अमेज़न के वर्षा वनों पर राजनीति की तलवार लटक रही है। ब्राज़ील में पिछले कुछ वर्षों में लागू किए गए पर्यावरण संरक्षण कानूनों की बदौलत अमेज़न के वर्षा वनों की क्षति में काफी कमी आई थी। किंतु भूतपूर्व राष्ट्रपति डिल्मा रूसेफ पर महाभियोग के साथ ही देश में जो राजनैतिक अफरा-तफरी फैली है उसका फायदा उठाकर कार्पोरेट लॉबी अपना उल्लू सीधा करने में लगी है और यह वर्षा वनों के लिए खतरे की घंटी बन गया है।
ब्राज़ील की राष्ट्रीय संसद में तथाकथित ‘रूरेलिस्टा’ लॉबी कार्पोरेट व बड़े भूस्वामियों के हितों का प्रतिनिधित्व करती है। यह लॉबी पर्यावरण संरक्षण कानूनों को कमज़ोर करने के प्रयास पूरी लगन से कर रही है। उदाहरण के लिए, पारा राज्य के कई संरक्षित हिस्सों को अब खनन व कृषि कार्यों के लिए खोल दिया गया है। इसी प्रकार से कोशिश की जा रही है कि पनबिजली परियोजनाओं समेत बड़े-बड़े विकास प्रोजेक्ट्स को फास्ट ट्रैक बनाया जाए। इनकी वजह से वनों की कटाई बढ़ेगी। और तो और, प्रस्ताव तो यह है कि सारे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को संरक्षण कानूनों से बाहर रखा जाए। अर्थात सड़क वगैरह बनाने के लिए पर्यावरण विभाग की स्वीकृति की अनिवार्यता को समाप्त करने के प्रयास चल रहे हैं।

इस तरह के कानूनी परिवर्तनों के अलावा, पर्यावरण विभाग के बजट में भी कटौती की गई है। ब्राज़ील साइन्स एकेडमी का कहना है कि पर्यावरण मंत्रालय के बजट में 43 प्रतिशत तथा उसके विज्ञान अनुसंधान बजट में 44 प्रतिशत की कमी की गई है। इसके चलते निर्वनीकरण का मुकाबला करना असंभव हो जाएगा।
इन नीतियों व कटौतियों का असर भी दिखने लगा है। पिछले वर्ष अमेज़न वर्षा वनों में निर्वनीकरण उससे पहले के वर्ष की तुलना में 29 प्रतिशत अधिक हुआ था। इन नीतियों में एक आयाम देशज लोगों के अधिकारों से भी जुड़ा है। गत वर्ष प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया था कि जो जंगल आदिवासियों के नियंत्रण में हैं उनमें निर्वनीकरण अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा पूरे दस गुना कम रहा। किंतु अब अपनी ज़मीन को बचाने के आदिवासियों के अधिकारों में भी कटौती करने की कोशिश की जा रही है। आदिवासियों ने ऐसे बदलावों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
यह सब ब्राज़ील के आर्थिक विकास के नाम पर किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास साथ-साथ नहीं चल सकते हालांकि पर्यावरण विदों का मत है कि ये परस्पर विरोधी हों, ऐसा ज़रूरी नहीं है। किंतु यह तभी संभव है जब विकास के लक्ष्यों के निर्धारण में ब्राज़ील के किसानों, वनवासियों और विज्ञान समुदाय की सक्रिय व कारगर भागीदारी हो। (स्रोत फीचर्स)