एक मादा शार्क लंबे समय तक किसी नर साथी से विरह के बाद गर्भवती हो गई है। स्टेगोस्टोमा फैसिटम प्रजाति की यह शार्क मछली (नाम लिओनी) 1999 में टाउन्सविले (ऑस्ट्रेलिया) के एक मछलीघर में अपने नर साथी के साथ रही थी। उन दोनों की दो दर्ज़न से ज़्यादा संतानें पैदा भी हुई थीं। फिर किसी कारण से 2012 में नर को दूसरी टंकी में रख दिया गया था। तब से लिओनी का किसी नर से संपर्क नहीं रहा किंतु 2016 में उसने तीन शिशु शार्क को जन्म दिया।
इस आश्चर्यजनक घटना से चकराकर क्वींसलैण्ड विश्वविद्यालय के क्रिस्टीन डजिअन और उनके साथियों ने गुत्थी सुलझाने के प्रयास शुरु कर दिए। सबसे पहली संभावना तो यही थी कि लिओनी ने उस नर साथी के शुक्राणु अपने शरीर में कहीं सहेजकर रखे होंगे और काफी समय तक किसी नर से संपर्क न होने पर उसने उन शुक्राणुओं की मदद से गर्भधारण किया होगा।

मगर शिशुओं के डीएनए परीक्षण से पता चला कि उनमें जो भी आनुवंशिक पदार्थ है वह सिर्फ, और सिर्फ लिओनी का है। मतलब यही है कि ये संतानें अलैंगिक प्रजनन से उत्पन्न हुई हैं।
कुछ रीढ़धारी जंतुओं में अलैंगिक प्रजनन की क्षमता होती है। इनमें कुछ किस्म की शार्क, टर्की, कोमोडो ड्रेगन, सांप और रे-मछलियां शामिल हैं। किंतु ये सामान्यत: लैंगिक प्रजनन ही करते हैं। एक बात यह भी है कि अलैंगिक प्रजनन की अधिकांश रिपोर्ट ऐसी मादाओं की हैं जिनका नर से कभी संपर्क नहीं हुआ हो। कभी-कभार ही ऐसा देखा गया है कि कोई जंतु पहले लैंगिक प्रजनन करती रही हो और फिर बदलकर अलैंगिक प्रजनन करने लगे।

साइन्टिफिक रिपोर्ट्स शोध पत्रिका में अपने निष्कर्षों का ब्यौरा देते हुए डजियन ने बताया है कि शार्क मछलियों में अलैगिक प्रजनन तब संभव होता है जब उसके अंडे का निषेचन उसके साथ पाई जाने वाली एक कोशिका कर दे। इस कोशिका को पोलर बॉडी कहते हैं। इस पोलर बॉडी में भी उसी मादा की जेनेटिक सामग्री पाई जाती है। किंतु यह प्रजनन की सामान्य क्रियाविधि नहीं है क्योंकि ऐसे प्रजनन में विविधता पैदा नहीं होती जो जीवन के लिए बहुत ज़रूरी है। ऐसा प्रजनन तब ज़रूरी हो जाता है जब नर उपलब्ध न हो। (स्रोत फीचर्स)