नोबेल पुरस्कार (चिकित्सा) में उन जीव विज्ञानियों को नोबेल से नवाज़ा गया है जिन्होंने सर्केडियन क्लॉक यानी शरीर की दैनिक घड़ी की क्रियाविधि को खोजने में मदद की। दैनिक घड़ी का मतलब है हमारे शरीर के सभी काम यानी सोना, जागना, खाना, पीना, शौच इत्यादि का अंदरूनी नियत समय। यह शोध बहुत महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि यह हमारे जीवन और स्वास्थ्य से गहराई से जुड़ा है। पर्याप्त रूप से नींद न हो पाने के कारण अल्ज़ाइमर जैसी बीमारी का खतरा बढ़ता जाता है। दिमाग पर नींद की कमी का प्रभाव नज़र आने के लिए एक रात की अपर्याप्त नींद ही काफी है।

गौरतलब है कि नींद में कमी के प्रभावों का असर अल्ज़ाइमर के लक्षणों को दर्शाता है। और यह हमारे लिए चिंताजनक भी है। भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में नींद के पैटर्न में भी बहुत बदलाव आए हैं। देर रात तक काम करना और सवेरे जल्दी उठना आजकल आम बात हो गई है। इसका परिणाम यह होता है कि हम उनींदे रहते हैं। हमारी जैविक घड़ी में गड़बड़ी स्वास्थ्य पर घातक प्रभाव डाल सकती है।

हम नींद और डिमेंशिया (स्मृतिभ्रंश) के बीच की कड़ी को अनदेखा करते हैं जो न केवल व्यक्तिगत है बल्कि सामाजिक भी है। अल्ज़ाइमर एक भयानक स्थिति है जो स्वास्थ्य और सामाजिक देखभाल तंत्र पर एक बड़ा बोझ होगा। सरकार का यह कर्तव्य है कि वह नागरिकों की रक्षा और उनके कल्याण को बढ़ावा दे। पर्याप्त नींद के प्रति लोगों में जागरूकता। ऐसा नहीं कर पाते हैं तो हमारा सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट में आ जाएगा। (स्रोत फीचर्स)