जे. बी. एस. होल्डेन
अनुवाद : पुष्पा अग्रवाल

मैंने अपने जीवन में ही अजीबो गरीब भोजन हैं। अगर मैं चाहूं तो आपको एक खदान में किए गए भोजन की मॉस्को के एक भोजन या फिर एक करोड़पति के साथ किए गए भोजन के बारे में बता सकता है। लेकिन मुझे लगता है कि आप मेरे उस भोजन के बारे में जानने को ज्यादा उत्सुक होंगे जो मैंने एक जादूगर के साथ किया था, क्योंकि ये अन्य दावतों से बिल्कुल अलग है। आमतौर पर लोग इस तरह का भोजन नहीं करते क्योंकि एक तो इंग्लैंड में ज्यादा जादूगर है ही नहीं और दूसरे, कि बहुत कम लोग ही जादूगरों से परिचित होते हैं। में एक असली जादूगर की बात कर रहा है। नहीं कर पाएगा, जैसा कि बाजार खरगोश के साथ कर लेते हैं।

जब पहली बार में मिस्टर ली। से मिला तो सोच भी नहीं सकता था कि वो जादूगर होंगे। हुआ यूं कि एक दिन शाम पांच बजे के करीब बाजार से लौटते हुए मैं एक बिजली के खम्बे के पास रुका, इसी बीच मेरे पीछे पीछे चल रहा एक छोटा-सा आदमी आगे बढ़ गया। अचानक उसने एक बस को आते देखा और ने के लिए वो पीछे की ओर कूदा लेकिन इसी चक्कर में से एक कार के सामने भी गया। और अगर मैने कोट का कॉलर पकड़ कर उसे वापस नहीं लिया होता तो कार ने उसे टक्कर मार दी होती। क्योंकि बरसात का मौसम एक कान, हाथी के कान के बराबर कर सकता है या आपके बाल हरे रंग के कर सकता है, या हो सकता है दाएं और बाएं पैर को आपस में बदल दे, या ऐसा ही कुछ और - और फिर ऐसे में आप जहां भी जाएंगे लोग आपका मजाक उड़ाएंगे।

उसने कहा, "यह ट्रैफिक मुझे बिल्कुल पसन्द नहीं है, मोटर-बसों से तो मैं डर जाता है। अगर मेरा काम लंदन में नहीं होता तो मैं किसी ऐसे छोटे-से द्वीप पर रहता जहां सड़कें होती ही नहीं या फिर किसी पहाड़ की चोटी पर रहता, नहीं तो ऐसी ही किसी और जगह। उस छोटे आदमी को पूरा विश्वास था कि मैंने ही उसका जीवन बचाया है। इसीलिए उसने आग्रह किया कि मैं उसके साथ रात का खाना खाऊं। मैंने कहा कि मैं बुधवार को खाने पर आऊंगा। उस समय तो मुझे उसके बारे में कुछ भी विचित्र नहीं लगा सिवाय इसके कि उसके कान कुछ बड़े थे और दोनों कानों पर बालों का एक-एक गुच्छा था। मुझे याद है कि इस बारे में मैंने सोचा था अगर मेरे कान पर वैसे बाल होते तो मैं उन्हें काट देता। उसने बताया था कि उसका नाम लीकी है और वो पहली मंज़िल पर रहता है।

