जिस तरह खाने की महक हमें दूर से ही आकर्षित करती है, उसी तरह हम चाहे कहीं भी हों मच्छर हमें ढूंढ ही लेते हैं और जैसे ही हम किसी काम में व्यस्त होते हैं वे हमें अपना शिकार बना लेते हैं।
हमारे शरीर का कौन-सा हिस्सा मच्छरों को सबसे ज़्यादा आकर्षित करता है। यह जानने के लिए ब्रिाटिश शोधकर्ताओं का एक समूह इस प्रक्रिया में मानव आनुवंशिकी की भूमिका को लेकर एक नई जांच शुरू करने जा रहा है। वे 200 समान व असमान जुड़वा बच्चों के मोज़े लेंगे और उन्हें हवादार सुरंग में कीड़ों के साथ रख देंगे। वैज्ञानिकों का मानना है कि स्वाभाविक रूप से मोज़े के मालिक आकर्षक और प्रतिकर्षक रसायन बनाते होंगे जो मच्छरों को काबू करने में मददगार साबित हो सकते हैं।

लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसीन के जेम्स लोगान कहते हैं कि हम इस बारे में बहुत कम जानते हैं कि हमें मच्छरों के लिए आकर्षक बनाने में आनुवंशिकी की क्या भूमिका है। इससे पहले के अध्ययनों से पता चला था कि दृष्टि, गंध और शरीर की गर्मी मच्छरों को आकर्षित करती है। उम्मीद है कि इस अध्ययन से हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि मच्छरों के लिए आकर्षक या प्रतिकर्षक गंध को बदलने की क्रियाविधि क्या है। यदि हम उन जीन्स को पहचान पाए जो इसमें शामिल हैं तो शायद हम ऐसी दवा बना सकते हैं जो शरीर को प्राकृतिक रूप से मच्छरों के लिए अनाकर्षक बना दे।

वैज्ञानिक यह पहले से जानते हैं कि क्यों हममें से कुछ लोग मच्छरों के ज़्यादा शिकार बनते हैं। जो लोग सांस में ज़्यादा कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं वे मच्छरों को ज़्यादा आकर्षित करते हैं। वैज्ञानिकों ने यह भी पाया है कि बड़े डील-डौल वाले लोग मच्छरों को ज़्यादा आकर्षित करते हैं - या तो ज़्यादा कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ने की वजह से या शरीर की सतह बड़ी होने की वजह से।
यह भी देखा गया है कि गर्भावस्था या माहवारी के दौरान महिलाएं मच्छरों को ज़्यादा आकर्षित करती हैं। एक अध्ययन में यह भी पता चला है कि मलेरिया संक्रमित व्यक्ति मच्छरों को ज़्यादा आकर्षित करते हैं।

लेकिन निजी आनुवंशिकी से इसका क्या सम्बंध हो सकता है? लोगान की टीम ने 18 समान जुड़वां और 19 असमान जुड़वां बच्चों का अध्ययन किया था। उन्होंने पाया कि समान जुड़वां बच्चे रक्त-चूसने वाले कीटों के प्रति आकर्षण में समानता दर्शाते हैं बजाय असमान जुड़वां बच्चों के। चूंकि यह देखा गया है कि समान जुड़वां बच्चों की गंध में समानता होती है इसलिए लोगान की टीम को इसका ज़्यादा विस्तृत अध्ययन करने की बात सूझी है। (स्रोत फीचर्स)