लेखक:   हिमांशु श्रीवास्तव                                                                                                 [Hindi PDF, 221 kB]
अनुवाद: अम्बरीष सोनी

त्वरण, भौतिक शास्त्र की शाखा गतिकी की एक मूलभूत संकल्पना है। विद्यार्थियों का इससे परिचय माध्यमिक शाला स्तर पर होता है और यह आपके साथ तब तक चलता रहता है जब तक कि आप स्वयं ही इसे दरकिनार न कर दें।
हममें से अधिकतर को जिनकी विज्ञान की पृष्ठभूमि रही है फौरन ही याद आ जाएगा कि आखिर यह त्वरण है क्या! मोटेतौर पर इसका अर्थ है वेग परिवर्तन की दर अर्थात् दिए गए समय में वेग कितना परिवर्तित होता है। त्वरण की इस मानक परिभाषा को दोहराए बगैर न तो हम स्वयं इसकी सैद्धान्तिक अवधारणा को समझने में सक्षम हो पाएँगे और ना ही अपने विद्यार्थियों को समझाने में।
यांत्रिकी की ज़्यादातर संकल्पनाएँ जो गति से सम्बन्धित हैं मुख्यत: त्वरण की समझ पर आधारित होती हैं जो स्वयं ही कभी-कभी चाल और वेग को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा करता है। यह भ्रम इनके शब्दार्थ को लेकर नहीं हैं बल्कि हम इन्हें कैसे समझते हैं या इनका क्या अर्थ निकालते हैं। इस लेख के ज़रिए हम इन संकल्पनाओं की गुणात्मक और मात्रात्मक समझ विकसित करने का प्रयास करेंगे।

वेग, दर और परिवर्तन
चलिए हम वापस त्वरण की प्रारम्भिक परिभाषा की ओर चलते हैं जिसमें कहा जाता है कि वेग परिवर्तन की दर त्वरण है। इस वाक्यांश में हमें तीन नए मूल पद मिलते हैं वेग, दर और परिवर्तन जिन्हें हमें सबसे पहले समझना होगा। दर, एक ऐसा शब्द है जिससे आपका सामना रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में होता होगा जैसे क्रिकेट में रनों की दर, मोबाइल की कॉल दर, बिजली की खपत दर और वस्तुओं की मूल्य दर आदि। किसी वस्तु की दर का मतलब है उसका किसी अन्य इकाई के सापेक्ष मापन। रन की दर का मतलब है प्रति ओवर रनों की संख्या, बिजली की दर का मतलब है प्रति यूनिट बिजली की कीमत और कॉल दर का मतलब है प्रति मिनट कॉल की कीमत। ठीक इसी तरह त्वरण की परिभाषा में दर से तात्पर्य है समय के सापेक्ष वेग में परिवर्तन। लिहाज़ा, दिए गए समय में वेग में कितना बदलाव हुआ इससे दर को माप सकेंगे और त्वरण को महसूस कर सकेंगे।

सबसे पहले हम वेग की अवधारणाओं की जाँच-पड़ताल करते हैं और फिर उसमें परिवर्तन की बात करेंगे। चाल की बनस्बत वेग में कुछ अधिक जानकारियाँ शामिल होती हैं। जैसे वेग से पता चलता है कि निर्धारित समय में वस्तु द्वारा कितनी दूरी तय की गई और साथ ही उसकी दिशा क्या थी। दूसरी ओर, किसी वस्तु की चाल के बारे में कुछ कहते हुए हमें दिशा का उल्लेख करने की कोई ज़रूरत नहीं होती। यानी, वेग की जानकारी में दो भौतिक राशियों, चाल और दिशा की जानकारी शामिल है।

चाल और दिशा में से किसी एक या दोनों में परिवर्तन के परिणाम स्वरूप वेग में बदलाव सम्भव है। इस तरह से वेग में परिवर्तन चाल या चाल की दिशा किसी में भी परिवर्तन से हो सकता है। ये परिवर्तन धनात्मक या ऋणात्मक कुछ भी हो सकते हैं अर्थात् चाल बढ़े या घटे, दोनों ही बदलाव के अन्तर्गत ही गिने जाएँगे। उदाहरण के लिए चलती हुई साइकल में जब आप ब्रेक लगाते हैं तो उसकी चाल में कमी आती है तो इसका मतलब है कि यहाँ वेग में भी परिवर्तन होता है, ढलान आने पर साइकल की रफ्तार लगातार बढ़ती जाती है तो यहाँ पर भी वेग में परिवर्तन होता है। मोड़ पर मुड़ने के बारे में आपको क्या लगता है? हो सकता है चाल में कोई परिवर्तन न किया जाए लेकिन चालक उसे मोड़ के अनुरूप मोड़कर उसकी दिशा में परिवर्तन अवश्य करता है।