खैर, मैं बुधवार को उसके घर पहुंचा, सीढ़ियों से ऊपर चढ़कर एक सामान्य से दिख रहे दरवाज़े को खटखटाया। पहले वाला कमरा बिल्कुल साधारण था, लेकिन जब घर के अन्दर पहुंचा तो दूसरा वाला कमरा बहुत ही विचित्र था, दीवारों पर सब तरफ परदे पड़े हुए थे। इन परदों पर आदमियों और जानवरों के चित्र बने हुए थे। वहां एक तस्वीर टंगी थी जिसमें दो लोग एक मकान बनाते दिख रहे थे, इसी तरह दूसरी तस्वीर में एक आदमी कुत्ते को लिए हुए था और धनुष से खरगोशों का शिकार कर रहा था। जब मैंने इन तस्वीरों को छूकर देखा तो मालूम पड़ा कि ये कढ़ी हुई थीं। पर मजेदार बात यह थी कि ये तस्वीरें लगातार बदलती रहती थीं। जब तक आप देखते रहते तस्वीर स्थिर रहती। लेकिन इसी बीच अगर आप इधर-उधर देखने लगे और दुबारा उसी तस्वीर पर नजर डालें तो वह बदली हुई मिलतीखाना खाने के दौरान मकान बनाने वालों ने मकान की एक मंज़िल और बना ली थी, शिकारी ने अपने धनुष से एक चिड़िया का शिकार कर लिया और कुत्ते ने दो खरगोश पकड़ लिए थे।

शुरू में तो मुझे समझ ही नहीं आया कि कमरे में रोशनी कहां से आ रही है। इसी बीच मैने गमलों में लगे हुए कुछ पौधे देखे - रौशनी वहीं से आ रही थी। इतने विचित्र पौधे मैंने पहले कभी नहीं देखे थे। उनमें टमाटर जितने बड़े लाल, पीले, नीले रंगों के चमकते हुए फल लगे थे। वे कोई नए प्रकार के बिजली के बल्ब नहीं थे। मैंने उनमें से एक को छूकर देखा। वह बेहद ठंडा और फल की तरह मुलायम था

हाँ, तो मिस्टर लीकी ने पूछा, 'आप क्या खाना पसन्द करेंगे। मैंने कहा, ‘जो भी तैयार हो।' उसने कहा, 'आप जो भी पसन्द करते हों बताएं, अच्छा ये बताइए कि कौन-सा सूप लेंगे?' मैंने कहा, “बॉश, क्रीम डाल के (ये रूसी सूप है)। मुझे लगा यह आदमी ज़रूर होटल से खाना मंगाता होगा।

'ठीक है, मैं तैयार कर लूंगा, उसने कहा, लेकिन अगर हमारा खाना उसी तरह परोसा जाए जिस तरह रोज परोसा जाता है तो आप बुरा तो नहीं मानेंगे? और हां, आप आसानी से डर तो नहीं जाते?

मैंने कहा, 'बहुत आसानी से तो नहीं।' लीकी ने कहा, 'तो ठीक है मैं अपने नौकर को बुलाता हूं, लेकिन आपको आगाह किए देता हूं कि वो बहुत ही बेढंगा है।'

यह कहते हुए उन्होंने अपने कानों को थपथपाया - लगा जैसे ताली बज रही हो। कोने में तांबे का जो बड़ा-सा बर्तन रखा था उसमें से कुछ निकला। मुझे लगा कि एक बड़ा-सा सांप है। लेकिन जब गौर किया तो उसके एक तरफ छोटे-छोटे चूसक थे -- तो यह ऑक्टोपस की एक भुजा थी। इस भुजा ने एक अलमारी खोली और एक बड़ा सा तौलिया निकाला, अब तक उसकी दूसरी भुजा भी बाहर आ चुकी थी जिसे उसने तौलिए से पोंछा। अब सूखी भुजा चूसकों की मदद से दीवार पर चिपक गई, और धीरे-धीरे पूरा जानवर बाहर आ गया। उसने अपने को सुखाया और दीवार पर रेंगने लगा।

इतना बड़ा ऑक्टोपस मैंने पहले कभी नहीं देखा था। उसका शरीर एक बोरे के बराबर था और एक-एक भुजा करीब आठ फुट लम्बी थी। वह दीवार के साथ रेंगता हुआ छत पर जा पहुंचा। जब वह मेज़ के ऊपर पहुंच गया तो एक भुजा से तो उसने छत को पकड़े रखा और बाकी की सात भुजाओं से अलमारी में से प्लेटें, कांटे, छुरियां आदि निकाल कर मेज पर सजा दी।

