कसरत करना शरीर के लिए लाभदायक होता है मगर मेयो क्लीनिक में किए गए एक अध्ययन का निष्कर्ष है कि कसरत को एक विशेष क्रम और पद्धति से किया जाए तो लाभ कहीं अधिक मिलते हैं। इस पद्धति को हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रैनिंग नाम दिया गया है। इंटरवल ट्रैनिंग का मतलब है कि कुछ समय तक खूब कसरत करने के बाद कुछ समय तक थोड़ा आराम से कसरत की जाए।
मेयो क्लीनिक के श्रीकुमारन नायर और उनके साथियों ने इस कार्यक्रम में 18-30 वर्ष तथा 65-80 वर्ष उम्र के लोगों को भर्ती किया। इन्हें अलग-अलग समूहों में रखा गया था - एक समूह को इंटरवल ट्रैनिंग, एक समूह को वेट ट्रैनिंग तथा एक समूह को ये दोनों तीन माह तक करवाए गए। तीन माह के अंत में सारे व्यक्तियों की मांसपेशियों के नमूने लेकर जांच की गई।

यह देखा गया कि इंटरवल ट्रैनिंग के बाद सारे वालंटियर्स की कोशिकाओं में माइटोेकॉण्ड्रिया नामक अंग की कार्यक्षमता बढ़ी - युवाओं में 69 प्रतिशत तथा बुज़ुर्गों में 49 प्रतिशत। माइटोकॉण्ड्रिया कोशिका का वह अंग होता है जो श्वसन की प्रक्रिया को सम्पन्न करता है जिससे हमें कार्य करने हेतु ऊर्जा मिलती है। आम तौर पर देखा गया है कि उम्र के साथ माइटोकॉण्ड्रिया की गतिविधि कम हो जाती है और व्यक्ति थका-थका रहता है। वेट ट्रैनिंग के बाद श्वसन में सुधार सम्बंधी ऐसा कोई असर नहीं देखा गया।
इंटरवल ट्रैनिंग के बाद फेफड़ों व हृदय की सेहत और रक्त संचार में भी सुधार देखा गया। इनके द्वारा ली जाने वाली वायु की मात्रा भी बढ़ गई - युवाओं में 28 प्रतिशत का सुधार आया जबकि बुज़ुर्ग लोगों में 17 प्रतिशत। इस अध्ययन के नतीजे सेल मेटाबोलिज़्म नाम शोध पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। नायर का कहना है कि सिर्फ वेट ट्रैनिंग से मांसपेशियों में वृद्धि होती है जबकि इंटरवल ट्रैनिंग से माइटोकॉण्ड्रिया की सक्रियता भी बढ़ती है और श्वास सम्बंधी फायदे भी मिलते हैं। (स्रोत फीचर्स)