हाइड्रोजन एक गैस है जो ऑक्सीजन से क्रिया करके पानी बनाती है। पानी बनाने की इस क्रिया में खूब सारी ऊर्जा निकलती है। अत: हाइड्रोजन का उपयोग एक ईंधन के रूप में किया जा सकता है। खास बात यह है कि हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की इस क्रिया में पानी के अलावा कुछ और नहीं बनता। इसलिए हाइड्रोजन ईंधन का उपयोग करेंगे तो ग्रीनहाउस गैसें भी पैदा नहीं होंगी और प्रदूषण भी नहीं बढ़ेगा। लिहाज़ा, हाइड्रोजन ईंधन को सस्ता व सुगम बनाने के प्रयास दुनिया भर में जारी हैं।
अब भारत में सेंट्रल इलेक्ट्रोकेमिकल इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने हाइड्रोजन बनाने के लिए सस्ती तकनीक विकसित की है। इंस्टीट्यूट के थंगास्वामि और उनके साथियों ने पानी के विद्युत विच्छेदन के लिए एक नया उत्प्रेरक विकसित किया है। गौरतलब है कि उत्प्रेरक वे पदार्थ होते हैं जो किसी क्रिया की गति को प्रभावित करते हैं।

फिलहाल पानी के विद्युत विच्छेदन के लिए प्लेटिनम धातु जैसे उत्प्रेरकों का उपयोग होता है। प्लेटिनम एक महंगी धातु है और इसलिए इस विधि से प्राप्त हाइड्रोजन काफी महंगी होती है। थंगास्वामि के दल ने इस काम के लिए मॉलिब्डेनम के ऑक्साइड का उपयोग करने में सफलता हासिल की है। पहले उन्होंने मॉलिब्डेनम ट्राइऑक्साइड की सूक्ष्म छड़ें तैयार कीं। फिर इसको थोड़े कम ऑक्सीकृत पदार्थ में बदल दिया और उसका उपयोग उत्प्रेरक के रूप में किया।
इसका उपयोग बार-बार किया जा सकता है। 50 मर्तबा उपयोग के बाद हाइड्रोजन का उत्पादन बढ़ने लगा। ऐसा 600 वें चक्र तक होता रहा। शोधकर्ताओं का मत है कि हाइड्रोजन उत्पादन में यह वृद्धि इस वजह से होती है कि उत्प्रेरक के अंदर ऑक्सीजन के रिक्त स्थान बन जाते हैं। किंतु 600 चक्र के बाद उत्पादन घटने लगा क्योंकि इलेक्ट्रोड की सतह पर गैस के बुलबुले जमा होने लगे थे और उत्प्रेरक की कार्यक्षमता कम होती गई।
केमिकल कम्यूनिकेशन्स नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित इस शोध पत्र ने हाइड्रोजन ईंधन की उपयोगिता को बढ़ाने की दिशा में एक संभावना पैदा की है। अभी और अनुसंधान की ज़रूरत है। (स्रोत फीचर्स)