विक्रम चौरे

वर्नियर कैलिपर्स का नाम तो सभी ने सुना ही होगा। यह छोटी लम्बाई सटीकता से मापने वाला एक सरल यंत्र है। मैं जब दसवीं कक्षा की प्रैक्टिकल परीक्षा दे रहा था तब पहली बार मैंने इस यंत्र को देखा था। मौखिक प्रश्न पूछे जा रहे थे। मेरी बारी आई तो शिक्षक ने मुझसे टेबिल पर रखी सामग्री में से एक उठाने को कहा। मैंने वर्नियर कैलिपर्स उठाया। मुझसे पूछा गया कि ये क्या है। मुझे साथियों से पहले ही पता चल चुका था तो मैंने कहा वर्नियर कैलिपर्स। अगला प्रश्न पूछा गया कि इसकी खोज किसने की। इस प्रश्न का उत्तर मैं बता नहीं पाया।

खैर, आगे की कक्षाओं में आया तो देखा कि वर्नियर से किस तरह लम्बाई मापी जाती है। शिक्षक ने बताया कि इसमें दो तरह के स्केल होते हैं। बड़ा मुख्य स्केल तथा कुछ पास-पास खिंची लाइन वाला छोटा स्केल वर्नियर स्केल कहलाता है। किसी वस्तु की मोटाई मापने के लिए वस्तु को वर्नियर के दोनों दाँतों के बीच रखकर मुख्य स्केल की रीडिंग पढ़ते हैं। फिर वर्नियर स्केल पर देखते हैं कि उसकी कौन-सी लाइन मुख्य स्केल की किसी भी लाइन की सीध में है। जिस नम्बर की वह वर्नियर स्केल की लाइन होती है उसमें अल्पतमांक का गुणा करके प्राप्त मान को मुख्य स्केल की रीडिंग में जोड़ देते हैं। इस तरह हमारी रीडिंग आ जाती है।

मैं रीडिंग लेना सीख गया। कुछ समय बाद मैंने देखा कि इस विधि का उपयोग कई जगह किया जा रहा था। मुझे याद है मैंने इस विधि का उपयोग करके सूक्ष्मदर्शी की सहायता से केशिका नली के खोखले भाग का व्यास निकाला था। मेरे मन में सवाल उठा कि न तो मुख्य स्केल में इतनी कम लम्बाई पर कोई दो निशान हैं और न ही वर्नियर स्केल पर। फिर इस विधि में ऐसा क्या है कि हम इतनी छोटी लम्बाई भी माप सकते हैं जिस पर आँखें भी न टिक पाएँ।

एक दिन मैंने मुख्य स्केल, वर्नियर स्केल और किसी वस्तु की लम्बाई या मोटाई नापते समय उनकी स्थितियों में आने वाले अन्तर का अवलोकन करना शुरू किया। जिन लोगों से रीडिंग लेते नहीं बन रही थी मैं उनकी मदद करने लगा और मेरा भी काम चलता रहा। साथ ही शिक्षक भी खुश थे क्योंकि बार-बार उनके पास कोई पूछने नहीं जा रहा था। इन अवलोकनों से मैंने जो पता लगाया यह लेख उसी पर आधारित है।

प्रयोग की शुरुआत
20 सेंटीमीटर लम्बा और 10 सेंटीमीटर चौड़ा एक मोटा-सा चौकोर कागज़ (कार्ड) लीजिए। इसको बीच में से काटकर दो भाग कीजिए। अब आपके पास 10 सेंटीमीटर लम्बे और 10 सेंटीमीटर चौड़े दो कार्ड हैं।
इनमें से एक कार्ड लीजिए। उसके किनारे पर शुरु से आखिर तक 1-1 सेंटीमीटर की दूरी पर चित्र में दिखाए अनुसार पेन से निशान लगाइए।
आप देखेंगे कि कार्ड के छोरों को मिलाकर कुल 11 निशान बन गए हैं। इन निशानों को 0 से 10 तक नम्बर दे दीजिए।

दूसरे कार्ड पर लम्बाई के अनुदिश यानी लम्बवत पेन की सहायता से बीच में 9 सेंटीमीटर लम्बी एक रेखा खींचिए।
इस 9 सेंटीमीटर लम्बी रेखा को अब हमें दस समान भागों में बाँटकर निशान लगाना है। दस समान भागों में बाँटने के लिए हमें पेंसिल, चाँदे और परकार की आवश्यकता पड़ेगी।