मिस्टर लीकी ने बताया, 'यह मेरा नौकर ऑलिवर है। यह एक आदमी से कहीं बेहतर है, क्योंकि काम करने के लिए इसके बहुत से हाथ हैं और एक प्लेट को लगभग दस चूसकों से उठाता है इसलिए वह कभी गिर कर टूट नहीं सकती।'

मेज लगाने के बाद ऑलिवर ने सात अलग-अलग तरह के पेय-पदार्थ पेश किए। पानी, नींबू शर्बत, बियर और चार किस्म की वाइन।उसके सात हाथों में सात तरह की बोतलें थी। मैंने पानी लिया।

यह सबकुछ इतना विचित्र था कि इस बात की तरफ मेरा ध्यान ही नहीं गया कि मेरे मेजबान ने बड़ा-सा हैट पहन रखा है, लेकिन जब उन्होंने उसे सिर से उतारा और उसमें से दो प्लेटों में सूप उड़ेला तो मैं चकित रह गया।

'अरे! हमें थोड़ी-सी क्रीम भी चाहिए,' उन्होंने कहा और आवाज दी, ‘फिलिस आओ, और खरगोश के घर जैसे एक डिब्बे में से एक छोटी सी हरे रंग की गाय भागती हुई आई और कूदकर मेज पर चढ़ गई और उनके सामने खड़ी हो गई। ऑलिवर ने उन्हें एक जग दिया और मि. लीकी ने दूध दुहने की तरह उस गाय में से क्रीम दुह कर निकाली। क्रीम बहुत ही बढ़िया थी, मुझे सूप भी बहुत पसंद आया।

“अब आप क्या लेंगे?' मि. लीकी ने पूछा। ‘जो आप चाहें, मैंने उत्तर दिया। वे बोले, 'ठीक है हम भुनी हुई मछली लेंगे और उसके बाद टर्की (एक तरह का पक्षी)।' 'ऑलिवर एक मछली पकड़ो और पॉम्पी उसे भूनो,' उन्होंने कहा।

ऑलिवर ने मछली पकड़ने का कांटा निकाला और उसे मछली पकड़ने के अंदाज़ में अपने एक हाथ से हिलाने लगा। तभी मैंने अलाव में कुछ शोर सा सुना और देखा कि उसमें से पॉम्पी बाहर आ रहा है। पॉम्पी एक छोटा-सा ड्रेगन था, करीब एक फुट लंबा और एक फुट की ही उसकी दुम थी। अलाव से बाहर निकलने से पहले वह दहकते कोयलों पर लेटा हुआ था इसलिए लाल सुर्ख हो रहा था। मुझे यह देखकर बड़ा मज़ा आया कि पॉम्पी ने बाहर आकर वहां रखे ऐसबेस्टॉस के छोटे-छोटे जूते पहन लिए।

मि. लीकी ने कहा, 'पॉम्पी अपनी दुम ठीक से ऊर उठा लो, अगर तुमने फिर से कालीन जलाया तो मैं एक बाल्टी ठंडा पानी तुम्हारे ऊपर उड़ेल दूंगा।' साथ ही बहुत धीमे से ये भी कहा, "मैं ऐसा कभी नहीं करूंगा क्योंकि एक छोटे-से ड्रेगन पर ठेला पानी डालना बहुत क्रूर काम है। इसे सिर्फ मैं ही सुन सका। लेकिन बेचारा पॉम्पी - उसने इस धमकी को गंभीरता से लिया, उसकी नाक से निकलने वाली पीली लपटें हल्की नीली हो गई, उसने दुम को ऊपर उठा लिया और पीछे के पैरों पर धीरे-धीरे चलने लगा। मुझे लगा कि जूतों की वजह से उसे चलने में दिक्कत हो रही है, लेकिन उनकी वजह से कालीन बच गया था। ऐपन चारों पैरों पर ही चलते हैं और कभी जूते नहीं पहनते, इसलिए पॉम्पी को इस तरह चलते देखकर मुझे बड़ा ताज्जुब हो रहा था।

