चली जा रही हैं कतार में चींटियां... है न। किसी मरे हुए कीड़े को खींचने में जुटी हुई हैं। सैंकड़ों चींटियां। चींटियों के बारे में ये सब अवलोकन तो काफी आम हैं। लेकिन इनके अलावा भी ऐसा बहुत कुछ है इन चींटियों में जो बार-बार इनकी जीवनचर्या, इनके रहन-सहन के बारे में जानने को बेताब किए रहता है।

चींटियों की कुछ प्रजातियां ऐसी हैं जो दूसरी किसी विशेष प्रजाति की चींटियों की कॉलोनियों पर आक्रमण कर वहां कब्जा जमा लेती हैं और वहां की स्थानीय चींटियों को दास की तरह इस्तेमाल करती हैं।

एक खास प्रजाति की चींटीं बड़े जतन से पत्तियों, गोबर और दूसरे कार्बनिक पदार्थों को इकट्ठा करती हैं। इन्हें चबाकर ठीक अनुपात में मिलाती हैं और कॉलोनियों की। दीवार पर चिपका देती हैं। फिर वे इनमें एक खास किस्म की फफूंद को उगाती हैं। मजेदार बात यह है कि यह फफूंद भी सिर्फ इन्हीं चींटियों की कॉलोनियों में ही मिलता है, और कहीं नहीं।

अब इसे ही देखिए 'रेडवुड' चींटी को -- जिसका कि चित्र बाजू वाले पृष्ठ पर दिया गया है। एक छोटा-सा कीट एफिड एक मीठा-सा पदार्थ स्रावित करता है। यह पदार्थ इस चींटी का भोजन है। एक तरह से कहें तो रेडवुड चींटी इस पदार्थ को दुहती है।

दरअसल होता यह है कि ये चींटियां एफिड के झुंड की देखभाल करती हैं। अन्य कीटों से उनकी सुरक्षा करती है, जरूरत पड़ने पर उन्हें हंका कर यहां वहां भी ले जाती हैं। समय के नियमित अंतराल से यह रेडवुड चींटी अपने स्पर्शकों (Antenna) से एफिड को उत्तेजित करती रहती है ताकि एफिड वह मीठा-सा पदार्थ स्रावित करे और चींटी उसे चट कर जाए।