अब जैसा कि चित्र में दिखाया गया है, इस रेखा के दोनों छोरों पर पेंसिल से बराबर-बराबर कोण बनाती हुई एक-एक रेखा खींचिए।
परकार में पेंसिल फँसाकर उसे अनुमान से थोड़ा-सा (अँगुली की मोटाई बराबर) खोल लीजिए।बराबर कोण बनाती हुई इन दोनों रेखाओं पर परकार की सहायता से कटान बिन्दुओं से शु डिग्री करते हुए निशान लगाते जाइए। प्राप्त सभी बिन्दुओं के बीच की दूरी क्रमश: बराबर होगी। यहाँ ध्यान रखें कि परकार को उतना ही खोलें कि दोनों रेखाओं पर 10-10 निशान बन जाएँ। साथ ही परकार जितना खुला है वह दूरी बदलना नहीं चाहिए।


चित्र में दिखाए अनुसार बिन्दुओं को मिला लें। आप देखेंगे कि आपकी 9 सेंटीमीटर लम्बी रेखा को 11 समान्तर रेखाएँ 10 समान भागों में विभाजित कर रही हैं।

इस तरह हमारी 9 सेंटीमीटर लम्बी रेखा के 10 समान भाग हो गए। ये 10 भाग ही हमें 1 मिलीमीटर लम्बाई नापने में सहायता करेंगे। अब अपनी 9 सेंटीमीटर लम्बी रेखा के एक ओर का चित्र मिटा दें और कटान बिन्दुओं को चित्र के अनुसार चिन्हित कर दें।

हमारी 9 सेंटीमीटर लम्बी रेखा जितनी लम्बी है कागज़ भी इसी के बराबर करने के लिए उसे दोनों तरफ से काट दें। चित्र में काटकर अलग किए जाने वाले हिस्से गहरे रंग से दिखाए गए हैं। ध्यान रहे कि रेखा पर लगे दोनों ओर के चिन्ह न कटने पाएँ।

दोनों ओर की पट्टियाँ काट देने के बाद हमारा दूसरा कागज़ सामने वाले चित्र की तरह दिखता है।

चिन्हों को 0 से 10 तक नम्बर दे दें। आप चित्र में दिखाए अनुसार पीछे एक रेखा खींचकर खण्ड भी बना सकते हैं। वैसे खण्ड बनाना आवश्यक नहीं है।

बाएँ ओर का आधा कागज़ काटकर फेंक दें। आपके पास बचा हुआ हिस्सा इस तरह दिखेगा।

अब हमारे पास एक बड़ा और एक छोटा कागज़ है। दोनों में अन्तर यह है कि बड़े कागज़ पर बना प्रत्येक खाना या डिब्बा 1 सेंटीमीटर लम्बा है या यूँ कहें कि बड़े कागज़ पर दो लाइनों के बीच की दूरी 1 सेंटीमीटर है। जबकि छोटे कागज़ पर बना प्रत्येक खाना या डिब्बा (1- 1/10) सेंटीमीटर लम्बा है। बड़े कागज़ पर हमने 10 सेंटीमीटर लम्बी लाइन को 10 समान भागों में बाँटा है जबकि छोटे कागज़ पर हमने 9 सेंटीमीटर लम्बी लाइन को 10 समान भागों में बाँटा है। इसलिए छोटे कागज़ पर बना प्रत्येक डिब्बा, बड़े कागज़ पर बने प्रत्येक डिब्बे से 0.1 सेंटीमीटर छोटा है।
आइए अब हम इन दोनों छोटे और बड़े कागज़ की मदद से मिलीमीटर जितनी कम दूरी की लम्बाई नापने की कोशिश करते हैं।

इस चित्र में बड़े और छोटे दोनों कागज़ोंें की शून्य की लाइनें मिली हुई हैं। अत: उनके बीच की दूरी 0.0 सेंटीमीटर है। हम इन कागज़ों में इन दोनों शून्य नम्बर की लाइनों के बीच की दूरी को नापना सीखेंगे। इस लम्बाई को हम सुविधा के लिए रीडिंग कह सकते हैं। इस चित्र में हमारी रीडिंग 0.0 सेंटीमीटर है।