आप इसे स्कूल से घर की ओर की गई यात्रा के दौरान महसूस कर सकते हैं। क्या आपने कभी यह दूरी एक समान गति से या बिना दिशा में परिवर्तन किए तय की है? जहाँ तक मेरा मानना है रोज़मर्रा के जीवन में हमारे द्वारा की गई लगभग प्रत्येक गति के दौरान वेग में परिवर्तन अवश्य ही होता है। यदि आप मेरी इस बात से असहमत हैं तो क्या इससे विपरीत कोई उदाहरण सोचकर बता सकते हैं?
फिलहाल, हम अपनी त्वरण की परिभाषा की ओर वापस आते हैं। हम कह सकते हैं कि जहाँ कहीं भी वेग में परिवर्तन होगा, वहाँ त्वरण अवश्य होगा। यहाँ यह साफ करना होगा कि महज़ वेग में परिवर्तन त्वरण नहीं है बल्कि इस परिवर्तन की दर त्वरण है।

हमने अपने इर्द-गिर्द जितनी भी गतियाँ देखीं उनमें वेग में परिवर्तन हो रहा था। इस प्रकार ये सभी गतियाँ एक प्रकार की त्वरित गतियाँ ही थीं। क्या आप अपने परिवेश में से कुछ ऐसी गतियाँ ढूंढ सकते हैं जिनमें त्वरण न हो? क्या आपको लगता है कि यह उसी तरह का प्रश्न है जैसा अभी ऊपर पूछा गया था? आप भी शायद इस बात से सहमत होंगे कि त्वरण के अवलोकन बहुत स्पष्ट और साधारण नहीं हैं, खासकर जिन्हें बच्चे अपने आस-पास देखकर आसानी से समझ सकें। इसलिए त्वरित गति पर आधारित एक प्रयोग बतला रहे हैं जिसे आप अपनी कक्षा या प्रयोगशाला में आसानी से करवा सकते हैं। आप इसे कक्षा में करके, अपनी प्रतिक्रिया भेजें।

लकड़ी के पटिए वाला प्रयोग
लकड़ी का एक पटरा लें जिसकी ऊपरी सतह प्लाईवुड और सनमाइका से ढककर पूरी तरह चिकनी बनाई गई हो। यह कम-से-कम 4 फीट लम्बा और 2 फीट चौड़ा होना चाहिए। किसी फर्नीचर की दुकान पर आसानी से मिल जाएगा या आप इसे बनवा भी सकते हैं। इस बात की तस्दीक ज़रूर कर लें कि इसकी ऊपरी सतह समतल हो, इस पर किसी तरह के छेद या खुरदरे दाग-धब्बे न हों। रबर के गुटकों या किसी अन्य वस्तु की मदद से इसे एक ओर से थोड़ा ऊपर उठाएँ (जैसा कि चित्र 1 में दिखाया गया है)।

चित्र 1 - प्रयोग के लिए तैयार पटिया: लकड़ी के गुटके लगाकर चिकने पटिए को एक ओर हल्का-सा झुकाव दिया गया है। स्केल या टेप से नाप कर इस पटिए को 30-30 सेंटीमीटर के दो या अधिक हिस्सों में बाँट सकते हैं। इस पटिए पर जहाँ से गेंद छोड़ने वाले हैं वहाँ भी एक निशान लगा लीजिए।

बायाँ चित्र: गेंद छोड़ने के लिए पटिए के ऊपरी छोर पर एक निशान बनाकर हर बार वहीं से गेंद को छोड़ना है। गेंद को छोड़ने के लिए स्केल पट्टी का प्रयोग भी किया जा सकता है। इससे अवलोकनों में शुद्धता बढ़ेगी।
नीचे: पटिए पर बाँटे गए अलग-अलग हिस्सों से गेंद के गुज़रने में लगने वाले समय की गणना की ज़िम्मेदारी अलग-अलग लोगों को देनी बेहतर होगी।