मैं पॉम्पी में ही इतना मगन हो चुका था कि देख ही नहीं पाया कि ऑलिवर ने मछली कैसे पकड़ी। और जब मैंने दुबारा ऑलिवर की ओर देखा तब तक वह मछली को साफ कर चुका था, इसके बाद मछली को उसने पॉम्पी की ओर फेंका। पॉम्पी ने आगे के पंजों से उसे पकड़ा, फिर. बारी-बारी से दोनों हाथों में लेने लगा। उसके हाथ में पंजे जैसी लंबी-लंबी पतली अंगुलियां थीं। जब उसके एक हाथ में मछली होती तो वह दूसरे हाय को सीने पर रखकर गर्म करता था। जब मछली भुन गई तो पॉम्पी ने उसे ऑलिवर की दी हुई प्लेट में रख दिया। अब तक पपी को 8 लगने लगी थी और उसके दांत बज रहे थे। मछली रखते ही वह लपक कर अलाव में चला गया

मि. लीकी ने कहा “अगर ड्रेगन का मेरे लिए कई उपयोग नहीं होता तो मैं उसे रख ही नहीं सकता था। पिछले सप्ताह मैने इसकी सांस की सहायता से, दरवाजों का पुराना पेन्ट जलाया। इसकी दुम टांका लगाने का काम भी देती है, और फिर चोर डाकुओं के मामले में तो यह कुत्ते से भी ज़्यादा भरोसेमंद है। कुत्ते को तो चोर गोली मार सकते हैं - लेकिन गोली जैसे ही पॉम्पी को छुएगी पिघल जाएगी। मैं तो सोचता हैं कि प्रेगन सिर्फ सजाने के लिए नहीं है, उनका उपयोग भी करना चाहिए। तुम क्या सोचते हो?'

मैने कहा, 'मुझे तो बताते हुए भी शर्म आ रही है कि मैं पहली बार किसी जीवित हैगन को देख रहा हूं।'

मि. लीकी बोले, मैं भी कैसा गुरू हैं, ये तो भूल ही गया था कि अधिकतर तो मेरे पास इस पेशे से जुड़े हुए लोग ही आते हैं और तुम एक सामान्य व्यक्ति हो।' इसी बीच उन्होंने अपने हैट में से चटनी, मछली पर उड़ेली, साथ ही बोलते भी गए, मैं नहीं कर सकता कि तुमने इस भोजन में कोई विचित्र बात देखी है या नहीं वैसे कुछ लोगों की निरीक्षण करने की शक्ति दूसरों से ज़्यादा होती है।

मैंने जवाब दिया, 'ऐसी चीज़ मैने पहले कभी नहीं देखी। इस वक्त भी मैं एक इन्द्रधनुषी गुबरैले को देख रहा था जो कमर पर नमक दानी बांधे मेरी तरफ आ रहा था।

मेरे मेजबान ने कहा - ठीक है, वैसे अब तक तो आप समझ ही गए होंगे कि मैं एक जादूगर हूं। पॉम्पी तो असली ट्रैगन है लेकिन बाकी जो दूसरे जानवर हैं, ये सब आदमी थे। मैने ही उन्हें ऐसा बना दिया। मिसाल के तौर पर ऑलिवर एक आदमी था। उसके पैर एक ट्रेन से कट गए थे। मेरा जादू मशीनों पर नहीं चलता इसलिए मैं उसके पैर नहीं जोड़ सकता था। और सून बहने से वो मर जाता, इसलिए मैंने सोचा कि इसकी जान बचाने का सिर्फ एक ही तरीका है कि इसे ऐसे जानवर में बदल दिया जाए जिसके पैर ही न हों। इसलिए इसे एक घोचा बना दिया और जेब में रखकर घर आ गया।

