वर्ष 2007 में, हवाई में स्थित किलाऊआ ज्वालामुखी के शीर्ष पर एक खड्ड में लावा भरना शुरू हुआ था। यह एक सौम्य-सा ज्वालमुखी उत्सर्जन था जिसने लगभग एक दशक बाद ज़बरदस्त विस्फोट में लावा और राख उगले। इस अंतिम विस्फोट के पहले तक यह लावाभरी झील एक पर्यटन आकर्षण का स्थल थी - एक ऐसी शांत सतह जिसके नीचे ज्वालामुखी का मैग्मा मथा जा रहा था। अब, शोधकर्ताओं ने किलाऊआ ज्वालामुखी में विस्फोट होने की संभावना पता करने का एक नया तरीका खोजा है – वे लावा झीलों से होने वाले कंपनों को सुनकर अगला विस्फोट होने की संभावना देखेंगे और लावा ‘संगीत’ की मदद से विस्फोट शुरू होने और बंद होने के समय की भविष्यवाणी करने की कोशिश करेंगे।
जब ज्वालामुखी खड्ड की किनोरों से चट्टानें झील में गिरती हैं तो छपछपाता लावा विभिन्न भूकंपीय तरंगें उत्पन्न करता है, जो कई सेकंड तक चलती हैं। ओरेगॉन विश्वविद्यालय के ज्वालामुखीविद लीफ कार्लस्ट्रॉम और उनके साथियों का अनुमान था कि ये लंबी भूकंपीय तरंगें सतह के नीचे उपस्थित मैग्मा के बारे में जानकारी दे सकती हैं – ठीक वैसे ही जैसे पानी से भरे गिलास पर चम्मच मारने से पता चलता है कि गिलास में कितना पानी भरा है। यदि पानी में गैसें घोल दी जाएं, या पानी की जगह दूध या कोई अन्य तरल पदार्थ भर दिया जाए तो ध्वनि और उसकी अवधि भी बदल जाती है।
किलाऊआ के 10 साल के उत्सर्जन के बाद शोधकर्ताओं के पास इससे सम्बंधित काफी डैटा था। यह डैटा ज्वालामुखी में घटित हुई हज़ारों घटनाओं का था जो उन्होंने भूकंपीय सेंसर, जीपीएस स्टेशनों और झील के स्तर के अवलोकनों से एकत्रित किया था। डैटा की मदद से उन्होंने एक कंप्यूटर मॉडल बनाया जो बताता था कि जब गिरती चट्टानें लावा झील में हलचल पैदा करती हैं और तरंगें उत्पन्न करती हैं तो क्या होता है। सिमुलेशन में तापमान और गैसीय बुलबुलों की अलग-अलग मात्राएं रखकर यह पता लगाया कि कौन-से मैग्मा के कौन-से गुणधर्म वास्तविक डैटा से सबसे अच्छी तरह मेल खाते हैं।
साइंस एडवांसेस पत्रिका में प्रकाशित नतीजों के अनुसार मैग्मा के तापमान और भूकंपीय तरंगों की अवधि का मज़बूत सम्बंध है। तरंगों से मैग्मा में मौजूद बुलबुलों की मात्रा और संरचना का भी पता लगा, जो आम तौर पर ज्वालामुखी विस्फोट के बाद ही पता चल पाता है। मैग्मा में गैसों की उपस्थिति काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इनका सम्बंध ज्वालामुखी विस्फोट से देखा गया है। लावा संगीत में परिवर्तन किलाऊआ में समय-समय पर होने वाले विस्फोटों को प्रतिबिंबित करता है।
उम्मीद है कि एक दिन यह ज्वालामुखीय सरगम वैज्ञानिकों को मैग्मा की निगरानी करने और विस्फोटों की भविष्यवाणी करने में मदद करेगी। वैसे सटीक भविष्यवाणी के लिए अधिक विस्तृत भौतिक मॉडल की आवश्यकता होगी। एक बात और है कि इस तरह की भविष्यवाणी किलाऊआ जैसे ज्वालामुखियो के लिए ही की जा सकती है, क्योंकि सभी ज्वालामुखियों में लावा झीलें नहीं होती जो इतनी लंबी और स्पष्ट भूकंपीय तंरग पैदा करती हों। फिर भी यह अध्ययन ज्वालामुखी विस्फोट के विकास पर एक नया दृष्टिकोण देता है। (स्रोत फीचर्स)