इक्कीसवीं सदी के कारखानों से लेकर शल्य क्रिया कक्ष तक छोटे-बड़े, हर आकार-प्रकार के रोबोट्स से भरते जा रहे हैं। कई रोबोट्स मशीन लर्निंग के ज़रिए गलती कर-करके नए कौशल सीख लेते हैं। लेकिन हालिया दिनों में एक नई विधि ने अलग-अलग तरह के रोबोट्स में इस तरह के कौशल स्थानांतरित करने में काफी मदद की है। इस तकनीक से उनको हर कार्य शुरू से सिखाने की आवश्यकता नहीं होती है। कॉर्नेजी मेलन युनिवर्सिटी के कंप्यूटर वैज्ञानिक और इस अध्ययन के प्रमुख ज़िन्गयू ल्यू ने इसे इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन मशीन लर्निंग में प्रस्तुत किया है।
रोबोट्स के बीच कौशल स्थानांतरण को एक उदाहरण से समझा जा सकता है। मान लीजिए आपके पास एक रोबोटिक हाथ है जो हू-ब-हू मानव हाथ के समान है। आपने इसे पांचों अंगुलियों से हथौड़ा पकड़ने और कील ठोकने के लिए प्रशिक्षित किया है। अब आप इसी काम को दो-उंगलियों वाली पकड़ से करवाना चाहते हैं। इसके लिए वैज्ञानिकों ने इन दो हाथों के बीच क्रमिक रूप से बदलते रोबोट्स की एक शृंखला बनाई जो धीरे-धीरे मूल स्वरूप से अंतिम रूप में परिवर्तित हो जाते हैं। प्रत्येक मध्यवर्ती रोबोट निर्दिष्ट कार्य का अभ्यास करता है जो एक कृत्रिम न्यूरल नेटवर्क को सक्रिय कर देता है जब तक कि सफलता का एक स्तर हासिल नहीं हो जाता। अगले रोबोट में नियंत्रक कोड भेजा जाता है।
वर्चुअल स्रोत से लक्षित रोबोट में स्थानांतरण के लिए टीम ने एक ‘गति वृक्ष’ तैयार किया। जिसमें नोड्स भुजाओं के द्योतक हैं और उनके बीच की कड़ियां जोड़ों को दर्शाती हैं। हथौड़ा मारने के कौशल को दो-उंगली की पकड़ में स्थानांतरित करने के लिए टीम ने तीन उंगलियों के नोड्स के वज़न और आकार को शून्य कर दिया। इस तरह प्रत्येक मध्यवर्ती रोबोट की उंगलियों का आकार और वज़न थोड़ा छोटा होता गया और उनको नियंत्रित करने वाले नेटवर्क को समायोजित करना सीखना पड़ा। शोधकर्ताओं ने प्रशिक्षण पद्धति में ऐसे परिवर्तन किए कि सीखने की प्रक्रिया में रोबोट्स के बीच अंतर बहुत ज़्यादा या बहुत कम न हों।
वैज्ञानिकों ने इस सिस्टम को रिवॉल्वर (Robot-Evolve-Robot) नाम दिया है। (स्रोत फीचर्स)