पिछले वर्ष अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक जुड़वां अध्ययन किया था। इसके अंतर्गत दो हूबहू एक-से जुड़वां भाइयों में से एक (स्कॉट केली) ने पूरा एक साल अंतरिक्ष में बिताया था जबकि दूसरा भाई (मार्क केली) पृथ्वी पर ही रहा था। इस प्रयोग के शुरू में दोनों की शरीर क्रिया सम्बंधी कई जानकारियों के अलावा उनके डीएनए के नमूने लिए गए थे और फिर प्रयोग के अंत में नमूने लेकर उनकी तुलना की गई थी।

अब दो-दो भाइयों की दो जोड़ियों के साथ ऐसा ही अध्ययन पर्वतारोहण के संदर्भ में भी किया जा रहा है। जहां दो भाई एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं उन दोनों के जुड़वां भाई समुद्र तल पर बैठे इन्तज़ार कर रहे हैं। चारों भाइयों के रक्त, लार, पेशाब और मल के नमूने इकट्ठे किए जा रहे हैं। जहां समुद्र तल पर बैठे भाइयों के नमूने डॉक्टर वगैरह ले रहे हैं वहीं पर्वतारोही भाइयों को स्वयं अपने नमूने एकत्रित करना पड़ेंगे।

दोनों पर्वतारोही भाइयों को पहाड़ चढ़ने का काफी अनुभव है। इनमें से एक हैं डार्टमाउथ कॉलेज के 20-वर्षीय छात्र मैट मोनिज़ और दूसरे हैं पेशेवर पर्वतारोही 49-वर्षीय विली बेनेजेस। बेनेजेस 11 मर्तबा एवरेस्ट के शिखर पर पहुंच चुके हैं जबकि मोनिज़ ने 19 वर्ष से कम उम्र में ही 8000 मीटर की कई चोटियों पर चढ़ाई की है। दोनों इस वक्त बीच रास्ते में समुद्र तल से 7.3 किलोमीटर की ऊंचाई पर हैं।

इस हिमालयी अध्ययन की प्रेरणा नासा के जुड़वां अध्ययन से ही मिली है हालांकि हिमालयी अध्ययन नासा नहीं करवा रहा है। नासा के अध्ययन में पता चला था कि अंतरिक्ष में 1 वर्ष रहने वाले भाई स्कॉट के हज़ारों जीन्स की अभिव्यक्ति में परिवर्तन आया था। हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट में इस बात को यह कहकर प्रचारित किया गया था कि इन जीन्स में परिवर्तन हुए हैं किंतु सच्चाई यह थी कि जीन्स नहीं बदले थे, उनकी अभिव्यक्ति बदल गई थी। इनमें प्रतिरक्षा कार्य, डीएनए की मरम्मत, हड्डियों के निर्माण से सम्बंधित जीन्स थे। और पूरे 6 महीने बाद तक ये अपनी सामान्य अवस्था में नहीं लौटे थे।

अलबत्ता, वील कॉर्नेल विश्वविद्यालय के जेनेटिक वैज्ञानिक क्रिस्टोफर मैसन का मत था कि ज़रूरी नहीं कि जीन्स की अभिव्यक्ति में ऐसे परिवर्तन अंतरिक्ष यात्रा की वजह से हों। ये तो मात्र तनावपूर्ण परिस्थिति में जीने की वजह से भी हो सकते हैं। इसी बात को जांचने के लिए उन्होंने पर्वतारोहण का यह अध्ययन शुरू किया है। हालांकि एवरेस्ट अंतरिक्ष नहीं है, किंतु ऑक्सीजन का न्यून स्तर, बर्फीला तापमान, और अलग-थलग रहने का एहसास दोनों में एक-सा है।

यह सही है कि मैट मोनिज़ और केली मोनिज़ हूबहू एक-समान जुड़वां नहीं हैं जबकि विली बेनेजेस और डैमियन बेनेजेस हूबहू एक-समान जुड़वां हैं, किंतु मैसन का विचार है कि प्रयोग के शुरू और अंत में इनकी तुलना से काफी कुछ पता चलेगा।
एवरेस्ट प्रथम आधार शिविर (5364 मीटर) पर दोनों पर्वतारोही भाइयों ने विभिन्न नमूने एकत्रित कर लिए हैं। कम से कम आधार शिविर-3 तक तो वे ऑक्सीजन का उपयोग नहीं करेंगे मगर एवरेस्ट पर चढ़ाई के अंतिम चरण में वे ऑक्सीजन लेंगे। इसका मतलब है कि एवरेस्ट शिखर (8850 मीटर) पर लिए गए उनके रक्त के नमूनों की सीधी-सीधी तुलना उससे पहले लिए गए नमूनों से नहीं की जा सकेगी।

बहरहाल, वैज्ञानिक इस अध्ययन के नतीजों की प्रतीक्षा कर रहे हैं क्योंकि इससे हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि प्रतिकूल परिस्थितियों में मानव शरीर और उसका डीएनए कैसी प्रतिक्रिया देता है। (स्रोत फीचर्स)