इस चित्र में छोटे कागज़ की शून्य वाली लाइन थोड़ी आगे खिसक गई है। पिछले चित्र और इस चित्र की तुलना करने पर हम पाते हैं कि पहले दोनों कागज़ों के पहले डिब्बों के नीचे की लाइनें सीध में थीं लेकिन अब ऊपर की लाइनें सीध में आ गई हैं। यानी छोटे कागज़ का डिब्बा 1/10 सेंटीमीटर आगे बढ़ा है। ऐसी स्थिति में हमारी रीडिंग में 1/10 सेंटीमीटर यानी 0.1 सेंटीमीटर और जुड़ जाएगा। अत: इस चित्र में हमारी रीडिंग 0.0 + 0.1 = 0.1 सेंटीमीटर है।

इस चित्र में छोटे कागज़ की शून्य वाली लाइन थोड़ी और आगे खिसक गई। पिछले चित्र और इस चित्र की तुलना करने पर हम पाते हैं कि पहले दोनों कागज़ों के दूसरे डिब्बों के नीचे की लाइन सीध में थी लेकिन अब ऊपर की लाइन सीध में आ गई है। यानी छोटे कागज़ का डिब्बा 1/10 से.मी. आगे बढ़ा है। ऐसी स्थिति में हमारी रीडिंग में 1/10 सेंटीमीटर यानि 0.1 सेंटीमीटर और जुड़ जाएगा। अत: इस चित्र में हमारी रीडिंग 0.1 + 0.1 = 0.2 सेंटीमीटर है।


इस चित्र में छोटे कागज़ की शून्य वाली लाइन और भी आगे खिसक गई। पिछले चित्र और इस चित्र की तुलना करने पर हम पाते हैं कि पहले दोनों कागज़ों के तीसरे डिब्बों के नीचे की लाइन सीध में थी लेकिन अब ऊपर की लाइन सीध में आ गई है। यानी डिब्बा 1/10 सेंटीमीटर आगे बढ़ा है। ऐसी स्थिति में हमारी रीडिंग में 1/10 सेंटीमीटर यानी 0.1 सेंटीमीटर और जुड़ जाएगा। अत: इस चित्र में हमारी रीडिंग 0.2 + 0.1 = 0.3 सेंटीमीटर है।

इस चित्र में छोटे कागज़ की शून्य वाली लाइन और भी आगे खिसक गई। पिछले चित्र और इस चित्र की तुलना करने पर हम पाते हैं कि पहले दोनों कागज़ों के चौथे डिब्बों के नीचे की लाइन सीध में थी लेकिन अब ऊपर की लाइन सीध में आ गई है। यानी छोटे कागज़ का डिब्बा 1/10 सेंटीमीटर आगे बढ़ा है। ऐसी स्थिति में हमारी रीडिंग में 1/10 सेंटीमीटर यानी 0.1 सेंटीमीटर और जुड़ जाएगा। अत: इस चित्र में हमारी रीडिंग 0.3 + 0.1 = 0.4 सेंटीमीटर है।


इस चित्र में छोटे कागज़ की शून्य वाली लाइन और भी आगे खिसक गई। पिछले चित्र और इस चित्र की तुलना करने पर हम पाते हैं कि पहले दोनों कागज़ों के पाँचवें डिब्बों के नीचे की लाइन सीध में थी लेकिन अब ऊपर की लाइन सीध में आ गई है। यानी छोटे कागज़ का डिब्बा 1/10 सेंटीमीटर आगे बढ़ा है। ऐसी स्थिति में हमारी रीडिंग में 1/10 सेंटीमीटर यानी 0.1 सेंटीमीटर और जुड़ जाएगा। अत: इस चित्र में हमारी रीडिंग 0.4 + 0.1 = 0.5 सेंटीमीटर है।

इस चित्र में छोटे कागज़ की शून्य वाली लाइन और भी आगे खिसक गई। पिछले चित्र और इस चित्र की तुलना करने पर हम पाते हैं कि पहले दोनों कागज़ों के छठवें डिब्बों के नीचे की लाइन सीध में थी लेकिन अब ऊपर की लाइन सीध में आ गई है। यानी छोटे कागज़ का डिब्बा 1/10 सेंटीमीटर आगे बढ़ा है। ऐसी स्थिति में हमारी रीडिंग में 1/10 सेंटीमीटर यानी 0.1 सेंटीमीटर और जुड़ जाएगा। अत: इस चित्र में हमारी रीडिंग 0.5 + 0.1 = 0.6 सेंटीमीटर है।

