आम लोगों के साथ-साथ वैज्ञानिकों का भी सपना रहा है कि कैंसर के जल्दी निदान की कोई आसान तकनीक खोजी जाए ताकि कैंसर का इलाज हो सके। अधिकांश मामलों में दिक्कत यही होती है कि जब तक कैंसर का पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। मगर अब यह उम्मीद नज़र आ रही है कि जल्दी ही खून की जांच से बताया जा सकेगा कि किसी व्यक्ति के शरीर में कैंसर की शुरुआत हो चुकी है। और तो और, शोधकर्ताओं को यकीन है कि रक्त की जांच के आधार पर वे यह भी बता सकेंगे कि कैंसर शरीर के किस अंग में पनप रहा है।

हाल ही में कैलिफोर्निया की ग्रैल नामक जैव-चिकित्सा कंपनी के शोधकर्ताओं ने अमेरिकन एसोसिएशन फॉर कैंसर रिसर्च की वार्षिक बैठक में बताया कि उन्होंने खून में उपस्थित कोशिका-मुक्त डीएनए के विश्लेषण के आधार पर एक तरीका विकसित किया है जो 65 प्रतिशत मामलों में कैंसर की भविष्यवाणी करने में सफल रहा है। यह तरीका इस तथ्य पर आधारित है कि कैंसर कोशिकाओं के डीएनए में कतिपय परिवर्तन होते हैं। जब ये कोशिकाएं विघटित होती हैं तो उनका डीएनए रक्त में मुक्त हो जाता है और प्रवाहित होता रहता है। ग्रैल के वैज्ञानिकों ने लगभग 1100 लोगों के इस कोशिका-मुक्त डीएनए के क्षारों का अनुक्रमण किया। इनमें से 578 ऐसे लोग थे जिनमें हाल ही में कैंसर का पता चला था जबकि 580 लोग कैंसर मुक्त थे।

वे पहले ही कैंसर पीड़ित लोगों के डीएनए का क्षार अनुक्रमण करके यह पता लगा चुके थे कि कैंसर के साथ डीएनए के किन हिस्सों में किस तरह के परिवर्तन होते हैं। अब उन्होंने उपरोक्त व्यक्तियों के डीएनए के क्षार अनुक्रम की तुलना कैंसर के ज्ञात अनुक्रमों से की। ऐसे लगभग 500 उत्परिवर्तित जीन्स पहचाने गए हैं जो कैंसर से सम्बंधित हैं। इसके अलावा किसी जीन की एकाधिक प्रतिलिपियां होने और सम्बंधित जीन के डीएनए में मिथायलेशन होना भी कैंसर से सम्बंधित पाया गया है।

इस तुलना के आधार पर वैज्ञानिकों ने यह देखने की कोशिश की कि ये आंकड़े किस हद तक कैंसर की उपस्थिति की भविष्यवाणी करने में मददगार हो सकते हैं। यह देखा गया कि जल्दी निदान की दृष्टि से सबसे मुश्किल कैंसर (पैंक्रियास, फेफड़े, अंडाशय, लीवर और ग्रास नली) के मामलों में उनके निष्कर्ष 65 प्रतिशत मामलों में सही थे। ये वे लोग थे जिनका कैंसर अभी अन्य अंगों में फैला नहीं था। फिलहाल ग्रैल अपने अध्ययन को बड़े पैमाने पर करने की योजना बना रही है। उन्होंने इसके लिए 10,000 लोगों का पंजीयन कर लिया है और लक्ष्य 15,000 का है।

इसी तरह के अध्ययन कई अन्य प्रयोगशालाओं में जारी हैं। जैसे जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में डीएनए अनुक्रमण के साथ-साथ रक्त में उपस्थित कैंसर-सम्बंधी प्रोटीन्स का विश्लेषण किया जा रहा है। (स्रोत फीचर्स)