शुरूआत में तो मैने से कुत्ता आदि जैसे दूसरे जानवरों में बदलना चाहा लेकिन उसके पीछे के पैर गायब होते। ऑक्टोपस के पैर नहीं होते, आठौं भुजाएं उसके सिर से निकलती है, इसलिए जब इसे ऑक्टोपस बनाया तो वह ठीक हो गया। यह पहले वेटर रह चुका था इसलिए यह भी जल्दी ही अपने काम में दक्ष हो गयामुझे लगता है कि यह नौकर से कहीं बेहतर है। एक तो यह ऊपर से ही लेटें उठा लेता है, दूसरे पीछे खड़े होकर सिर पर सवार नहीं रहता। 'ऑलिवर तुम बची हुई बाकी मछली और एक बोतल बियर ले लेना - मैं तुम्हारी पसन्द जानता हूं।' वह बोले।

ऑलिवर ने एक हाथ से मछली को पकड़कर एक बड़ी-सी चोंच में रख लिया। याहाँचथी तो तोते जैसी - पर आकार में उससे बहुत बड़ी। यह उसकी आठों भुजाओं के बीच में थी। उसने अलमारी में से एक वियर की बोतल निकाली और से उसका इकनोला, फिर अपनी दो भुणालों की मदद से राहत परत तहम गया कि मुंह से लगी बोतल ऊपर की। ओर हो जाए। इस तरह गियर पीने के दौरान ही उसने अपनी बड़ी-सी आंच को झपकाया भी। अब मैं निशित हो गया कि ऑलिवर सही में आदमी रहा होगा क्योंकि किसी ऑक्टोपस को पलक झपकाते मैंने पहले कभी नहीं देखा था। बाकी सभी व्यंजनों के मुकाबले टर्की कुछ सीधे तरीके से आया लेकिन इसके तुरन्त बाद उस शाम का हादसा हो गया। वो जो गुबरैला नमकदानी लिए आ रहा था, मेज़पोश की एक सलवट पर लुढ़क गया और सारा नमक बिल्कुल मिस्टर लीकी के सामने ही गिर गया।

उन्होंने गुस्से से उसे डांटी, ‘लियोपोल्ड, तुम्हारी खुशकिस्मती है कि मैं एक समझदार आदमी हूं। अगर अन्धविश्वासी होता तो सोचता कि यह मेरे लिए अपशकुन का संकेत है। लेकिन अब तुम्हारा दुर्भाग्य आने वाला है। मैं तो सोच रहा था कि तुम्हें फिर से आदमी बना दूंगा लेकिन अगर मर्ने तुम्हें आदमी बनाया तो सीधे पुलिस स्टेशन भेज दूंगा। वहीं पुलिस वाले तुमसे पूछेगे कि तुम अब तक कंहां छिपे थे? तुम क्या समते हो कि वे विश्वास करगे -- जब तुम बताओगे कि तुम गुपैरेला बने हुए थे? क्या तुम्हें अपनी इस हरकत का अफसोस है?'

बहुत मुश्किल से लियोपोल्ड अपने बंधन से निकला और अपनी कमर पर घूम कर अपने पैर हवा में ऐसे. हिलाने लगा जैसा कि एक कुत्ता शर्म आने पर करता है।

मिस्टर लीकी ने मुझे बताया कि जब लियोपोल्ड आदमी था तो लोगों को धोखा देकर पैसा बनाया करता था। जब पुलिस को खबर मिली और में इसे गिरफ्तार करने आ रहे थे तब यह मदद मांगने, मेरे पास आया। मैंने इसे बताया कि अगर पुलिस तुम्हें पकड़ लेती है तो सीधे सात साल की सजा होगी। लेकिन तुम चाहो तो पांच साल के लिए मैं तुम्हें एक गुबरैला बना सकता हूं। इस बीच अगर तुम्हारा व्यवहार अच्छा रहा तो तुम्हारी शक्ल बदल कर तुम्हें आदमी बना दूंगा जिससे कोई तुम्हें पहचान नहीं सकेगा। इसीलिए लियोपोल्ड आज गुबरैला है। लगता है लियोपोल्ड को नमक गिराने का अफसोस है।‘लियोपोल्ड तुमने जो नमक गिराया है, सारा-का-सारा उठाओ।'