हम इस पटरे पर एक गेंद लुढ़काएँगे और देखेंगे कि गति के दौरान क्या गेंद के वेग में परिवर्तन होता है। स्टील या रबर की लगभग 1 इंच व्यास वाली गोल गेंद जिसकी सतह पर कोई लकीर या दाने न हों, इसके लिए प्रयोग में लाई जा सकती है। पटिए के ऊपरी छोर से 8-10 से.मी. जगह छोड़कर पटिए को 30-30 से.मी. लम्बाई के 3 से 4 हिस्सों में बाँट लें। इससे कम लम्बाई रखने पर गेंद द्वारा इस दूरी को तय करने में लगने वाले समय को मापना काफी कठिन होगा। ऊपरी किनारे से 5 से.मी. की दूरी पर एक प्रारम्भिक रेखा खींचें और ध्यान रखें कि हर बार गेंद इसी रेखा से छोड़ी जाए। एक छह इंच लम्बी पटरी या स्केल का प्रयोग गेंद को प्रारम्भिक रेखा पर रोके रखने के लिए किया जा सकता है। पटरे पर 30 से.मी. लम्बे कम-से-कम दो भाग तो अवश्य ही होने चाहिए। यदि आपका पटरा ज़्यादा लम्बा है तो आप दो से अधिक हिस्से भी कर सकते हैं। यह प्रयोग हम लम्बे एल्युमिनियम चैनल पर भी कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि एल्युमिनियम अपेक्षाकृत कोमल धातु है जिसके रख रखाव में अत्यन्त सावधानी बरतनी होगी और इसके मुड़ने की, पिचकने की सम्भावना भी अधिक होती है। एल्यूमिनियम चैनल के आकार में विकृति के कारण हमारे प्रयोग की सटीकता प्रभावित हो सकती है।
चलिए, अब प्रारम्भिक बिन्दु से गेंद को लुढ़काते हैं, क्या गेंद सीधी रेखा में जाती है? बहुत सम्भावना है कि गेंद सीधी रेखा में न जाए। इसके लिए आपको गुटकों को आगे-पीछे खिसका कर पटरे को फिर से व्यवस्थित करना पड़ सकता है।

अब आप पटिए के अलग-अलग हिस्सों को पार करने में लगने वाले समय को मापकर लिखने की ज़िम्मेदारी कक्षा के कुछ बच्चों को दे सकते हैं। समय मापने के लिए स्टॉपवॉच या मोबाइल स्टॉपवॉच पर्याप्त होगी। स्टॉपवॉच से समय मापते समय यह ध्यान रखें कि एक व्यक्ति सिर्फ एक ही हिस्से का समय मापे। पटरे के दो अलग हिस्सों के लिए अलग-अलग समय का मापन करें। गेंद छोड़ने से लेकर समय मापने तक की पूरी प्रक्रिया को बार-बार दोहराएँ। व्यक्तिगत त्रुटियों को कम करने के लिए ज़रूरी होगा कि कम-से-कम लगभग 10 रीडिंग लें। फिर इनका औसत निकाल लें। अब आपके पास दो हिस्सों के लिए महज़ दो रीडिंग्स बचेंगी। पटरे के किस हिस्से को पार करने में गेंद को ज़्यादा समय लगा? यदि आप यह प्रयोग करें तो पाएँगे कि पहले हिस्से को पार करने में ज़्यादा समय लगा। इसका मतलब है कि दूसरे हिस्से में गेंद ज़्यादा तेज़ चली। आप इन हिस्सों में गेंद की औसत चाल की भी गणना कर सकते हैं।
औसत चाल से तात्पर्य है दिए गए समय में तय की गई कुल दूरी। इस प्रकार -

