लगभग 100 वर्ष पहले डूबे एक जहाज़ के मलबे ने बरमुडा त्रिकोण के मिथक को एक बार फिर धराशायी कर दिया है। यह कहा गया था कि 1925 में एसएस कोटोपैक्सी नामक जो मालवाहक जहाज़ डूबा था उसमें बरमुडा त्रिकोण की भूमिका थी। यह मालवाहक अपनी मंज़िल तक नहीं पहुंच सका था।
बरमुडा त्रिकोण उत्तरी अटलांटिक सागर में एक अपरिभाषित-से क्षेत्र को कहते हैं। इसे शैतान का तिकोन भी कहा जाता है। यह बरमुडा से फ्लोरिडा और प्यूएर्टो रिको के बीच स्थित है। इसके बारे में कहा जाता रहा है कि यहां कई जहाज़, हवाई जहाज़ वगैरह डूबे हैं और इसका कारण पारलौकिक शक्तियों या अन्य ग्रहों के निवासियों को बताया जाता है। तथ्य यह है कि यहां कई जहाज़ नियमित रूप से पार होते हैं और कई हवाई जहाज़ इस क्षेत्र के ऊपर से होकर उड़ते हैं।
हाल ही में एक समुद्री जीव वैज्ञानिक और गोताखोर माइकेल बार्नेट ने उस जहाज़ कोटोपैक्सी का मलबा ढूंढ निकाला है। बार्नेट पिछले कई वर्षों से डूबे हुए जहाज़ों के मलबे खोजने का काम करते रहे हैं। इसी दौरान उन्हें पता चला कि उत्तरी फ्लोरिडा के सेन्ट ऑगस्टीन के तट से करीब 65 कि.मी. की दूरी पर एक बड़ा जहाज़ डूबा था जिसे स्थानीय लोग बेयर रेक के नाम से जानते हैं। यह वास्तव में बहुत बड़ा था।
तो बार्नेट ने गोताखोरी करके उस जहाज़ के मलबे का नाप जोख किया, अखबारों में उस समय छपे लेखों का जायज़ा लिया और साथ ही बीमा के रिकॉर्ड भी देखे और जहाज़ के मलबे से मिली वस्तुओं का मुआयना किया। उनकी तहकीकात से लगता था कि वह जहाज़ शायद कोटोपैक्सी ही था। तो उन्होंने खबर फैलाई कि एसएस कोटोपैक्सी शायद अटलांटिक महासागर के पेंदे में पड़ा है।
कोटोपैक्सी दक्षिण कैरोलिना के चार्ल्सटन बंदरगाह से कोयला भरकर हवाना के लिए रवाना हुआ था। रास्ते में एक तूफान ने इसे डुबो दिया और इस पर सवार 32 कर्मचारियों का कोई अता-पता नहीं मिला था। बाद में पता चला कि कोटोपैक्सी में कई खामियां थीं और इसकी मरम्मत का काम होने वाला था। जांच-पड़ताल में यह भी सामने आया कि कोटोपैक्सी ने डूबने से पहले एसओएस संदेश भी प्रसारित किए थे और फ्लोरिडा स्थित जैकसनविले स्टेशन ने ये संदेश पकड़े भी थे।
मज़ेदार बात है कि जहाज़ का मलबा सेन्ट ऑगस्टीन के तट से कुछ दूरी पर मिला है जो बरमुडा त्रिकोण के आसपास भी नहीं है।(स्रोत फीचर्स)