आप शायद सोचते होंगे कि किसी कार के दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना का सम्बंध और किसी बात से हो न हो, मगर उसके रंग से तो कदापि नहीं होगा। किंतु हाल में प्रोसीडिंग्स ऑफ दी नेशनल एकेडमी ऑफ साइन्सेज़ में प्रकाशित एक अध्ययन का निष्कर्ष है कि कार का रंग उसके दुर्घटनाग्रस्त होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यह अध्ययन सिंगापुर की टैक्सियों पर किया गया। पूरे 36 माह तक वैज्ञानिकों ने 4175 पीली टैक्सियों और 12,525 नीली टैक्सियों की निगरानी की। इसके अलावा उन्होंने 3000 से ज़्यादा ड्राइवरों की टैक्सी दौड़ाने की रफ्तार, स्टॉप्स की संख्या और तय की गई दूरी का रिकॉर्ड जीपीएस के माध्यम से रखा। दोनों रंग की टैक्सियों के ड्राइवरों की उम्र, शैक्षणिक स्तर या ड्राइविंग के अनुभव में भी कोई अंतर नहीं था। इससे यह संभव हुआ कि ऐसे सारे कारकों के असर को निरस्त करके सिर्फ टैक्सी के रंग पर ध्यान केंद्रित किया जा सका।

36 माह के गहन निरीक्षण के बाद शोधकर्ताओं का निष्कर्ष है कि नीली टैक्सियों को पीछे से टक्कर मारे जाने की संभावना पीली टैक्सियों के मुकाबले 9 प्रतिशत ज़्यादा होती है। शोधकर्ताओं ने यह भी ध्यान देने की कोशिश की कि दिन के उजाले में और रात के कृत्रिम प्रकाश की स्थिति में क्या अंतर पड़ता है। स्ट्रीट लाइटिंग की स्थिति में नीली के मुकाबले पीली टैक्सियों को पीछे से टक्कर लगने की संभावना 19 प्रतिशत कम होती है जबकि दिन के उजाले में 5 प्रतिशत कम होती है।
अध्ययन से जुड़े वैज्ञानिकों का निष्कर्ष है कि पीला रंग ज़्यादा आसानी से नज़र आता है, खास तौर से कम रोशनी होने पर। इस वजह से पीछे से आ रहे ड्राइवरों को पीली टैक्सियां जल्दी दिख जाती हैं और उन्हें दुर्घटना को टालने का पर्याप्त समय मिल जाता है।
पहले किए गए कुछ अध्ययनों में भी कार के रंग और दुर्घटना की आशंका का सम्बंध देखा गया है। जैसे सड़क दुर्घटनाओं में काली कार के शामिल होने की संभावना अन्य रंग की कारों से 47 प्रतिशत अधिक होती है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि सिंगापुर की सारी टैक्सियों का रंग पीला कर दिया जाए, तो प्रति वर्ष 14 लाख डॉलर की बचत होगी। अब वे अन्य रंग की कारों के साथ भी इस तरह का अध्ययन करके देखना चाहते हैं कि कार की दर्शनीयता सबसे ज़्यादा किस रंग में होती है। (स्रोत फीचर्स)