गूगल ल्यूनर एक्स पुरस्कार के तहत एक प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है। जो निजी कंपनी सबसे पहले चांद पर अपना रोवर पहुंचाएगी, वह विजेता होगी। और दौड़ शुरु हो चुकी है।
जर्मनी की कंपनी पीटीसाइन्टिस्ट ने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए अनुबंध कर लिया है। कंपनी के रोवर चालक कार्सन बेकर का कहना है कि उनका यान चांद पर उसी जगह के आसपास उतारने की योजना है जहां 1972 में नासा का अपोलो 17 उतरा था। इस संदर्भ में नासा के निर्देशों के मुताबिक कोई भी यान किसी भी अपोलो यान उतरने के स्थान से कम से कम 2 किलोमीटर दूर ही उतारा जा सकता है। इसके अलावा एक निर्देश यह भी है कि उतरने के बाद वह रोवर अपोलो स्थल से 200 मीटर दूर तक ही पहुंच सकता है।
पीटीसाइन्टिस्ट की योजना है कि वे अपना रोवर अपोलो 17 के स्थल से लगभग 3-4 किलोमीटर दूर उतारेंगे और दूरबीनों की मदद से 200 मीटर दूर रहकर ही उस स्थान का अवलोकन करेंगे।

मिशन का एक उद्देश्य यह देखना है कि जहां अपोलो उतरा था वहां जो भी गड्ढे वगैरह बने होंगे, उनकी क्या हालत है - क्या वे जस-के-तस हैं या चांद पर होने वाली गतिविधियों या चांद पर बाहर से होने वाली उल्का बौछार ने उन्हें बदल डाला है।
बेकर का कहना है कि उनका रोवर वहां गुरुत्वाकर्षण सम्बंधी प्रयोग भी दोहराएगा। वहां 1972 में अपोलो 17 के अंतरिक्ष यात्रियों ने गुरुत्व बल का मापन किया था और उसमें कुछ असामान्यताएं पाई गई थीं। तो बेकर की टीम यह जांचना चाहती है कि मापन में कोई गलती हुई थी या वास्तव में उस स्थान में कोई विशेष लक्षण हैं।
इसके अलावा टीम चांद की मिट्टी पर लेज़र पुंज फेंककर उसे पिघलाकर जोड़ने की कोशिश करेगी। इसका सम्बंध 3-डी पिं्रटिंग की टेक्नॉलॉजी से देखा जा रहा है। और सबसे रोचक प्रयोग होगा कि एक पौधे को वहां पनपाने की कोशिश की जाएगी।
उम्मीद की जा रही है कि यह मिशन सन 2017 या 2018 के शुरु में चांद पर भेजा जाएगा हालांकि अब तक यह तारीख कई बार आगे बढ़ाई जा चुकी है। (स्रोत फीचर्स)