अब आप देख सकते हैं कि किस हिस्से की औसत चाल अधिक है। यदि आप एक काफी लम्बा पटरा लें और उसके कई हिस्से कर लें तो आप पाएँगे कि पहले हिस्से में गेंद की औसत चाल अन्य सभी हिस्सों की औसत चालों से कम होगी और सबसे निचले हिस्से में गेंद की औसत चाल अधिकतम होगी। यह अवलोकन क्या संकेत दे रहा है? यह एक इशारा है कि इस पूरे सफर के दौरान गेंद की औसत चाल लगातार बढ़ती जाती है। पटिए पर आप छोटे-से-छोटा हिस्सा भी लें और अवलोकन करें तब भी आपको यही पैटर्न मिलेगा। गेंद की चाल में हो रहा लगातार परिवर्तन यह दर्शाता है कि उसका वेग भी लगातार बदल रहा है। इसका मतलब है कि यह एक त्वरित गति है।

आप स्टील की गेंद की जगह कंचों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं बशर्ते वे पूरी तरह गोल हों। एक बार यह साबित हो जाने पर कि झुके हुए पटरे (नत समतल) पर हो रही गेंद की गति में त्वरण है, हम इसकी गणना की ओर कदम बढ़ा सकते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि हम इसकी गणना कैसे करेंगे? त्वरण मापने के लिए हमें किन आँकड़ों की ज़रूरत होगी? इस बारे में हम कुछ देर बाद लौटते हैं।

त्वरण पर इतनी चर्चा क्यों?
अभी हम इस बात पर विचार कर लें कि हम त्वरण के बारे में इतनी बातचीत क्यों कर रहे हैं? अक्सर यह क्यों कहा जाता है कि त्वरण की समझ बल की अवधारणा को पुख्ता करने में मदद करती है? क्या त्वरण सिर्फ स्कूली किताबों तक सिमटा हुआ है या फिर हमारे रोज़मर्रा के जीवन में भी इसका कोई उपयोग है?

एक बार त्वरण की मोटी समझ विकसित हो जाए तो हम गहराई में जाकर इस अमूर्त संकल्पना को समझ सकते हैं, इसकी जाँच-पड़ताल कर सकते हैं। मसलन, हम अक्सर सुनते या पढ़ते हैं कि पृथ्वी का गुरुत्वीय त्वरण 9.8 मीटर/सेकण्ड2 होता है। इसी तरह बातचीत में अक्सर अलग-अलग बाइक के पिक-अप की भी बात होती है, पर क्या वास्तव में, जानते हैं कि यह पिक-अप है क्या? पिक-अप और कुछ नहीं बल्कि वाहन द्वारा शीघ्रता से त्वरण प्राप्त कर सकने की क्षमता या विशेषता है। वास्तव में, हम किसी से भी यह नहीं पूछते कि गाड़ी का त्वरण क्या है बल्कि हम पूछते हैं कि गाड़ी की चाल क्या है या फिर कितनी दूरी तय की जा चुकी है।

यहाँ हम आपका ध्यान एक और महत्वपूर्ण सवाल की ओर खींचना चाहते हैं कि किसी गति के दौरान आप त्वरण की गणना कैसे करेंगे? क्या आप अपने चारों तरफ हो रही गतियों में त्वरण का अनुमान लगा सकते हैं?
शुरुआती तौर पर त्वरण की गणना को समझने के लिए हम स्वयं को सरल रेखीय गति तक ही सीमित रखेंगे। इससे गणना करना आसान होगा। बाद में, इस आकलन विधि को अन्य सामान्य गतियों के हिसाब से परिवर्तित किया जा सकता है।

यदि अपने अनुभवों की बात करूँ तो कुछ महीनों पहले तक मैं भी इसी तरह की समस्याओं से जूझ रहा था। लेकिन कुछ आदर्श पद्धतियों और कुछ सन्निकटन जैसी क्रियाओं का प्रयोग कर हम सरल रेखीय गति के त्वरण की गणना कर पाए हैं। इसके लिए थोड़ी देर पहले सुझाया गया प्रयोग धीर-धीरे विकसित हुआ। वैसा ही लकड़ी का पटिया, 1 इंच व्यास की स्टील की गेंद और पटिए पर निशान लगाना।

त्वरण की गणना
वास्तविक प्रक्रिया की ओर बढ़ने से पहले अच्छा होगा कि एक बार त्वरण की परिभाषा दोहरा लें। वेग परिवर्तन की दर त्वरण है। इसका मतलब है कि हमें वेग में परिवर्तन और इस परिवर्तन में लगे समय को नोट करना होगा। यदि हम सरल रेखीय गति पर काम कर रहे हैं तो हमें वेग की दिशा के बारे में परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। इस प्रकार सिर्फ चाल में परिवर्तन और परिवर्तन में लगे समय को मापने से यह समस्या थोड़ी सरल हो जाती है।