इस चित्र में छोटे कागज़ की शून्य वाली लाइन और भी आगे खिसक गई। पिछले चित्र और इस चित्र की तुलना करने पर हम पाते हैं कि पहले दोनों कागज़ों के सातवें डिब्बों के नीचे की लाइन सीध में थी लेकिन अब ऊपर की लाइनें सीध में आ गई हैं। यानी छोटे कागज़ का डिब्बा 1/10 सेंटीमीटर आगे बढ़ा है। ऐसी स्थिति में हमारी रीडिंग में 1/10 सेंटीमीटर यानी 0.1 सेंटीमीटर और जुड़ जाएगा। अत: इस चित्र में हमारी रीडिंग 0.6 + 0.1 = 0.7 सेंटीमीटर है।


इस चित्र में छोटे कागज़ की शून्य वाली लाइन और भी आगे खिसक गई। पिछले चित्र और इस चित्र की तुलना करने पर हम पाते हैं कि पहले दोनों कागज़ों के आठवें डिब्बों के नीचे की लाइन सीध में थी लेकिन अब ऊपर की लाइन सीध में आ गई है। यानी छोटे कागज़ का डिब्बा 1/10 सेंटीमीटर आगे बढ़ा है। ऐसी स्थिति में हमारी रीडिंग में 1/10 सेंटीमीटर यानी 0.1 सेंटीमीटर और जुड़ जाएगा। अत: इस चित्र में हमारी रीडिंग 0.7 + 0.1 = 0.8 सेंटीमीटर है।

इस चित्र में छोटे कागज़ की शून्य वाली लाइन और भी आगे खिसक गई। पिछले चित्र और इस चित्र की तुलना करने पर हम पाते हैं कि पहले दोनों कागज़ों के नौवें डिब्बों के नीचे की लाइन सीध में थी लेकिन अब ऊपर की लाइन सीध में आ गई है। यानी छोटे कागज़ का डिब्बा 1/10 सेंटीमीटर आगे बढ़ा है। ऐसी स्थिति में हमारी रीडिंग में 1/10 सेंटीमीटर यानी 0.1 सेंटीमीटर और जुड़ जाएगा। अत: इस चित्र में हमारी रीडिंग 0.8 + 0.1 = 0.9 सेंटीमीटर है।

इस चित्र में छोटे कागज़ की शून्य वाली लाइन और भी आगे खिसक गई। पिछले चित्र और इस चित्र की तुलना करने पर हम पाते हैं कि पहले दोनों कागज़ों के दसवें डिब्बों के नीचे की लाइन सीध में थी लेकिन अब ऊपर की लाइन सीध में आ गई है। यानी छोटे कागज़ का डिब्बा 1/10 सेंटीमीटर आगे बढ़ा है। ऐसी स्थिति में हमारी रीडिंग में 1/10 सेंटीमीटर यानी 0.1 सेंटीमीटर और जुड़ जाएगा। अत: इस चित्र में हमारी रीडिंग 0.9 + 0.1 = 1.0 सेंटीमीटर है।

सभी चित्रों को क्रमश: देखने पर यह बात समझ आ जाती है कि हमारा छोटा कागज़ बड़े कागज़ से 1 सेंटीमीटर आगे खिसक चुका है। छोटा कागज़ हर बार 1/10 सेंटीमीटर आगे खिसका है। यह कुल 10 बार आगे खिसका है। इस तरह यह कुल 10 x 1/10 सेंटीमीटर आगे खिसका है।
वर्नियर कैलिपर्स तथा इस तरह के छोटी लम्बाई नापने वाले अधिकांश अन्य भौतिक उपकरण भी इसी सिद्धान्त पर कार्य करते हैं। आइए, हम उनमें से वर्नियर कैलिपर्स को समझने की कोशिश करते हैं। पहले वर्नियर की संरचना के बारे में थोड़ी जानकारी प्राप्त करें इसके बाद हम समझेंगे कि वह कैसे कार्य करता है।

