बैक्टीरिया जनित संक्रमणों के इलाज में एंटीबायोटिक की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। एंटीबायोटिक की खोज से पहले ऐसे सारे संक्रमण लगभग लाइलाज होते थे। मगर अब एंटीबायोटिक औषधियों के संदर्भ में एक समस्या पैदा हो गई है - बैक्टीरिया इन औषधियों के प्रतिरोधी हो चले हैं। इन्हीं प्रतिरोधी बैक्टीरिया से निपटने के लिए वैज्ञानिक वायरसों का उपयोग करने पर विचार कर रहे हैं। कई स्थानों पर इस संदर्भ में प्रयोग भी शुरू हो चुके हैं।

दरअसल प्रकृति में कई वायरस पाए जाते हैं जो बैक्टीरिया का भक्षण करते हैं। इन्हें फेज यानी भक्षी वायरस कहते हैं। वायरस किस बैक्टीरिया का भक्षण करेगा, इसे लेकर वह बहुत नखरैल होता है। वैज्ञानिक प्रयोगों के ज़रिए यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि किन बैक्टीरिया संक्रमणों के लिए कौन-से वायरस का उपयोग किया जाना उपयुक्त होगा।

हालांकि पश्चिमी दुनिया के वैज्ञानिकों के लिए यह एक नया विचार है किंतु पूर्वी युरोप के वैज्ञानिक इस तरीके का उपयोग काफी समय से करते रहे हैं। अब इन्हीं प्रयासों को ज़्यादा व्यवस्थित तौर पर करने की कोशिश की जा रही है। सैन डिएगो स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय ने इसके लिए एक स्वतंत्र केंद्र - सेंटर फॉर इनोवेटिव फेज एप्लीकेशन्स एंड थेराप्यूटिक्स - स्थापित करने की योजना बनाई है।

वैसे इस भक्षी-उपचार का परीक्षण करना काफी मुश्किल साबित होगा। पहली बात तो यही है कि ऐसे मरीज़ों को तैयार करना जो एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी संक्रमण से पीड़ित हैं और भक्षी-उपचार के लिए राज़ी हो जाएं। दूसरी बात यह है कि प्रत्येक मरीज़ के इलाज के लिए भक्षी वायरस प्राप्त करना। कई मामलों में एक नहीं बल्कि वायरसों के एक मिश्रण का उपयोग करना होगा। यदि अलग-अलग मरीज़ों के लिए अलग-अलग मिश्रणों का उपयोग किया जाएगा तो क्लीनिकल परीक्षण के लिए मंज़ूरी किस चीज़ की ली जाएगी?

फिलहाल जिन चंद मरीज़ों का उपचार वायरस की मदद से किया गया है उनके लिए खाद्य व औषधि प्रशासन की स्वीकृति आपातकालीन अनुच्छेद के तहत ली गई थी। मगर जब बड़े पैमाने पर इस उपचार का परीक्षण करने की बारी आएगी, तो शायद यह अनुच्छेद काम न आए।

इस उपचार के परीक्षण के दौरान कई सवालों के जवाब ढूंढना होंगे। जैसे इन भक्षी वायरसों को मरीज़ के शरीर में पहुंचाने का सबसे कारगर व सुरक्षित तरीका क्या होगा। फिर यह भी देखना होगा कि ये भक्षी अपने लक्ष्य पर कितने सही तरीके से वार करते हैं। और यह भी देखना होगा कि बैक्टीरिया में इनके खिलाफ प्रतिरोध कितनी जल्दी उत्पन्न होता है।
बहरहाल, एंटीबायोटिक दवाइयों के खिलाफ बढ़ते प्रतिरोध को देखते हुए भक्षी-उपचार की संभावनाएं तलाशना बहुत ज़रूरी हो गया है। (स्रोत फीचर्स)