यह पूर्णत: एक देसी पेड़ है।

इन विशिष्ट एवं विचित्र फलों की दास्तान तब तक पूरी नहीं हो सकती जब तक हम अंजीर, गूलर व पीपल के फलों की बात नहीं कर लेते। ये सभी फल सायकोनस कहे जाते हैं। ये सभी हायपैन्थोडियम (hypenthodium) नाम के पुष्पक्रम से बनते हैं। अनानास और कटहल के फूल तो पुष्पक्रम के बाहर ही खिलते हैं, परन्तु यहाँ तो हद ही हो गई है। इसमें पुष्प एक बन्द-खोखली गेंद के अन्दर की सतह पर बनते हैं और बाहर से कुछ नहीं दिखता।। यही कारण है कि इनको लेकर ऐसी धारणा बनी है कि गूलर में फूल नहीं होते, तभी तो एक अँग्रेज़ पादरी ने स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान मदन मोहन मालवीय के लिए लिखा था-
कहते हैं मालवीय जी,
हम होमरूल लेंगे,
दीवाने हो गए हैं,
गूलर का फूल लेंगे।
खैर, गूलर में भी फूल होते हैं। इस खोखली गेंद के अन्दर, केन्द्र में मादा फूल व इसके ऊपरी मुँह वाले भाग पर चारों ओर नर फूल लगे होते हैं। मादा फूलों का निषेचन होने पर अण्डाशय से एक बीजी एकीन फल (dry one-seeded fruit) बनते हैं और ये सैकड़ों एकीन फल और पुष्पक्रम एक कम्पोज़िट फल का निर्माण करते हैं। अत: हम जब पका अंजीर और गूलर खाते हैं तो एक पूरा-का-पूरा पुष्पक्रम, नर फूलों व फलों के साथ खाते हैं, और इसमें जो करकराहट महसूस होती है वह उसके एक बीजी फलों के कारण आती है। इसमें खाने योग्य भाग मुख्यत: रसीला मांसल पुष्पक्रम का अक्ष ही होता है। कुल मिलाकर यह भी कहा जा सकता है कि अंजीर, अनानास और कटहल प्रकृति के खाने योग्य रसीले, सुगन्धित, मीठे पुष्प गुच्छ अर्थात् प्रकृति के रसीले बुके हैं।


 किशोर पंवार: होल्कर साइंस कॉलेज, इंदौर में वनस्पति विज्ञान पढ़ाते हैं। विज्ञान लेखन में रुचि।