जब हम टर्की खत्म कर रहे थे उसी दौरान मि. लीकी बेचैनी से बार बार ऊपर की ओर देख रहे थे। उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि अबुल मक्कर स्ट्रॉबेरियां लाने में देरी नहीं करेगा।' ‘स्ट्रॉबेरियां! और वो भी जनवरी में!' मैंने आश्चर्य से कहा।

मि. लीकी ने कहा, 'हां, अदुल मक्कर एक जिन्न है और उसे मैंने स्ट्रॉबेरियां लाने न्यूजीलैंड भेजा है, वहां इस समय गर्मी का मौसम होगा। उसे ज़्यादा देर नहीं करनी चाहिए। लेकिन हम लोगों की तरह जिन्नों की भी कमजोरियां होती है। जब उन्हें किसी काम के लिए भेजा जाता है तो वे बहुत ऊंचाई पर उड़ते हुए जाते हैं। वे जन्नत के इतना नज़दीक जाना चाहते हैं कि फरिश्तों की बातें सुन सकें, और तब फरिश्ते उन पर अग्नि बाण फेंकते हैं। और होता यह है कि वे अपना सामान गिरा देते हैं या आधे झुलसे हुए घर वापस आते हैं। अदुल मक्कर को गए एक घंटे से अधिक बीत चुका है। उसे जल्दी ही वापस आना चाहिए, चलिए इस बीच रूम कोई और फल ले लेते हैं।'

मि. लीकीं उठे और मेज के चारों कोनों को उन्होंने अपनी ही से छुआ। हर कोने की लकड़ी फूल गई, और फिर अटक गई। उसमें से छोटा-सा एक हरा अंकुर निकला और तेजी से बड़ा होने लगा। सिर्फ एक मिनट में पौध एक फुट ऊंचे हो गए, उनका तना मोटा हो गया और उनमें काफी सारी पत्तियां आ गई। पत्तियों को देखकर मैं बता सकता था कि एक पेड़ चेरी का है, दूसरा आडू का और तीसरा नाशपाती का। लेकिन ये को में नहीं पहचान सका।

इसी दौरान जबकि ऑलिवर अपने चार हाथों से मेज़ साफ कर रहा था और पांचवें से एक व्यंजन खा रहा था - तभी अबुल मक्कर अंदर आया। वो छत में से दाखिल हुआ। पहले उसके पैर आए और लगा जैसे त बन्द हो गई है। फिर छत थोड़ी-सी हिली और वो ऑलिवर की एक भुजा से टकराते-टकराते बचता हुआ फर्श पर आ खड़ा हुआ। उसने मिस्टर लीकी को प्रणाम किया और कहा, 'आपका गुलाम आपके लिए दुर्लभ ताज़े फल लाया है।'

उसका रंग भूरा था, नाक कुछ लम्बी थी। वह काफी कुछ आदमी जैसा लग रहा था, सिवाय इसके कि उसके नान सुनदरी थे और पीठ पर उसने वाले पंख थे। उसने रेशमी कपड़े पहन रखे थे जिनका रंग हरा था।

