के. आर. शर्मा

अगर आपको अपने बचपन के दिन याद हों तो नीचे दिए चित्र को देखकर यकायक आपके मुंह से बरबस हेलिकॉप्टर, चिड्डी या ऐसा ही कुछ नाम निकल पड़ेगा। इनमें से एक का नाम है - ‘डेम्सल फ्लाइ' और दूसरे का नाम है 'ड्रेगन फ्लाइ'। बरसात के दिनों इनके पीछे भागते हुए उन दिनों हम इन दोनों में कोई फर्क नहीं कर पाते थे। यदि जीवविज्ञान की भाषा में कहें तो ये दोनों ही कीट समुदाय के सदस्य हैं।

पहला चित्र डेम्सल फ्लाइ का है और दूसरा ड्रेगन फ्लाइ का। दोनों के पंख और दुमनुमा हिस्से देखने से इनमें फर्क समझ में आता है।

शुक्राणु का सफरः नर डेम्सल फ्लाइ अपने जनन छिद्र से शुक्राणुओं को निकालकर शुक्राणु थैली में रखते हुए। इस प्रक्रिया में उसे काफी सर्कस करनी पड़ती है।

डेम्सल का अर्थ होता है खूबसूरत, कमसीन किशोरी। यह कीट बला की खूबसूरती लिए होता है। इसीलिए इसका यह नाम पड़ा।

डेम्सल फ्लाई का एक नातेदार है। - ड्रेगन फ्लाइ। ड्रेगन का अर्थ है - दैत्य, राक्षस। तेज़ गति से उड़ना, झपट्टा मारकर शिकार को पकड़ना; तथा इसकी बड़ी-बड़ी संयुक्त आंखें इसके नाम को सार्थक करती हैं।

डेम्सल फ्लाइ का शरीर नाजुक-सा और पंख रंगीन होते हैं। जब यह किसी टहनी वगैरह पर बैठता है तो पंख शरीर से ऊपर उठे रहते हैं।

कीट समुदाय में डेम्सल फ्लाइ का समागम का तरीका काफी अनूठा है। नर डेम्सल फ्लाइ में पूंछनुमा रचना के आखरी सिरे पर नीचे की ओर एक जनन छिद्र होता है जहां से शुक्राणु बाहर निकलते हैं, लेकिन नर इस जनन छिद्र से शुक्राणुओं को मादा जनन छिद्र तक नहीं पहुंचाता। मादा से समागम के पहले नर डेम्सल फ्लाइ शुक्राणुओं को अपने शरीर के दूसरे और तीसरे खंड में पेट के पास बनी थैलीनुमा रचना में भंडार करके रख देता है। इस रचना को शुक्राणु थैली या शुक्राणु कोश कहा जा सकता है।

शुक्राणुओं को शुक्राणु थैली तक पहुंचाने के लिए नर डेम्सल फ्लाइ अपने शरीर के दुमनुमा हिस्से को (जहां जनन छिद्र है) इतना मोड़ता है कि जनन छिद्र शुक्राणु थैली (यानी शरीर के दूसरे-तीसरे खंड में) से जुड़ जाता है। फिर वह इसमें शुक्राणु छोड़ देता है। नर डेम्सल फ्लाइ के जनन छिद्र के पास एक नुकीली रचना होती है जिसे क्लास्पर (Clasper) कहते हैं।

अब नर मादा डेम्सल फ्लाइ की तलाश में निकल पड़ता है। जब मादा मिल जाती है तो नर क्लास्पर की मदद से मादा के सिर के पास के हिस्से को पकड़ लेता है।  

जब मादा नर की पकड़ में आ जाती है तो अगला चरण शुरू होता है - शुक्राणुओं को मादा के जनन छिद्र तक पहुंचाना। मादा के शरीर में भी दुमदार हिस्से के आखिरी सिरे पर जनन छिद्र होता है। अब मादा अपने दुमनुमा हिस्से को मोड़कर नर की शुक्राणु थैली तक इस तरह ले जाती है कि उसका जनन छिद्र शुक्राणु थैली से जुड़ जाए। इस तरह शुक्राणु थैली से निकलकर मादा के जनन छिद्र में जाते हैं जहां वे अंडाणुओं को निषेचित (Fertilize) करते हैं। निषेचित अंडों को मादा पानी पर या पानी वाले पौधों के पानी में डूबे तनों पर देती है।  


के. आर. शर्माः एकलव्य के होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम से जुड़े हैं। उज्जैन में रहते हैं।

डेम्सल फ्लाइ का समागमः (ऊपर) नर डेम्सल फ्लाइ ने मादा को क्लास्पर की मदद से गिरफ्त में ले लिया है। (सामने) डेम्सल फ्लाइ के समागम को दिखाया गया है। मादा का दुमदार हिस्सा नर की शुक्राणु थैली से जुड़ा हुआ है। जब शुक्राणु अंडाणुओं के पास पहुंच जाएं तो नर-मादा जुदा हो जाते हैं।