साल्वेडोर डाली के शव को हाल ही में उनकी कब्रा से एक मुकदमे के सिलसिले में निकाला गया। मशहूर चित्रकार डाली का निधन 1989 में 84 वर्ष की उम्र में हुआ था और उन्हें जहां दफनाया गया था उस जगह के ऊपर डाली संग्रहालय खड़ा है।
कई लोगों को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि बाकी शव के विपरीत उनकी मशहूर मूंछें ‘10 बजकर 10 मिनट’ की स्थिति में तनी हुई थीं। डाली के शव को परिरक्षित करने वाले तकनीशियन का तो मत है कि यह एक चमत्कार है। दूसरी ओर फॉरेंसिक विशेषज्ञों का कहना है कि बालों का इस तरह सुरक्षित रहना एक सामान्य बात है।

जैसे, टेनेसी विश्वविद्यालय के टिपैनी सौल का कहना है कि यदि मानव शव को हवाबंद ताबूत में रखकर दफन किया जाए तो काफी संभावना रहती है कि बाल लंबे समय तक नहीं सड़ेंगे। और तो और, एक निजी डीएनए परीक्षण प्रयोगशाला स्केल्स बायोलॉजिकल लैबोरेटरी के जॉर्ज शिरो बताते हैं कि उन्होंने 1991 में एक ऐसे शव पर पूर्णत: सुरक्षित बाल देखे हैं जिसे 56 साल पहले दफनाया गया था।
आखिर बालों में ऐसी क्या बात है कि वे सड़ते-गलते नहीं हैं। दरअसल, बाल किरेटिन नामक एक प्रोटीन से बने होते हैं। किरेटिन को पचाने की क्षमता बहुत कम जीवों में होती है। खास तौर से कुछ फफूंदें ही इसे पचा पाती हैं। यदि परिस्थिति फफूंद के विकास के लिए उपयुक्त न हों, तो बाल यथावत बचना स्वाभाविक है। कई पुरातात्विक नमूनों में भी बाल सुरक्षित पाए गए हैं।

लेकिन डाली का शव बालों की स्थिति को जानने के लिए नहीं खोदा गया है। दरअसल एक महिला ने दावा किया है कि डाली के उनकी मां से सम्बंध रहे थे। इस आधार पर वह महिला डाली की बेटी होने का दावा कर रही है। अत: पितृत्व की जांच करने के लिए डाली के डीएनए की जांच का फैसला लिया गया है और गड़े मुर्दे उसी सिलसिले में उखाड़े जा रहे हैं। (स्रोत फीचर्स)