मि. लीकी ने जवाब दिया, 'मैं तुम्हारा बहुत आभारी हूं। अब तुम जा सकते हो। लेकिन ठहरो, पहले मेरे लिए मॉन्ट्रियल से ब्लेड ला दो। लंदन में अब तक दुकाने बंद हो चुकी हैं लेकिन मॉन्ट्रियल में तो अभी दोपहर ही होगी।' अदुल मक्कर ने कहा, 'हुजूर नीचे का आकाश हवाई जहाजों से भरा हुआ है जो जादुई कालीन से भी तेज उड़ते हैं और ऊपर की ओर बहुत से आकाशीय पिंड तैर रहे होंगे।' मि. लीकी ने कहा, 'तो तुम पांच मील की ऊचाई पर उड़ कर जाना और दोनों खतरों से बचना। अब तुम जाओ।

जिन्न गायब हो गया। उसने इस बार फर्श से जाना बेहतर समझा।इसी बीच पेड़ चार फीट ऊो हो गए थे। उन में फूल भी लग गए थे, फूल अड़ रहे थे और छोटे-छोटे हरे फल लगने लगे थे।

मि. लीकी ने कहा - अदुल मक्कर से मैंने तुम्हारा परिचय नहीं कराया। आशा है तुमने कुरा नहीं माना होगा। बात यह है कि जिन्न. कभी-कभी बड़े बेढंगे हो जाते हैं। हालांकि अदुल मक्कर अछा जिन्न है फिर भी अगर तुम उसे वापस भेजने का मंत्र नहीं जानते हो तो वह तुम्हारे लिए बड़ी विचित्र स्थिति पैदा कर सकता है, जैसे कि अगर तुम क्रिकेट खेल रहे हो और तुम्हारे विस्त कोई तेज गेंदबाज है तो अबुल मक्कर तुमसे पूछ सकता है कि क्या मैं तुम्हारे दुश्मन को भार हूं या उसे बकरा बना दूं? मुझे क्रिकेट देखने का बड़ा शौक था। पिछले साल मैं एक मैच देख रहा था ऑस्ट्रेलिया और ग्लूसेस्टर के बीच। लूसेस्टर की टीम के साथ मेरी थोड़ी-सी हमदर्दी हो गई और दूसरी टीम के खिलाड़ी धड़ाधड़ एक के बाद एक आउट होने लगे। मैं फौरन ही वहां से उठ कर चला नहीं जाता तो उस टीम की हार निश्चित थी। उसके बाद मैं कभी मैच देखने नहीं गया। आखिर सभी चाहते हैं न कि जो अच्छा खेले वही जीते।

फिर हमने न्यूजीलर की बेरी बाई जो बहुत लिया था। तब तक मेज़ पर उगे पेड़ों में लगे फल पक चुके थे। चौथे पे पर आसानी है शक्ल के, पर उससे काफी बड़े : सुनहरे फल लगे थे। मि. लीकी ने बताया ये आम है जो भारत में पैदा होते हैं, इन्हें इंग्लैंड में नहीं उगाया जा सकता, सिवाय जादू से।भने कहा कि मैं आम खाऊंगा। मि. लीकी ने कहा कि अमीर-से-अमीर आदमी भी इसी बात में मेरी बराबरी नहीं कर सकते। वे हवाई जहाज़ से आम तो मंगा सकते हैं लेकिन किसी पार्टी में आम खिला नहीं सकते।

मैंने पूछा, 'ऐसा क्यों?”

लीकी ने कहा, “लगता है कि तुमने आम कभी खाया नहीं है। आम खाने की सही जगह गुसलखाना है। ऊपर से। तो आम पर मजबूत छिलका होता है लेकिन अन्दर मुलायम गूदा। इसलिए जब तुम इसे खाओगे तो रस चारों तरफ से टपकेगा और तुम्हारे सफेद कपड़े खराब हो जाएंगे। लेकिन तुम यह आम मजे-से खा सकते हो। मगर जरा ठहरो मैं इस पर मंत्र फेंक दें, फिर इसका रस तुम्हारे ऊपर नहीं टपकेगा।