अवलोकन के दौरान हमने पाया कि ऊपर से नीचे लुढ़कते समय गेंद की चाल लगातार बढ़ती जाती है। तो अब अगर हम त्वरण की परिभाषा को ध्यान में रखकर बढ़ें तो हमें सिर्फ दो अलग-अलग बिन्दुओं पर गेंद की चाल ज्ञात करना है और दोनों के बीच का समय। लेकिन यहाँ सवाल उठता है कि आप किसी एक बिन्दु पर गेंद की चाल कैसे ज्ञात करेंगे क्योंकि चाल का अर्थ है दिए गए समय में तय की गई दूरी। लेकिन किसी एक क्षण पर न ही कोई दूरी तय की गई होती है और न ही इसमें कोई समय खर्च हुआ होता है। यह है हमारी पहली बड़ी समस्या। ऐसा मैं क्यों कह रहा हूँ इसे आगे समझते हैं।

किसी एक क्षण पर चाल को समझना कभी भी आसान काम नहीं रहा है। इसे आसान बनाने के लिए उस क्षण के आस-पास के समय को भी उस दायरे में लाना होगा और इस छोटे हिस्से के लिए गणनाएँ करनी होंगी। हम मान लेते हैं कि इस छोटे हिस्से की औसत चाल ही लगभग उस क्षण पर औसत चाल होगी। यह हमारा पहला सन्निकटन हुआ। यह हिस्सा कितना छोटा हो सकता है, यह समय मापने वाले यंत्र के अल्पतम माप पर निर्भर करता है। यदि समय मापने के लिए आप एक ऐसी स्टॉपवॉच का प्रयोग कर रहे हैं जिसका अल्पतम माप 1 सेकण्ड है तो निश्चित क्षण के आस-पास 2 सेकण्ड का दायरा लिया जा सकता है। और यदि यह अल्पतम माप 1 मिनिट हो तो उस क्षण के आस-पास का दायरा 2 मिनट हो सकता है। दूरी मापने वाले यंत्र का अल्पतम माप भी महत्वपूर्ण होता है जो समस्या की जटिलता को और बढ़ा देता है।

स्टॉपवॉच, जिससे हमने प्रयोग के दौरान समय मापा उसका अल्पतम माप 1 सेंटी सेकण्ड था (यानी एक सेकेण्ड के 100 समान हिस्से)। इसके बावजूद न्यूनतम समय जो इसके द्वारा मापा जा सका, वह 15-16 सेंटी सेकण्ड था क्योंकि इस स्टॉपवॉच को चालू करने और रोकने में ही इतना समय लग जाता है। इसका अर्थ है कि हम इससे कम समय का कोई मापन नहीं कर सकते। यह बाधा हिस्सों की लम्बाई भी निर्धारित करती है। यदि गेंद एक हिस्से को पार करने में 15-16 सेंटी सेकण्ड से कम समय लेती है या फिर इतना ही समय लेती है तो उसके मापन में त्रुटि की सम्भावना काफी बढ़ जाएगी। कुछ सोची-समझी कोशिशों के बाद हमने पाया कि यदि प्रयोग करने वाला पटरा लगभग 120 से.मी. लम्बा हो और उसे एक सिरे से 5-10 से.मी. तक उठाया जाए तो गेंद 30 से.मी. का हिस्सा तय करने में इतना समय लेती है कि उसे आसानी से मापा जा सकता है। इसी वजह से पहले सुझाए गए प्रयोग में मैंने पटिए को कम-से-कम 30 से.मी. के हिस्सों में बाँटने की सलाह दी थी।

लकड़ी के चिकने पटरे और स्टील की गोल गेंद लेते समय हम मानते हैं कि गेंद एक समान त्वरण से गमन करेगी (दूसरा सन्निकटन)। यद्यपि बाद में प्रयोगों के द्वारा इसकी सत्यता की जाँच भी की जा सकती है। हम कुछ अन्य सिद्धान्तों से भी यह साबित कर सकते हैं लेकिन वह ब्यौरा इस लेख की विषयवस्तु से परे होगा अत: इसे हम यहीं छोड़ देते हैं।
एक बार किसी निर्दिष्ट क्षण पर चाल ज्ञात हो जाए तो आगे पटरे और गेंद के प्रयोग के ज़रिए त्वरण का मापन भी किया जा सकेगा।