जैसा कि चित्र में दिखाया गया है, वर्नियर तीन तरह से चीज़ों को नापता है-
1. किसी खोखले बेलन या पात्र की गहराई नापने के लिए उसमें नीचे तक वर्नियर की छड़ डालते हैं और स्केल पर रीडिंग पढ़ते हैं। यह उस पात्र की गहराई होती है।
2. किसी खोखले बेलन या पात्र के मुँह का व्यास नापने के लिए उसके मुँह में दाँतों को डालकर उन्हें फैलाते हैं। और स्केल पर रीडिंग पढ़ते हैं। यह उस बेलन या पात्र के मुँह का व्यास होता है।
3. किसी लम्बी वस्तु की लम्बाई नापने के लिए उसे दाँतों के बीच में रखकर दबाते हैं और स्केल पर रीडिंग पढ़ते हैं। यह उस वस्तु की लम्बाई होती है।
वर्नियर के ऊपर के स्केलों से इंच में लम्बाई नापी जाती है जबकि नीचे के स्केलों से सेंटीमीटर में लम्बाई नापी जाती है। दोनों तरफ एक मुख्य स्केल होता है तथा दूसरा वर्नियर स्केल होता है। आइए, अब हम वर्नियर कैलिपर्स से नीचे के स्केलों के ज़रिए लम्बाई नापने को समझते हैं।


ऊपर दिखाए गए स्केल को ध्यान से देखिए। इसके दोनों स्केल वर्नियर कैलिपर्स के ही समान हैं। इसके मुख्य स्केल और वर्नियर स्केल की 0 की रेखाएँ वर्नियर स्केल के दाँतों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जहाँ से किसी वस्तु की लम्बाई को नापा जाता है। इस चित्र के आगे का 1 सेंटीमीटर लिखे तक का हिस्सा छोड़कर बाकी हिस्सा अलग कर दिया जाए तो यह ठीक वही स्थिति आ जाती है जो हमारे द्वारा बनाए गए कागज़ों की पहली स्थिति थी। फर्क सिर्फ इतना है कि हमारे कागज़ों में हमने जो काम 10 सेंटीमीटर लम्बाई के साथ किया था, वही काम यहाँ 10 मिलीमीटर लम्बाई यानी 1 सेंटीमीटर के साथ किया गया है। ऊपर के चित्र वाली स्थिति में हमारी रीडिंग 0.00 सेंटीमीटर लिखते हैं। चित्रों को सुविधा के लिए काफी बड़ा करके दिखाया गया है।
जैसे-जैसे हम वर्नियर कैलिपर्स के दाँत खोलते जाते हैं, हमारे वर्नियर स्केल की शून्य वाली लाइन मुख्य स्केल पर आगे बढ़ती जाती है। इस तरह वर्नियर स्केल आगे उन 10 स्थितियों को क्रमश: ग्रहण करता है जैसी हमारे द्वारा बनाए कागज़ों की आगे की 10 स्थितियाँ थीं।

ऊपर के चित्र में वर्नियर स्केल 1/10 मिलीमीटर आगे बढ़ा है। ऐसी स्थिति में हमारी रीडिंग में 1/10 मिलीमीटर यानी 0.01 सेंटीमीटर और जुड़ जाएगा। अत: इस चित्र में हमारी रीडिंग 0.00 + 0.01 = 0.01 सेंटीमीटर है।
इसी तरह एक-एक कदम आगे बढ़ते-बढ़ते हम नीचे दर्शाई गई स्थिति में पहुँचते हैं।

हमारे द्वारा बनाए गए कागज़ों की अन्तिम स्थिति ऊपर के चित्र से मिलती है। इस स्थिति में वर्नियर स्केल की 0 की लाइन 10 बार 1/10 मिलीमीटर आगे बढ़ चुकी होती है। ऐसे यदि वर्नियर कैलिपर्स के दाँतों के बीच कोई वस्तु रखी हो तो उसकी लम्बाई 1 मिलीमीटर या 0.1 सेंटीमीटर होगी। अत: ऊपर के चित्र में हमारी रीडिंग 9वीं बार की रीडिंग में 1/10 मिलीमीटर (0.1 मिलीमीटर या 0.01 सेंटीमीटर) जोड़कर आएगी। यहाँ हमारी रीडिंग 0.09 अ 0.01 उ 0.10 से.मी. है।

अब यदि हम वर्नियर कैलिपर्स के दाँतों को और अधिक खोलते जाएँ तो पुन: अगली 1 मिलीमीटर दूरी के लिए भी यही स्थितियाँ क्रमानुसार आएँगी। लेकिन अब हमारी सभी रीडिंग में 1 मिलीमीटर जुड़ता रहेगा, क्योंकि वर्नियर स्केल की 0 की लाइन मुख्य स्केल के एक पूरे डिब्बे के बराबर लम्बाई चल चुकी है। ऊपर के चित्र में हमारी रीडिंग = 0.1 (1 मिलीमीटर वाले डिब्बे की लम्बाई) + 0.01 = 0.11 सेंटीमीटर है।

