पृथ्वी की सतह का लगभग 70 प्रतिशत भाग पानी से ढंका हुआ है, फिर भी भूकंप पता करने वाले लगभग सभी यंत्र ज़मीन पर लगे हैं। सिर्फ कुछ बैटरी चालित डिटेक्टर समुद्र तल पर मौजूद हैं लेकिन भूकंपविदों के पास समुद्र तल से उठने वाले भूकंप की निगरानी करने का कोई तरीका नहीं है। और इस तरह के भूकंप के कारण कभी-कभी सुनामी आती हैं। 

हाल ही में साइंस पत्रिका में प्रकाशित एक तकनीक के अनुसार समुद्र तल में दस लाख किलोमीटर में फैले फाइबर ऑप्टिक केबल की मदद से भूकंप की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इन केबल्स में प्रकाश किरणों के माध्यम से संकेत भेजे जाते हैं। इन प्रकाशीय संकेतों में होने वाले थोड़े बदलावों को देखकर वैज्ञानिक भूकंप का पता लगा सकते हैं।

इस तकनीक से भूकंप पता करने के लिए केबल के प्रत्येक छोर पर लेज़र की ज़रूरत होगी और केबल की थोड़ी सी बैंडविड्थ का उपयोग किया जाएगा। टेडिंगटन, यूके में राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला के मौसम वैज्ञानिक गिउसेप मारा के अनुसार इस तकनीक की खोज एक आकस्मिक घटना का परिणाम है। टेडिंगटन से रीडिंग नामक स्थानों के बीच ज़मीन के नीचे दबे 79 किलोमीटर लंबे केबल के एक जोड़ पर परीक्षण करते हुए उन्हें पता चला कि केबल के नज़दीक का हल्का-सा कंपन्न, यहां तक कि ऊपर चल रहे ट्रैफिक का शोर, भी लेज़र को थोड़ा विचलित करता है। इसके चलते प्रकाश को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने के लिए अलग-अलग फासला तय करना पड़ता है।     

वैसे तो मारा इस तरह के शोर से परिचित थे। लेकिन जब उन्होंने अक्टूबर 2016 के डैटा का दोबारा निरीक्षण किया तो शोर को औसत से अधिक पाया। जिसकी तीव्रता 5.9 और 6.5 थी जो उस महीने के अंत में मध्य इटली में महसूस किए गए झटकों के करीब थे। और इस तरह भूकंप का पता लगाने के लिए एक नया तरीक़ा खोजा गया।
मारा का मानना है कि इस तकनीक का उपयोग समुद्रों में भी किया जा सकता है जहां आम तौर पर वातावरण शांत रहता है। इटली में माल्टा और सिसिली को जोड़ने वाली 96 किलोमीटर केबल का उपयोग करके उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ भूमध्य सागर में  3.4 तीव्रता के भूकंप का पता लगाया। 

वैज्ञानिकों के अनुसार केबल के दोनों सिरों पर लेज़र से प्रकाश भेज कर इन संकेतकों के बीच अंतर के आधार पर यह पता चल सकेगा कि भूकंप के कारण पहली बार केबल में किस जगह विचलन आया है। इस तरह से तीन या अधिक केबल के उपयोग से भूकंप का सटीक स्थान पता लगाया जा सकता है।

न्यू मेक्सिको में लॉस एलामोस नेशनल लेबोरेटरी के एक भूकंप विज्ञानी शार्लोट रोवे के अनुसार भूकंप का पता लगाने के अलावा यह केबल नेटवर्क पृथ्वी की आंतरिक संरचना की तस्वीरों में सुधार करने में भी मदद कर सकता है। सीटी स्कैन में एक्स-रे की तरह, बड़े भूकंप की भूकंपीय तरंगें जब चट्टानों से गुज़रती हैं तो घनत्व के अनुसार प्रभावित होती हैं। अत: इन भूकंप तरंगों के अध्ययन से चट्टानों की बनावट तथा पृथ्वी के मैंटल में संवहन के त्रिआयामी चित्र तैयार किए जा सकते हैं। लेकिन रोवे का यह भी मानना है कि वास्तव में इसका इस्तेमाल करने से पहले केबल सिग्नल को समझने और उनके आधार पर निर्णय करने की क्षमता अर्जित करनी होगी। (स्रोत फीचर्स)