हाल ही में शोधकर्ताओं ने फल मक्खियों (ड्रॉसोफिला मेलानोगास्टर) में एक नए प्रकार का स्वाद ग्राही खोज निकाला है जिससे वे क्षारीय पदार्थों का पता लगा सकती हैं। इस अद्भुत क्षमता से वे उच्च क्षारीयता वाले ज़हरीले भोजन और सतहों से स्वयं को बचा सकती हैं। इतने भलीभांति अध्ययन किए गए जंतु में एक नए स्वाद ग्राही का पता चलना आश्चर्यजनक है। नेचर मेटाबोलिज़्म में प्रकाशित रिपोर्ट अन्य जीवों में भी क्षारीय स्वाद ग्राही का पता लगाने की संभावना खोलती है।
अधिकांश जीव अम्ल और क्षार के एक संकीर्ण परास में कार्य करते हैं जो उनके अस्तित्व के लिए ज़रूरी है। पिछले कुछ दशकों में खट्टे और अम्लीय स्वाद का पता लगाने वाले ग्राहियों, कोशिकाओं और तंत्रिका मार्गों का विस्तृत अध्ययन किया गया है लेकिन क्षारीय पदार्थों को लेकर समझ उतनी पुख्ता नहीं है।    
इस नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने मक्खियों में उच्च क्षारीयता के लिए विशिष्ट ग्राहियों का पता लगाने का प्रयास किया। अम्लीयता-क्षारीयता को पीएच नामक एक पैमाने पर नापा जाता है - पीएच कम होने से अम्लीयता बढ़ती है और पीएच बढ़ने पर क्षारीयता। 
मक्खियों की पसंद को जांचने के लिए शोधकर्ताओं ने उन्हें पेट्री डिश में मीठा जेल पेश किया। इसमें आधे जेल को उदासीन (पीएच 7) रखा गया जबकि बाकी आधे को क्षारीय (पीएच >7) बनाया गया था। प्रत्येक आधे जेल को लाल या नीले रंग से रंगा गया। पसंदीदा जेल का सेवन करने के बाद मक्खियों का पारभासी पेट लाल, नीला या बैंगनी रंग (यदि दोनों हिस्से खाएं) का हो जाएगा।
शोधकर्ताओं ने पाया कि मक्खियों ने अधिक क्षारीय भोजन से परहेज़ किया। अलबत्ता मक्खियों का एक समूह ऐसा भी था जो दो प्रकार के भोजन के बीच अंतर करने में उतना अच्छा नहीं था। इन मक्खियों का अध्ययन करने से पता चला कि उनके जीन में एक उत्परिवर्तन हुआ था। यह जीन मक्खियों की सूंड के सिरे पर उपस्थित स्वाद तंत्रिकाओं के साथ-साथ उनके पैरों और एंटीना की कोशिकाओं में सक्रिय पाया गया।   
कोशिकाओं का अध्ययन करने पर यह स्पष्ट हुआ कि यह जीन एक ऐसा ग्राही प्रोटीन बनाता है जो क्षारीय घोल से संपर्क में आने पर सक्रिय होकर एक चैनल खोल देता है। इससे मक्खी के मस्तिष्क को तुरंत उस भोजन से बचने का संकेत मिलता है।   
शोधकर्ताओं के अनुसार अधिकांश संवेदना ग्राहियों में चैनल धनायन प्रवाहित करते हैं लेकिन इस मामले में ऋणायनों का प्रवाह देखा गया। 
ऑप्टोजेनेटिक्स नामक तकनीक से इस जीन से सम्बंधित कोशिकाओं को सक्रिय करने पर मक्खियों ने सूंड को पीछे खींच लिया यानी वह भोजन बहुत क्षारीय है।  
शोधकर्ताओं के अनुसार इन परिणामों को कशेरुकी जीवों पर लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि उनमें यह जीन उपस्थित नहीं होता है। इस अध्ययन से यह भी समझा जा सकता है कि मक्खियां अंडे देने का स्थान कैसे चुनती हैं या कीट नियंत्रण के उपायों पर किस तरह से प्रतिक्रिया देंगी। (स्रोत फीचर्स)