अल्पतमांक - किसी भी उपकरण का अल्पतमांक वह न्यूनतम माप होता है जिसे उस उपकरण के द्वारा मापा जा सकता है। यानी कि उस उपकरण के पैमाने पर बने दो सबसे पास-पास के निशानों के बीच का माप। उदाहरण के लिए एक सामान्य माप-पट्टी का अल्पतमांक एक मि.मी. और सामान्य हाथ घड़ी का अल्पतमांक एक सेकण्ड होता है।


हमारे पास पटरे पर 30 से.मी. लम्बाई के दो हिस्से हैं। हमें पता करना है दो अलग-अलग क्षणों पर गेंद की चाल। अब हम किसी वस्तु के एक क्षण पर चाल के अपने तर्क को आगे बढ़ाते हैं जिसे ‘तात्क्षणिक’ चाल भी कहते हैं। आइए हम देखते हैं कि क्या होगा यदि इन हिस्सों की लम्बाई बहुत ज़्यादा हो, ऐसे में हम किस हिस्से की औसत चाल को किस क्षण पर चाल मान सकते हैं। इन गणनाओं के लिए बॉक्स और चित्र देखिए।

औसत चाल और तात्क्षणिक चाल

कोई वस्तु एक समान त्वरण ‘a’ से गतिमान है जिसकी प्रारम्भिक तात्क्षणिक चाल ‘u’ है जो ‘t’ समय पश्चात ‘v’ हो जाती है।
इस प्रकार,
तात्क्षणिक चाल में परिवर्तन = (v-n)
चाल परिवर्तन में लगा समय = t
चाल परिवर्तन की दर = (v-u)/t
त्वरण की परिभाषा के अनुसार, चाल में परिवर्तन की दर ही त्वरण ‘a’ है-
(v-u)/t=a
v-u=at
v=u+at ..........(1)
इसके अतिरिक्त, एक समान त्वरित गति के लिए औसत चाल
= (प्रारम्भिक चाल + अन्तिम चाल)/2
= (u+V)/2
समीकरण (1) से v का मान रखने पर
= (u+u+at)/2
= u+a (t/2) ..........(2)
औसत चाल का यह मान प्रारम्भिक और अन्तिम चाल के बीच का है इसलिए यह प्रेक्षित गति में कहीं-न-कहीं अवश्य मिलेगा। माना कि यह चाल, प्रारम्भिक बिन्दु से T समय पश्चात आती है।
पहले समीकरण का प्रयोग करने पर
T समय पश्चात चाल = औसत चाल
= u+aT
दूसरे समीकरण का प्रयोग करने पर औसत चाल
= u+a(t/2)
u+aT= u+a(t/2)
aT = a (t/2)
T = t/2 जबकि a= 0
इसका अर्थ है कि एक समान त्वरित गति के किसी हिस्से के लिए औसत चाल उस हिस्से के ठीक बीच वाले समय पर तात्क्षणिक चाल होगी।


गणना से पता चलता है कि हमारे प्रयोग में एक हिस्से की औसत चाल को उस हिस्से में लगे समय के ठीक बीच के समय पर तात्क्षणिक चाल माना जा सकता है (देखें बॉक्स)। यदि पटरे के पहले हिस्से की दूरी तय करने में लगा समय t1 है तो इसके लिए औसत चाल s/t1 होगी जिसे v1 कहेंगे। यहाँ S इस हिस्से की लम्बाई है। इसी तरह दूसरे हिस्से के लिए औसत चाल, s/t2 होगी जिसे v2 कहेंगे।
पहली औसत चाल t1/2 क्षण की तात्क्षणिक चाल और दूसरी औसत चाल t2/2 क्षण की तात्क्षणिक चाल है। इस प्रकार इन दो क्षणों का समयान्तराल (t1/2+t2/2) होगा।
अब हमारे पास सारे आँकड़े हैं, दो तात्क्षणिक चाल और उन दोनों क्षणों के बीच का समयान्तराल। तो अब हम त्वरण का पता लगा सकते हैं।

