वनस्पति शास्त्री यह तो काफी समय से जानते हैं कि शाकाहारियों का आक्रमण होने पर पौधे अपनी रक्षा के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं। इनमें से एक उपाय यह होता है कि पौधों में ऐसे रसायन बनने लगते हैं कि उनकी पत्तियां बेस्वाद या कड़वी हो जाती हैं। इस तरह से वे शाकाहारियों से बच जाती हैं। मगर विस्कॉन्सिन वि·ाविद्यालय के पारिस्थितिकीविद जॉन ओरोक जानना चाहते थे कि पौधों द्वारा बनाए गए ऐसे रसायनों का शाकाहारी जीवों पर क्या असर होता है।
अपने प्रयोगों के रोचक परिणाम उन्होंने नेचर इकॉलॉजी एंड इवॉल्यूशन नामक पत्रिका में प्रकाशित किए हैं। उन्होंने पाया कि टमाटर का पौधा जब अपनी रक्षा के लिए रसायन बनाता है और इल्लियां उसकी पत्तियों को खाती हैं तो वे पत्तियां खाना छोड़कर अन्य इल्लियों को खाने लगती हैं।

ओरोक और उनके साथियों ने टमाटर (Solanum lycopersicum) के पौधों पर मेथिल जैस्मोनेट के घोल का छिड़काव करके उनकी सुरक्षा व्यवस्था को सक्रिय कर दिया। यह वही पदार्थ है जो पौधे अपनी रक्षा में बनाते हैं। इसके बनने के बाद पौधे में कई अन्य विषैले रसायन बनने लगते हैं। जब टमाटर के पौधों की सुरक्षा व्यवस्था सक्रिय हो गई तो टीम ने उनके ऊपर एक कीड़े (Spodoptera exigua) की इल्लियां रख दीं।

जिन पौधों पर अधिक मात्रा में मेथिल जैस्मोनेट का छिड़काव किया गया था, उन पर रखी गई इल्लियों ने अन्य इल्लियों का भक्षण शुरू कर दिया। यानी पौधों को दोहरी सुरक्षा मिली। एक तो इल्लियों ने उनकी पत्तियों को खाना छोड़ दिया। दूसरे, वे अन्य इल्लियों को खाने लगी, जिसके चलते इल्लियों की संख्या भी कम हो गई।

पौधों के द्वारा अपनी सुरक्षा के लिए बनाए गए रसायनों का ऐसा असर पहली बार देखा गया है। वैसे अन्य वैज्ञानिकों को लगता है कि पूरा प्रयोग काफी कृत्रिम परिस्थिति में किया गया है। जैसे मेथिल जैस्मोनेट ऊपर से छिड़का गया था और इल्लियों को अन्य पत्तियां खाने का मौका भी नहीं था। ओरोक भी मानते हैं कि बात को पूरी तरह समझने के लिए ज़्यादा प्राकृतिक परिस्थिति में प्रयोग करके देखना होगा। किंतु तब तक के लिए यह रोचक परिणाम तो है कि कुछ रसायन शाकाहारी प्राणियों को मांसाहारी (स्वजाति-भक्षक) भी बना सकते हैं। (स्रोत फीचर्स)