मि. लीकी ने अपनी छड़ी घुमाई और इसके बाद मैंने अपना आम खाया। आम बहुत बढ़िया था। ये ही एक ऐसा फल था जो सबसे बढ़िया स्ट्रॉबेरियों से भी अच्छा था। उसकी खुशबू का तो मैं बखान ही नहीं कर सकता। बीच में सख्त गुठली थी और उसके चारों ओर पीला गूदा। जादू का असर देखने के लिए मैंने थोड़ा-सा गूदा अपने कोट पर डाला लेकिन वो उछल कर मेरे मुंह में आ गया। मि. लीकी ने एक नाशपाती खाई और बाकी पच आम मुझे घर ले जाने के लिए दे दिए। और उन्हें मुझे अपने गुसलखाने में ही खाना पड़ा क्योंकि इन पर मंत्र नहीं फेंका गया था।

थोड़ी देर तक हम कुत्तों, फुटबाल, जादू आदि के बारे में बातें करते रहे। फिर मैंने उनसे कहा कि अब मुझे घर जाना चाहिए।

मि. लीकी ने कहा, 'मैं तुम्हें घर पहुंचा दूंगा, मगर जब भी तुम्हें दिनभर की फुर्सत मिले मेरे साथ समय बिताने आना। अगर तुम यह देखना चाहो कि मैं आमतौर पर क्या करता हूं तो हम दोपहर में भारत या जावा जा सकते हैं। मुझे बता देना कि तुम्हें किस दिन समय मिलेगा। अब तुम इस कालीन पर खड़े हो जाओ और अपनी आंखे बन्द कर लो।

हम कालीन पर खड़े हो गए और मैंने आखिरी बार मेज़ की ओर देखा। लियोपोल्ड ने सारा नमक उठा दिया था और अब वो सुस्ता रहा था, फिलिस जुगाली कर रही थी, फिर मैंने अपनी आंखे बन्द कर ली। मि. लीकी ने कालीन को मेरा पता बताया और अपने कान थपथपाए। मैंने अपने चेहरे पर ठंडी हवा का झोंका महसूस किया मेरा दिल भी थोड़ा-थोड़ा घबरा रहा था। अब हवा फिर से गर्म हो गई थी और मि. लीकी ने मुझसे आंखें खोलने को कहा। मैं अपने घर की बैठक में था - मिस्टर लीकी के मकान से पांच मील दूर।

मेरा कमरा छोटा था और फर्श पर किताबें आदि बिखरी हुई थीं। कालीन के लिए पूरी जगह नहीं थी। इसलिए वो जमीन से करीब एक फीट ऊपर हवा में ही ठहर गया था। नीचे उतरकर मैंने बत्ती जलाई।

मि. लीकी ने मुझसे हाथ मिलाया और का, शुभ रात्रि। इसके बाद ने अपना कान थपथपाया और कालीन के साथ ही ये भी गायब हो गए।

मैं अपने कमरे में अकेला था - आमों के साथ - जो मुझे बता रहे थे कि मैं सपना नहीं देख रहा था। मुझे उम्मीद है कि मेरे दोस्त मिस्टर लीकी तुम्हें एक बढ़िया आदमी लगे होंगे।


जे.बी.एस. होल्डेन : ( 1892-1964) विजात अनुवांशिकी विज्ञानी। विकास (evolution) के. आधुनिक सिद्धांत को स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान।
कम्युनिस्ट विचारधारा के समर्थक हाल्देन ने अपने जीवन का अंतिम समय भारत में अहिंसा के बारे में लिखते हुए गुजारा।
पुष्पा अग्रवाल : जयपुर में रहती हैं।

ज़रा सिर तो खुजलाइए

एक गिलास को करीब आधा पानी से भरकर उसमें कॉर्क डालें तो वह तैरने लगता है। परन्तु बीच में न रहकर किनारे से सट जाता है। आपको बताना है कि बिना कॉर्क को छुए क्या करें कि कार्क किनारे से सटकर तैरने की बजाए बीच में तैरे।