 त्वरण = वेग परिवर्तन की दर              
= चाल में परिवर्तन की दर (सरल रेखीय गति के सन्दर्भ में)
= चाल में परिवर्तन/परिवर्तन में लगा समय
= दो तात्कालिक चालों का अन्तर/ उन क्षणों में समयान्तराल

= (v- v1) / (t1/2 + t2/2)

= (s/t2 - s/t1) / (t1/2 + t2/2)

= 2 (s/t2 - s/t1) / (t1 + t2)

आप अपनी रीडिंग्स खुद लें और अपने पैमानों में त्वरण की गणना करें।

कुछ और पहलू
एक से अधिक रीडिंग का औसत निकालकर उसका उपयोग करने से यादृच्छिक त्रुटि (Random error) की सम्भावना कम हो जाती है। यह प्रयोग अलग-अलग आकार की गेंद के साथ या पटरे की विभिन्न ऊँचाइयाँ लेकर भी किया जा सकता है। लेकिन इन प्रयोगों की कुछ सीमाएँ हैं। अलग-अलग पदार्थों की गेंद चुनते समय ध्यान रखें कि उसमें किसी भी प्रकार की विकृति न हो, साथ ही पटरे की ऊँचाई इतनी ही हो कि गेंद अच्छी तरह से लुढ़के लेकिन फिसले नहीं। प्रयोगों में पूर्णता और शुद्धता लाने के लिए हम स्टॉपवॉच की जगह इलेक्ट्रॉनिक एलडीआर सेंसर का प्रयोग कर सकते हैं। इसके ज़रिए मानवीय गलतियों को और भी कम किया जा सकता है। सेंसर को पटरे पर लगाकर माइक्रोप्रोसेसर के ज़रिए कम्प्यूटर से भी जोड़ा जा सकता है। परन्तु अपनी कक्षाओं में समय और अन्य सीमाओं को देखते हुए हमें तय करना होगा कि क्या सम्भव है।

एल.डी.आर. (लाइट डिपेंडेंट रज़िस्टर) - लाइट डिपेंडेंट रज़िस्टर विशेषकर लाइट और डार्क सेंसर सर्किट में बहुत ही उपयोगी होता है। सामान्यत: एल.डी.आर. का प्रतिरोध बहुत अधिक होता है। कभी-कभी यह 10 लाख ओह्म तक हो सकता है। जैसे ही इन पर प्रकाश डाला जाता है इनका प्रतिरोध नाटकीय तरीके से कम होने लगता है। प्रतिरोध का कम और ज़्यादा होना ही विद्युत प्रवाह को संचालित करता है।

एल.डी.आर. का एक आम उपयोग अनाधिकृत प्रवेश के बारे में जानने में किया जाता है। इसके लिए एक तरफ एल.डी.आर. युक्त परिपथ लगा देते हैं जो अलार्म से जुड़ा हो। दूसरी तरफ से एक पतली प्रकाश की किरण जब तक एल.डी.आर. पर पड़ती रहे तब तक उसका प्रतिरोध कम होता है और परिपथ चालू रहता है।
अगर कोई व्यक्ति इस रास्ते से गुज़रे जिससे प्रकाश किरण को अवरोध पैदा हो तो परिपथ टूट जाता है और अलार्म बजने लगता है।


अन्तत: हम आशा करते हैं कि इस प्रयोग ने त्वरण की गणना की जटिलताओं को अवश्य ही कम किया होगा। यदि त्वरण सम्बन्धी प्रयोग को कक्षा में करवाने में या ऐसी व्यवस्था जमाने में आपको कोई कठिनाई आ रही है तो एकलव्य के इन्दौर कार्यालय से सम्पर्क कर सकते हैं। आपके जो भी अनुभव हों उनके बारे में ज़रूर लिखें।


हिमांशु श्रीवास्तव: एकलव्य, इन्दौर में विज्ञान समूह में कार्यरत हैं।
अँग्रेज़ी से अनुवाद: अम्बरीष सोनी: ‘संदर्भ’ पत्रिका से सम्बद्ध हैं।
सभी फोटोग्राफ: हिमांशु श्रीवास्तव।