पृथ्वी से करीब 650 प्रकाश वर्ष की दूरी पर एक ग्रह खोजा गया है जिसका तापमान लगभग किसी छोटे तारे के बराबर (4300 डिग्री सेल्सियस) है।
ओहायो स्टेट विश्वविद्यालय के बी. स्कॉट गॉडी और उनके साथी निकले तो थे ऐसे ग्रहों की खोज में जहां जीवन की संभावना हो सकती है किंतु उन्हें मिला KELT-9b नामक यह ग्रह जो अपने सूरज की परिक्रमा बहुत नज़दीक रहकर करता है। इसे अपनी परिक्रमा पूरी करने में लगभग डेढ़ दिन (यानी पृथ्वी का डेढ़ दिन) लगता है और यह कुछ इस तरह अपनी धुरी पर घूमता है कि इसका एक ही हिस्सा हमेशा इसके सूरज की ओर रहता है। इस वजह से वह हिस्सा बहुत गर्म हो जाता है जबकि दूसरी ओर वाला हिस्सा अपेक्षाकृत कम गर्म रहता है।

वैसे तो खगोल शास्त्रियों की दिलचस्पी ऐसे ग्रहों को खोजने में नहीं रहती क्योंकि बहुत गर्म या बहुत ठंडे ग्रहों पर जीवन की संभावना नहीं है। लिहाज़ा, बाह्य ग्रहों (यानी हमारे सौर मंडल से बाहर के ग्रहों) की खोज ऐसे ग्रहों पर केंद्रित रही है जिनका तापमान ठीक-ठाक रेंज में हो।
ऐसे ग्रहों को दूरबीनों से देख पाना भी मुश्किल होता है। ऐसे दूरस्थ ग्रहों को देखने के लिए खगोल शास्त्री जो तकनीक अपनाते हैं, वह यह है कि जब कोई ग्रह हमारे और उसके अपने तारे के बीच से गुज़रता है तो हम तक पहुंचने वाले तारे के प्रकाश में हल्की-सी कमी आती है। किंतु ऐसे अत्यंत चमकीले तारों का प्रकाश इतना तेज़ होता है कि ग्रह सामने से गुज़र जाए तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता।

KELT-9b जिस तारे के चक्कर काट रहा है वह बहुत गर्म है। उसकी गर्मी और बहुत पास होने के कारण KELT-9b एक गैसीय ग्रह है और तेज़ी से अपनी गैस को गंवा रहा है। यह एक विशेष स्थिति है जिसका अध्ययन करना खगोल शास्त्रियों के लिए ज्ञानवर्धक हो सकता है। अभी कुछ नहीं कहा जा सकता कि जिस रफ्तार से KELT-9b गैसों को गंवा रहा है, उसके चलते यह कितने समय तक अस्तित्व में रहेगा। मगर वैज्ञानिक मान रहे हैं कि जब वह तारा फैलकर इस ग्रह को अपने में समेटने की स्थिति में आएगा तब तक इस ग्रह का वजूद स्वत: मिट चुका होगा। किंतु इतना तो स्पष्ट है कि ब्रह्मांड में ग्रहों की विविधता बहुत अधिक है। आप जब सोचते हैं कि किसी सूरज के इतने नज़दीक कोई ग्रह हो ही नहीं सकता, तब अचानक वहां आपको किसी ग्रह की उपस्थिति का पता चलता है। (स्रोत फीचर्स)