गेहूं दुनिया की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है। इसकी जेनेटिक रचना को समझना वैज्ञानिक दृष्टि से ही नहीं, कृषि की दृष्टि से भी महत्व रखता है। अब तमाम बाधाओं को पार करके वैज्ञानिकों ने गेहूं (Triticum aestivum) की पूरी जेनेटिक रचना यानी जीनोम का मानचित्रण कर लिया है।

गेहूं के जीनोम का नक्शा यानी उसके समूचे डीएनए में उपस्थित क्षारों के क्रम का सटीकता से पता करने में सबसे बड़ी बाधा यह थी कि इस सरल-सी दिखने वाली फसल का जीनोम मैमथ जैसे विशालकाय व जटिल जंतु की तुलना में 6 गुना लंबा है। गेहूं के जीनोम में 15 अरब क्षार जोड़ियां पाई जाती हैं। यह जीनोम गुणसूत्रों के रूप में संगठित रहता है और गेहूं में प्रत्येक गुणसूत्र की 6-6 प्रतिलिपियां पाई जाती हैं। यह दूसरी दिक्कत है। तीसरी दिक्कत यह रही है कि गेहूं के जीनोम में कई सारे लंबे-लंबे खंड दोहराए जाते हैं जिनके क्षारों का क्रम पता करना आसान नहीं होता।

2014 में वैज्ञानिकों की एक अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी के प्रयासों से यह काम कुछ हद तक पूरा किया गया था। किंतु उनके द्वारा अनुक्रमित जीनोम में कई हिस्से छूटे हुए थे। अब जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय की चिकित्सा शाला के स्टीवन साल्ज़बर्ग के नेतृत्व में एक वैज्ञानिक दल ने अनुक्रमण की नवीन तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए गेहूं का पूरा जीनोम पता कर लिया है। इनके अंतर्गत पहले तो डीएनए के छोटे-छोटे टुकड़ों का अनुक्रमण किया जाता है और उसके बाद बार-बार दोहराए जाने वाले हिस्सों का अनुक्रमण किया जाता है। गिगासाइन्स नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्र के अनुसार इन दोनों जानकारियों को जोड़कर गेहूं के 15.3 अरब क्षार-जोड़ियों से निर्मित जीनोम का खुलासा हो गया है। (स्रोत फीचर्स)