कॉन्टेक्ट लैंस की परेशानियों से तो पार भी नहीं पाए थे कि अब आंखों में टैटू कराने का फैशन चल पड़ा है और एक साल में ही इसके दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं।
आंखों में टैटू बनाने के लिए आंखों की सबसे ऊपरी दो परतों के बीच में रंगीन स्याही इंजेक्ट की जाती है। आंखों के सफेद हिस्से को रंगीन बनाने के लिए इंजेक्शन में इंक भरकर डाली जाती है। टैटू के लिए चटख नारंगी, जामुनी, हरा, लाल और यहां तक कि काला रंग पसंद किए जा रहे हैं जो सफेद आंख को हमेशा के लिए रंगीन बना दे।

कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि इस तरह खूबसूरत दिखने की चाहत में ज़रा-सी गलती आपको भयानक परेशानी में डाल सकती है। इसके अलावा इस प्रक्रिया में सूजन और संक्रमण भी हो सकता है और यदि यह संक्रमण बढ़ता है, तो हो सकता है आप हमेशा के लिए दृष्टि सम्बंधी परेशानियों से घिर जाएं।
इसे समझने के लिए आंख की बनावट की बात करते हैं। आंखों का बाहर से दिखने वाला पटल सफेद दिखता है। वैसे कई लोग यह नहीं जानते कि इसमें दो झिल्लियां होती हैं। एक तो अंदर वाली झिल्ली होती है जिसे स्क्लेरा कहते हैं। स्क्लेरा को ढंके हुए एक और झिल्ली होती है जिसे कंजक्टाइवा कहते हैं। आम तौर पर इन दो झिल्लियों के बीच केवल रक्त वाहिकाएं और सीरम तरल होता है जिसके कारण हमारी आंखें चमकदार और सफेद दिखाई देती हैं। अपवाद स्वरूप कुछ अन्य पदार्थ इनके बीच जमा हो सकते हैं। जैसे कुछ मामलों में रक्त वाहिकाओं में क्षति के कारण रक्त का थक्का या लाल रंग जमा हो जाता है। इसके अलावा पैदाइशी निशान के रूप में मेलेनिन रंजक या काला धब्बा और पीलिया के मामले में पीला पदार्थ इन दो झिल्लियों के बीच में जमा हो जाते हैं। इनकी वजह से सफेद दिखने वाला भाग लाल, भूरा या पीला हो जाता है।

हमारी आंखें बहुत ही अद्भुत और नाज़ुक अंग है। ये त्वचा की तरह नहीं हैं कि इनमें टैटू गोदा जाए। गौरतलब है कि त्वचा पर टैटू गुदवाने के मामलों में भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन कई मामलों में आंखों में टैटू करवाना बहुत ही खतरनाक हो सकता है।

पहली दिक्कत तो यह हो सकती है कि इंजेक्शन की सुई आंख में छेद कर दे। कभी-कभी आंखों में ऐसी क्षति हो सकती है कि मोतियाबिंद विकसित होने लगे या रेटिना अपनी जगह से हट जाए। और संक्रमण का खतरा तो है ही। टैटू के लिए जो स्याही इस्तेमाल की जाती है, उसकी वजह से एलर्जी पैदा हो सकती है। हाल ही में अमेरिकन जर्नल ऑफ ऑफ्थेल्मोलॉजी में प्रकाशित एक शोध पत्र में आंखों के टैटू के खतरों के प्रति आगाह किया गया है। आंखों में इस तरह की क्षति को चिकित्सा सहायता के द्वारा पूरी तरह से ठीक भी नहीं किया जा सकता है। इसलिए आंखों को टैटू करवाने से पहले उसके दुष्परिणामों की तरफ भी नज़र डाल लेना चाहिए। (स्रोत फीचर्स)