पिछले वर्षों में इंसानों ने वन्य जीवों के प्राकृतवासों पर ज़्यादा से ज़्यादा अतिक्रमण किया है। इस अतिक्रमण का एक परिणाम यह हुआ है कि वन्य जीवों के व्यवहार में परिवर्तन आया है। एक महत्वपूर्ण परिवर्तन यह देखा गया है कि पहले जो जंतु दिन में सक्रिय रहा करते थे, वे अब निशाचर हो गए हैं। इनमें लोमडि़यां, हिरन, जंगली सूअर वगैरह शामिल हैं। इससे मनुष्य की गतिविधियों से डरकर बचना तो संभव हो जाता है किंतु इसमें अन्य खतरे हैं।

दरअसल शोधकर्ताओं ने 6 महाद्वीपों पर रहने वाले स्तनधारियों की 62 प्रजातियों पर किए गए 76 अध्ययनों को खंगाला। इनमें ओपोसम से लेकर हाथी तक शामिल थे। खास तौर से शोधकर्ताओं ने इन अध्ययनों के आधार पर यह समझने की कोशिश की कि इंसानी क्रियाकलापों के कारण इन 62 प्रजातियों के जंतुओं के व्यवहार में किस तरह के परिवर्तन आए हैं। उक्त 76 अध्ययनों में जंतुओं पर निगरानी रखने की कई तकनीकों का सहारा लिया गया था। इनमें जीपीएस से लेकर गति-प्रेरित कैमरा शामिल हैं।

यह देखा गया कि इंसान के आगमन से पूर्व की अपेक्षा अब जंतु रात को अधिक सक्रिय नज़र आते हैं। उदाहरण के लिए, जो स्तनधारी पहले अपनी गतिविधियों को रात और दिन में बराबर-बराबर बांटकर करते थे, उनकी रात की गतिविधियां बढ़कर 68 प्रतिशत तक हो गई हैं। यह रिपोर्ट साइन्स पत्रिका में प्रकाशित हुई है।

टीम ने यह भी देखा कि जंतु समस्त इंसानी गतिविधियों पर एक-सी प्रतिक्रिया देते हैं - चाहे वह गतिविधि उन पर सीधे-सीधे असर डालती हो या न डालती हो। दूसरे शब्दों में, यदि आसपास मनुष्यों की हलचल हो रही है तो हिरन रात को ज़्यादा सक्रिय दिखाई देंगे, ज़रूरी नहीं कि वे इंसान उनका शिकार कर रहे हैं।

टीम का मत है कि जंतुओं का यह निशाचर व्यवहार मनुष्यों और वन्य प्राणियों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को संभव बनाता है। साथ ही साथ इससे हमें वन्य जीव संरक्षण की बेहतर योजना बनाने में मदद मिल सकती है। जैसे हम किसी भी क्षेत्र में मानव हलचल को उन समयों तक सीमित कर सकते हैं जब वहां जंतु सक्रिय होते हैं। यह ज़रूरी है क्योंकि जहां निशाचरी स्वभाव का विकास होने से वन्य प्राणियों को जीने में सहूलियत होगी, वहीं उन्हें शिकार मिलने में या चरने में दिक्कत भी हो सकती है। शोधकर्ताओं को लगता है कि चाहे ये जीव मनुष्य के साथ तालमेल बैठाने के लिए रात में सक्रिय रहने लगें किंतु इसका मतलब नहीं है कि उनका जीवन भलीभांति चल रहा है। (स्रोत फीचर्स)