इस तरह वर्नियर स्केल की 0 की लाइन मुख्य स्केल के जितने डिब्बे बराबर लम्बाई पूरी चल चुकी होगी रीडिंग में उतने डिब्बों की लम्बाई जुड़ती जाएगी। डिब्बों की संख्या मुख्य स्केल पर से गिनकर पता करनी होगी। ऊपर के चित्र में वर्नियर स्केल की 0 की लाइन मुख्य स्केल पर 3 डिब्बों बराबर लम्बाई यानी 3 मिलीमीटर चल चुकी है। अत: यहाँ हमारी रीडिंग = 0.3 (1 मिलीमीटर वाले 3 डिब्बों की लम्बाई) + 0.00 = 0.30 सेंटीमीटर है।

जब वर्नियर स्केल की 0 की लाइन मुख्य स्केल के पूरे 10 डिब्बे के बराबर लम्बाई चल चुकी हो तो फिर यह लम्बाई 1 सेंटीमीटर हो जाएगी। मुख्य स्केल पर 10 डिब्बों (खानों) के अन्तर पर सेंटीमीटर के निशान लगे होते हैं। इसलिए रीडिंग में 10 डिब्बे की लम्बाई की जगह 1 सेंटीमीटर जोड़ते हैं। ऊपर चित्र में रीडिंग = 1.0 (10 डिब्बों की लम्बाई) + 0.00 = 1.00 सेंटीमीटर है।

यदि मुख्य स्केल पर 10 खानों या डिब्बों के बाद भी कुछ डिब्बे पूरे-पूरे बचे रहें तो उन्हें भी रीडिंग में जोड़ते हैं, आखिर वे भी तो दूरी को बढ़ा रहे हैं। ऊपर के चित्र में 1 सेंटीमीटर के बाद 1 खाना और बच जाता है अत: रीडिंग में 1 सेंटीमीटर तथा 1 मिलीमीटर जोड़कर लिखते हैं। यहाँ हमारी कुल रीडिंग = 1.1 (1 सेंटीमीटर + 1 मिलीमीटर) + 1/10 मिलीमीटर = 1.1 सेंटीमीटर + 0.01 सेंटीमीटर = 1.11 सेंटीमीटर होगी।
यदि मुख्य स्केल पर 20 से अधिक खाने लम्बाई चली गई हो तो रीडिंग में 2 सेंटीमीटर जोड़ते हैं। इसके बाद यदि मिलीमीटर वाले छोटे खाने पूरे-पूरे हों तो उनकी पूरी लम्बाई जोड़ते हैं फिर रीड़िग लिखते हैं। यहाँ कुल रीडिंग 
= 2.0 सेंटीमीटर + 1/10 मिलीमीटर + 1/10 मिलीमीटर + 1/10 मिलीमीटर + 1/10 मिलीमीटर + 1/10 मिलीमीटर + 1/10 मिलीमीटर
= 2.0 सेंटीमीटर + 0.01 सेंटीमीटर + 0.01 सेंटीमीटर + 0.01 सेंटीमीटर + 0.01 सेंटीमीटर + 0.01 सेंटीमीटर + 0.01 सेंटीमीटर 
= 2.06 सेंटीमीटर होगी।

इस लेख में सब अभ्यास हमने सिलसिलेवार करने की कोशिश की है क्योंकि यह उम्मीद है कि इसके बाद आप वर्नियर कैलिपर्स और इस सिद्धान्त पर काम करने वाले किसी भी उपकरण से वस्तु की लम्बाई नापना व समझना सीख जाएँगे, ध्यान रखिएगा कि शुरुआती अभ्यास सबसे ज़रूरी है क्योंकि उससे हमें पता चलता है कि कैसे एक के बाद एक लाइनें क्रमानुसार मिलती हैं। यदि हम छोटे कागज़ को लगातार सरकाते जाएँ तो ऐसा कभी नहीं होता कि बड़े कागज़ की किसी लाइन से छोटे कागज़ की कोई भी लाइन सीध में आ जाए, वे एक के बाद एक क्रम से ही सीध में आती हैं। और यहीं वर्नियर पैमाने का पूरा राज़ छिपा हुआ है।